बुधवार, सितम्बर 18, 2024
होमब्लॉगविशालाक्षी देवी शक्ति पीठ (Vishalakshi Devi Shakti Peeth) का इतिहास, रहस्य और...

विशालाक्षी देवी शक्ति पीठ (Vishalakshi Devi Shakti Peeth) का इतिहास, रहस्य और अन्य महत्वपूर्ण जानकारियां

आध्यात्मिक भूमि काशी में में स्थित है 51 शक्ति पीठ में से एक विशालाक्षी देवी शक्ति पीठ (Vishalakshi Devi Shakti Peeth) है। इस शक्ति पीठ के बारे में कहा जाता है कि यह काशी के शिव मंदिर से भी अधिक पुराना है। जिसकी व्याख्या देवी पुराण में पाई जाती है। इस शक्ति पीठ के बारे में लोगों की मान्यता है कि मां विशालाक्षी देवी की उपासना करने से परिवारिक सुख समृद्धि और धन की प्राप्ति होती है। हमारे आज के इस आर्टिकल में हम मां विशालाक्षी देवी शक्ति पीठ के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे। तो हमारे इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ें।

Table of Contents

विशालाक्षी देवी शक्ति पीठ का इतिहास | Vishalakshi Devi Shakti Peeth History in Hindi

विशालाक्षी देवी शक्ति पीठ (Vishalakshi Devi Shakti Peeth) के इतिहास की बात करें तो इसकी स्थापना भी अन्य 51 शक्ति पीठों की तरह ही माता सती के मृत शरीर के कटे हुए अंगों के गिरने के कारण हुई थी। इस जगह पर माता सती की आँख तथा कवच और कुंडल गिरे थे। स्थानीय लोगों का मानना है कि इस शक्ति पीठ में बाबा विश्वनाथ रात्रि विश्राम करते हैं। मंदिर के मुख्य द्वार के सामने स्थापित देवी की मूर्ति के पीछे एक और मूर्ति है जिसके बारे में कहा जाता है कि यह मूर्ति स्वयंभू स्थापित है।

एक मान्यता के अनुसार देवी की मूर्ति खंडित हो गई थी तब शंकराचार्य यहां आए थे। तब राजमिस्त्री ने द्वार के सामने वाली मूर्ति की स्थापना के लिए पीछे वाली मूर्ति को हटाने की कोशिश की तो उसके शरीर में आग लग गई। तब शंकराचार्य द्वारा अभिमंत्रित भस्म के द्वारा अग्नि को शांत किया गया। उसके बाद भी वह राजमिस्त्री कुछ दिनों बाद मानसिक रूप से विक्षिप्त हो गया और उसकी मृत्यु हो गई। इसके बाद शंकराचार्य द्वारा भव्य पूजन कर के माता की मूर्ति को स्थापित किया गया।

सदियों से, कई शासकों और परोपकारी लोगों के संरक्षण में कई बार मंदिर का नवीकरण और पुनर्स्थापन करवाया गया। मुगल सम्राट औरंगजेब के शासनकाल के दौरान, मंदिर को नष्ट कर दिया गया था, और यह कई वर्षों तक मंदिर खंडहर बन रहा। हालाँकि, 18वीं शताब्दी में, इंदौर की मराठा शासक रानी अहिल्याबाई होल्कर ने मंदिर की मरम्मत का काम शुरू कराया और बाद में इसे पूजा के मुख्य केंद्र के रूप में स्थापित किया।

यह भी पढ़ें: जयंती शक्ति पीठ मंदिर (Jayanti Shakti Peeth Nartiang) का इतिहास, वास्तुकला और अनसुनी बातें

विशालाक्षी देवी शक्ति पीठ की वास्तुकला | Vishalakshi Devi Shakti Peeth Architecture

काशी नगरी के मीर घाट पर स्थित माता विशालाक्षी देवी शक्ति पीठ (Vishalakshi Devi Shakti Peeth) के बारे में मान्यता है कि यह 5000 वर्ष पुराना है। केवल गर्भगृह को छोड़कर पूरे मंदिर का स्थापत्य दक्षिण भारतीय शैली में किया गया है। मंदिर के महंत के अनुसार सन 1908 में इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया गया था। इस मंदिर में माता की दो मूर्तियां हैं जिसमें से एक स्वयंभू स्थापित है।

मंदिर के मुख्य द्वार पर एक विशाल अद्भुत मीनार खड़ी देखी जा सकती है। मंदिर के मुख्य द्वार के दोनों तरफ शेर के शिलालेखों की अद्भुत मूर्ति रखी गई है, इसके साथ ऊपर देवी की अद्भुत चित्रकारी की गई है। मंदिर के गर्भगृह में भगवान शिव, नाग तथा गणेश जी की मूर्ति को स्थापित किया गया है। मंदिर के पीछे शंकराचार्य जी की मूर्ति को स्थापित किया गया है, जोकि ध्यान मुद्रा में देखी जा सकती है।

विशालाक्षी देवी शक्ति पीठ की महत्वपूर्ण जानकारियां

मंदिर का नाममाता विशालाक्षी देवी शक्ति पीठ (Vishalakshi Devi Shakti Peeth)
मंदिर के प्रमुख देवतामाता विशालाक्षी तथा काल भैरव
मंदिर की जगहमीर घाट, बनारस
मंदिर की प्रमुखतायहां देवी सती के कवच कुंडल तथा आंख गिरी थी
मंदिर निर्माणकाल5000 वर्ष पूर्व
मंदिर से जुड़े त्योहारनवरात्रि, शिवरात्रि, दिवाली
मंदिर की भाषाअवधि, हिंदी, इंग्लिश
मंदिर खुलने का समयप्रातः काल 4 बजे

विशालाक्षी देवी शक्ति पीठ मंदिर से जुडे रहस्य | Vishalakshi Devi Shakti Peeth Facts in Hindi

51 शक्ति पीठों में से एक विशालाक्षी शक्ति पीठ मंदिर (Vishalakshi Devi Shakti Peeth) अपने अनोखे रहस्य से पूरे संसार में विख्यात है। लेकिन कई लोग ऐसे है जो अभी तक इस मंदिर के बारे में कुछ भी नही जानते, क्या आप भी उनमें से एक हैं? अगर हां, तब आपको निम्नलिखित रहस्यों को जरूर पढ़ना चाहिए, ताकि आप इस मंदिर की अनसुनी बातों को पूर्ण रूप से जान पाएं। चलिए अब मंदिर से जुड़े अनेकों रहस्यों को आपके साथ शेयर करते हैं।

  • तंत्र चूड़ामणि के अनुसार बनारस में माता सती के दाहिने कान का कुंडल गिरा था, जहां बाद में माता विशालाक्षी मंदिर का निर्माण हुआ। आज इस मंदिर को विशालाक्षी शक्ति पीठ मंदिर (Vishalakshi Devi Shakti Peeth) के नाम से जाना जाता है।
  • पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यदि कोई भक्त गंगा स्नान करने के बाद माता विशालाक्षी को धूप, दीप फूलों के हार, मोतियों की माला और नया वस्त्र अर्पित करता है तो उसे आत्मिक शांति और धन संपत्ति की प्राप्ति होती है।
  • एक मान्यता के अनुसार मंदिर में पूजा के बाद दान करने से भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
  • तंत्र सागर के अनुसार माता विशालाक्षी की काया गौर वर्ण है। उनका दिव्य विग्रह पिघले हुए सोने के समान चमकता रहता है।
  • माता अत्यंत ही रूपवान है तथा एक 16 वर्षीय कन्या के समान दिखाई पड़ती हैं। माता विशालाक्षी मुंडो की माला व रक्त वस्त्र धारण करती हैं। वे अपने हाथों में हमेशा खड्ग और खप्पर लिए रहती हैं।
  • ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव और देवी सती विशालाक्षी देवी शक्ति पीठ मंदिर (Vishalakshi Devi Shakti Peeth) में रात्रि के पहर विश्राम करते हैं।
  • एक मान्यता के अनुसार वह महिला भक्त जिसकी शादी होने में अड़चने आ रही हो और अन्य महिला जिसे पुत्रप्राप्ति की अभिलाषा हो, उसके मंदिर दर्शन करने पर सभी इच्छाएं पूर्ण हो जाती हैं।
  • पुराण के अनुसार देवी विशालाक्षी के अन्नपूर्णा देवी के रूप में परिभाषित किया गया है।
  • माता विशालाक्षी देवी शक्ति पीठ (Vishalakshi Devi Shakti Peeth) की मुख्य शक्ति माता सती तथा कालभैरव हैं

विशालाक्षी देवी शक्ति पीठ से जुड़े है ऋषि व्यास

विशालाक्षी देवी शक्ति पीठ (Vishalakshi Devi Shakti Peeth) समेत 51 शक्ति पीठों के निर्माण की कथा से तो आप सभी वाकिफ है। इस कथा के अलावा भी विशालाक्षी देवी शक्ति पीठ से जुड़ी कुछ कहानियां प्रचलित हैं। इनमें से एक कथा है ऋषि वेदव्यास की।

आख्यानों के अनुसार, माता विशालाक्षी ही माता अन्नपूर्णा हैं, जो इस संसार के समस्त जीवों का भरण पोषण करती है। स्कंद पुराण में वर्णित एक कथा के अनुसार एक बार ऋषि व्यास भोजन की तलाश में काशी शहर में इधर-उधर भटक रहे थे परंतु कोई भी उन्हें भोजन अर्पित नहीं कर रहा था। तब माता विशालाक्षी जी ने एक गृहिणी का रूप धर कर ऋषि व्यास को भोजन करवाया था।

विशालाक्षी देवी शक्ति पीठ के प्रमुख त्यौहार | Vishalakshi Devi Shakti Peeth Related Festivals

जैसा कि इस आलेख के आरंभ में हमने आपको बताया कि काशी के विशालाक्षी देवी शक्ति पीठ मंदिर में माता की दो मूर्तियां हैं जिन्हें यहां चल तथा अचल के रूप में माना जाता है। इन दोनों ही मूर्तियों की पूजा आराधना समान रूप से की जाती है। माता विशालाक्षी देवी शक्ति पीठ के मुख्यतः तीन त्योहार हैं जो इस प्रकार हैं।

दुर्गा पूजन

विशालाक्षी माता चल मूर्ति की विशेष पूजा नवरात्र के समय विजयदशमी पर्व के दिन की जाती है इस दिन माता को घोड़े पर विराजित किया जाता है।

कजली तीज

विशालाक्षी देवी शक्ति पीठ के अचल मूर्ति की विशेष पूजा साल में दो बार की जाती है जिसमें से एक है भादो मास की कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि, इस दिन को माता के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। अचल मूर्ति की दूसरी विशेष पूजा दीपावली के दूसरे दिन माता का अन्नकूट करके की जाती है।

नवरात्र

चैत्र मास के नवरात्रों में पंचमी के दिन माता विशालाक्षी का दर्शन किया जाता है। प्रत्येक मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को माता विशालाक्षी के दर्शन करना अति शुभ माना जाता है।

विशालाक्षी देवी शक्ति पीठ कैसे पहुंचे | How To Reach Vishalakshi Devi Shakti Peeth

विशालाक्षी देवी शक्ति पीठ मंदिर देवी विशालाक्षी (Vishalakshi Devi Shakti Peeth) देवी विशालाक्षी को समर्पित है, जहां पर अनेकों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं और देवी का आशीर्वाद लेते हैं। अगर आप उन भक्तों में से एक हैं, जो शक्ति पीठ के दर्शन करने के लिए उत्सुक रहते हैं तब आप मंदिर के लिए सड़क मार्ग, रेल मार्ग तथा हवाई जहाज से यात्रा कर सकते हैं। जो भक्तगण अपने शहर से मंदिर जाने वाले रास्ते से अज्ञात हैं तब उन्हें हमारे आर्टिकल में बताया गए, रास्तों को जरूर पढ़ना चाहिए, ताकि वह आसानी से अपने शहर से मंदिर तक की यात्रा पूर्ण कर सके। चलिए मंदिर तक जाने वाले रास्ते के बारे में विस्तार से जानते हैं।

सड़क मार्ग द्वारा विशालाक्षी देवी शक्ति पीठ मंदिर कैसे पहुंचे

वह भक्तगण जो मंदिर से कुछ दूरी पर रहते हैं, उनके लिए सड़क मार्ग द्वारा यात्रा करना काफी सुविधाजनक होगा, क्योंकि काशी बस स्टैंड के आसपास के रोड काफी सुविधाजनक हैं, इसलिए इन सड़क मार्ग से मंदिर पहुंचा जा सकता है। अगर आप सड़क मार्ग द्वारा मंदिर जाने के लिए सोच रहे हैं तब आपको अपने शहर से काशी की तरफ जाने वाली बस का पता लगाना होगा या फिर आप बनारस में बस के माध्यम से भी जा सकते हैं। बनारस पहुंचने के बाद, आप राज्य में चलने वाली बसों की मदद से काशी बस स्टैंड पहुंच सकते हैं। बस स्टैंड से मंदिर की दूरी लगभग 3 किलोमीटर है इसलिए ऑटो की मदद से मंदिर तक पहुंचा जा सकता है।

ट्रेन से विशालाक्षी देवी शक्ति पीठ मंदिर कैसे पहुंचे

जिन लोगों के पास मंदिर जाने के लिए बजट कम है, उनके लिए ट्रेन का सफर काफी अच्छा होगा। इसकी खास वजह है कि ट्रेन के माध्यम से बहुत सस्ते में यात्रा की जा सकती है। अगर आप अपने शहर से मंदिर तक जाने के लिए ट्रेन का सफर चुना है, तब आपको अपने शहर से काशी रेलवे स्टेशन की टिकट बुक करवानी होगी। रेलवे स्टेशन से मंदिर की दूरी लगभग 4 किलोमीटर है, इसलिए आप रेलवे स्टेशन से ऑटो की मदद से मंदिर तक पहुंच सकते हैं।

हवाई जहाज से विशालाक्षी देवी शक्ति पीठ मंदिर कैसे पहुंचे

अगर कोई भक्तगण मंदिर के लिए हवाई जहाज से यात्रा करना चाहता हैं, उनके लिए सफर महंगा होगा, लेकिन कुछ ही घंटे में मंदिर के नजदीकी एयरपोर्ट तक पहुंचा जा सकता हैं। अगर आप अपने शहर से मंदिर जाने के लिए एरोप्लेन से यात्रा करना चाहते हैं, तब आपको अपने शहर से लाल बहादुर शास्त्री एयरपोर्ट की फ्लाइट टिकट बुक करवानी होगी। एयरपोर्ट पहुंचने के बाद आप टैक्सी या ऑटो की मदद ले सकते हैं जोकि आपको मंदिर तक छोड़ देंगे, जानकारी के लिए बताना चाहेंगे, एयरपोर्ट से मंदिर की दूरी लगभग 20 किलोमीटर है।

यह भी पढ़ें: जयंती शक्ति पीठ मंदिर (Jayanti Shakti Peeth Nartiang) का इतिहास, वास्तुकला और अनसुनी बातें

विशालाक्षी देवी शक्ति पीठ का दर्शन और आरती का समय | Vishalakshi Devi Shakti Peeth Darshan & Aarti Timing

मंदिर का द्वारा सुबह से लेकर रात्रि तक खुला रहता है इसलिए प्रतिदिन हजारों भक्तगण यहां पर आते जाते रहते हैं। आमतौर पर सुबह के समय भक्तजनों की ज्यादा भीड़ लगी रहती है क्योंकि इस समय मंदिर में विभिन्न पूजा या आरतियां आयोजित की जाती हैं। मंदिर के कुछ प्रमुख कानून बनाए गए है जिसका पालन करना अनिवार्य है, अन्यथा मंदिर में प्रमुख देवी के दर्शन करने पर मनाही कर दी जाती है। अगर आप मंदिर जाने के बारे में सोच रहे हैं, और मंदिर में होने वाली विभिन्न आर्तियों को देखना चाहते हैं, तब आपको निम्नलिखित तालिका को ध्यान से पढ़ना चाहिए।

आरतीसमय
मंगला आरतीप्रातः काल 4:30 बजे
भोग आरतीदोपहर 12 बजे
संध्या आरतीशाम 7 बजे
शयन आरतीरात्रि 10 बजे

Faq: Vishalakshi Devi Shakti Peeth

विशालाक्षी देवी शक्ति पीठ (Vishalakshi Devi Shakti Peeth) कहां पर स्तिथ है?
मीर घाट, काशी, वाराणसी (भारत)

विशालाक्षी देवी शक्ति पीठ (Vishalakshi Devi Shakti Peeth) के प्रमुख त्योहार कौनसे हैं?
कालिका तीज, नवरात्रि, दुर्गा पूजा।

क्या विशालाक्षी देवी शक्ति पीठ (Vishalakshi Devi Shakti Peeth) के अंदर फोटो लेने की अनुमति है?
जी नहीं, मंदिर के नियमों के अनुसार मंदिर में फोटो लेने पर पूर्ण रूप से मनाही है।

विशालाक्षी देवी शक्ति पीठ (Vishalakshi Devi Shakti Peeth) के साथ कौनसी दैविक घटना घटित हुई थी?
मंदिर के पास देवी सती के आभूषण गिरे थे।

विशालाक्षी देवी शक्ति पीठ मंदिर (Vishalakshi Devi Shakti Peeth) का नवीनीकरण कब हुआ था?
सन 1971

Share this content:

RELATED ARTICLES

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

Most Popular