7 मंजिला स्वर्वेद मंदिर उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर में स्थित एक अनोखा मंदिर है। इसका नाम स्वर्वेद मंदिर इसलिए पड़ा क्योंकि यह मंदिर स्वर्वेद दर्शन पर आधारित है। स्वर्वेद दर्शन एक प्राचीन दर्शन है जो आत्मा, परमात्मा और ब्रह्मांड के संबंधों को समझने पर आधारित है। इस मंदिर का निर्माण 1994 में स्वर्वेद दर्शन के संस्थापक स्वामी शिवानंद गिरि महाराज ने शुरू किया था। मंदिर का निर्माण 19 साल में पूरा हुआ और 18 दिसंबर 2023 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका उद्घाटन किया।

पीएम मोदी (Narendra Modi) के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में 100,00,00,000 की लागत से स्वर्वेद महामंदिर (Swaraveda Mahamandir) को विकसित किया जा रहा है। 20 सालों में इस योग और ध्यान केंद्र को डिजाइन किया गया है।
स्वर्वेद मंदिर का अर्थ क्या है?
स्वर वेत स्व मतलब आत्मा और वेत। मतलब ज्ञान यानी ऐसा स्थान जहाँ आत्मा को जानने का ज्ञान प्राप्त हो। सद्गुरु सदाफल देव जी महाराज की स्वर्वेद सिद्धांत और सूत्र वाक्य के तहत ही इस महा मंदिर का निर्माण किया गया है।
स्वर्वेद मंदिर (Swaraveda Mahamandir) की जानकारी
विशेषता | विवरण |
स्थान | वाराणसी, उत्तर प्रदेश, भारत |
स्थापना | 1994 |
उद्घाटन | 18 दिसंबर 2023 |
ऊंचाई | 210 फीट |
मंजिलों की संख्या | 7 |
निर्माण सामग्री | पत्थर और कांच |
दर्शन | स्वर्वेद दर्शन |
संस्थापक | स्वामी शिवानंद गिरि महाराज |
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स्वर्वेद महांमंदिर से PM Modi का है गहरा नाता
100,00,00,000 की लागत से बनी महामंदिर को लेकर दावा किया गया है। प्रधानमंत्री मोदी 18 दिसंबर को उमराह में बने सुर वेत मंदिर का उद्घाटन करेंगे और महामंदिर 100 वें वार्षिक उत्सव में शामिल होंगे। पीएम मोदी के दौरे को लेकर सुर्खियों में आए इस मंदिर को लेकर पूरे देश में उत्सुकता है। साथ ही लोग इस मंदिर की खासियत जानना चाहते है। आपको सव्वेत मंदिर से जुड़ी कुछ खास बातें बताते हैं इस वहाँ मंदिर का निर्माण कराने वाले स्वर्वेद विहंगम योग संत समाज से पीएम के परिवार का पुराना संबंध है। पीएम की माँ स्वर्गीय हीरा बेन और भाई पंकज मोदी की आस्था का केंद्र स्वर्वेद विहंगम योग रहा है। स्वर वेत मंदिर का डिजाइन बेहद खास है।
स्वर्वेद मंदिर (Swaraveda Mahamandir) की ये है खासियतें
- 64,000 वर्गफीट में बना इस मंदिर के साथ मंजिल बनी हुई है। इसकी उचाई 180 फिट है।
- यहाँ एक साथ 20,000 लोग ध्यान और योग कर सकते हैं। मंदिर का मुख्य मंदिर का मुख्य कमल पुष्प की तरह है।
- यह मंदिर पूरी तरह मकराना मार्बल से तैयार किया गया है।
- मंदिर के बारे में दावा किया गया है कि यह पूरी दुनिया में अपनी तरह का अकेला बिना कमरों का साथ मंजिला मेडिटेशन सेंटर है।
- वार्षिक उत्सव में महामंदिर में 25,000 कुंडी स्वर्वेद ज्ञान महायज्ञ होगा।
- इसमें विज्ञान देव महाराज मंदिर से जुड़े 3,00,000 श्रद्धालु शामिल होंगे। स्वर वेत के सिद्धांत के तहत है।
- स्वर्वेद मंदिर के अंदर 3137 स्वर्वेद के दोहे लिखे गए हैं। वार्षिक उत्सव के लिए उमराह में 200 एकड़ में 22 अस्थाई नगर बसाने का काम चल रहा है।
- देश विदेश से आने वाले लाखों लोगों के ये टेंट सिटी बनाई जा रही है।
- इनके नाम गंगा, यमुना, सरस्वती के साथ काशी के सप्त ऋषियों के नाम पर रखे गए हैं।
- 100 वीं वार्षिक उत्सव पर प्रवचन के लिए 3,00,000 स्क्वेयर फिट में जर्मन हैंगर पंडाल बनाया जा रहा है।
- मंदिर के अंदर स्वर्वेद दर्शन से संबंधित कई चित्र और मूर्तियां हैं। मंदिर में एक बड़ा ध्यान केंद्र भी है।
स्वामी शिवानंद गिरि महाराज कौन थे
मंदिर का नाम स्वामी शिवानंद गिरि महाराज के नाम पर रखा गया है। स्वामी शिवानंद गिरि महाराज एक प्रसिद्ध संत और आध्यात्मिक गुरु थे। उन्होंने स्वर्वेद दर्शन का प्रचार-प्रसार किया और लोगों को आध्यात्मिक ज्ञान प्रदान किया।
Swaraveda Mahamandir का उद्देश्य
मंदिर का उद्देश्य लोगों को स्वर्वेद दर्शन से परिचित करवाना और उन्हें आध्यात्मिक ज्ञान प्रदान करना है। मंदिर में विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिनमें ध्यान, योग और प्रवचन शामिल हैं। मंदिर के उद्घाटन के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि यह मंदिर भारत के आध्यात्मिक मूल्यों को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। उन्होंने कहा कि स्वर्वेद दर्शन एक प्राचीन दर्शन है जो आज भी प्रासंगिक है।
मंदिर का उद्घाटन एक ऐतिहासिक घटना है। यह मंदिर भारत के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
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