नमस्कार दोस्तों। दोस्तों ऐसा माना जाता है कि मूलतः 64 ज्योतिर्लिङ्ग हैं, जिनमें 12 बहुत ही दिव्य और पूजनीय हैं। भगवान शिव दिव्य अग्नि पुंज स्तंभ के रूप में प्रकट होकर ज्योति स् तंभ में परिणित हो गए जो ज्योतिर्लिङ्ग कहे जाते हैं। आस्था व भक्ति का केंद्र श्री सोमनाथ आदि ज्योतिर्लिङ्ग माना जाता है, जिसके दर्शन व पूजन से भय बाधा से मुक्ति मिलती है और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। दोस्तों भारतीय उपमहाद्वीप के पश्चिम में अरब सागर के तट पर स्थित आदि में उल्लेख है। ज्योतिर्लिङ्ग श्री सोमनाथ महादेव मंदिर की छटा ही निराली है। यह तीर्थस्थान देश के प्राचीन तीर्थ स्थानों में से एक है और इसका उल्लेख पुराण, श्रीमद्भागवत, गीता, शिव पुराण आदि आज मैं आप सभी के समक्ष सोमनाथ ज्योतिर्लिंगों की कथा प्रस्तुत कर रही हूँ। आइए शुरू करते हैं।
सोमनाथ मंदिर का इतिहास – Somnath Mandir Ka Itihas
शिव महापुराण के अनुसार सोमनाथ ज्योतिर्लिङ्ग सभी ज्योतिर्लिंगों में सबसे पहले बना था, जिसका निर्माण स्वयं चन्द्रदेव ने किया था। चंद्रदेव का एक नाम सोम भी है। इसीलिए इस ज्योतिर्लिङ्ग का नाम सोमनाथ पड़ा। ओम नमः शिवाय दक्ष प्रजापति की 60 पुत्रियां थीं उनमें से। 27 का विवाह चंद्रदेव के साथ हुआ था, परंतु चंद्रदेव अपनी 27 पत्नियों में केवल रोहिणी के साथ ही प्रेमपूर्वक व्यवहार करते थे। चन्द्रदेव के ऐसे व्यवहार के कारण दक्ष प्रजापति की 26 कन्याएं बहुत अप्रसन्न रहती थीं। उन्होंने अपने साथ हो रहे इस भेदभाव के बारे में अपने पिता को बताया। दक्ष प्रजापति ने इसके लिए चंद्र देव को बहुत समझाने की कोशिश की, परंतु रोहिणी के वशीभूत चंद्रदेव के हृदय पर इसका कोई प्रभाव नहीं हुआ।
अंत में दक्ष ने क्रोधित होकर चन्द्रदेव को क्षय रोग से ग्रसित होने का श्राप दे दिया। इस श्राप के कारण चंद्रदेव तत्काल ही क्षय रोग से ग्रस्त हो गए। उनके क्षय रोगी होते ही पृथ्वी पर उनका सारा कार्य रुक गया। चारों ओर त्राहि त्राहि मच गई। चंद्रदेव स्वयं भी बहुत दुखी और चिंतित रहने लगे। उनकी ऐसी हालत देखकर इंद्र आदि सभी देवता तथा वशिष्ठ मुनि आदि ऋषिगण उनके उद्धार के लिए ब्रह्मा जी के पास गए। सारी बातें सुनकर ब्रह्मा जी ने कहा, अब जो हुआ उसे निश्चय ही पलटा नहीं जा सकता। अतः उसके निवारण के लिए मैं तुम्हें एक उपाय बताता हूँ।
चंद्रदेव सभी देवताओं के साथ प्रभास नामक क्षेत्र में जाकर महामृत्युंजय मंत्र का विधि पूर्वक अनुष्ठान करते हुए भगवान भोलेनाथ की आराधना करें। अपने सामने। भोलेनाथ के शिवलिंग की स्थापना करें और वहाँ तपस्या करें। ऐसा करने से भगवान शिव शंकर प्रसन्न होकर उन्हें शेयर हित कर देंगे। तब ब्रह्मा जी की आज्ञा के अनुसार चंद्रदेव सभी देवताओं के साथ प्रभास नामक क्षेत्र में चले गए। वहाँ जाकर उन्होंने छह महीने तक निरंतर भगवान भोलेनाथ की तपस्या की और महामृत्युंजय मंत्र से भगवान ऋषभ ध्वज का पूजन किया।
10,00,00,000 बार महामृत्युंजय मंत्र का जाप तथा निरंतर ध्यान में रहते हुए स्थिर चित चंद्रदेव वहाँ लगातार खड़े रहे। उन्हें तपस्या करते देख भक्तवत्सल भगवान भोलेनाथ प्रसन्न होकर। उनके सामने प्रकट होगये और चंद्रदेव से बोले चन्द्रमा तुम शोक ना करो, मेरे आशीर्वाद से तुम शाप से मुक्त तो हो जाओगे साथ ही प्रजापति दक्ष के वचनों की रक्षा भी हो जाएगी। कृष्ण पक्ष में प्रतिदिन तुम्हारी एक एक कला क्षीण होगी परंतु पुनः शुक्ल पक्ष से उसी क्रम में तुम्हारी एक एक कला बढ़ जाएगी।
इस प्रकार प्रत्येक पूर्णिमा को तुम्हे पूर्ण रूप से प्राप्ति होगी। भगवान भोलेनाथ से ऐसा वरदान पाकर चंद्रदेव प्रसन्न हो गए और पुनः दसों दिशाओं में अपनी सुधा बरसाने लगे, जिससे सभी लोगों के प्राणी प्रसन्न हो गए। शाप मुक्त होकर चंद्रदेव ने अन्य देवताओं के साथ मिलकर मृत्युंजय भगवान से प्रार्थना की कि आप माता पार्वती के साथ सदा के लिए समस्त प्राणियों के उद्धार हेतु यहाँ निवास करें। भगवान शिव ने चंद्रदेव की इस प्रार्थना को स्वीकार किया और ज्योतिर्लिङ्ग के रूप में माँ पार्वती के साथ तभी से प्रभास क्षेत्र में रहने लगे।

सोमनाथ मंदिर की जानकारी – Somnath Mandir Ki Jankari
शीर्षक | विवरण |
नाम | सोमनाथ मंदिर |
स्थान | समुद्र तट पर, सोमनाथ, गुजरात, भारत |
धर्म | हिंदू |
देवता | भगवान शिव |
शेली | नागर शैली |
निर्माण | 12वीं शताब्दी |
पुनर्निर्माण | 14वीं शताब्दी, 17वीं शताब्दी, 18वीं शताब्दी, 20 वीं शताब्दी |
वर्तमान स्थिति | सक्रिय |
सोमनाथ मंदिर का रहस्य – Somnath Mandir Ka Rahasya
प्राचीन काल में सोमनाथ मंदिर के शिवलिंग में शक्तियां समाहित थी और चुंबकीय शक्ति से ये शिवलिंग हवा में झूलता था। पुरातत्व विभाग ने जब इस मंदिर की जांच की तो पता चला कि इस मंदिर के ठीक नीचे तीन मंजिला इमारत मौजूद है और कई गुफाओं का जाल बिछा हुआ है। इस मंदिर के प्रांगण में एक रहस्यमय बाणी स्तंभ है जिसपर लिखा है आस मुद्रा। अंत दक्षिण पर्यंत साथ सोमनाथ मंदिर से दक्षिण ध्रुव तक सीधी रेखा में कोई भूखंड का टुकड़ा नहीं है और ये बिल्कुल सकती है। आज के समय में सैटेलाइट के जरिए यह पता किया जा सकता है।
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सोमनाथ मंदिर के दरवाजे का रहस्य
- दोस्तों इस मंदिर के प्रांगण में एक स्तंभ है जिसे बाण स्तंभ के नाम से जाना जाता है। इस स्तंभ में वह रहस्य छुपा हुआ है जो सबको हैरान कर देता है।
- बाण स्तंभ एक दिशादर्शक स्तंभ है जिसके ऊपरी स्तर पर एक तीर बनाया गया है जिसका मुख समुद्र की ओर है। इस बाण स्तंभ पर लिखा है स्मूद रात।
- दक्षिण ध्रुव पर यथा बाधित ज्योति मार्ग। इसका मतलब ये की समुद्र की इस बिंदु से दक्षिण ध्रुव तक की सीधी रेखा में एक भी अवरोध या बाधा नहीं है।
- असल में इसके कहने का मतलब यह है कि सीधी रेखा में कोई भी पहाड़ या भूखंड का टुकड़ा नहीं है। अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या उस काल में भी लोगों को यह जानकारी थी कि दक्षिणी ध्रुव कहा है और धरती गोल है कैसे?
- उन लोगों ने इस बात का पता लगाया होगा कि बाण स्तंभ के सीधी में कोई बाधा नहीं है। ये अब तक एक रहस्य ही बना हुआ है।
- दोस्तों ये भी एक रहस्य ही है कि आखिर यहाँ से दक्षिण ध्रुव तक का रास्ता क्यों दिखाया गया है? और आखिर सोमनाथ मंदिर से दक्षिण ध्रुव का क्या संबंध हैं? यह रहस्य आज तक अनसुलझे हैं।
सोमनाथ मंदिर की विशेषता क्या है?
Somnath Mandir Ki Jankari: दोस्तों आपको जानकारी हैरानी होगी कि भारत के इस मंदिर की बेशुमार संपत्ति को इतनी बार लूटा गया जितना आज तक किसी भी मंदिर को लूटा नहीं गया, पर जितनी बार भी इस मंदिर को नष्ट किया, उतनी ही बार इस मंदिर के पुनर्निर्माण के लिए पुण्य आत्माओं ने जन्म लिया। दोस्तों इस मंदिर का निर्माण तो अज्ञात है पर ऋग्वेद के अनुसार इस मंदिर का निर्माण चंद्रदेव यानी चन्द्रमा ने करवाया था। वर्तमान मंदिर का निर्माण भारत की स्वतंत्रता के पश्चात लौह पड़ोस सरदार वल्लभ भाई पटेल ने करवाया था और 1 दिसंबर 1985 ईस्वी को भारत के राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा ने इसे राष्ट्र को समर्पित किया।
सोमनाथ मंदिर का महत्व
दोस्तों सोमनाथ मंदिर विश्व प्रसिद्ध धार्मिक पर्यटन स्थल है। मंदिर के प्रांगण में रात 7.5 से लेकर 8:30 बजे तक 1 घंटे का साउंड लाइट शो चलता है, जिसमें सोमनाथ मंदिर का बड़ा ही सुंदर तरीके से सचित्र वर्णन किया जाता है। दोस्तों आपको जानकारी हैरानी होगी कि भगवान श्रीकृष्ण ने अपना देह त्याग भी यहीं पर किया था और इसी कारण से इस क्षेत्र का और भी ज्यादा महत्त्व बढ़ गया। इसी स्थान पर बड़ा ही सुन्दर कृष्ण मंदिर बना हुआ है।

सोमनाथ मंदिर पर आक्रमण
- सोमनाथ मंदिर पर आक्रमण एक ऐसा घटनाक्रम था जिसमें महमूद गजनवी ने 1026 ईस्वी में गुजरात के सोमनाथ मंदिर पर आक्रमण किया था। यह मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। इस आक्रमण में मंदिर को पूरी तरह से नष्ट कर दिया गया था। यह आक्रमण हिंदू धर्म के लिए एक महत्वपूर्ण घटना थी क्योंकि यह मंदिर हिंदुओं के लिए एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक केंद्र था।
- महमूद गजनवी एक तुर्क आक्रमणकारी जिसने 1001 से 1027 तक भारत पर 17 बार आक्रमण किया था। वह एक धनी और शक्तिशाली शासक था और वह भारत की संपत्ति लूटने के लिए जाना जाता था। उसने सोमनाथ मंदिर पर आक्रमण करने का फैसला किया क्योंकि वह मंदिर की प्रसिद्धि और धन से आकर्षित था।
- गजनवी ने एक विशाल सेना के साथ मंदिर पर आक्रमण किया। मंदिर के पुजारियों और तीर्थयात्रियों को मार दिया गया और मंदिर को नष्ट कर दिया गया। मंदिर की मूर्तियों और खजाने को लूट लिया गया और मंदिर के अवशेषों को नष्ट कर दिया गया।
- गजनवी के आक्रमण ने हिंदू धर्म के लिए एक बड़ा आघात पहुँचाया। यह आक्रमण हिंदू धर्म के प्रतीक को नष्ट करने के लिए किया गया था और यह हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए एक आपत्तिजनक कृत्य था।
- गजनवी के आक्रमण के बाद, सोमनाथ मंदिर को कई बार फिर से बनाया गया है। वर्तमान मंदिर 1951 में बनाया गया था।
FAQS:
सोमनाथ का असली नाम क्या है?
चंद्रदेव का एक नाम सोम भी है। उन्होंने भगवान शिव को ही अपना नाथ-स्वामी मानकर यहां तपस्या की थी इसीलिए इसका नाम ‘सोमनाथ’ हो गया।
सोमनाथ मंदिर में किसकी मूर्ति है?
सोमनाथ मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। इस मंदिर में भगवान शिव की एक ज्योतिर्लिंग मूर्ति स्थापित है।
क्या हम सोमनाथ मंदिर में शिवलिंग को छू सकते हैं?
सोमनाथ मंदिर में शिवलिंग को छूना प्रतिबंधित है। ऐसा इसलिए है क्योंकि शिवलिंग को एक पवित्र वस्तु माना जाता है और इसे छूने से क्षरण का खतरा होता है।
सोमनाथ मंदिर कौन से शहर में स्थित है?
सोमनाथ मंदिर गुजरात के गिर सोमनाथ जिले में स्थित है।
सोमनाथ मंदिर के मुख्य देवता कौन है?
सोमनाथ मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। इस मंदिर में भगवान शिव की एक ज्योतिर्लिंग मूर्ति स्थापित है। इसलिए, सोमनाथ मंदिर के मुख्य देवता भगवान शिव हैं।
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