त्रिस्रोता भ्रामरी शक्ति पीठ (Tristrota Bhramari Shakti Peeth) प्रमुख 51 शक्तिपीठ में से एक है, जहाँ पर माता सटी का बयाँ पैर गिरा था। इस मंदिर में देवी शक्ति और भगवान शिव दोनों की मूर्तियाँ देखी जा सकती है। हिन्दू धर्म के लोग इस मंदिर में अपनी मनोकामनाएं लेकर आते हैं और देवी से सच्चे मन से प्राथना करते हैं। मंदिर की देवी भक्तों के दुखो का नाश करती हैं। इस मंदिर से जुडी एक कथा है जिसके अनुसार देवी ने मधुमक्खी का रूप धारण किया था, पूरी कहानी को पढने तथा मंदिर से जुड़े रहस्यों के लिए आर्टिकल को आखिर तक जरुर पढ़ें।
त्रिस्रोता भ्रामरी शक्ति पीठ की वास्तुकला | Tristrota Bhramari Shakti Peeth Architecture
त्रिस्रोता भ्रामरी शक्ति पीठ की संरचना बंगाली रचनात्मक कला का एक अद्भुत दृश्य है। मंदिर में मौजूद भ्रामरी देवी को एक शेर के ऊपर विराजित किया गया है, इसके साथ ही शेर के ऊपर भगवान शिव की लेटी हुई मूर्ति भी मौजूद है इसके उपर ही देवी विराजित हैं जोकि देवी काली के स्वरूप को प्रदर्शित करती है। देवी के चार भुजाएं है इसके साथ ही मूर्ति को नीले रंग से रंगरोगन किया गया है।

मंदिर में देवी की मूर्ति के ठीक बगल में भगवान शिव की विशाल मूर्ति स्थापित की गई है, इसके साथ ही एक बैल की मूर्ति स्थापित की गई है जिन्हें नंदी का स्वरूप माना जाता है।
यह भी पढ़ें: भवानी शक्ति पीठ (Chattal Bhawani Shakti Peeth) का इतिहास, रहस्य
त्रिस्रोता भ्रामरी शक्ति पीठ से जुड़े अनोखे रहस्य | Tristrota Bhramari Shakti Fact in Hindi
त्रिस्रोता भ्रामरी शक्ति पीठ (Tristrota Bhramari Shakti Peeth) माता भ्रामरी अथार्त देवी सती को समर्पित है। अगर आप इस शक्तिपीठ के दर्शन के लिए नहीं गए हैं, तो आपको मंदिर से जुड़े रहस्यों को जरुर जानना चाहिए, जिसके बाद आप मंदिर जाने से खुद नहीं रूप पाएंगे। मंदिर से जुड़े अनसुने रहस्यों को जानने के लिए आगे पढ़ें।
- दैविक घटना के अनुसार इस शक्ति पीठ के पास माता सती का बायाँ पैर गिरा था जिसके परिणामस्वरूप यहाँ पर भ्रामरी शक्ति पीठ मंदिर की स्थापना हुई।
- भ्रामरी शक्ति पीठ मंदिर में स्थित देवी को भ्रामरी तथा भगवान शिव को अम्बर के रूप में जाना जाता है।
- भ्रामरी शक्तिपीठ मंदिर (Tristrota Bhramari Shakti Peeth) के पास एक विशाल रहस्यमई पेड़ है जोकि नीचे अलग अलग जगह पर लगे हैं लेकिन ऊंचाई पर यह एकदूसरे से मिल गए है, एक मान्यता के अनुसार इन्हें माता पार्वती और शिव का स्वरूप माना जाता है।
- मंदिर के अंदर जहां मुख्य देवी की मूर्ति स्थापित है, वहीं पर देवी का पैर भी स्थापित किया गया है, जो भक्तगण मंदिर में दर्शन के लिए जाते हैं वह इस पैर सिंदूर लगाते हैं और माता का आशीर्वाद लेते हैं।
- एक पौराणिक कथा के अनुसार देवी सती ने एक राक्षस का मधुमक्खी के रूप में वध किया था, तभी से देवी को भ्रामरी देवी के रूप में भी जाना जाता है।
- भ्रामरी शक्ति पीठ मंदिर (Tristrota Bhramari Shakti Peeth) में भ्रामरी देवी की मूर्ति के बगल में भगवान शिव की विशाल मूर्ति विराजित की गई है।
- भ्रामरी शक्ति पीठ मंदिर (Tristrota Bhramari Shakti Peeth) के पास ही घुमने योग्य स्थल मौजूद हैं जिनमे से प्रमुख मूर्ति नदी, जलपेश मंदिर हैं।
त्रिस्रोता भ्रामरी शक्ति पीठ की महत्वपूर्ण जानकारियां
मंदिर का नाम | त्रिस्रोता भ्रामरी शक्ति पीठ (Tristrota Bhramari Shakti Peeth) |
मंदिर की जगह | जलपाईगुडी, पश्चिम बंगाल |
मंदिर के प्रमुख देवता | भ्रामरी देवी और देव अम्बर (शिव) |
मंदिर की भाषा | हिंदी, बंगाली |
मंदिर की प्रमुखता | माता सती का बायाँ पैर यही पर गिरने की मान्यता |
मंदिर के प्रमुख त्यौहार | नवरात्री, दुर्गा पूजा, काली पूजा, मकर संक्रांति |
मंदिर सम्बंधित धर्म | हिन्दू |
मंदिर का समय | सुबह 5 – रात्रि 9 |
त्रिस्रोता भ्रामरी शक्ति पीठ से की पारपरिक कहानी | Tristrota Bhramari Shakti Story in Hindi
एक पौराणिक कथा के अनुसार अरुण नाम के राक्षस ने ब्रह्मदेव की 40000 सालों तक तपस्या की थी। तपस्या के दौरान अरुण पत्ते खाकर अपने आप को जीवित रखता था, लेकिन कुछ समय बाद उसने पत्ते खाना छोड़कर दिया और जल ग्रहण करने लगा। कई साल बीत गए लेकिन ब्रम्हदेव ने उसे दर्शन नहीं दिए, इस वजह से अरुण ने जल का भी त्याग कर दिया और गहरी तपस्या में लीन हो गया। इस तरह से कई साल बीत गए, अब वह सिर्फ हवा की मदद से जीवित था।
कई सालों के बाद उस राक्षस के शरीर से एक तेज प्रकाश निकलने लगा, जिसकी वजह से पूरा ब्रम्हांण जलने लगा। यह देखकर इंद्र देव काफी परेशान हो गए। जब यह घटना गंभीर रूप धारण करने लगी, तब सभी देवता ब्रम्हा जी के पास गए और इस समस्या का विवरण बताया।
जब ब्रम्हदेव ने सभी देवताओं की समस्या को सुनी तब उन्होंने देवताओं को आश्वासन देते हुए बताया कि एक निश्चित समय पर सब कुछ ठीक हो जाएगा। इसके बाद ब्रम्ह देव स्वयं अरुण राक्षस के पास गए और उसके सामने प्रकट हो गए। ब्रम्हदेव ने अरुण से वरदान मागने के लिए कहा लेकिन उसने अमरता का वरदान माँगना चाहा परन्तु ब्रम्हदेव ने उसे बताया की हर इंसान की मृत्यु निश्चित है इसीलिए यह वरदान दे पाना संभव नहीं है।

तब ब्रम्हदेव ने राक्षस से कोई अन्य वरदान मांगने के लिए कहा, तब राक्षस ने वरदान में एक ऐसा योद्धा बनने की मांग की जिसे ब्रम्हाण्ड का व्यक्ति उसे ना मार सके, और उसे एक विशाल सेना की प्राप्ति हो। तब ब्रम्हदेव ने इस वरदान की स्वकृति दे दी और अब उसे दुनिया का कोई भी योद्धा नहीं मार सकता था, इसी वजह से उसने सर्वप्रथम स्वर्गलोक पर आक्रमण कर दिया और वहां पर अपना राजस्व स्थापित कर लिया।
स्वर्गलोक पर राजस्व स्थापित करने के बाद वह अन्य जगहों पर लूटपाट करने लगा। राक्षस के इस स्वभाव को देखकर सभी देवता, ऋषि और मुनि परेशान होकर भगवान शिव जी के पास गए और इस समस्या का उपाय पूछा। अपने भक्तो की समस्या सुनकर पास बैठी पार्वती जी अत्यंत क्रोधित हो गयी और अपने भक्तों को आश्वासन देते हुए, अरुण नामक राक्षस का वध करने जली गई।
लेकिन उस राक्षस को ब्रम्हदेव जी का वरदान मिला था, इसलिए उसका वध कर पाना इतना सरल नहीं था। इस वजह से माता सती ने एक लीला रची, जिसमे उन्होंने संसार के सभी कीटों तथा मधुमक्खियों का आवाहन किया, जिसके परिणामस्वरूप संसार की सभी मधुमक्खियां देवी के पास आकर उनके शरीर पर लिपट गई। इसके बाद देवी के आज्ञा देने पर सभी मधुमक्खियों ने राक्षस की सेना पर आक्रमण कर दिया, परिणामस्वरूप सभी मधुमक्खियों ने मिलकर राक्षस की पूरी सेना का सर्वनाश कर दिया।
अब देवी के सामने अरुण राक्षस उपस्थित था, जोकि अभी भी जीवित था, इसके बाद देवी ने एक विशाल मधुमक्खी का रूप धारण किया और इस रूप में राक्षस से भयंकर युद्ध किया अंत में मधुमक्खी रूपी देवी ने राक्षस को मृत्यु के घाट उतार दिया, और इस तरह से अरुण नामक राक्षस का वध हो गया।
जिस स्थान पर राक्षस का वध हुआ था उस जगह पर देवी मधुमक्खी के रूप में अवतरित हुई थी, इस लिए उसी जगह पर भ्रामरी अथार्त मधुमक्खी रूपी देवी का शक्ति पीठ स्थापित किया गया जिसे, आज त्रिस्रोता भ्रामरी शक्ति पीठ (Tristrota Bhramari Shakti Peeth) के नाम से जाना जाता है।
त्रिस्रोता भ्रामरी शक्ति पीठ के प्रमुख त्यौहार | Tristrota Bhramari Shakti Realted Festival
वैसे तो त्रिस्रोता भ्रामरी शक्ति पीठ (Tristrota Bhramari Shakti Peeth) में 12 महीने में विशेष अवसर पर मंदिर में पूजा आराधना की जाती है लेकिन मंदिर से जुड़े कुछ प्रमुख त्यौहार है, जिनके शुभ अवसर पर विशेष रूप से कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं और इस दौरान मंदिर में श्रधालुओं की काफी भीड़ लगी रहती है। अगर आप इस मंदिर में दर्शन के बारे में सोच रहे हैं तब मंदिर से जुड़े कुछ प्रमुख त्योहारों के दिनों में मंदिर जा सकते हैं, क्योंकि इस समय मंदिर में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। अगर आप मंदिर में होने वाले विशेष त्योहारों पर मंदिर की मुख्य देवी के दर्शन करते हैं तब यह यात्रा आपके जीवन में शुभ यात्रा मानी जाती है। चलिए मंदिर से जुड़े कुछ प्रमुख त्योहारों के बारे में चर्चा करते हैं जिनके बारे में शायद आप ना जानते हो।
नवरात्री
मंदिर में मनाए जाने वाले प्रत्येक त्योहारों में से नवरात्रि सबसे बड़ा त्यौहार है, नवरात्रि के दौरान 9 दिनों तक मंदिर में उपस्थित पुरोहित उपवास रखते हैं। नवरात्रि के विशेष अवसर पर मंदिर को फूलों तथा रोशनी से सजाया जाता है। मंदिर में नवरात्रि जैसे उत्सव पर अनेको कार्यक्रम आयोजित करने जाते हैं जिसमें नृत्य, गीत और देवी की लीलाओं का जागरण किया जाता है।
दुर्गा पूजा
नवरात्रि के बाद मंदिर का अन्य प्रमुख त्यौहार दुर्गा पूजा को माना जाता है क्योंकि इस दिन देवी की विशेष पूजा और आराधना की जाती है। यह त्यौहार पांच दिनों के लिए चलता है। एक मान्यता के अनुसार इस त्यौहार को महिषासुर के वध से जोड़ा जाता है, इस दिन मंदिर को अच्छे से सजाया जाता है तथा मंदिर में रखी मूर्ति को फुल, माला और आभूषण के साथ सुसज्जित किया जाता है, इस दिन मंदिर में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। जिसमे स्थानीय लोग भाग लेते हैं।
काली पूजा
काली पूजा के दौरान मंदिर में काली माता के लिए विशेष पूजा आयोजित की जाती हैं, इस दिन माता काली की मूर्ति का अभिषेक किया जाता है तथा उन्हें सुसज्जित किया जाता है, इसके अलावा मंदिर में विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं
दीवाली
दीपावली भारतवर्ष का एक प्रमुख त्यौहार है भारत में रहने वाले प्रत्येक निवासी इस त्यौहार को बड़ी धूमधाम से मानते हैं भारत के अन्य राज्य में दीपावली सिर्फ एक दिन मनाई जाती है, लेकिन इस मंदिर में दिवाली को 5 दिन के लिए मनाई जाती है। इस दिन मंदिर में रोशनी की जाती है तथा मंदिर की देवी की पूजा आराधना की जाती है।
मकर संक्रांति
मकर संक्रांति मंदिर का अन्य प्रमुख त्यौहार है तथा मकर संक्रांति मंदिर में मनाया जाने वाला एक दिवसीय त्यौहार है। इस दिन मंदिर में भारी संख्या में भक्तों की भीड़ होती है। मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर मंदिर में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
त्रिस्रोता भ्रामरी शक्ति पीठ कैसे पहुंचे | How To Reach Tristrota Bhramari Shakti

त्रिस्रोता भ्रामरी शक्ति पीठ पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी के पास स्थित तीस्ता नदी के पास स्थित है। अगर आप इस मंदिर के दर्शन करने के बारे में सोच रहे हैं तब यह आपके लिए बेहतर होगा, क्योंकि यह भारत में ही स्थित है इसलिए आपको किसी अन्य देश में जाने की जरूरत नहीं है। अगर आप भारत के निवासी हैं तब मंदिर जाने के लिए सड़क मार्ग, रेलमार्ग और एरोप्लेन की मदद ले सकते हैं। अगर आप मंदिर के रास्तों के बारे में नहीं जानते तब आपको आर्टिकल में बताई गई यात्रा विवरण को जरुर पढना चाहिए। चलिए आपके शहर से मंदिर तक जाने वाले रातों के बारे में विस्तार से जानते हैं।
सड़क मार्ग द्वारा त्रिस्रोता भ्रामरी शक्ति पीठ (Tristrota Bhramari Shakti Peeth) कैसे पहुंचे
सड़क मार्ग से मन्दिर जाने के लिए रास्ता काफी सरल है क्योंकि भारत के विभिन्न राज्यों से मंदिर तक जाने वाले अनेकों राज्य मार्ग जुड़े है। अगर आप अपने शहर से मंदिर तक पहुंचाना चाहते हैं तब बस की मदद से पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी क्षेत्र में पहुंच सकते हैं, जलपाईगुड़ी पहुंचने के बाद आप ऑटो की मदद से मंदिर तक पहुंच सकते हैं।
रेलमार्ग से त्रिस्रोता भ्रामरी शक्ति पीठ (Tristrota Bhramari Shakti Peeth) कैसे पहुंचे
अगर आप बांग्लादेश में स्थित भ्रामरी मंदिर के दर्शन हेतु जाना चाहते हैं और मंदिर जाने के लिए आपके पास बजट कम है, तब आप ट्रेन के माध्यम से यह यात्रा पूर्ण कर सकते हैं क्योंकि ट्रेन से जाने में कम किराया लगता है और आसानी से मंदिर तक पहुंचा जा सकता हैं। भारत के किसी क्षेत्र से मंदिर पहुंचने के लिए सबसे पहले आपको मंदिर के पास स्थित न्यू जलपाईगुड़ी रेलवे स्टेशन तक पहुंचना होगा। आप दो ट्रेन के माध्यम से भी इस रेलवे स्टेशन तक पहुंच सकते हैं। मंदिर से रेलवे स्टेशन की दूरी लगभग 41 किलोमीटर है इसलिए आप रेलवे स्टेशन से टैक्सी या ऑटो बुक कर सकते हैं जो कि आपको मंदिर तक पहुंचा देगा।
एरोप्लेन से त्रिस्रोता भ्रामरी शक्ति पीठ (Tristrota Bhramari Shakti Peeth) कैसे पहुंचे
अगर आप एरोप्लेन के माध्यम से मंदिर तक जाना चाहते हैं तब आप काफी कम समय में मंदिर तक पहुंच सकते हैं आपके शहर से मंदिर तक जाने के लिए बागडोगरा इंटरनेशनल एयरपोर्ट की फ्लाइट टिकट बुक करवानी पड़ेगी, यहां से मंदिर की दूरी लगभग 25 किलोमीटर है अतः आप एयरपोर्ट से टैक्सी या ऑटो बुक कर सकते हैं जो कि आपको मंदिर तक पहुंचा देंगे।
यह भी पढ़ें: त्रिपुर सुंदरी शक्ति पीठ मंदिर का इतिहास
FAQS: Tristrota Bhramari Shakti Peeth
त्रिस्रोता भ्रामरी शक्ति पीठ मंदिर (Tristrota Bhramari Shakti Peeth) कहाँ पर है?
जलपाईगुडी, पश्चिम बंगाल (भारत)।
त्रिस्रोता भ्रामरी शक्ति पीठ (Tristrota Bhramari Shakti Peeth) की प्रमुख बात क्या है?
यहाँ पर माता सती का पैर गिरा था।
त्रिस्रोता भ्रामरी शक्ति पीठ (Tristrota Bhramari Shakti Peeth) के विशेष त्यौहार कौन से हैं?
सोमवती अमावस्या, शारदा पूर्णिमा, रामनवमी आदि।
त्रिस्रोता भ्रामरी शक्ति पीठ (Tristrota Bhramari Shakti Peeth) के नजदीक रेलवे स्टेशन कौन सा है?
न्यू जलपाईगुड़ी रेलवे स्टेशन (मंदिर से दुरी 41 किलोमीटर)।
त्रिस्रोता भ्रामरी शक्ति पीठ (Tristrota Bhramari Shakti Peeth) में मौजूद शिव को किस नाम से जाना जाता है?
देव अम्बर।
Share this content:
[…] यह भी पढ़ें: त्रिस्रोता भ्रामरी शक्ति पीठ (Tristrota Bhramari S… […]