गुरूवार, अक्टूबर 3, 2024
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त्रिप्रयार श्री रामास्वामी मंदिर (Thriprayar Shree Ramaswami Temple) : यहाँ पर जाने मंदिर का इतिहास और अनेकों तथ्य

त्रिप्रयार श्री रामास्वामी मंदिर (Thriprayar Shree Ramaswami Temple) : दक्षिण भारत में मौजूद त्रिप्रयार श्री रामास्वामी मंदिर (Thriprayar Shree Ramaswami Temple)प्राचीन हिन्दू मंदिर है, जोकि केरल के तृश्शूर जिले में स्तिथ है। यह मंदिर भगवान राम को समर्पित है। केरल में भगवान राम को त्रिप्रयाप्प्न के नाम से भी जाना जाता है। एक मान्यता के अनुसार इस मंदिर का जुड़ाव भगवान विष्णु से है, और भगवान राम, विष्णु के ही अवतार हैं। त्रिप्रयार श्री रामास्वामी मंदिर (Thriprayar Shree Ramaswami Temple) में अन्य देवताओं की मूर्तियाँ भी स्थापित की गयी हैं, जिसमे गणेश जी, हनुमान जी, शामिल हैं। यह मंदिर धार्मिक पूजा के लिए प्रशिद्ध है जिसकी वजह से यहाँ पर हर दिन पांच पूजाओं के साथ भगवान राम की आराधना की जाती है। मंदिर में प्रतिवर्ष प्रमुख अनुष्ठानो का आयोजन किया जाता है, इस दौरान मंदिर में भारी संख्या में भक्तों की भीड़ रहती है। मंदिर से जुड़े अनेकों ऐसे तथ्य मौजूद हैं जिनसे मंदिर की महत्वता को बढ़ावा मिलता है, उन सभी तथ्यों और मंदिर से जुड़े मिथक को जानने के लिए इस आर्टिकल को अंत तक जरुर पढ़ें।

Table of Contents

त्रिप्रयार श्री रामास्वामी मंदिर का इतिहास | Thriprayar Temple History

इतिहासकारों के अनुसार त्रिप्रयार श्री रामास्वामी मंदिर (Thriprayar Shree Ramaswami Temple) केरल के तृश्शूर जिले मेंस्थापित किया गया था, लेकिन इस मंदिर को प्राचीन हमलावरों द्वारा 39 बार नष्ट किया गया, बाद में मंदिर को पुनः निर्मित किया गया था, जिसमें पुन्नापिल्ली, ज्ञानपिल्ली और चेलुर जैसे शासकों का मुख्य योगदान रहा है।

सन 1825 में तीनो शासकों का अन्य शासक से युद्ध हुआ, जिसके परिणामस्वरूप मंदिर को लगभग 6 महीने तक बंद कर दिया गया। इसके बाद 1827 ई से 1841 ई तक मंदिर पर दूसरा शासक का कब्ज़ा रहा। इसके बाद 1865 ई में मुक्त कर दिया गया। और मंदिर का कार्यभार कोची के शासक सौप दिया गया। इसके बाद मंदिर को वर्तमान रूप दिया गया।

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त्रिप्रयार श्री रामास्वामी मंदिर की महत्वपूर्ण जानकारियां | Thriprayar Shree Ramaswami Temple Importance

मंदिर का नामत्रिप्रयार श्री रामास्वामी मंदिर (Thriprayar Shree Ramaswami Temple)
प्रमुख देवताभगवान श्री रामास्वामी
सम्बंधित धर्महिन्दू
मंदिर के प्रमुख त्यौहारत्रिप्रयार एकादशी, अरट्टूपुझा पुरम
मंदिर की जगहनट्टीका गाँव, केरल
मंदिर खुलने का समयसुबह 4 बजे
मंदिर की वास्तुकलाकेरल वास्तुकला
मंदिर से नजदीक रेलवे स्टेशनइरिंजालाकुडा रेलवे स्टेशन
मंदिर से नजदीक एअरपोर्टकोची एअरपोर्ट
मंदिर की वास्तुकलाकेरल वास्तुकला

त्रिप्रयार श्री रामास्वामी मंदिर के तथ्य | Thriprayar Shree Ramaswami Temple Facts In Hindi

वैसे तो दक्षिण भारत, मंदिरों का राज्य है लेकिन उसमे भी भगवान विष्णु के मंदिर काफी चर्चाजनित हैं, उन्ही में से एक है केरल का त्रिप्रयार श्री रामास्वामी मंदिर (Thriprayar Shree Ramaswami Temple), जोकि भगवान राम को समर्पित है। इस मंदिर के बारे में भले ही कम लोग जानते हों लेकिन मंदिर से जुड़े अनेकों तथ्य मौजूद हैं, जिसे जानने के बाद, कोई भी व्यक्ति आश्चर्यचकित रह जाता है। आज इस आर्टिकल के माध्यम से हम उन्ही तथ्यों को आपके साथ शेयर करने जा रहें है, उम्मीद है इस जानकारी से आपको कुछ नया पढने को मिलेगा।

  • एक प्राचीन मान्यता के अनुसार जब भगवान राम ने रावण का वध किया था तब से इस मूर्ति के स्वरूप को श्री राम के रूप में देखा जाता है।
  • मंदिर में स्थापित मूर्ति के स्वरूप को देखकर लोगों का कहना है कि इस मंदिर में स्थित मूर्ति का स्वरूप भगवान विष्णु का है, जिस समय भगवान विष्णु ने खर राक्षस का वध किया था, उस समय उन्होंने यही रूप धारण किया था।
  • प्राचीन सूत्रों के अनुसार त्रिप्रयार श्री रामास्वामी मंदिर (Thriprayar Shree Ramaswami Temple) में स्थित मूर्ति को मछुवारों द्वारा समुद्र में प्राप्त किया गया था। उस समय के मछुआरों ने बताया था कि समुद्र में चार मूर्तियां मिली थी जो कि भगवान राम, भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न की थी।
  • मंदिर में स्थापित मुख्य मूर्ति को एक विशेष रूप के पत्थर से बनाया गया जिसका नाम पंचलोहा कोट पत्थर था।
  • टीपू सुल्तान के हमले के दौरान, उसने भगवान की मूर्ति के तीन टुकड़े कर दिए थे, लेकिन बाद में उन सभी टुकड़ों को मिलाकर मूर्ति की मरम्मत करवाई गई।
  • प्राचीन समय के कोची के शासक द्वारा मंदिर की छत को ताम्बे से ढक दिया गया था, ताकि की मंदिर की सुन्दरता को और ज्यादा निखारा जा सके।
  • मंदिर के पूर्व द्वार की तरफ एक छोटा तालाब बनाया गया है, जहाँ पर मछलियों का पालन किया जाता है, इन मछलियों के लिए विशेष रूप से भोजन तैयार किया जाता है।
  • इस मंदिर में भगवान राम के अलावा भगवान गणेश, हनुमान और गौशाला के साथ भगवान विष्णु की मूर्तियों को स्थापित की गई है।
  • एक मान्यता के अनुसार इस मंदिर में स्थापित की गई श्री राम की मूर्ति को भगवान विष्णु के 7वें अवतार के रूप में जाना जाता है।
  • मंदिर में होने वाले प्रमुख कार्यक्रमों पर पारम्परिक कलाओं का प्रदर्शन किया जाता है, जिसमें कोट्टू नाटक काफी प्रचलित है।

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त्रिप्रयार श्री रामास्वामी मंदिर से जुड़े मिथक

त्रिप्रयार श्री रामास्वामी मंदिर के एक धार्मिक आकर्षण केंद्र है इसके साथ ही मंदिर के साथ जुड़े अनेकों मिथक मंदिर को अन्य धार्मिक स्थलों से अलग बनाते हैं। इस मंदिर के बारे में अनेकों ऐसे रहस्य और कहानियां सुनी जाती हैं जो इस मंदिर के महत्व को और ज्यादा बढ़ा देतें हैं।

प्राचीन मान्यता के अनुसार मंदिर की जगह पर ही भगवान विष्णु की मूर्ति को स्थापित किया गया था, लेकिन बाढ़ जैसी आपदा के कारण यह मूर्ति समुन्द्र में विलुप्त हो गई थी। बाद इस मूर्ति को त्रिप्रयार श्री रामास्वामी मंदिर (Thriprayar Shree Ramaswami Temple) के पास ही पाया गया था। समुन्द्र के पास मौजूद कुछ मछुवारों ने मूर्ति को प्राप्त करके इसे उस समय के शासक को सौंप दिया था, और बाद में मूर्ति को त्रिप्रयार श्री रामास्वामी मंदिर में स्थापित कर दिया।

मंदिर से जुड़ा एक अन्य मिथक बताया जाता है जिसके अनुसार, मंदिर में अरटुपूझा पुरम त्यौहार के रूप में मनाया जाता है, यह त्यौहार छेत्र के अन्य मंदिरों में भी बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इस त्यौहार के दौरान अन्य मंदिर के सभी देवता अरटुपूझा सभा में इक्कठा होते हैं। कुछ देवतागण इस सभा में देरी से आते हैं इसलिए इस प्रथा को दो दिन तक निभाया जाता है।

त्रिप्रयार श्री रामास्वामी मंदिर (Thriprayar Shree Ramaswami Temple) से जुड़े अनेकों तथ्य, कथाएं और मिथक मंदिर की पवित्रता को और बढ़ा दते हैं। मंदिर की अनेकों विशेषताएं ना केवल आध्यात्मिक परिदृश्यों को समृद्ध करती हैं, बल्कि छेत्र में निभाई जाने वाली अनेकों परम्परों की मनोरम झलक प्रदान करती हैं। यह मंदिर अपनी पौराणिक सभ्यताओं के साथ उपासकों में भक्ति और श्रद्धा भाव को को बढ़ावा देता हैं।

त्रिप्रयार श्री रामास्वामी मंदिर के त्यौहार | Thriprayar Temple Festival

भारत में अन्य मंदिर से जुड़े अनेकों त्यौहार है जिसे हर साल मनाया जाता है, उसी प्रकार त्रिप्रयार श्री रामास्वामी मंदिर से जुड़े कुछ प्रमुख त्यौहार हैं जिन्हें श्रद्धा भाव के साथ बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है। आज आप इस आर्टिकल के माध्यम से दो प्रमुख त्यौहार के बारे में जानेंगे, जिसके बारे में आगे विस्तार से बताया गया है।

त्रिप्रयार एकादशी

मंदिर (Thriprayar Shree Ramaswami Temple) में त्रिप्रयार एकादशी का प्रमुख त्यौहार नवम्बर और दिसम्बर महीने में मनाया जाता है। यह त्यौहार दशवी के दिन से शुरू होता है, त्यौहार के दिन अयप्पा को जुलुस में यात्रा के लिए ले जाते हैं। यहाँ पर “अयप्पा शब्द से आपके मन में सवाल उठे होंगे कि यह कौन है?” अयप्पा भगवान शिव और विष्णु जी के पुत्र है, जिन्हें भगवान विष्णु या राम के अवतार में भी जाना जाता है। इस प्रमुख अनुष्टान के दौरान भगवान राम की मूर्ति को 21 हांथियों के जुलूस में यात्रा के लिए ले जाते हैं। यह उत्सव अपने आप में इतना ज्यादा प्रचलित है कि दूर दूर से लोग यहाँ पर धार्मिक अनुष्ठान में मंदिर के दर्शन के लिए आते हैं।

अरटुपूझा पुरम

अरटुपूझा पुरम का त्यौहार मंदिर में मार्च से अप्रैल महीने में आयोजित किया जाता है। ज्योतिषाचार्य के अनुसार यह त्यौहार मरियम नक्षत्र में शुरू होता है और पुरम नक्षत्र तक चलता है। मुख्य रूप से यह त्यौहार 7 दिनों के लिए मनाया जाता है। त्यौहार के आखिरी दिन और शुरुवाती वाले दिन असली नजारा देखने को मिलता है। इस त्यौहार में यात्रा के दौरान लोगों का जुलूस निकाला जाता है। इसी के चलते 12 हजार से ज्यादा लोगो को मुख्य देवता को दर्शन करने का मौका मिलता है। एक मान्यता के अनुसार यह त्यौहार 853 ईसा पूर्व शुरू हुआ था, जिसमे 100 से आधिक हाथियों का जुलूस निकाला जाता था, लेकिन बाद में हाथियों की संख्या कम कर दी गई। अब भले ही जुलूस में हाथियाँ कम देखने को मिलती है, लेकिन इस त्यौहार के रंगरोगन में किसी प्रकार की कमी नहीं आई है।

त्रिप्रयार श्री रामास्वामी मंदिर की वास्तुकला

दक्षिण भारत मंदिर में स्तिथ इस मंदिर (Thriprayar Shree Ramaswami Temple) को मालाबार शैली या केरल शैली के साथ निर्मित किया गया है। इस मंदिर के संरचना में प्राचीन भूगोल, जलवायु और सांस्कृतिक प्रथाओं का मिश्रण देखा जा सकता है। मंदिर के साथ लकड़ी की मदद से की गई नक्काशीदार संरचनाए काफी प्रशिद्ध हैं। मंदिर की ऊँचीई पर छत को ताम्बे की परत से ढाका गया है, इसका डिजाईन पूरी तरह से गोलेदार है, इस संरचना को श्रीकोविल नाम से भी जाना जाता है। मंदिर में रामायण काल के कुछ दृश्यों को चित्रकारियों में देखा जा सकता है। मंदिर में स्तिथ प्रमुख मूर्ति की स्थापना काफी अदभुत हैं, मूर्ति के चार हाथो की संरचना में एक हाथ में शंख, एक में सुदर्शन चक्र, एक में धनुष और एक हाथ को अक्षरमाला के साथ दिखाया गया है। मूर्ति के पीछे एक अदभुत दीपक रखा हुआ है जो हमेसा प्रज्जवलित रहता है।

मंदिर में बाहरी तरफ की गई चित्रकारियां अब पूर्ण रूप से नहीं दिखाई देती, लेकिन चित्रों के निचे लकड़ी से बनी मूर्तियों को साफ़ देखा जा सकता है। मंदिर में स्तिथ मुख्य मूर्तियों के साथ अन्य मूर्तियों को ग्रेनाइट के पत्थरों से बनाया गया है। मंदिर में पूर्व दिशा की तरफ एक तालाब विकसित किया गया है।

त्रिप्रयार श्री रामास्वामी मंदिर कैसे पहुंचे | How To Rich Thriprayar

दक्षिण भारत में मौजूद इस मंदिर के दर्शन करने हेतु आपको अपने शहर से केरल तक की यात्रा करनी पड़ेगी। आप अपने शहर से ट्रेन और हवाई जहाज के माध्यम से मंदिर तक की यात्रा तह कर सकते हैं। इस आर्टिकल के में आगे यात्रा के बारे में आप विस्तार से जानेंगे।

ट्रेन से त्रिप्रयार श्री रामास्वामी मंदिर कैसे पहुंचे

अगर आपने त्रिप्रयार श्री रामास्वामी मंदिर (Thriprayar Shree Ramaswami Temple) जाने का प्लान बना लिया है तब आप ट्रेन के माध्यम से मंदिर का सफ़र आसानी से तय कर सकते हैं। इसके लिए आपको अपने शहर से ट्रेन बदलनी पड़ सकती है, सबसे पहले आपको ट्रेन के माध्यम से इरिंजालाकुडा रेलवे स्टेशन (केरल) पहुँचाना होगा। रेलवे स्टेशन पहुँचने के बाद आप यहाँ से टेक्सी और ऑटो की मदद से मंदिर तक पहुँच सकते हैं, रेलवे स्टेशन से मंदिर की दुरी लगभग 25 किलोमीटर है।

हवाई जहाज से त्रिप्रयार श्री रामास्वामी मंदिर कैसे पहुंचे

अगर आप किसी सिटी में रहते हैं और वहां से त्रिप्रयार श्री रामास्वामी मंदिर (Thriprayar Shree Ramaswami Temple) जाना चाहते हैं तब आप अपने नजदीकी एअरपोर्ट की मदद से केरल आ सकते हैं, इसके लिए सबसे पहले आपको मंदिर के नजदीक एअरपोर्ट की टिकट बुक करवानी होगी, जोकि कोचीन इंटरनेशनल एअरपोर्ट हैं। कोचीन इंटरनेशनल एयरपोर्ट से मंदिर की दूरी 55 किलोमीटर से अधिक है, इस एयरपोर्ट पर पहुंचने के बाद आप एयरपोर्ट से बाहर आकर मंदिर के लिए टैक्सी या ऑटो की मदद ले सकते हैं।

त्रिप्रयार श्री रामास्वामी मंदिर का दर्शन समय

अगर आप त्रिप्रयार श्री रामास्वामी मंदिर (Thriprayar Shree Ramaswami Temple) के दर्शन करना चाहते हैं तो आपको यहाँ पर होने वाली पूजाओं के बारे में भी जानना चाहिए, जोकि एक विशेष समय के अंतराल में आरम्भ की जाती है। मुख्य रूप से मंदिर में पांच तरह की पूजाएँ की जाती हैं जिनमे उषा पूजा, तीर्थ पूजा, पथिरादी पूजा, और उच्च पूजा शामिल हैं। यहाँ पर पूजा के साथ साथ मुख्य 3 शिवेली का भी आयोजन किया जाता है।

मंदिर की सबसे प्रमुख पूजा सुबह के समय की जाती है, जिसे निर्माल्य दर्शन के रूप में जाना जाता है, इस समय मंदिर के दर्शन करना पवित्र माना जाता हैं।

श्रद्धालुओं को मंदिर दर्शन हेतु, नीचे बताए गए समय पर ही मंदिर में प्रवेश करना चाहिए।

दर्शनसमय
प्रातः काल में दर्शन समय4 से 12 बजे तक
शांय काल में दर्शन समय4:30 से 8:30 बजे तक

FAQ

त्रिप्रयार श्री रामास्वामी मंदिर (Thriprayar Shree Ramaswami Temple) का निर्माण किसने करवाया था?
त्रिप्रयार श्री रामास्वामी मंदिर का निर्माण केरल के प्राचीन शासक वक्कयिल कैमल द्वारा किया गया था।

त्रिप्रयार श्री रामास्वामी मंदिर (Thriprayar Shree Ramaswami Temple) का निर्माण कब हुआ था?
त्रिप्रयार श्री रामास्वामी मंदिर का निर्माण प्रथम बार 12वीं शताब्दी में हुआ था।

त्रिप्रयार मंदीर (Thriprayar Shree Ramaswami Temple) की कोची एअरपोर्ट से दुरी कितनी है?
त्रिप्रयार श्री रामास्वामी मंदिर से कोची एअरपोर्ट की दुरी लगभग 60 किलोमीटर है।

त्रिप्रयार श्री रामास्वामी मंदिर (Thriprayar Shree Ramaswami Temple) में मुख्य देवता की मूर्ति कौन सी है?
भगवान श्री राम

त्रिप्रयार श्री रामास्वामी मंदिर (Thriprayar Shree Ramaswami Temple) केरल के किस जिले में स्तिथ है?
केरल के तृश्शूर (Thrissur) जिले में स्तिथ है।

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