त्रिपुरमालिनी शक्ति पीठ (Tripurmalini Shakti Peeth Mandir) प्रसिद्ध 51 शक्ति पीठों में से एक है जिसे हिन्दू धर्म में सबसे पूजनीय तथा एक अनोखा तीर्थस्थल माना जाता है। त्रिपुरमालिनी शक्ति पीठ (Tripurmalini Shakti Peeth Mandir) पंजाब के जालंधर में स्थित है। यह ऐतिहासिक मंदिर आज से लगभग 200 साल पुराना है, इसके साथ ही मंदिर से जुडी एक अनोखी कहानी है जिसमे एक राजा की प्रजा को उसके पापों का परिणाम भोगना पडा था। इस कहानी को आप आगे पढेंगे, इसके साथ ही मंदिर का इतिहास, वास्तुकला और दर्शन के बारे में जानने के लिए इस आर्टिकल को अंत तक जरुर पढ़ें।
त्रिपुरमालिनी शक्ति पीठ मंदिर का इतिहास | Tripurmalini Shakti Peeth Mandir History in Hindi

पौराणिक इतिहास के अनुसार जब भगवान शिव माता सती के मृत शरीर को आकाश से लेकर जा रहे थे, तब भगवान क्रोधित अवस्था में थे। उनके क्रोध के प्रकोप से पूरी सृष्टि में प्रलय मच गयी थी। इस प्रलय को रोकने के लिए ही भगवान विष्णु ने अपने चक्र से माता सती के मृत शरीर को खंडित कर दिया जिसकी वजह से उनके शरीर के सभी अंग पृथ्वी के विशेष स्थान पर जा गिरे, उनका बायाँ स्तन जालंधर में जा गिरा था जिसके परिणामस्वरूप त्रिपुरमालिनी शक्ति पीठ (Tripurmalini Shakti Peeth Mandir) मंदिर की स्थापना हुई। यह शक्ति पीठ विभिन्न 51 शक्तिपीठ में से एक है।
त्रिपुरमालिनी शक्ति पीठ मंदिर की वास्तुकला | Tripurmalini Shakti Peeth Mandir Architecture in Hindi
त्रिपुरमालिनी शक्ति पीठ मंदिर (Tripurmalini Shakti Peeth Mandir) में एक विशाल परिसर मौजूद है, जिसमे छोटे मंदिर स्थापित किए गए हैं। मंदिर की संरचना हिन्दू परम्परा को प्रदर्शित करती है। मंदिर में रखी अन्य मूर्तियों पर खूबसूरत नक्काशियां की गई हैं जो देखने में काफी अदभुत लगती हैं। मुख्य मंदिर एक गुंबदनुमा छत से ढँका हुआ है जिसपर सोने की परत चढ़ी हुई है। मंदिर के आंतरिक गर्भगृह में मुख्य देवी त्रिपुरमालिनी की प्रतिमा को स्थापित किया गया है। देवी त्रिपुरमालिनी मूर्ति को काले रंग के अनोखे पत्थर द्वारा निर्मित किया गया है, इसके साथ ही मूर्ति को बहुमूल्य रत्नों तथा फुल मालाओं द्वारा सुसज्जित किया गया है।
मंदिर में देवी त्रिपुरमालिनी के अलवा भगवान शिव, गणेश, हनुमान सहित अन्य देवी और देवताओं की मूर्तियाँ स्थापित की गयी हैं। मंदिर में एक बड़ा प्रांगण मौजूद हैं जहाँ पर भक्तगण एकत्रित होते हैं। किसी विशेष अनुष्ठान पर इसी प्रांगण में विशेष पूजा अर्चना का आयोजन किया जाता है। मंदिर में एक सरोवर स्थापित किया गया है जोकि भगवान विष्णु के आँसू का अंश बताया जाता है।
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त्रिपुरमालिनी शक्ति पीठ मंदिर के बारे में मुख्य जानकारियां
मंदिर का नाम | त्रिपुरमालिनी शक्ति पीठ मंदिर (Tripurmalini Shakti Peeth Mandir) |
सम्बंधित धर्म | हिन्दू |
मंदिर की प्रमुख भाषा | हिंदी, स्थानीय पंजाबी |
प्रमुख देवता | त्रिपुरमालिनी देवी |
मंदिर की प्रमुखता | मंदिर के पास माता सती का बायाँ स्तन गिरा था। |
मंदिर खुलने का समय | प्रातः काल 4 बजे |
मंदिर के प्रमुख त्यौहार | नवरात्रि |
मंदिर निर्माण काल | 200 वर्ष पूर्व |
त्रिपुरमालिनी शक्ति पीठ मंदिर का रहस्य | Tripurmalini Shakti Peeth Mandir Facts in Hindi
त्रिपुरमालिनी शक्ति पीठ मंदिर हिन्दू का एक धार्मिक स्थल है, जोकि 51 शक्ति पीठ में से एक है। हमारे ब्लॉग के माध्यम से आप अन्य शक्तिपीठ के बारे में विस्तार से पढ़ चुके हैं, अगर आपने अन्य शक्तिपीठ के बारे में नहीं पढ़ा है तो आप हमारे ब्लॉग के माध्यम से अन्य शक्तिपीठ को सर्च करके, मंदिर से जुड़े रहस्य और उनसे जुडी पौराणिक कहानियों को पढ़ सकते हैं। आज इस आर्टिकल के माध्यम से आप त्रिपुरमालिनी शक्ति पीठ मंदिर से जुड़े अनेकों रहस्यों को जानेंगे।
- त्रिपुरमालिनी शक्ति पीठ मंदिर (Tripurmalini Shakti Peeth Mandir) के स्थान पर ही माता सती का बायाँ स्तन गिरा था, इसलिए इस शक्तिपीठ को स्तनपीठ के नाम से भी जाना जाता है।
- त्रिपुरमालिनी शक्ति पीठ मंदिर (Tripurmalini Shakti Peeth Mandir) में माता सती के अन्य स्वरूप माता सरस्वती, वैष्णव देवी और महालक्ष्मी की मूर्तियां स्थापित की गई हैं।
- एक पौराणिक मान्यता के अनुसार गुरु वशिष्ट, गुरु व्यास, मनु और परशुराम राम जैसे ब्राह्मणों ने त्रिपुरमालिनी शक्ति पीठ मंदिर (Tripurmalini Shakti Peeth Mandir) के दर्शन कर अनेकों ज्ञान अर्जित किए थे।
- त्रिपुरमालिनी शक्ति पीठ मंदिर (Tripurmalini Shakti Peeth Mandir) को वर्तमान में सोने की परतों से निर्मित किया गया है।
- एक मान्यता के अनुसार त्रिपुरमालिनी देवी की मूर्ति एक तालाब से प्राप्त की गयी थी, इसी कारण से इस शक्तिपीठ को देवी तालाब मंदिर के रूप में जाना जाता है।
- Tripurmalini Shakti Peeth Mandir की जगह पर ही शंकराचार्य जी ने गंगा देवी का प्रकट किया था।
- एक पौराणिक मान्यता के अनुसार जब भगवान विष्णु ने माता सती के मृत शरीर को अपने चक्र से छिन्न- भिन्न कर दिया था, तब माता का बायाँ स्तन इसी शक्तिपीठ में गिरा था। इस दुखद घटना को देखते हुए शिव जी के नेत्र से दुःख के आँसू निकलकर, इसी स्थान पर गिरे थे, जिसकी वजह से यहाँ पर एक रहस्यमई तालाब की उत्त्पति हुई, यह तालाब आज भी त्रिपुरमालिनी शक्ति पीठ मंदिर के मध्य परिसर में देखा जा सकता है।
- त्रिपुरमालिनी शक्ति पीठ (Tripurmalini Shakti Peeth Mandir) मंदिर का परिसर 400 मीटर क्षेत्रफल में फैला हुआ है, जहाँ पर भक्तों द्वारा मंदिर की परिक्रमा की जाती है।
- त्रिपुरमालिनी देवी को एक अन्य नाम विध्याराजी के रूप में भी जाना जाता है।
- शिवपुराण के अनुसार शिव जी ने जालंधर नामक राक्षस का वध किया था, जिस कारण त्रिपुरमालिनी शक्ति पीठ मंदिर की जगह का नाम जालंधर पड़ गया।
- त्रिपुरमालिनी शक्ति पीठ मंदिर (Tripurmalini Shakti Peeth Mandir) के परिसर में नवरात्रि के शुभ अवसर पर विशेष जगराते किए जाते हैं।
- त्रिपुरमालिनी शक्ति पीठ मंदिर (Tripurmalini Shakti Peeth Mandir) के आस पास अगर किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तब उस व्यक्ति को स्वर्ग की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही एक पौराणिक मान्यता अनुसार, अगर कोई पशु पक्षी इस स्थान पर अपना दम तोड़ देता है तब उस जीव को पशु योनी से मुक्ति मिल जाती है।
त्रिपुरमालिनी शक्ति पीठ मंदिर की पौराणिक कथा | Tripurmalini Shakti Peeth Mandir Story in Hindi

माता सती के 51 शक्तिपीठ में से प्रसिद्ध त्रिपुरमालिनी शक्ति पीठ (Tripurmalini Shakti Peeth Mandir) की एक अनोखी पौराणिक कहानी है जिसके बारे में बहुत ही कम लोग जानते हैं, अगर आप भी इस कहानी से अपरिचित हैं तो आर्टिकल में आगे बताई गई कहानी को जरुर पढ़ें।
एक पौराणिक कहानी के अनुसार
एक समय की बात है जब महाराजा चन्द्रसेन शारदापूरी क्षेत्र के शासक हुआ करते थे वह माता जगदम्बा के भक्त थे। जब उनके क्षेत्र पर किसी तरह की विपदा आन पड़ती थी, तब वह माता के मंदिर में विशेष पूजा आराधना का आयोजन करते थे, जिसकी वजह से माता की कृपा से राजा के साथ उनके राज्य की अन्य प्रजा हर तरह से सुखी रहती थी।
लेकिन एक समय ऐसा आया जब उनके राज्य में वर्षा ना होने के कारण अकाल पड़ गया और राज्य में फसल ना होने से चारों तरफ लोगो को भुखमरी का सामना करना पड़ा। इस भारी विपदा से व्याकुल होकर सभी प्रजा एकत्रित होकर महाराज के पास जाती है। लेकिन महाराज के पास भी इसका कोई हल नहीं मिल पाता, परिणाम स्वरूप महाराज चन्द्रसेन सभी लोग के साथ वैष्णो देवी के मंदिर जाते हैं, और माता से विनती करते हुए अपनी समस्या का निवारण पूछने लगते हैं।
कुछ समय पश्चात मंदिर से दिव्य आकाशवाणी होती है जिसमे माता जगदम्बा कहती हैं-
हे वत्स, तुम्हारी प्रजा ने जीवन में घोर पाप किए हैं जिसकी वजह से उन्हें इस जीवन में अपने पापों का कष्ट भोगना पड़ रहा है। इस मुसीबत से छुटकारा पाने के लिए आप माँ भवानी के 10 तीर्थ स्थानों का दर्शन करो, पूजा आराधना करो, इससे तुम्हारे साथ प्रजा के सभी पाप नष्ट हो जाएंगे और आप सभी सुखी जीवन व्यतीत कर पाएंगे!
इतना कहकर माता वैष्णो देवी की दिव्य आवाज गायब हो जाती है। और राजा माता के आगे हाथ जोड़कर उनकी आज्ञा का पालन करने आगे बढ़ जाते हैं। वह अपने अन्य सैनिकों के साथ माता भवानी के 11 देवियों के दर्शन हेतु तीर्थ यात्रा पर निकल पड़े।
इस यात्रा के दौरान राजा ने 10 देवियों के दर्शन पूर्ण कर लिए, जिनमे निम्नलिखित देवियाँ शामिल थी।
- वैष्णोदेवी (vaishno devi)
- माता चिंतपूर्णी (Chintpurni Devi)
- माता ज्वाला जी (Jwala Devi)
- माता शाकुम्भरी (Shakumbhari Devi)
- मनसा देवी (Mansa Devi)
- कालिका देवी (Kalika Devi)
- ब्रजेश्वरी देवी (Bajreshwari Devi)
- माता नैना देवी (Naina Devi)
- माता चामुंडा देवी (Chamunda Devi)
- बगलामुखी देवी (Baglamukhi Devi)
इसके बाद वह 11वी देवी की तलाश में निकल पड़े। काफी लम्बी दूरी तय करने के बाद भी उन्हें आखिरी देवी का पता नहीं चल पाया। परिणामस्वरूप वह जालंधर में जा पहुँचे और पास में मौजूद पेड़ के पास अपने घोड़ों को रस्सी से बाँध दिया और खुद कुछ दूरी पर विश्राम के लिए चले गए। कुछ दूर आगे जाने के बाद वह उसी जगह पर बैठ गए और एक लाल कपडे को सिर के नीचे रखकर विश्राम करने लगे। कुछ समय पश्चात उन्हें एक सपना आता है जिसमे एक सुन्दर कन्या सपने में आकर कहती है-
“हे बालक, आप जिस देवी को ढूंढते भटक रहें हैं वह मैं ही हूँ। जहाँ पर आप सिर रख कर लेटे हैं उस जगह जमींन की कुछ गहराई में मेरा अंश मौजूद है, तुम उस अंश को निकालकार सच्चे मन उसकी पूजा आराधना करों, इस तरह से मैं यही पर स्थापित हो जाऊँगी और तुम्हारी तीर्थ यात्रा पूर्ण हो जाएगी।”
इतना कहकर वह कन्या राजा के सपने में ही गायब हो जाती है। जब राजा की आँख खुलती है तो वह अपने सैनिकों से उसी जमीन पर खुदाई करने का आदेश देता है। खुदाई के पश्चात उसी जगह पर एक देवी की प्रतिमा मिलती है, राजा यह देखकर काफी प्रसन्न हो जाता है और उस प्रतिमा को वहीँ पर स्थापित कर मंदिर का निर्माण करवा देता है और अपनी सभी प्रजा के साथ मंदिर में पूजा अनुष्ठान करता है।
पूजा अनुष्ठान के बाद राजा के राज्य से सभी विपदाएं टल जाती है और वह अपनी प्रजा के साथ ख़ुशी-ख़ुशी जीवन व्यतीत करने लगता है।
राजा ने जहाँ पर मंदिर की स्थापना करवाई थी, वहीं बाद मे Tripurmalini Shakti Peeth Mandir के रूप में प्रसिद्ध हो गया।
त्रिपुरमालिनी शक्ति पीठ मंदिर कैसे पहुंचे | How To Reach Tripurmalini Shakti Peeth Mandir
जो भक्त त्रिपुरमालिनी देवी के दर्शन करना चाहते हैं उन्हें जालंधर में स्थित त्रिपुरमालिनी शक्ति पीठ मंदिर (Tripurmalini Shakti Peeth Mandir) के दर्शन जरुर करने चाहिए, क्यूंकि यहाँ पर त्रिपुरमालिनी देवी की प्रतिमा विराजित की गई है जहाँ पर देवी के साक्षात दर्शन किए जा सकते हैं। मंदिर तक पहुँचने के लिए सड़क मार्ग, रेल मार्ग और एअरपोर्ट का उपयोग किया जा सकता है, इस आर्टिकल के माध्यम से आप त्रिपुरमालिनी देवी मंदिर पहुँचने के लिए रास्तों को विस्तार से जानेंगे। चलिए अब मंदिर तक जाने के लिए रास्तों के बारे में विस्तार से जानते हैं।
सड़क मार्ग द्वारा त्रिपुरमालिनी शक्ति पीठ मंदिर कैसे पहुंचे
सड़क मार्ग द्वारा आपके शहर से मंदिर पहुँचने के लिए सबसे पहले आपको पंजाब जाने वाली बस के बारे में पता लगाना होगा। बस की मदद से आपको पंजाब में स्थित जालंधर बस स्टैंड तक पहुंचना होगा। यहाँ से आप ऑटो या टैक्सी की मदद से मंदिर का सफ़र तय कर सकते हैं, इसके अलवा आप अपने शहर से खुद की ट्रेवल कैब बुक बुक कर सकते हैं, जोकि आपको डायरेक्ट मंदिर तक छोड़ देगी।
रेल मार्ग द्वारा त्रिपुरमालिनी शक्ति पीठ मंदिर कैसे पहुंचे
अगर आप ट्रेन द्वारा मंदिर जाने की सोच रहे हैं तब आपको अपने शहर से जालंधर रेलवे स्टेशन की टिकट बुक करनी होगी। अगर आपके शहर से कोई ट्रेन डायरेक्ट जालंधर रेलवे स्टेशन तक नहीं जाती, तब आप दो ट्रेन के माध्यम से जालंधर रेलवे स्टेशन आ सकते हैं। जालंधर रेलवे स्टेशन से मंदिर की दुरी लगभग 4 किलोमीटर है। इसलिए रेलवे स्टेशन से कैब या ऑटो की मदद से आप मंदिर पहुँच सकते हैं।
एरोप्लेन द्वारा त्रिपुरमालिनी शक्ति पीठ मंदिर कैसे पहुंचे
एरोप्लेन की मदद से मंदिर जाने के लिए आपको अपने शहर से अमृतसर एअरपोर्ट की फ्लाइट टिकट बुक करनी होगी। अमृतसर एअरपोर्ट पहुँचने के बाद आप मंदिर के लिए ऑटो या टैक्सी की मदद ले सकते हैं, जो कि आपको मंदिर के पास छोड़ देगी, जानकारी के लिए बताना चाहेंगे, एअरपोर्ट से मंदिर की दूरी लगभग 26 किलोमीटर हैं।
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त्रिपुरमालिनी शक्ति पीठ मंदिर का दर्शन और समय विवरण | Visting Time Of Tripurmalini Shakti Peeth Mandir

त्रिपुरमालिनी शक्ति पीठ मंदिर (Tripurmalini Shakti Peeth Mandir) के दर्शन करने से पहले मंदिर के महत्वपूर्ण समय के बारे में जरुर जान लेना चाहिए। यहाँ पर एक विशेष समय के दौरान विभिन्न आरतियाँ की जाती हैं। अगर आप मंदिर में होने वाली आरतीयों से अज्ञात हैं तब आपको हमारे द्वारा बताई गई आरतियों के बारे में जरुर पढना चाहिए, आप विभिन्न आरतियों के साथ उनके समय का विवरण निचे तालिका में पढ़ सकते हैं।
आरती | समय |
दर्शन समय | प्रातः काल 6 – रात्री 8 बजे तक |
भस्म आरती | प्रातः काल 4 – 6 बजे तक |
नैवेद्य आरती | सुबह 7:30 – 8:15 बजे तक |
महाभोग आरती | सुबह 10:30 – 11:15 बजे तक |
संध्या आरती | शाम 6:30 – 7:15 बजे तक |
FAQ
त्रिपुरमालिनी शक्ति पीठ मंदिर (Tripurmalini Shakti Peeth Mandir) कहाँ पर स्थित है?
शिव नगर औद्योगिक क्षेत्र, जालंधर, पंजाब।
त्रिपुरमालिनी शक्ति पीठ मंदिर (Tripurmalini Shakti Peeth Mandir) से नजदीकी एअरपोर्ट कौन सा पड़ता है?
अमृतसर एअरपोर्ट।
त्रिपुरमालिनी शक्ति पीठ मंदिर (Tripurmalini Shakti Peeth Mandir) में किस देवता की पूजा की जाती है।
देवी सती रूपा त्रिपुरमालिनी।
त्रिपुरमालिनी शक्ति पीठ मंदिर (Tripurmalini Shakti Peeth Mandir) के दर्शन के लिए सबसे अच्छा समय कब होता है?
सितम्बर से दिसम्बर।
त्रिपुरमालिनी शक्ति पीठ मंदिर (Tripurmalini Shakti Peeth Mandir) में कौन से अनुष्टान आयोजित किए जाते हैं?
नवरात्रि, शिवरात्रि और हरिवल्लभ संगीत सम्मेलन।
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