सुगंधा– सुनंदा शक्ति पीठ (Sugandha Sunanda Shakti Peeth): हिन्दू धार्मिक स्थलों के विभिन्न शक्तिपीठों में से एक सुगंधा- सुनंदा शक्ति पीठ देवी सुगंधा को समर्पित है, जिन्हें माता सती का रूप माना जाता है। यह शक्ति पीठ बांग्लादेश के शिकारपुर छेत्र में स्थित है। बाग्लादेश एक मुस्लिम देश है यहाँ पर अधिकतम संख्या में मुस्लिम की जनसंख्या निवास करती है, लेकिन इसके बाद भी एक हिन्दू के इस मंदिर को महत्वपूर्ण मान्यता दी है। आज इस आर्टिकल के माध्यम से आप सुगंधा- सुनंदा शक्ति पीठ (Sugandha Sunanda Shakti Peeth) से जुड़े रहस्य, कहानी और इसकी वास्तुकला को विस्तार से जानेंगे।
सुगंधा– सुनंदा शक्ति पीठ मंदिर की महत्वपूर्ण बातें
मंदिर का नाम | सुगंधा– सुनंदा शक्ति पीठ मंदिर |
मंदिर की जगह | शिकारपुर (बांग्लादेश) |
मंदिर की भाषा | हिंदी, बंगाली, इंग्लिश |
मंदिर के प्रमुख त्यौहार | महाशिवरात्रि, शिव चतुर्थी, नवरात्रि |
मंदिर सम्बंधित धर्म | हिन्दू |
भौगोलिक निर्देशांक | 22.8286°N 90.2584°E |
मंदिर सम्बंधित प्रमुख बात | माता सती की नासिका (नाक) से प्रशिद्ध स्थल। |
मंदिर निर्माण विधि | पारंपरिक बंगाली विधि |
मंदिर के प्रमुख देवता | माता सती |
मंदिर खुलने का समय | सुबह 5 बजे |
सुगंधा– सुनंदा शक्ति पीठ मंदिर का रहस्य | Sugandha Sunanda Shakti Peeth

सुगंधा- सुनंदा शक्ति पीठ (Sugandha Sunanda Shakti Peeth) बांग्लादेश के सुनंदा नदी के तट पर स्थित है। जहाँ माता सती के अंग गिरे थे, उन सभी स्थानों को आज शक्ति पीठ के रूप में जाना जाता है। जहाँ पर सुगंधा- सुनंदा शक्ति पीठ स्थापित है, वहीँ पर माता सती की नाक गिरी थी। इसी तरह के अनेकों रहस्य हैं जो शक्ति पीठ की विशेषताओं को उजागर करते हैं। अगर आप भी मंदिर से जुड़े रहस्यों के बारे में जानना और सुनना पसंद करते हैं, तो आर्टिकल में आगे बाताएं गए अनेकों रहस्यों को जरुर पढ़ें।
- 51 शक्ति पीठ में से एक सुगंधा- सुनंदा शक्ति पीठ, की स्थापना दैविक काल में माता सती के नाक अंग के गिरने से हुई थी, यही एकमात्र कारण है इसे सुगंधा- सुनंदा शक्ति पीठ से जाना जाता है।
- सुगंधा- सुनंदा शक्ति पीठ मंदिर (Sugandha Sunanda Shakti Peeth) सुनंदा नदी के पास स्थित है, यहाँ पर रहने वाले अधिकतम लोग मुस्लिम जाती से है लेकिन वह फिर भी इस मंदिर लिए प्रेम की भावना रखते है।
- मंदिर के नजदीक रहने वाले निवासियों द्वारा इस मंदिर को पहले शिकारपुर ताराबारी नाम से जाना जाता था, लेकिन बाद में इसका नाम बदल दिया गया और यह सुगंधा- सुनंदा शक्ति पीठ के रूप में प्रशिद्ध हो गया।
- जैसा की हम सभी जानते हैं सुगंधा- सुनंदा शक्ति पीठ (Sugandha Sunanda Shakti Peeth) बांग्लादेश में स्तिथ है, और यह राज्य तंत्र साधना के लिए प्रशिद्ध है, एक मान्यता के अनुसार जो भी पुरोहित तंत्र साधना में विशवास रखते हैं, वह अपनी साधना के लिए इस शक्ति पीठ के दर्शन करते हैं ताकि उन्हें माता सुगंधा का आशीर्वाद प्राप्त हो सके, इस तरह से यह शक्ति पीठ तंत्र साधना के लिए भी प्रशिद्ध है।
- सुगंधा- सुनंदा शक्ति पीठ (Sugandha Sunanda Shakti Peeth) में स्थापित माता सती के प्राचीनतम मंदीर को नष्ट कर दिया गया था। लेकिन बाद में इस बात का विरोध हुआ तो मंदिर को पुनः स्थापित किया गया, इस दौरान मंदिर की प्राचीनतम मूर्ति कहीं विलुप्त हो गई, जिसका पता आज तक नहीं लग पाया।
- सुगंधा- सुनंदा शक्ति पीठ (Sugandha Sunanda Shakti Peeth) की वर्तमान संरचना के अनुसार, मंदिर में स्थापित मूर्ति को शुद्ध काले पत्थरों की मदद से निर्मित किया गया है, जिसे सुगंधा देवी के रूप में पूजा जाता है।
- सुगंधा- सुनंदा शक्ति पीठ (Sugandha Sunanda Shakti Peeth) के बारे में एक मान्यता के अनुसार, मंदिर के पास स्तिथ नदी को माता सुंगधा देवी का स्वरूप माना जाता है, यही एक मात्र कारण है कि सुनंदा नदी में स्नान करने वाले भक्तजनों के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।
- सुगंधा- सुनंदा शक्ति पीठ मंदिर (Sugandha Sunanda Shakti Peeth) में स्थित मुख्य मूर्ति को उग्रतारा देवी के रूप में भी जाना जाता है।
- सुगंधा- सुनंदा शक्ति पीठ मंदिर (Sugandha Sunanda Shakti Peeth) में स्थापित मूर्ति को तलवार, खेकड़ा, नीलपाद, और नर मुंडों के साथ सुसज्जित किया गया है।
- सुगंधा- सुनंदा शक्ति पीठ मंदिर (Sugandha Sunanda Shakti Peeth) में महाशिवरात्री और नवरात्री के दिन विशेष पूजा का योजना किया जाता है, इस दिन मंदिर में आने वाले श्रधालुओं की भारी भीड़ एकत्रित होती है, एक मान्यता के अनुसार इस दिन मंदिर के दर्शन करने वाले लोगों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है।
सुगंधा– सुनंदा शक्ति पीठ मंदिर की कहानी
सुगंधा- सुनंदा शक्ति पीठ मंदिर (Sugandha Sunanda Shakti Peeth) मुख्य रूप दो देवताओं के लिए प्रशिद्ध है एक माता सती और दुसरे भगवान शिव। सामान्य रूप से सुगंधा- सुनंदा शक्ति पीठ के बारे में अनेकों कहानियाँ प्रचलित है, लेकिन उनमे से दो कहानियां आज भी लोगो द्वारा सुनी जाती है, अगर आप इन दोंनो कहानियों से अनजान है तो आर्टिकल में आगे आप इन्ही दो कहनियों के बारे में विस्तार से जानेंगे।
पहली पौराणिक कहानी
एक समय की बात है शिकारपुर में सुनसान और घना जंगल हुआ करता था, वहां के आस पास के निवाशी जंगल में जाने से काफी डरते थे, वहीँ पास में एक जमींदार श्री राम रॉय निवास करता था। एक दिन भगवान शिव स्वयं उसके सपने में आकर बोले-
“ हे बालक मेरे स्वरूपी शिवलिंग को जंगल से निकाल लाओ और अपने शहर में स्थापित कर दो इससे यहाँ रहने वाले सभी भक्तजनों का कल्याण होगा।”
इतनी बात कहकर शिव जी जमीदार के सपने से गायब हो गए, तब जमीदार ने भगवान शिव की आज्ञा को माना और वह सुबह ही छेत्र के अन्य लोगो के साथ मंदिर में शिवलिंग की खोज के लिए निकल पड़ा। जब वह वहां के घने जंगलों में पहुंचा, तब उन्हें वहां पर कुछ चरगाह देखे, जो जमीदार को देखकर भयभीत हो गए, और आगे की तरफ जाने लगे, लेकिन जमीदार ने उन्हें रोक लिया और बताया की उन्हें डरने की जरुरत नहीं है। इसके साथ ही जमीदार ने अपने उद्धेश्य के बारे में चरगाह से बताया। चरगाहे ने जमीदार की बात सुनकर उसे एक पुरानी बात बताई जिसके अनुसार –
एक समय की बात है जब चरगाहों की गाय का दूध मावेशी के मालिक लेते थे, लेकिन कुछ समय के बाद एक आश्चर्यजनक घटना घटित हुई। सभी गायों ने दूध देंना बंद कर दिया, इस बात का इल्जाम चरगाहों पर लगया गया, कि वह दूध की चोरी कर रहें है, लेकिन चरगाहों ने बताया कि वह कोई चोरी नहीं करते तब इस बात का पता लगाने के लिए मवेशी मालिक एक बार गायों को देखने के लिए जंगल में जाता है। वहां पर सभी गाय घास चर रही थीं, लेकिन कुछ देर बाद सभी गाय एक टीले पर जाकर अपना दूध वहीँ पर निकलने लगीं। यह देखकर मवेशी मालिक आश्चर्यचकित रह गया। इस रहस्य के बारे में कुछ भी पता ना लग पाने की वजह से मावेशी मालिक ने टीले पर लकड़ियाँ एकत्रित करके वहां पर आग लगवा दी, जब आग बुझ रही थी तो उस आग में से एक कन्या निकलकर वहीँ जमीं में समां गई। तब से वहां पर कोई नहीं जाता और अब वहां बस जंगल है।
चरगाहे की यह बात सुनकर जमींदार ने टीले के पास खुदवाई करवाना शुरू कर दी, परिणामस्वरूप वहां पर एक विशाल शिवलिंग को प्राप्त किया गया। वह शिवलिंग इतना भारी था कि उसे उठा पाना असंभव था, इसी कारण से शिवलिंग को वहीँ पर स्थापित कर दिया गया। एक मान्यता के अनुसार वहां पर दिखी कन्या को माता सती और शिवलिंग को शिव का अंश समझकर, यहाँ पर सुगंधा- सुनंदा शक्ति पीठ मंदिर (Sugandha Sunanda Shakti Peeth) को स्थपित कर दिया गया।
दूसरी पौराणिक कहानी
एक अन्य कहावत के अनुसार, शिकारपुर छेत्र में पंचानन चक्रवर्ती नाम का एक ब्राम्हण रहता था। वह काफी इमानदार ब्राम्हण था। एक दिन उसके सपने में माता काली के दर्शन हुए, माता ने सपने में ब्राम्हण से कहा कि उसके छेत्र में उनकी प्रतिमा दबी है जिसे वह प्राप्त करके मंदिर के रूप में स्थापित कर दे।
ब्राम्हण ने माता की बात को मानते हुए मूर्ति की खोज की, और मूर्ति प्राप्त करके शिकारपुर में मंदिर की स्थापना कर दी। बाद में यहाँ पर लोग इसे धार्मिक स्थल मानने लगे और यहाँ पर दर्शन के लिए आने लगे, इस तरह से मंदिर काफी प्रचलित हो गया, आगे चलकर इसे सुगंधा- सुनंदा शक्ति पीठ मंदिर (Sugandha Sunanda Shakti Peeth) की मान्यता मिली।
सुगंधा– सुनंदा शक्ति पीठ मंदिर की वास्तुकला
सुगंधा- सुनंदा शक्ति पीठ मंदिर (Sugandha Sunanda Shakti Peeth) को पारम्परिक बंगाली वास्तुकला के साथ निर्मित किया गया है। इस मंदिर की स्थापना लाल और गुलाबी पत्थरों के मिश्रण से हुई है। मंदिर के चारों तरफ हरियाली का अदभुत नजारा देखा जा सकता है जोकि वहां के वातावरण को काफी शांत बनता है। मंदिर में एक शंक्वाकार आकृति वाला टावर देखा जा सकता है, जो अपनी आकर्षित नक्काशियों का नजारा प्रस्तुत करता है। मंदिर के मुख्य द्वार पर छोटा सा गेट देखा जा सकता है, जहाँ से होते हुए मंदिर के मध्य भाग में पहुंचा जा सकता है। मंदिर के मध्य में प्रदर्शित दीवारों पर अनेकों देवताओं का स्वरूप मौजूद है।
मंदिर में प्रमुख मूर्ति (माता सती की मूर्ति) को काले रंग के पत्थर से निर्मित किया गया है, इस मूर्ति को फुल, मालाएं, और अन्य वनस्पतिओं की सेज पर विराजित किया गया है। मंदिर में माता सती के आलावा ब्रम्हा, विष्णु, शिव के साथ गणेश और कार्तिकेय की मूर्ति को स्थापित किया गया है। मंदिर में प्रस्थान करने वाले पुरोहितों का मानना है कि इन सभी मूर्तियों का सम्बन्ध बौद्ध तंत्र से है। इसके साथ ही मंदिर में एक रहस्यमई तालाब बना है जिसे पवित्र तालाब माना जाता है। इस तालाब में स्नान करने वाले व्यक्तियों का तन और मन दोनों शुद्ध हो जाते हैं।
सुगंधा– सुनंदा शक्ति पीठ मंदिर कैसे पहुंचे
सुगंधा- सुनंदा शक्ति पीठ मंदिर (Sugandha Sunanda Shakti Peeth) बाग्लादेश के शिकारपुर शहर में स्थित है, क्या आप भारत के निवासी है, अगर हाँ तो, आपको इस देश में जाने के लिए परमिट की जरुरत पड़ेगी अगर आपको परमिट के माध्यम से बांगलादेश में जाने की परमिसन मिल जाती है तब आप सड़क, रेल और ऐरोप्लन के माध्यम से मंदिर के दर्शन आसानी से कर सकते हैं। चलिए इन तीनो साधनों के माध्यम से मंदिर तक कैसे पहुंचा जा सकता है विस्तार से जानते हैं।
सड़क मार्ग द्वारा सुगंधा- सुनंदा शक्ति पीठ मंदिर कैसे पहुंचे
सड़क द्वारा इस शक्ति पीठ तक पहुँचने के लिए आप बस और खुद की टेक्सी बुक कर सकते हैं। बस की मदद से आप मंदिर के निकटतम बस स्टैंड शिकारपुर तक जा सकते हैं। यहाँ से आप ऑटो की मदद से मंदिर तक आसानी से पहुँच सकते हैं, बस स्टैंड से मंदिर की दुरी लगभग 2 किलोमीटर है।
रेल मार्ग द्वारा सुगंधा- सुनंदा शक्ति पीठ मंदिर कैसे पहुंचे
एक बार जब आप परमीसन लेकर बांग्लादेश में पहुँच जाते हैं, तब आप रेल की मदद से मंदिर का सफ़र आसानी से तय कर सकते हैं। रेलमार्ग से मंदिर जाने की सबसे ख़ास बात यह है कि ट्रेन से मंदिर जाने में बहुत कम किराया लगता है। मंदिर जाने के लिए आपको सबसे पहले झेनईदह रेलवे स्टेशन (बांग्लादेश) पहुंचना होगा, यहाँ से मंदिर की दुरी लगभग 27 किलोमीटर है। आप रेलवे स्टेशन से टेक्सी या बस की मदद से मंदिर तक पहुँच सकते हैं। इसके अलावा आप अन्य रेलवे स्टेशन झलकाटी से भी मंदीर जा सकते हैं जहाँ से मंदिर की दुरी 8 किलोमीटर है।
एरोप्लेन द्वारा सुगंधा- सुनंदा शक्ति पीठ मंदिर कैसे पहुंचे
अगर आपके पास मंदिर ट्रेवल करने के लिए अच्छा बजट है और समय की कमी है तब आपके लिए एरोप्लेन का सफ़र काफी सुविधाजन रहेगा। एरोप्लेन से मंदिर तक जाने के लिए सबसे पहले आपको मंदिर के निकटतम एअरपोर्ट, ढाका तक पहुँचाना होगा। यहाँ से मंदिर की दुरी लगभग 180 किलोमीटर है। ढाका एअरपोर्ट से मंदिर जाने के लिए आप टेक्सी की मदद ले सकते हैं।
मंदिर की सीमाओं में प्रवेश करते ही आपको गाडी से उतरकर कुछ दूर पैदल चलना पड़ता है, क्यूंकि मंदिर के प्रवेश द्वार तक पहुँचने के लिए वहां की सड़कें काफी संकरी हैं और यहाँ पर हमेशा श्रधालुओं की भीड़ भी रहती है, जिसकी वजह से गाडी का आगे जा पाना संभव नहीं है।
सुगंधा– सुनंदा शक्ति पीठ का दर्शन समय
सुगंधा- सुनंदा शक्ति पीठ (Sugandha Sunanda Shakti Peeth) के दर्शन हेतु, सबसे पहले मंदीर की समय सारणी के बारे में आपको जरुर पता होना चाहिए। अगर आप भी इस मंदिर के दर्शन करना चाहते हैं तो हमारे द्वारा बताई गई निम्नलिखित समयसारणी को जरुर पढ़ें।
आरती | समय |
मंदिर खुलने का समय | सुबह 5 बजे |
सुबह की आरती | सुबह 6 बजे |
अभिषेक पूजा | सुबह 6:30 बजे |
दोपहर आरती | दोपहर 1 बजे |
संध्या आरती | शाम 5:45 |
शयन आरती | रात 9 बजे |
मंदिर बंद होने का समय | रात 10 बजे |
FAQ
सुगंधा- सुनंदा शक्ति पीठ मंदिर (Sugandha Sunanda Shakti Peeth) कहाँ पर स्थित है?
भारत के पडोसी देश, बांग्लादेश के शिकारपुर नामक शहर में स्तिथ है।
सुगंधा- सुनंदा शक्ति पीठ मंदिर (Sugandha Sunanda Shakti Peeth) के प्रमुख त्यौहार कौन से हैं?
नवरात्रि और शिव चतुर्थी।
सुगंधा- सुनंदा शक्ति पीठ मंदिर (Sugandha Sunanda Shakti Peeth) के पास कौनसी नदी स्तिथ है?
सुनंदा नदी।
सुगंधा- सुनंदा शक्ति पीठ मंदिर (Sugandha Sunanda Shakti Peeth) से सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन कौन सा है?
झलकाती रेलवे स्टेशन।
सुगंधा शक्ति पीठ में माता सती का कौन सा अंग गिरा था?
नासिका (नाक)
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