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रंगनाथस्वामी मंदिर का इतिहास और अनोखी कहानी | Ranganathaswamy Temple

रंगनाथस्वामी मंदिर (Ranganathaswamy Temple):हिन्दू धर्म में प्रशिद्ध अनेकों बड़े मंदिरों में से एक है रंगनाथस्वामी मंदिर (Ranganathaswamy Temple), यह मंदिर भगवान विष्णु के अवतार रंगनाथस्वामी जी को समर्पित है।यह दक्षिण भारत के तमिलनाडु राज्य का सबसे मशहूर मंदिर है। मंदिर में मौजूद शिलालेखों से अंदाजा लगाया जाता है की यह मंदिर लगभग 30 लाख साल पुराना है। मंदिर का विस्तारण लगभग 63 हेक्टेयर छेत्रफल में हुआ है, इसी कारण से इसे भारत का दूसरा सबसे बड़े मंदिर का दर्जा दिया जाता है। यह मंदिर भारत में मौजूद 108 विष्णु मंदिरों में एक है। यह मंदिर दो नदियों कावेरी और कोलीडम के मध्य में स्थित है। मंदिर में आने वाले दार्शनिकों द्वारा बताया जाता है कि यहाँ पर मंदिर से जुड़े पर्व को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है, मंदिर में प्रत्येक वर्ष ज्यादातर समय विभिन्न पर्वों के लिए समारोह का आयोजन किया जाता है, जिनमे से वैकुंठ एकादशी महोत्सव एक है। अगर आप इस मंदिर के बारे में विभिन्न बातो को और मंदिर से जुडी कहानियों जानना चाहते हैं तो इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें।

श्री रंगनाथस्वामी मंदिर कहां है | Where is Ranganathaswamy Temple

रंगनाथस्वामी मंदिर तमिलनाडु राज्य में स्थित है। अगर आप मंदिर दर्शन के इच्छुक है तब आपको तमिलनाडु राज्य में तिरुचिरापल्ली के श्रीरंगम छेत्र में आना होगा, यहाँ मंदिर के भव्य दर्शन प्राप्त किए जा सकते हैं।जैसाकि आपको बताया गया कि यह मंदिर श्रीरंगम छेत्र में स्तिथ है, इसी वजह से रंगनाथस्वामी मंदिर को श्रीरंगम मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर एक छोटे द्वीप से घिरा हुआ है जोकि कावेरी और कोलीडम नदी के समीप है।

रंगनाथस्वामी मंदिर का इतिहास | Ranganathaswamy Temple History

रंगनाथस्वामी मंदिर के इतिहास की बात करें तो यह काफी प्राचीन है। रंगनाथ स्वामी मंदिर का निर्माण 817 ई. में हंबी नामक एक नृतकी ने किया था। इसके बाद सन 894 ई. में राजा थिरुमलायरा ने इसका पुनर्निर्माण करवाया था।

इतिहासकार के अनुसार 1117 ई में श्री रामानुजाचार्य जी इस मंदिर में आए थे। उस समय शास्त्रार्थ का प्रचलन था जिसके कारण उनकी और जैन शासक बिट्टदेव से बहस हुई थी। इस बहस के उपरांत श्री रामानुजाचार्य जी की जीत हुई थी, जिसके परिणामस्वरूप बिट्टदेव का नाम बदलकर विष्णुवर्धन रख दिया गया था, क्यूंकि श्री रामानुजाचार्य के मत अनुसार उन्होंने वैष्णव को स्वीकार किया गया था।

राजा विष्णुवर्धन ने श्री रामानुजाचार्य को प्रसन्नता मन से आठ गांव और ढेर सारा धन प्रदान किया था क्यूंकि वह रामानुजाचार्य के ज्ञान से अत्यधिक प्रसन्न थे।

16वीं शताब्दी के बाद जिस स्थान पर रंगनाथस्वामी की मूर्ति स्थापित की गई थी वह स्थान बाद में जंगल का रूप धारण कर चुका था।

एक बार चोल वंश के राजा जब जंगल में तोते का शिकार कर रहे थे, तभी अचानक उनकी नजर रंगनाथस्वामी मूर्ति पर पड़ी। मूर्ति प्राप्त करने के बाद उन्होंने इस स्थान पर रंगनाथस्वामी मंदिर (Ranganathaswamy Temple) का निर्माण करवाया था। इसके बाद मंदिर को किसी प्रकार का नुकसान नहीं पहुंचा और वर्तमान में होने वाले सभी शासको ने मंदिर का जीर्णोद्वार करवाया दिया, आज रंगनाथस्वामी मंदिर को अदभुत वास्तुकला के साथ देखा जा सकता है।

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रंगनाथस्वामी मंदिर की महत्वपूर्ण बातें | Ranganathaswamy Temple Importance

मंदिर का नामश्री रंगनाथस्वामी मंदिर (Ranganathaswamy Temple)
प्रमुख देवताभगवान रंगनाथस्वामी (विष्णु)
जगह का नामतिरुचिरापल्ली, श्रीरंगम (तमिलनाडु)
रंगनाथस्वामी मंदिर (Ranganathaswamy Temple) के नजदीक रेलवे स्टेशनश्रीरंगम रलवे स्टेशन
रंगनाथस्वामी मंदिर (Ranganathaswamy Temple) के नजदीक एअरपोर्टतिरुचिरापल्ली इंटरनेशनल एअरपोर्ट
रंगनाथस्वामी मंदिर (Ranganathaswamy Temple) के प्रमुख त्यौहारवैकुंठ एकादशी महोत्सव, ब्रम्होत्सव, स्वर्ण आभूषण उत्सव
रंगनाथस्वामी मंदिर (Ranganathaswamy Temple) की वस्तुकलाद्रविड़ वास्तुकला
रंगनाथस्वामी मंदिर (Ranganathaswamy Temple) खुलने का समय5:30 सुबह
रंगनाथस्वामी मंदिर (Ranganathaswamy Temple) सम्बंधित धर्महिन्दू
शिलालेखों की कुल संख्या600 से अधिक

रंगनाथस्वामी मंदिर के आश्चर्यजनक तथ्य | Ranganathaswamy Temple Facts

तमिलनाडु राज्य में स्थित यह मंदिर अपनी अनेकों ख़ास बातों से मशहूर है। इस मंदिर की भूमि पर भगवान राम ने रंगनाथस्वामी अथार्त भगवान विष्णु का रूप धारण किया था। इसी तरह मंदिर के अनेकों वास्तविक तथ्य मौजूद हैं जिन्हें शायद आप ना जानते हो, इन्ही तथ्यों के बारे में आगे चर्चा करने वालें हैं।

  • रंगनाथ स्वामी मंदिर को अनेकों नाम से जाना जाता है जिसमें श्रीरंग मंदिर, तुरुवंगम तिरुपति, पेरियाकोइल, भूलोक वैकुंठ, आदि नाम शामिल हैं।
  • इस मंदिर के परिसर का छेत्रफल लगभग 631000 वर्ग मीटर है, और परिधि 4116 मीटर है। मंदिर का मुख्य द्वार 72 मीटर ऊंचा है, इस द्वार को राजगोपुरम के नाम से भी जाना जाता है।
  • मंदिर में मौजूद शिलालेख पर चोल, पांडय, होयसाल और विजयनगर राजवंशों के छाप देखे जा सकते हैं।
  • रंगनाथस्वामी मंदिर में दिसंबर और जनवरी के मध्य 21 दिनों का त्योहार आयोजित किया जाता है, जिसमे आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या 10 लाख से भी अधिक होती है।
  • मंदिर में 1000 स्तंभों की श्रृंखला को देखा जा सकता है, जिसके साथ जंगली घोड़ों और बागों की मूर्तियों की चित्रकारी की गई है।
  • मंदिर में स्थापित वर्तमान देवता की मूर्ति को स्टूको की मदद से बनया गया है।
  • इस मंदिर में हिंदू धर्म और तमिलनाडु सरकार द्वारा दिए गए आदेशों का पालन किया जाता है। इसके साथ ही मंदिर में आने वाले 200 भक्तों को हर दिन भोजन करवाया जाता है।
  • मंदिर में विशाल 2 टैंक हैं जिसकी संरचना के हिसाब से सभी जल एक जगह एकत्रित होते है, और इस एकत्रित जल में मछली पालन किया जाता है।
  • मंदिर में एक प्रकार की लकड़ी की मूर्ति स्थापित की गई है, जिसमे भगवान विष्णु का चित्रण किया है, इस मूर्ति की संरचना एक ऐतिहासिक हाथी के समान देखी जा सकती है, जोकि दुनिया से 150 लाख साल पर ही विलुप्त हो चुके हैं।
  • एक मान्यता के अनुसार कर्नाटक युद्ध के दौरान मंदिर में स्थित प्रमुख मूर्ति में मौजूद आंख के हीरे को चोरी कर लिया गया था।

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रंगनाथस्वामी मंदिर से जुडी अनोखी कहानी | Ranganathaswamy Temple Story In Hindi

रंगनाथस्वामी मंदिर दक्षिण भारत का एक प्रमुख धार्मिक स्थल है, जिसके पीछे अनेकों कथाओं का जिक्र किया जाता है, लेकिन उनमे से कुछ कहानियां आज भी प्रचलित है। इस आर्टिकल के माध्यम से आगे हम इसी कहानी को विस्तार से जानेंगे और रंगनाथस्वामी मंदिर की पूरी कहानी को पढेंगे। चलिए इस कहानी के बारे में जानते हैं।

हिन्दू मान्यता के अनुसार श्री रंगनाथस्वामी भगवान विष्णु का दूसरा अवतार थे।

एक बार की बात है वैदिक काल में कावेरी नदी के पास गौतम ऋषि का आश्रम हुआ करता था। प्राचीन समय के दौर में अन्य क्षेत्रों में पानी की अत्यधिक कमी हुआ थी।

एक बार अन्य आश्रम के ऋषि पानी की तलाश में गौतम ऋषि के आश्रम जा पहुंचे। गौतम ऋषि ने अन्य ऋषियों को वहां पर देखकर उनका सआदरपूर्ण स्वागत किया और उनकों भोजन करवाया। गौतम ऋषि के आश्रम और उनके सुखी जीवन को देखकर अन्य ऋषियों के मन में गौतम ऋषि के प्रति ईष्या का भाव जागृत हो गया। जिस कारण सभी ऋषियों ने मिलकर गौतम ऋषि पर प्राचीन समय के अनुसार गौ ह्त्या का झूठा आरोप लगा दिया, परिणामस्वरूप सभी ऋषियों ने गौतम ऋषि को आश्रम से बहिष्कृत कर दिया और खुद उनके आश्रम सहित पूरी उपजाऊ जमीन पर रहने लगे।

इसके बाद गौतम ऋषि, चिंतित होकर वहां से बहुत दूर चले गए और एक जगह पर ठहर कर भगवान विष्णु की तपस्या में लीन हो गए। गौतम ऋषि ने लम्बे समय तक भगवान विष्णु की कठोर तपस्या की। उनकी कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु स्वयं उनके सामने प्रकट हो गए और आशीर्वाद दिया।

कहा जाता है कि उस समय भगवान विष्णु ने रंगनाथस्वामी के रूप में गौतम ऋषि को दर्शन दिए थे, जिसके बाद गौतम ऋषि ने ब्रम्हदेव की कृपा से, भगवान विष्णु दर्शन स्थल पर, रंगनाथस्वामी मंदिर (Ranganathaswamy Temple) की स्थापना करवाई थी।।

रामायण काल के अनुसार –

रामायण के अनुसार भगवान राम ने रावण को परास्त करके, लंका पर विजय प्राप्त की थी। तब भगवान राम विभीषण के साथ रंगनाथस्वामी मंदिर (Ranganathaswamy Temple) आए थे, उन्होंने कुछ समय तक वहां पर रहने का विचार व्यक्त किया था। इस दौरान विभीषण ने भगवान राम की अपार सेवा की थी, जिसकी वजह से भगवान राम विभीषण से अत्यधिक प्रसन्न हुए थे और इसी जगह पर उन्होंने विभीषण को रंगनाथस्वामी के रूप में दर्शन दिए थे। इस तरह विभीषण ने भगवान विष्णु के रंगनाथस्वामी रूप का दर्शन प्राप्त किया था।

इसी कारण से यहाँ पर रंगनाथस्वामी मंदिर (Ranganathaswamy Temple) की स्थापन की गई।

रंगनाथस्वामी मंदिर के प्रशिद्ध त्यौहार | Ranganathaswamy Temple Festival

रंगनाथस्वामी मंदिर हिन्दू धर्म का प्रमुख धार्मिक स्थल है, यहाँ पर त्यौहार और पूजा को लेकर काफी प्रचलन है, यही कारण है कि मंदिर में पुरे साल ही त्यौहार माने जाता है। इस आर्टिकल में मंदिर में मनाए जाने वाले त्यौहार के बारे में विस्तार से जानेंगे।

वैकुंठ एकादशी महोत्सव

रंगनाथस्वामी मंदिर में हर साल दिसम्बर और जनवरी के मध्यकाल में 21 दिनों का पर्व आयोजित किया जाता है, इस दौरान मूर्तियों को चमकीले आभूषणों के साथ सजाया जाता है।वर्ष के इन्ही महीने में पागल पाथु और रा पाथु नाम का त्योहार मनाया जाता है, जोकि 10, 10 दिन का होता है, इन्ही में से रा पाथु त्यौहार के दौरान वैकुंठ एकादशी मनाया जाता है। एक मान्यता के अनुसार वैकुंठ एकादशी वाले दिन यहाँ पर स्वर्ग का द्वार खुलता है, इस दिन मंदिर के दर्शन करने वाले भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

ब्रम्होत्सव

रंगनाथस्वामी मंदिर में ब्रम्होत्सव का आयोजन मार्च और अप्रैल महीने में किया जाता है। शाम के पहर में मंदिर के पास चित्राई रोड पर विशेष कार्यक्रम किया जाता है। इस विशेष उत्सव पर प्रमुख देवताओं की मूर्तियों को बगीचे में लाई जाती हैं। इसके बाद मूर्ति को बगीचे के रास्ते कावेरी नदी से होकर जियापुरम ले जाते हैं।

स्वर्ण आभूषण महाउत्सव

स्वर्ण आभूषण उत्सव जून और जुलाई के महीने में मनाया जाता है। इस त्यौहार के दौरान पानी से भरे सोने और चांदी के बर्तन में देवताओं की मूर्तियों को स्नान करवाया जाता है। इस उत्सव को ज्येष्ठाभिषेक के नाम से जाना जाता है।

रंगनाथस्वामी मंदिर से जुड़े कुछ अन्य त्यौहार

मंदिर के अन्य त्योहारों में से एक है रथोउत्सव, इस त्यौहार के दौरान मंदिर की मुख्य मूर्ति को रथ पर रखकर मंदिर के चारो तरफ घुमाया जाता है। इस कार्यक्रम को जनवरी और फ़रवरी के महीने में आयोजित किया जाता है।

अन्य त्यौहार में रंग जयंती का त्यौहार काफी प्रचलित है, जिसे शुल्क पक्ष की सप्तमी के दिन मनाया जाता है, यह त्यौहार लगातार 8 दिनों तक चलता है। इस त्यौहार के दौरान जो व्यक्ति कावेरी नदी के दर्शन करता है, उसे अष्ट तीर्थ यात्रा करने का सौभग्य प्राप्त होता है।

रंगनाथस्वामी मंदिर दर्शन समय | Ranganathaswamy Temple Darshan Time

जो भक्त रंगनाथस्वामी मंदिर के दर्शन को जाना चाहते हैं, उन्हें मंदिर से जुड़े दर्शन समय का पता जरुर होना चाहिए। रंगनाथस्वामी मंदिर सुबह के 5:30 बजे खुल जाता है और रात के 9 बजे तक बंद कर दिया जाता है, इस दौरान मंदिर में अनेकों पूजाओं का आयोजन किया जाता है जिनका टाइम निर्धारित किया गया है।

रंगनाथस्वामी मंदिर से जुडी पूजा और दर्शन का समय –

पूजा का प्रकार / दर्शनगर्मी में समयसर्दी में समय
सुबह दर्शन का समय5:30 -11:00 सुबह5:30 -12:00 सुबह
दोपहर दर्शन समय4 बजे दोपहर से रात 9 बजे तक3 बजे दोपहर से रात 9 बजे तक
मंगला आरती5 बजे शाम5 बजे शाम
दिव्य आराध्य6:30 -7:30 सुबह6:30 -7:30 सुबह
सुबह की धुप पूजा8 – 9 सुबह8 – 9 सुबह
शाम की आरती6:00 -6:30 शाम6:00 -6:30 शाम
शाम का भोग7:00 -7:30 शाम7:00 -7:30 शाम
शाम की आराध्य7:30 शाम7:30 शाम
बलि प्रदानम आरती8:30 -9:00 रात8:30 -9:00 रात

FAQ

रंगनाथस्वामी मंदिर (Ranganathaswamy Temple) में किस देवता को पूजा जाता है?
रंगनाथस्वामी मंदिर में भगवान विष्णु के अवतार की पूजा की जाती है।

रंगनाथस्वामी मंदिर (Ranganathaswamy Temple) का कुल छेत्रफल कितना है?
रंगनाथस्वामी मंदिर 156 एकड़ में विस्तृत है।

रंगनाथस्वामी मंदिर (Ranganathaswamy Temple) जाने पर कौन सी वस्तुएं खरीदनी चाहिए?
पत्थर के लैम्प, पीतल से बनी मूर्तियाँ और पीतल के पासे जैसी चीजे खरीदी जा सकती हैं।

रंगनाथस्वामी मंदिर (Ranganathaswamy Temple) के पास कौनसी नदिया स्तिथ हैं?
मंदिर के पास कावेरी और कोलीडम नाधियाँ स्थित हैं।

रंगनाथस्वामी मंदिर (Ranganathaswamy Temple) का प्रथम निर्माण कब हुआ था?
प्राचीन काल वर्ष 817 ई में मंदिर का पहली बार निर्माण किया गया था।

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