मंगलवार, जून 17, 2025
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वाराही देवी शक्ति पीठ (Varahi Shakti Peeth Varanasi) मंदिर का इतिहास, यात्रा विवरण और भगवान विष्णु के वराह स्वरूप की पौराणिक कहानी

वाराही देवी शक्ति पीठ (Varahi Shakti Peeth Varanasi) भारत के वाराणसी छेत्र में स्थित है जिसकी मुख्य देवी सती का इसी जगह पर निचले दन्त का निपात हुआ था। इसके अलवा वाराही देवी के मंदिर दिल्ली, उत्तराखंड और गुजरात में भी स्थित है, जिनका प्रचार अभी तक ज्यादा नहीं हो पाया है। मंदिर में मुख्य देवी का सिर वराह (सूअर) के रूप में स्थापित किया गया है, जोकि देखने में चौंका देने वाला लगता है। मंदिर में सुबह के समय पूजा के दौरान भक्तगण देवी के दर्शन कर सकते हैं। एक मान्यता के अनुसार रात्री के समय देवी की गुप्त पूजा की जाती हैं, इसके बाद वाराही देवी पूरी रात्रि को मंदिर के आस पास के छेत्रों में रहने वाले लोगों की बुरी शक्तियों से रक्षा करती हैं। क्या आप उस पौराणिक कहानी से परिचित हैं जिसमें भगवान विष्णु ने सूअर के रूप में हिरण्याक्ष का वध किया था? इस मंदिर की संरचना में क्या खास बात है? वाराही देवी मंदिर के दर्शन इच्छुक भक्तगण मंदिर कैसे पहुँच सकते हैं? अगर आप भी इन सभी सवालों के जवाब ढूंढ रहें है। तब आपको इस आर्टिकल को जरुर पढना चाहिए, क्यूंकि इस आर्टिकल में आपके सभी सवालों का जवाब मिल जाएगा।

Table of Contents

वाराही देवी शक्ति पीठ मंदिर का इतिहास | Varahi Shakti Peeth Varanasi History in Hindi

वाराही देवी शक्ति पीठ मंदिर (Varahi Shakti Peeth Varanasi) का इतिहास उस समय का है जब देवी साती के वाराही स्वरूप में उत्त्पति हुई थी। एक अन्य मान्यता के अनुसार यहाँ पर देवी सती का अंश प्राप्त किया गया था, जिसमे वराह रूपी जीव के दांत को पाया गया था।

ऐतिहासिक तथ्यों की माने तो यह मंदिर लगभग 1000 वर्ष पुराना है। इसके साथ ही मंदिर का नवीनीकरण बहुत कम हुआ है इसलिए इस मंदिर का स्वरूप काफी प्राचीनतम है।

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वाराही देवी शक्ति पीठ मंदिर की संरचना | Varahi Shakti Peeth Varanasi Architecture

वाराही देवी शक्ति पीठ मंदिर (Varahi Shakti Peeth Varanasi) की कला और संरचना एक आकर्षक चित्रकारी का स्वरूप है। मंदिर को एक विशेष प्रकार के पत्थर से निर्मित किया गया है, जब सूर्य की किरणें इस पत्थर पर पड़ती है तो मंदिर एक अद्वितीय दृश्य के सामान लगता है। मंदिर के पास एक अद्भुत जलाशय है जिसमें मंदिर की परछाई का नजारा एक अद्भुत दृश्य का प्रदर्शन करता है।

वाराही देवी शक्ति पीठ मंदिर (Varahi Shakti Peeth Varanasi) में मुख्य देवी की मूर्ति को सूअर के स्वरूप में देखा जा सकता है। मंदिर में देवी के सिर को वराह के रूप में तथा अन्य शरीर स्त्री के रूप में देखा जा सकता है। वाराही देवी शक्ति पीठ मंदिर के बारे में एक मान्यता है कि यह मंदिर सुबह 5:00 से लेकर 8:00 बजे तक, अर्थात 2 घंटे तक खुलता है, इस दौरान सभी भक्तगण देवी के दर्शन कर सकते हैं।

वाराही देवी शक्ति पीठ मंदिर के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां

मंदिर का नामवाराही देवी शक्ति पीठ मंदिर (Varahi Shakti Peeth Varanasi)
मंदिर के प्रमुख देवतादेवी वाराही, देवता महारुद्र
मंदिर की प्रमुखताइस शक्ति पीठ के पास ही देवी सती के निचेल दन्त का निपात हुआ था
मंदिर की जगहवाराणसी, उत्तरप्रदेश
मंदिर की भाषाहिंदी, अवधि, स्थानीय भाषा
मंदिर से जुड़े त्योहारनवरात्री, महाशिवरात्रि
मंदिर का निर्माणकाल1000 वर्ष पूर्व
मंदिर का समयप्रातः काल 4:30 बजे

वाराही देवी शक्ति पीठ मंदिर से जुड़े अनसुने रहस्य | Varahi Shakti Peeth Varanasi Facts in Hindi

जहाँ पर देवी सती का वाराही स्वरूप उत्पन्न हुआ था, उसे आज वाराही देवी शक्ति पीठ मंदिर (Varahi Shakti Peeth Varanasi) के रूप में जाना जाता है। इस जगह से जुड़े अनेकों रहस्य बताए जाते हैं जोकि इस मंदिर को विभिन्न शक्ति पीठो से बेहद अलग रूप में प्रदर्शित करते हैं, क्या आप वाराही देवी के इस मंदिर से जुड़े रहस्यों से परिचित हैं? अगर नहीं, तब आपको निचे दिए गए निम्नलिखित रहस्यों को जरुर पढ़ना चाहिए।

  • वाराणसी में स्थित इस मंदिर के पास ही देवी सती के निचले दांत का निपात हुआ था, जिसके परिणामस्वरूप यहां पर वाराही देवी शक्ति पीठ मंदिर (Varahi Shakti Peeth Varanasi) की स्थापना की गई।
  • वाराही देवी शक्ति पीठ मंदिर (Varahi Shakti Peeth Varanasi) में स्थित मुख्य देवी को वाराही तथा मुख्य देवता को महारुद्र के रूप में जाना जाता है।
  • वाराही देवी शक्ति पीठ मंदिर (Varahi Shakti Peeth Varanasi) को पंचसागर शक्ति पीठ के नाम से भी जाना जाता है।
  • मंदिर के पास स्थित स्थानीय निवासियों को मानना है कि यह मंदिर तीन देवताओं के लिए पूजनीय है, जिसमें से विष्णु, शिव और शक्ति प्रमुख हैं।
  • वाराही देवी शक्ति पीठ मंदिर (Varahi Shakti Peeth Varanasi) के बारे में एक मान्यता है जिसके अनुसार मंदिर में सुबह 2 घंटे देवी की विशेष पूजा की जाती है और इसके बाद लंबे समय के लिए मंदिर को बंद कर दिया जाता है।
  • वाराही देवी शक्ति पीठ मंदिर (Varahi Shakti Peeth Varanasi) में स्थित पुरोहितों का कहना है कि मंदिर के भूमि तल के नीचे मुख्य देवी के दर्शन किए जाते हैं, देवी के दर्शन के लिए एक संगमरमर रूपी स्लैब को खोला जाता है जिसके अंदर मूर्ति को देखा जा सकता है। इसके साथ ही देवी अन्य मूर्ति भी है जिसे मंदिर में देखा जा सकता है।
  • एक प्राचीन मान्यता के अनुसार जो भक्तगण वाराही देवी शक्ति पीठ मंदिर (Varahi Shakti Peeth Varanasi) में देवी के दर्शन करते हैं तथा उनकी पूजा आराधना करते है, उनके जीवन में लाभ की प्राप्ति होती है तथा उनके शत्रुओं का नाश होता है।
  • वाराही देवी शक्ति पीठ मंदिर (Varahi Shakti Peeth Varanasi) में एक चमत्कार के अनुसार कोई अंधा व्यक्ति देवी वाराही देवी के दर्शन करने के लिए आया था, मंदिर से जाने के बाद उसके आंख की रोशनी पुनः वापस लौट आई थी, इस घटना का जिक्र मंदिर के पास स्थित स्थानीय लोगों द्वारा आज भी किया जाता है।
  • वाराही देवी शक्ति पीठ मंदिर (Varahi Shakti Peeth Varanasi) में स्थित पुरोहितों का कहना है कि जो भक्तगण मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं तथा मंदिर के पास स्थित जलाशय में स्नान करते हैं उनके सभी शारीरिक रोग पूर्ण रूप से ठीक हो जाते हैं।
  • पौराणिक ग्रंथों में उल्लेखित तथ्यों के अनुसार वाराही देवी की उत्पत्ति अंधकासुर राक्षस का विनाश करने के लिए हुई थी।

वाराही देवी शक्ति पीठ मंदिर की एक पौराणिक कहानी | Varahi Shakti Peeth Varanasi Story in Hindi

देवी सती के विभिन्न शक्ति पीठों से जुड़ी अनेकों कहानी के बारे में आपने जरुर सुना होगा, लेकिन क्या आपने वाराही देवी शक्ति पीठ मंदिर (Varahi Shakti Peeth Varanasi) से जुड़ी एक पुरानी कहानी को सुना है, जो भगवान विष्णु से जुड़े पौराणिक रहस्यों को को उजागर करती है। जो भक्तगण इस कहानी के बारे में नहीं जानते, वह सभी इस आर्टिकल में आगे वाराही देवी शक्ति पीठ मंदिर से जुड़ी कहानी को पढ़ सकते हैं। चलिए अब इस कहानी को विस्तार से जानते हैं।

हिंदू धर्म संबंधित पुराण के अनुसार भगवान विष्णु के बैकुंठ धाम में जय और विजय नाम के दो द्वारपाल रहते थे। एक बार सनकादि योगेश्वर श्री लक्ष्मी जी के साथ बैकुंठ धाम गए। बैकुंठ धाम में प्रवेश करने से पहले उन्हें बैकुंठ धाम के प्रवेश द्वार से अंदर जाना था, लेकिन द्वार पर मौजूद जय और विजय ने उनके साथ अनुचित व्यवहार किया जिसके परिणामस्वरुप, ऋषि सनकादि ने दोनों को श्राप दे दिया। जिसकी वजह से दोनों ने धरती पर राक्षस रूप में जन्म लेने वाले थे।

कुछ समय पश्चात ऋषि कश्यप के यहां दो पुत्र ने जन्म लिया, जिनके नाम हिरण्याक्ष और हिरण्यकशिपु थे। यह दोनों एक दूसरे के भाई थे, दोनों में ही राक्षस प्रवृत्ति मौजूद थी। दोनों भाइयों ने खुद को बलशाली बनाने के लिए ब्रह्मदेव की कठोर तपस्या की और परिणामस्वरुप उन्होंने ब्रह्मा जी से शक्तियां प्राप्त कर ली।

बाद में हिरण्याक्ष स्वर्ग लोक सहित तीनों लोक पर हाहाकार मचने लगा। सभी देवताओं को परास्त करने के बाद हिरण्याक्ष वरुण देव के पास युद्ध की चुनौती लेकर गया। युद्ध से पहले दोनों के बीच वार्तालाप हुआ, जिसमें वरुण देव का कहना था कि अगर तुम संसार में सभी योद्धा को परस्त कर सकते हो, तब तुम भगवान विष्णु को प्राप्त करके दिखाओ, क्योंकि उन्हें संसार का कोई भी व्यक्ति परास्त नहीं कर सकता। वरुण देव की चुनौतीपूर्ण बात सुनकर हिरण्याक्ष अत्यधिक क्रोधित हो गया और वह वरुण देव की बात सुनकर भगवान विष्णु को संसार में चारों तरफ ढूंढने लगा।

इसी दौरान आकाश में हिरण्याक्ष को नारद जी मिलते हैं, उन्होंने हिरण्याक्ष को बताया कि भगवान विष्णु ब्रह्मा की नाभि से प्रकट हुए हैं और उन्होंने वराह का रूप धारण किया है, उनका शरीर नीले रंग के पर्वत के समान कठोर है उनके शरीर पर खड़े बाल हैं तथा आंखों में भयानक रोशनी है। नारद जी की बात सुनकर हिरण्याक्ष विष्णु की खोज में भूतल पर चला गया, तब उसने भूतल पर एक अद्भुत जीव को दिखा जोकी देखने में वाराह (सूअर) के सामान था।

हिरण्याक्ष उस स्वरूप को देखकर समझ गया कि यह भगवान विष्णु क स्वरूप है। हिरण्याक्ष ने तुरंत इस जीव को चुनौती दे। दोनों के बीच भयंकर युद्ध हुआ। आखिर में भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र की मदद से हिरण्याक्ष का वध कर दिया तथा पृथ्वी को राक्षस से मुक्त कर दिया। बाद में भगवान विष्णु ने धरती पर वाराही देवी की तपस्या की थी। जिसके परिणामस्वरूप देवी उसी जगह पर उत्पन्न हुई थी, जहां पर आज वाराही देवी शक्ति पीठ मंदिर (Varahi Shakti Peeth Varanasi) का वर्तमान स्वरूप देखा जा सकता है।

वाराही देवी शक्ति पीठ मंदिर कैसे पहुंचे | How To Reach Varahi Shakti Peeth Varanasi

जो भक्तगण वाराही देवी शक्ति पीठ मंदिर (Varahi Shakti Peeth Varanasi) के दर्शन करना चाहते हैं जानकारी के लिए उन्हें बताना चाहेंगे, यह मंदिर वाराणसी में स्थित है। जो भक्तगण वाराणसी के आसपास तथा अन्य दूसरे राज्यों में रहते हैं उन्हें मंदिर तक पहुंचाने के लिए सड़क मार्ग, रेल मार्ग तथा एरोप्लेन की मदद लेनी पद सकती है। अगर कोई भक्तगण मंदिर तक जाने वाले रास्ते से अपरिचित है, तब उन्हें नीचे दिए गए यात्रा विवरण को जरूर पढ़ना चाहिए।

सड़क मार्ग द्वारा वाराही देवी शक्ति पीठ मंदिर कैसे पहुंचे

जो भक्तगण सड़क मार्ग द्वारा वाराही शक्ति पीठ मंदिर (Varahi Shakti Peeth Varanasi) पहुंचना चाहते हैं उन्हें वाराणसी- गाजीपुर वाले रोड से होकर मंदिर तक पहुंचना होगा। वाराणसी तथा गाजीपुर मार्ग भारत के विभिन्न राज्य मार्गों से जुड़ा हुआ है, इसी कारण भक्तगण बस, टैक्सी तथा निजी वाहन की मदद से मंदिर तक आराम से पहुंच सकते हैं।

रेलमार्ग द्वारा वाराही देवी शक्ति पीठ मंदिर कैसे पहुंचे

जिन भक्तगण के पास मंदिर तक जाने के लिए बजट बहुत कम है वह ट्रेन का सफर कर सकते हैं। ट्रेन के माध्यम से मंदिर पहुंचने के लिए सबसे पहले भक्तगण को अपने शहर से वाराणसी जंक्शन की ट्रेन टिकट बुक करवाना होगी। वाराणसी जंक्शन रेलवे स्टेशन से मंदिर की दूरी लगभग 5 किलोमीटर है अतः आप रेलवे स्टेशन से टैक्सी तथा ऑटो की मदद से मंदिर तक पहुंच सकते हैं।

हवाई जहाज से वाराही देवी शक्ति पीठ मंदिर कैसे पहुंचे

जिन भक्तगण के पास समय का भाव होता है उनके लिए हवाई जहाज का सफर काफी अच्छा हो सकता है, क्योंकि एरोप्लेन की मदद से आप बहुत ही कम समय में मंदिर मंदिर पहुँच सकते हैं, आपके शहर से मंदिर तक जाने के लिए सबसे पहले आपको वाराणसी एयरपोर्ट की फ्लाइट टिकट बुक करवानी होगी। वाराणसी एयरपोर्ट से मंदिर की दूरी लगभग 20 किलोमीटर है, इसी वजह से आपको एयरपोर्ट से टैक्सी बुक करनी होगी जोकि आपको मंदिर तक छोड़ देगी।

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वाराही देवी शक्ति पीठ मंदिर का दर्शन और पूजा समय | Varahi Shakti Peeth Varanasi Darshan & Puja Timing

वाराही देवी शक्ति पीठ मंदिर (Varahi Shakti Peeth Varanasi) के दर्शन के लिए सबसे उत्तम समय नवम्बर से लेकर जनवरी तक माना जाता है, क्यूंकि अन्य महीनों में यहाँ पर भीषण गर्मी और बरसात होती है जिसकी वजह से मंदिर में आने वाले भक्तगणों को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। मंदिर के पास रहने वाले स्थानीय लोगो की मान्यता है कि मंगलवार और शुक्रवार के दिन मंदिर में दर्शन करना शुभ होता है, क्यूंकि इस दिन देवी अपने सभी भक्तों की हर मनोकामनाएं सुनती हैं, और उन्हें मनचाहा फल प्रदान करती हैं। मंदिर से सम्बंधित समय विवरण को आप निचे तालिका में पढ़ सकते हैं।

पूजासमय
सुबह की पूजा & दर्शन समयप्रातः काल 5 बजे से 9 :30 बजे तक
शाम की पूजाशाम 7 से 9 बजे तक

FAQ : Varahi Shakti Peeth Varanasi

वाराही देवी शक्ति पीठ (Varahi Shakti Peeth Varanasi) कहां पर स्थित है?
बनारस, उत्तर प्रदेश (भारत)।

वाराही देवी शक्ति पीठ मंदिर (Varahi Shakti Peeth Varanasi) की प्रमुख बात क्या है?
वाराही देवी शक्ति पीठ मंदिर की मुख्य देवी रात के समय पुरे स्थान की रक्षा करती हैं।

वाराही देवी शक्ति पीठ मंदिर (Varahi Shakti Peeth Varanasi) में कौन सी भाषा बोली जाती है?
हिंदी और स्थानीय भाषा।

वाराही देवी शक्ति पीठ मंदिर (Varahi Shakti Peeth Varanasi) से जुड़े महत्वपूर्ण त्यौहार कौन से हैं?
नवरात्री, दुर्गा पूजा, दीपावली, महाशिवरात्रि।

वाराही देवी शक्ति पीठ (Varahi Shakti Peeth Varanasi) में मुख्य देवी का स्वरूप कैसा है?
वराह (सूअर)।

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