शर्कररे (करवीर) शक्ति पीठ मंदिर (Mahalaxmi Kolhapur Mandir): हिन्दू धर्म में 51 शक्ति पीठ में से एक है शर्कररे (करवीर) शक्ति पीठ मंदिर, जिसे महालक्ष्मी कोल्हापुर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। जब भगवान शिव माता सती के मृत शरीर को आकाश लोक में ले जा रहे थे तब उनके त्रिनेत्र इसी स्थान पर गिरे थे, जिसकी वजह से बाद में यहाँ पर Mahalaxmi Kolhapur Mandir को स्थापित किया गया। आखिर कोल्हापुर राक्षस से इस मंदिर का सम्बन्ध क्या है? जानिए इसके पीछे की एक अनोखी कहानी, और साथ ही जाने मंदिर से जुड़े अनसुने रहस्य ।
शर्कररे (करवीर) शक्ति पीठ मंदिर का इतिहास | Mahalaxmi Kolhapur Mandir History in Hindi

शर्कररे (करवीर) शक्ति पीठ मंदिर (Mahalaxmi Kolhapur Mandir) का निर्माण किसने करवाया था, स्पष्ट रूप से कह पाना थोड़ा मुश्किल है, लेकिन मंदिर के पुरोहितो का मानना है कि प्राचीनतम मंदिर का निर्माण कर्णदेव नामक राजा ने करवाया था। इतिहासकारों के अनुसार मंदिर का निर्माण नौवीं शताब्दी से पहले हुआ था। एक मान्यता के अनुसार मंदिर के शिखर और गुम्बद का निर्माण मठ के शासक शंकराचार्य ने करवाया था। मंदिर के महत्वपूर्ण इतिहास के अनुसार 14वीं और 15वीं शताब्दी के मध्य मुस्लिम शासकों द्वारा मंदिर को नष्ट कर दिया गया था। जिसके बाद मंदिर में स्थित मूर्ति को एक हिन्दू घर से बरामद किया गया था।
इसके बाद सन 1722 में छत्रपति संभाजी राजे ने मूर्ति को प्राप्त कर, लक्ष्मी जी के मंदिर की पुनः स्थापना की थी। मंदिर का द्वार पश्चिम की तरफ रखा गया है। मंदिर के उत्तरी दरवाजे की तरफ एक अनोखे घंटे का निर्माण किया है, जोकि दिन में 5 बार बजाया जाता है। मंदिर में महालक्ष्मी की प्राचीनतम मूर्ति 1.22 मीटर ऊँची है, जिसके लिए नवरात्रि जैसे धार्मिक पर्व के दिन विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है।
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शर्कररे (करवीर) शक्ति पीठ मंदिर की महत्वपूर्ण बातें
मंदिर का नाम | शर्कररे (करवीर) शक्ति पीठ मंदिर (महालक्ष्मी मंदिर कोल्हापुर) |
जगह का नाम | करवीर, कोल्हापुर (महाराष्ट्र) |
मंदिर का दूसरा नाम | महालक्ष्मी कोल्हापुर मंदिर |
प्रमुख देवता | महालक्ष्मी |
मंदिर की भाषा | मराठी, हिंदी, |
मंदिर सम्बंधित धर्म | हिन्दू धर्म |
मंदिर के प्रमुख पर्व | नवरात्री |
मंदिर की प्रमुखता | मंदिर के पास माता सती का त्रिनेत्र गिरा था। |
मंदिर की वास्तुकला | हेमापंथी, श्रीयंत्र |
मंदिर खुलने का समय | सुबह 4 बजे |
शर्कररे (करवीर) शक्ति पीठ मंदिर से जुड़े रहस्य | Mahalaxmi Kolhapur Mandir Mystery in Hindi
करवीर शक्ति पीठ महालक्ष्मी का एक विशेष मंदिर है, इसके साथ ही यहाँ पर त्रिशक्तियों का वास है। इस मंदिर के प्राचीन क्षेत्र का नाम करवीर था, लेकिन अब वर्तमान में इसे बदलकर कोल्हापुर रख दिया गया। सामान्य रूप से देशभर में 51 शक्ति पीठ मौजूद है जिनके बारे में अनेकों रहस्य बताए जाते हैं, इन्ही में से एक है शर्कररे (करवीर) शक्ति पीठ मंदिर (Mahalaxmi Kolhapur Mandir), जिसके बारे में अनेकों ऐसे रहस्य है, इस रहस्यों को जानने के बाद कोई भी इंसान आश्चर्यचकित रह जाता है। अगर आप भी धार्मिक मंदिरों से जुड़े रहस्यों के बारे में दिलचस्पी रखते हैं तो, आपको शर्कररे (करवीर) शक्ति पीठ मंदिर के रहस्यों के बारे में जरुर पढना चाहिए।
- एक प्राचीन मान्यता के अनुसार जब भगवान शिव माता सती के मृत शरीर को आकाश से ले जा रहे थे तब उनके त्रिनेत्र मंदिर के पास ही गिरे थे, जहां पर बाद में शर्कररे (करवीर) शक्ति पीठ मंदिर की स्थापना की गई।
- शर्कररे (करवीर) शक्ति पीठ मंदिर (Mahalaxmi Kolhapur Mandir) पांच नदियों के संगम पर स्थित है।
- शर्कररे (करवीर) शक्ति पीठ मंदिर (Mahalaxmi Kolhapur Mandir) में महालक्ष्मी के अलावा शिवलिंग, नंदी, वैंकटेश, गौरी शंकर, कात्यायनी आदि देवताओं को भी पूजा जाता है।
- शर्कररे (करवीर) शक्ति पीठ मंदिर (Mahalaxmi Kolhapur Mandir) में मुख्य प्रतिमा प्राचीन होने की वजह से उसकी संरचना पूर्ण रूप से छिप गई थी, जिसकी वजह से 1954 में कल्पोक्त विधि से मूर्ति का पुनः नवीनीकरण किया गया जिसके बाद मूर्ति की प्रतिमा में चार चाँद लग गए।
- एक कहावत के अनुसार मंदिर के एक गुप्त स्थान पर बेशकीमती खजाना रखा गया है, जिसका सत्यापन बाद में किया गया तो पता चला, यहाँ पर सोना, चांदी और हीरे के साथ अनेकों आभूषण मौजूद हैं जिनकी कीमत आज खरबों में हैं।
- शर्कररे (करवीर) शक्ति पीठ मंदिर (Mahalaxmi Kolhapur Mandir) के बाहर शिलालेखों का अंश मिला है, जिसको देखकर पता लगता है कि यह मंदिर 1800 साल पुराना है।
- शर्कररे (करवीर) शक्ति पीठ मदिर में मौजूद स्तंभों के बारे में एक रहस्मयी बात सामने निकल आई है, जिसके अनुसार आज तक मंदिर के कुल स्तंभ को कोई भी नहीं गिन पाया है, CCTV कैमरा से लेकर अनेकों इतिहासकारों ने इस स्तंभों का आकलन करना चाहा, लेकिन आज तक किसी के हाथ कामयाबी नहीं लगी।
- जो भक्त शर्कररे (करवीर) शक्ति पीठ मंदिर (Mahalaxmi Kolhapur Mandir) में दिवाली के दिन आकर अपनी मनोइच्छा जाहिर करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है।
- पौराणिक मान्यता के अनुसार माता लक्ष्मी भगवान विष्णु से रुष्ट होकर इसी मंदिर के भूस्थल पर आई थी।
- एक रहस्य के अनुसार, मंदिर में स्थापित मुख्य मूर्ति (लक्ष्मी मूर्ति) के ऊपर साल में एक बार सूर्य की सीधी किरणे पड़ती हैं। इस समय मूर्ति को देखकर ऐसा प्रतीत होता है जैसे मूर्ति प्रकाशमय होकर अपने प्रकाश से मंदिर के चारों तरफ शक्तियां बिखेर रही हो।
शर्कररे (करवीर) शक्ति पीठ मंदिर से जुडी अनोखी कहानी | Mahalaxmi Kolhapur Mandir Story in HIndi

भारत देवी देवताओं का एक प्रमुख स्थल है, मुख्यरूप से दक्षिण भारत में अनेकों देवी देवताओं के किस्से और कहानियाँ सुनने को मिलती है, उन्ही में से एक है शर्कररे (करवीर) शक्ति पीठ मंदिर (Mahalaxmi Kolhapur Mandir) जोकि धन की देवी महालक्ष्मी को समर्पित है। आज इस आर्टिकल के माध्यम से दो पौराणिक कहानियों के बारे में बात करेंगे, जिसमे कोल्हासुर राक्षस और महालक्ष्मी के बारे में बताया गया है।
पहली पौराणिक कहानी –
एक पौराणिक कहानी के अनुसार ब्रम्ह देव ने तमोगुण से तीन मानस पुत्र गय, लवण और कोल्ह की उत्त्पति की, जोकि तीनो ही काफी बलशाली थे। इनमे से सबसे बड़े पुत्र गय ने ब्रम्हा जी की आराधना कर उनसे एक वर मांगा, जिसके अनुसार वह अपने शरीर को देवपितरों से अधिक शुद्ध करना चाहता था। ब्रह्मा जी ने गय को तथास्तु बोलते हुए, उसकी इच्छानुसार वर दे दिया। लेकिन बाद में गय के शरीर को देवताओं ने यज्ञ के लिए मांग लिया।
दूसरी तरफ ब्रम्हा जी के अन्य पुत्र कोल्हासुर ने देवी-देवताओं को परेशान कर रखा था, वह अपनी विशाल शक्तियों का दुरूपयोग करता था और देवताओं द्वारा किए जाने वाले यज्ञ में विघ्न डालता था। सभी देवतागण परेशान होकर विष्णु जी के पास गए। तब विष्णु जी ने बतया इस राक्षस का वध एक स्त्री के हाथों से ही सभव है, जिसके परिणामस्वरूप माता लक्ष्मी द्वारा कोल्हासुर के वध का निर्णय लिया गया। इसके बाद महालक्ष्मी और कोल्हासुर के बीच भयंकर युद्ध हुआ। युद्ध में महालक्ष्मी ने कोल्हासुर का सिर धड़ से अलग कर दिया, और कोल्हासुर मारा गया। मरने से पहले कोल्हासुर राक्षस ने देवी से अंतिम इच्छा बताई, “जहाँ पर उसकी मृत्यु हुई है उसके स्थान का नामकरण उसके नाम पर ही किया जाए। इस तरह से मंदिर की जगह कोल्हापुर नाम प्रशिद्ध हो गई, और इस क्षेत्र में शर्कररे (करवीर) शक्ति पीठ मंदिर को पूजा जाने लगा।
दूसरी पौराणिक कहानी –
एक समय की बात है, सभी ऋषियों में से प्रमुख ऋषि भृगु जी भगवान विष्णु जी के पास भेट के लिए गए। जब ऋषि भृगु पाताल लोक पहुंचे तब भगवान विष्णु ध्यान में लीन थे। ऋषि भृगु के काफी देरी तक प्रतीक्षा करने के बाद भी भगवान विष्णु ने अपनी आँखे नहीं खोली, तब ऋषि भृगु विष्णु जी के इस व्यवहार से अत्यधिक क्रोधित हो उठे और अपनी शक्ति से विष्णु जी पर प्रहार करने लगे, इस प्रक्रिया पर विष्णु जी को कुछ भी नहीं हुआ लेकिन कुछ समय पश्चात, उनकी आँख खुली गई। इसके बाद भगवान ने ऋषि भृगु का स्वागत किया, लेकिन ऋषि भृगु अब भी भगवान क्रोधित थे।
वहीँ दूसरी तरफ माता लक्ष्मी यह नजारा देखकर रुष्ट हो गयीं, क्यूंकि भगवान विष्णु का इस तरह ऋषि भृगु का अपमान करना उन्हें अच्छा नहीं लगा। यह सब देखकर माता लक्ष्मी ने पाताललोक छोड़ने का निर्णय लिया और वह पृथ्वी लोक आ गयी, पृथ्वी लोक में वह जहाँ पर आकर बसी, उसी स्थान को आज शर्कररे (करवीर) शक्ति पीठ मंदिर के रूप में जाना जाता है।
शर्कररे (करवीर) शक्ति पीठ मंदिर की वास्तुकला
करवीर में स्तिथ महालक्ष्मी का यह मंदिर प्राचीन मंदिरों में से एक प्रमुख मंदिर है। इस मंदिर की वास्तुकला श्रीयंत्र पर आधारित है और मंदिर के निर्माण में मराठा शैली का उपयोग किया गया है। यह मंदिर पांच शिखर और तीन मंडपों द्वारा सुशोभित है। मंदिर के तीन मंडपों की श्रृंखला देखी जा सकती है, जिसमे गर्भगृह मंडप, मध्य मंडप, गरुण मंडप शामिल हैं। इन्ही में से मध्य मंडप में 16*128 साइज़ के विशाल स्तम्भ को देखा जा सकता है। मंदिर में सैकड़ों मूर्तियाँ स्थापित की गई है, जिनकों शिल्प आकृतियों के साथ शुशोभित किया गया है।
मंदिर की संरचना के बारे में बात की जाए तो यह मंदिर कोल्हापुर में पुराने राजमहल के पास खजानाघर के पास स्थित है, मंदिर के दर्शन हेतु आने वाले दार्शनिक इस मंदिर को “अम्बाजी मंदिर” के नाम से भी जानते हैं। मंदिर के ठीक मध्य परांगण में माता लक्ष्मी की सुन्दर मूर्ति को स्थापित किया गया है, माता लक्ष्मी की मूर्ति के हाथ में मातुलुंग, गदा, ढाल, पानपत्र, और माथे पर नाग लिंग योनी को चित्रण किया गया है। माता के पैरों के पास एक शेर की प्रतिमा को भी शिल्पित किया गया है। मंदिर के मुख्य भाग को नीले पत्थरों से निर्मित किया गया है, जोकि देखने में एक अद्भुत नज़ारे का प्रदर्शन करता है। मंदिर में अन्य देवताओं की मूर्ती है जिसकी मूर्तियों पे अद्भुत किस्म की नक्कासियाँ की गई हैं। मंदिर के विभिन्न हिस्सों में चार शिलालेख को नक्काशीदार स्वरूप में देखा जा सकता है। इस मंदिर में माता लक्ष्मी के अलावा शिवलिंग, राधा जी, राम जी, पंचगंगा, सती, तथा अन्य देवतों के लिए भी पूजा का आयोजन किया जाता है।
शर्कररे (करवीर) शक्ति पीठ मंदिर की कैसे पहुंचे | Visting Time Of Mahalaxmi Kolhapur Mandir

शर्कररे (करवीर) शक्ति पीठ मंदिर पहुँचने के लिए आप सड़क मार्ग, रेल मार्ग और एअरपोर्ट की मदद से मंदिर का सफ़र तय कर सकते हैं, इन तीनो मार्गों से मंदिर का सफ़र तय करने के लिए विवरण नीचे दिया गया है।
सड़क मार्ग से शर्कररे (करवीर) शक्ति पीठ मंदिर कैसे पहुंचे
अगर आप सड़क मार्ग की मदद से मंदिर तक का सफ़र तक करना चाहते हैं तब आपको अपने शहर से मुंबई जाने वाली बस की मदद लेनी पड़ेगी, बस की मदद से आपको राष्ट्रिय राजमार्ग 4 पर आना होगा, यहाँ से मंदिर तक की दुरी 230 किलोमीटर है। यहाँ से आप टेक्सी की मदद से मंदिर तक पहुँच सकते हैं। इसके अलवा आप खुद की ट्रेवल गाड़ियाँ भी बुक कर सकते हैं जिसकी मदद से आप डायरेक्ट मंदिर तक पहुँच पाएंगे।
रेल मार्ग से शर्कररे (करवीर) शक्ति पीठ मंदिर कैसे पहुंचे
अगर मंदिर तक जाने के लिए आपका बजट कम है, तब आपके लिए सबसे बेहतरीन सफ़र रेल का सफ़र होगा, क्यूंकि ट्रेन की मदद से सबसे कम किराया देकर आप मंदिर तक पहुँच सकते हैं। ट्रेन से मंदिर तक जाने के लिए सबसे पहले आपको कोल्हापुर रेलवे स्टेशन तक जाना होगा। हो सकता है आपको अपने शहर से डायरेक्ट यहाँ के लिए ट्रेन ना मिल पाए, इसी वजह से आप ट्रेन बदलकर इस रेलवे स्टेशन तक पहुँच सकते हैं। कोल्हापुर रेलवे स्टेशन पहुँचने के बाद, बाद आप ऑटो या टेक्सी की मदद से मंदिर तक आसानी से पहुँच सकते हैं। जानकारी के लिए बताना चाहेंगे रेलवे से मंदिर की दूरी लगभग 3 किलोमीटर है।
हवाई जहाज से शर्कररे (करवीर) शक्ति पीठ मंदिर कैसे पहुंचे
अगर आपके पास मंदिर के दर्शन करने हेतु अच्छा बजट है और आपके पास समय की कमी है तब हवाई जहाज का सफ़र आपके लिए काफी सुविधाजनक रहने वाला है। मंदिर तक जाने के लिए सबसे पहले आपको अपने शहर से पुणे इंटरनेशनल एअरपोर्ट की टिकट बुक करवानी होगी। हालाकिं मंदिर से नजदीकी एअरपोर्ट कोल्हापुर एअरपोर्ट है लेकिन हो सकता है कि यहाँ आपके शहर से डायरेक्ट कोई प्लेन ना मिल पाए, लेकिन अगर आप यहाँ पहुँच सकते हैं तो आपको मंदिर तक जाने में बहुत कम समय लगेगा। पुणे इंटरनेशनल एअरपोर्ट से मंदिर की दूरी 240 किलोमटर है, जिसकी वजह से आप एअरपोर्ट से मंदिर जाने के लिए बस या टेक्सी की मदद ले सकते हैं।
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शर्कररे (करवीर) शक्ति पीठ मंदिर का दर्शन समय
अगर आप कोल्हापुर के महालक्ष्मी मंदिर के दर्शन करना चाहते हैं तब आपको मंदिर में होनी वाली सभी पूजा आराधना के बारे में पता होना चाहिए, ताकि आप मंदिर में सही समय पर पहुँच सकें। मंदिर से जुडी समय सरणी का विवरण आप नीचे टेबल में देख सकते हैं।
आरती | समय |
सुबह की आरती | सुबह 5:30 बजे |
धूप आरती | सुबह 7 बजे |
शेज आरती | सुबह 7:30 बजे |
पंचामृत अभिषेक | सुबह 11:30 बजे |
अलंकार पूजा | दोपहर 1:30 बजे |
संध्या आरती | रात 8 बजे |
शयन आरती | रात 10:15 बजे |
FAQ
शर्कररे (करवीर) शक्ति पीठ मंदिर (Mahalaxmi Kolhapur) के पास माता सती का कौनसा अंग गिरा था?
त्रिनेत्र।
शर्कररे (करवीर) शक्ति पीठ मंदिर (Mahalaxmi Kolhapur) सुबह कितने बजे खुलता है?
सुबह 4 बजे।
शर्कररे (करवीर) शक्ति पीठ मंदिर (Mahalaxmi Kolhapur) से नजदीकी रेलवे स्टेशन कौन सा है?
कोल्हापुर रेलवे स्टेशन।
शर्कररे (करवीर) शक्ति पीठ मंदिर (Mahalaxmi Kolhapur) का दूसरा नाम क्या है?
कोल्हापुर महालक्ष्मी मंदिर
क्या करवीर और कोल्हापुर अलग अलग जगह है?
जी नहीं, कोल्हापुर का पुराना नाम ही करवीर था।
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