मंगलवार, जुलाई 8, 2025
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त्र्यम्बकेश्वर शिवलिंग के अद्धभुत रहस्य और जाने मंदिर के रोचक तथ्य | Trimbakeshwar Jyotirlinga

त्र्यम्बकेश्वर शिवलिंग (ज्योतिर्लिंग) (Trimbakeshwar Jyotirlinga) : हिन्दू धर्म में 12 ज्योतिर्लिंग में से त्र्यम्बकेश्वर शिवलिंग (ज्योतिर्लिंग) (Trimbakeshwar Jyotirlinga) एक है। इस मंदिर की स्थपाना 18 वी शताब्दी में मराठा शासन काल में हुई थी। एक मान्यता के अनुसार त्र्यम्बकेश्वर शिवलिंग (ज्योतिर्लिंग) (Trimbakeshwar Jyotirlinga) मंदिर में शिवलिंग के तीन मुख हैं जिसे ब्रह्मा, विष्णु और भगवान शिव का प्रतिक माना जाता है। यह मंदिर महारष्ट्र में स्तिथ है, इसी कारण मंदिर में रहने वाले पंडित मराठी बोलचाल का उपयोग करते हैं। यह मंदिर कावेरी नदी के तट के पास स्थित है। त्र्यम्बकेश्वर मंदिर से जुडी गणेश भगवान के गाय स्वरूप की कहानी काफी ज्यादा प्रचलित है, इसके साथ मंदिर के अनेकों रहस्यों को जानने के लिए इस आर्टिकल को अंत तक जरुर पढ़ें।

Table of Contents

त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग (शिवलिंग) से जुडी महत्वपूर्ण जानकारियां

प्राचीन काल से ही त्र्यम्बकेश्वर मंदिर, ज्योतिर्लिंग से जुडा है। इतिहासकारों के अनुसार 18 वी शताब्दी में इस मंदिर का निर्माण हुआ था। पेशवा नाना साहब ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था। शिवलिंग स्थापित होने की वजह से यह जगह भगवान शिव जी को समर्पित है। मंदिर से जुडी कुछ महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए निचे तालिका में पढ़ें।

मंदिर का नामत्रयम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर
मंदिर धर्महिन्दू धर्म
प्रमुख देवताभगवान शिव
जगह का नामत्रयम्बकेश्वर गाँव, नासिक, महाराष्ट्र
त्र्यम्बकेश्वर मंदिर के निर्मातापेशवा नाना साहब
त्र्यम्बकेश्वर मंदिर से जुडी पूजामहामृत्युंजय पूजा, कालसर्प पूजा, रुद्राभिषेक पूजा, नारायण नागबली पूजा
त्र्यम्बकेश्वर मंदिर खुलने का समयसुबह 5 बजे
त्र्यम्बकेश्वर मंदिर की विशेषता3 शिवलिंग एक साथ स्थापित हैं
त्र्यम्बकेश्वर मंदिर की भाषामराठी
मंदिर की स्थापना18 वी शताब्दी में

त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग (शिवलिंग) का रहस्य (Trimbakeshwar Jyotirlinga Mystery)

हिन्दू धर्म में प्रशिद्ध 12 ज्योतिर्लिंग या शिवलिंग के पीछे कुछ ना कुछ रहस्य जरुर छिपे हैं, इसी में से एक त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग है, जिसके पीछे अनेकों रहस्य बताएं जाते हैं जिसे शायद आपने आज से पहले, कहीं ना सुना हो। अगर आप इन सभी रहस्यों को विस्तार से जानना चाहतें हैं, तो आगे बताई गई सभी बातों को ध्यान पूर्वक पढ़ें।

  1. प्राचीन कहावत के अनुसार महर्षि बुद्ध और गंगा नदी के प्रार्थना करने पर भगवान शिव ज्योतिर्लिंग के रूप त्र्यम्बकेश्वर मंदिर में विराजित हो गए थे।
  2. त्र्यम्बकेश्वर मंदिर में काले पत्थर द्वारा निर्मित एक विशालकाय नंदी (शिव जी की सवारी) की मूर्ति स्थापित की गयी है।
  3. त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर के गर्भगृह में एक विशेष पत्थर मौजूद है, जिसे “स्फटिक शिला” के नाम से जाना जाता है, एक मान्यता के अनुसार यह पत्थर भगवान शिव की नाभी का प्रतीक है।
  4. त्र्यम्बकेश्वर मंदिर में एक विशेष स्थान पर शिवलिंग के तीन मुख देखे जा सकते है, एक मान्यता के अनुसार इस शिवलिंग को शिव, ब्रम्हा और विष्णु जी का प्रतिक माना जाता है।
  5. त्र्यम्बकेश्वर मंदिर में प्रातः काल पूजा अर्चना के बाद, शिवलिंग को रत्नाभूषण के मुकुट से ढक दिया जाता है। एक मान्यता के अनुसार यह मुकुट महाभारत काल में देखा गया था, जिसमे बेहद कीमती हीरे और सोने का अंश मौजूद है।
  6. त्र्यम्बकेश्वर मंदिर में सोमवार वाले दिन प्रातः काल शिवलिंग का विशेष रूप से दर्शन कराया जाता है।
  7. त्र्यम्बकेश्वर मंदिर का निर्माण संगमरमर के काले पत्थरों द्वारा किया गया है, जोकि आज तक के सबसे कीमती पत्थर माने जातें हैं।
  8. इस मंदिर के बगल में एक प्रशिद्ध कुशावर्त कुंड मौजूद है, एक पुरानी कहावत के अनुसार महर्षि गौतम ने इस कुंड को मंदिर के पास मौजूद गोदावरी नदी पर बाँध दिया था, तब से इस कुंड में हमेशा जल से भरा रहता है।
  9. प्राचीन ग्रंथो के अनुसार भगवान राम और माता सीता वनवास के दौरान इस धार्मिक स्थल पर ठहरे थे, इसके साथ ही राम जी ने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पिंड दान समारोह किया था।
  10. इस मंदिर में मौजूद शिवलिंग हिन्दू धर्म में प्रशिद्ध 12 ज्योतिर्लिंग में से एक है।

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त्र्यम्बकेश्वर मंदिर की कहानी (trimbakeshwar temple story)

आपने हिन्दू धर्म में प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग के बारे में अनेकों कहानिया पढ़ी और सुनी होंगी। हर कहानी में कोई विशेष घटना शामिल होती है, इसी तरह त्र्यम्बकेश्वर मंदिर के बारे में एक कहानी प्रसिद्ध है। इस आर्टिकल में आगे इस कहानी के बारे में विस्तार से जानेंगे।

देवताओं के समय, ब्रह्मागिरी पर्वत पर ऋषि गौतम और उनकी पत्नी अहिल्या निवास करती थी। अहिल्या के साथ कई अन्य ऋषियों की पत्नियाँ भी उस पर्वत पर अपना जीवनयापन करती थी। एक दिन अहिल्या से अन्य ऋषि पत्नियां किसी कारनवश नाराज हो जाती हैं। अन्य ऋषि की पत्नियों ने अपने पतियों को देवी अहिल्या और ऋषि गौतम का अपकार करने के लिए प्रेरित किया। जिसके परिणामस्वरूप अन्य ऋषियों ने भगवान गणेश की कठोर तपस्या की। तपस्या के बाद गणेश जी स्वयं ऋषियों के सामने प्रकट हुए और वर मांगने के लिए कहा। तब सभी ऋषियों ने अपना स्वार्थ देखते हुए वर में ऋषि गौतम के तपोवन से वहिष्कार की मांग की। ऋषियों की यह बात सुनकर गणेश जी नाराज हुए और वर देने से मना करने लगे, लेकिन गणेश जी अपने दिए वचन से विवश हो गए, इसलिए उन्हें यह वर देना पड़ा।

वर देने के बाद गणेश जी गाय के रूप में ऋषि गौतम के खेतों में चरने लगे। जब यह दृश्य गौतम बुद्ध ने देखा, तब उन्होंने फसलों को गाय से बचाने के लिए, गाय पर एक छड़ी से वार करने की चेष्टा की। इसी दौरान वह गाय जमीन पर गिर पड़ी। यह दृश्य देखकर सभी ऋषि वहां पर पहुंचे और ऋषि गौतम पर गौ ह्त्या का आरोप लगा दिया और उन्हें तपोवन से बाहर जाने की चेतावनी दी। इसके परिणामस्वरूप ऋषि गौतम अपनी पत्नी के साथ तपोवन से बाहर चले गए, लेकिन स्वार्थी ऋषियों ने ऋषि गौतम को वहां पर भी चैन से नहीं रहने दिया।

सभी ऋषियों ने ऋषि गौतम से कहा-

जब तक तुम इस स्थान पर गंगा देवी को नहीं लाते, तुम्हारे उपर से गौ हत्या का पाप नहीं हटेगा। अन्य ऋषियों की बात मानते हुए, ऋषि गौतम वहीँ पर शिवलिंग की स्थापना की और वही कठोर तपस्या में लीन हो गए, एक लम्बे समय के बाद शिव जी इस तपस्या से बेहद प्रसन्न हुए, और ऋषि गौतम के सामने प्रकट होकर वर मांगने को कहा, तत्पश्चात ऋषि गौतम ने गंगा माता को उस स्थान पर अवतरित होने का वर माँगा।

भगवान शिव ने गंगा माता को वहां पर अवतरित कर दिया, लेकिन माता गंगा ने भगवान शिव से विनती की, वह भगवान शिव के साथ ही इस स्थान पर स्थापित होना चाहती हैं, जिसके बाद भगवान शिव ज्योतिर्लिंग के रूप में वही स्थापित हो गए।

इस तरह से त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग की स्थापना हुई, जोकि आगे चलकर त्र्यम्बकेश्वर मंदिर के रूप में प्रसिद्ध हो गया।

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त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में की जाने वालीं प्रमुख पूजा अर्चना (trimbakeshwar temple puja)

नासिक में स्थित गोदावरी नदी के करीब ज्योतिर्लिंग त्र्यम्बकेश्वर मंदिर, हिन्दू धर्म के लिए वरदान है। मंदिर के दर्शन करने वाले भक्तों के हर दुख और दर्द पूरी तरह से समाप्त हो जाते हैं। इस मंदिर की खास बात यह है कि यहां प्रमुख रूप से पूजा अर्चना का आयोजन किया जाता है, जोकि धार्मिक स्थलों के लिए सुख और शांति का सूचक हैं। चलिए इन सभी पूजाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं।

महामृत्युंजय पूजा (trimbakeshwar temple mahamrityunjay puja)

त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में इस पूजा का आयोजन हर तरह की बीमारियों को दूर करने और एक स्वस्थ जीवन के लिए किया जाता है।

रुद्राभिषेक पूजा (trimbakeshwar temple rudrabhishek puja)

मंदिर में रुद्राभिषेक पूजा का आयोजन सुख, शांति, धन समृद्धि के लिए किया जाता है, इस पूजा के दौरान दूध, दही, शहद, शक्कर जैसे प्रसाद का भोग लगाया जाता है, और इसके साथ मंत्रों का जाप किया जाता है। मंदिर में इस पूजा को तीन रूप से जाना जा सकता है। पहला रुद्राभिषेक पूजा, दूसरा लघु रुद्राभिषेक पूजा, तीसरा महा रुद्राभिषेक पूजा।

कालसर्प पूजा (trimbakeshwar temple kaal sarp puja)

राशि में कालसर्प दोष को खत्म करने हेतु, इस पूजा का आयोजन किया जाता है।

नारायण नागबली पूजा (trimbakeshwar temple narayan nagbali puja)

त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में इस पूजा का आयोजन पूर्वजों के श्राप से मुक्ति पाने के लिए किया जाता है। इसके साथ इस पूजा का दूसरा फायदा यह है, परिवारिक में सुख समृद्धि बनी रहती है।

त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर पहुँचने का आसन रास्ता (how to reach trimbakeshwar temple)

त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर पहुंचने के लिए सामान्य रूप से आप तीन तरह से यात्राएं कर सकते हैं, पहला सड़क मार्ग, दूसरा ट्रेन मार्ग और तीसरा फ्लाइट। इन सभी मार्गो के जरिये बस, ट्रेन और हवाई जहाज से यात्रा की जा सकती है। चलिए मंदिर तक पहुंचने के लिए, यात्राओं के बारे में विस्तार से जानते हैं।

त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर सड़क से कैसे पहुंचे

त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर, त्र्यम्बकेश्वर तहसील के छोटे गांव में स्थित है। यहां पहुंचने के लिए डायरेक्ट रास्ता नही है, लेकिन मंदिर तक पहुंचने के लिए आप अपने शहर से नासिक जैसे बड़े शहर की सड़कों के माध्यम से इस गांव का सफर तय कर सकते हैं, जिसके बीच की दूरी लगभग 28 किलोमीटर है, गांव में पहुंचने के बाद आप यातायात के छोटे साधन जैसे ऑटो, रिक्शा के माध्यम से मंदिर तक जा सकते हैं।

ट्रेन से त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर कैसे पहुंचे

अगर आप त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर ट्रेन द्वारा जाना चाहते हैं तब आपको सबसे पहले अपने शहर से नासिक रेलवे स्टेशन पहुंचना होगा। यहां से ऑटो और अन्य यातायात के साधन की मदद से आप मंदिर तक पहुंच सकते हैं। जानकारी के लिए बताना चाहेंगे नासिक रेलवे स्टेशन से मंदिर की दूरी लगभग 40 किलोमीटर है, जिसकी वजह से मंदिर तक पहुंचने में आपको 2 घंटो का समय लग सकता है।

फ्लाइट से त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर कैसे पहुंचे

अगर आप अपने शहर से मंदिर तक फ्लाइट द्वारा जाना चाहते हैं, तब आपको अपने शहर से छत्रपति शिवाजी एयरपोर्ट की टिकट बुक करनी होगी। इस एयरपोर्ट से मंदिर की दूरी लगभग 175 किलोमीटर है। इसके अलावा मंदिर से नजदीकी हवाई अड्डा औरंगजेब एयरपोर्ट है। जहां से मंदिर तक की दूरी 210 किलोमीटर है। एयरपोर्ट से मंदिर तक जाने के लिए आप टैक्सी या ऑटो की मदद ले सकते हैं।

त्र्यम्बकेश्वर दर्शन के नियम

त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में दर्शन के लिए शिवरात्री और सावन का महीना प्रमुख माना जाता है। इस दौरान मंदिर में हजारों की संख्या में साधू, संत और श्रद्धालु लोग आते हैं। अन्य दिनों में सामान्य रूप से दर्शन किया जाता है। भक्तों और अन्य श्रधालुओं की सुविधा हेतु, दर्शन के लिए कुछ नियम निर्धारित किये गए हैं जिन्हें आपको जरुर पता होना चाहिए।

दर्शन सम्बंधित नियम कुछ इस प्रकार हैं

  • मंदिर के गर्भगृह में जाना वर्जित है, इस कारण शिवलिंग का दर्शन दूर से ही किया जाता है।
  • प्रातः काल 6 बजे से 7 बजे के बिच में शिवलिंग का स्पर्श सहित दर्शन किया जा सकता है।
  • मंदिर में अभिषेक करते समय धोती पहनना अनिवार्य है।
  • महिलाओं को गर्भगृह में जाने के लिए मनाही है।
  • अभिषेक के दौरान किसी पंडित के साथ ही, मंदिर में जाने की आज्ञा दी जाती है।
  • मंदिर को 5 बजे सुबह से रात 9 बजे तक खोला जाता है।

त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग का दर्शन समय

अगर आप त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर के दर्शन करना चाहते हैं, तो आपको निचे दी गयी समय सारणी को जरुर पढना चाहिए।

आरती का नामआरती का समय
मंगल आरतीसुबह 5:30 – 6:00 सुबह
अन्तराल अभिषेक आरतीसुबह 6:00 – 7:00 सुबह
मदिर के बाहर अभिषेकसुबह 6:00 – 12:00 दोपहर
विशेष पूजा आरतीसुबह 7:00 – 9:00 सुबह
मध्यांतर पूजा आरतीदोपहर 1:00 -1:30 दोपहर
भगवान शिव मुकुट दर्शनशाम 4:30 – 5:00 शाम
संध्या पूजा आरतीरात्री 7:00 – 9:00 रात्री

FAQS:

नासिक से त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर कितना दूर पड़ता है?
नासिक शहर से त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर की दुरी लगभग 30 किलोमीटर है।

त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में कौनसी पूजा प्रशिद्ध हैं?
महामृत्युंजय पूजा, कालसर्प पूजा, रुद्राभिषेक पूजा, और नारायण नागबली पूजा ।

नासिक से त्र्यम्बकेश्वर मंदिर पहुँचने में कितना किराया लगता है?
नासिक से मंदिर तक पहुँचने के लिए टेक्सी से 800 रूपए लगते हैं।

त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर की सबसे रोचक बात क्या है?
त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर की खास बात यह है कि यहाँ पर मौजूद ज्योतिर्लिंग के 3 मुख है जिसे ब्रम्हा, शिव और विष्णु तीनो देवताओं का रूप माना जाता है।

त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर के पास कौनसा कुंड स्थापित है।
कुशावर्त कुंड।

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