महामाया शक्ति पीठ मंदिर (Mahamaya Shakti Peeth) जम्मू कश्मीर के अमरनाथ पर्वत पर स्थित 51 शक्ति पीठ में से एक है। हिन्दू धर्म में इसे पवित्र स्थान का दर्जा दिया जाता है। इतिहासकरों के अनुसार यह शक्ति पीठ 5000 वर्ष पुराना है, इसके साथ ही यहाँ की जलवायु काफी ठंडी हैं, इसके बावजूद भी प्रत्येक वर्ष यहाँ पर भरी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। पौराणिक कथा के अनुसार माता सती का कंठ इस स्थान पर गिरा था, जिसे बाद में शक्ति पीठ की संज्ञा दी गई। एक अन्य कथा में भगवान शिव, पार्वती और एक कबूतर जोड़ों का सुन्दर वर्णन किया गया है, जिसके बारे में आप आगे पढेंगे और इसके साथ ही आप मंदिर से जुड़े अनसुने रहस्यों को आर्टिकल में पढेंगे।
महामाया शक्ति पीठ मंदिर की वास्तुकला | Mahamaya Shakti Peeth Architecture

महामाया शक्ति पीठ मंदिर (Mahamaya Shakti Peeth) की स्थापना मानव निर्मित नहीं है, बल्कि इस शक्ति पीठ की स्थापना प्राकृतिक रूप से हुई है। इस शक्ति पीठ में एक विशेष हिम शिवलिंग बनता है, जिसे महामाया शक्ति पीठ के रूप में जाना जाता है। यह शक्ति पीठ पूरी तरह से गुफा से घिरा हुआ है। गुफा में माता सती के साथ शिव, और गणेश जी का शिवलिंग बर्फ के रूप में देखा जा सकता है। मंदिर के मुख्य द्वार अथार्त मंदिर की गुफा तक पहुँचने के लिए प्राचीन सीढियों की चढ़ाई करनी पड़ती है। यह गुफा समुद्र तल से 12730 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। इस गुफा में किसी प्रकार का गेट नहीं है, इसी वजह से महामाया शक्ति पीठ के दर्शन बाहर से ही किए जा सकते हैं।
गुफा की छत से ठंडे पानी की बूँदें टपकती रहती है, जिससे बर्फ रूपी शिवलिंग की उत्त्पति होती है। यह प्रक्रिया प्रत्येक वर्ष एक समान चलती रहती है, एक समय अवधि के दौरान जब शिवलिंग अपने पूर्ण आकर में निर्मित हो जाती है, तब इस गुफा में दर्शन के आज्ञा दी जाता है और इसी समय भक्तों की भारी भीड़, महामाया शक्ति पीठ मंदिर (Mahamaya Shakti Peeth) के दर्शन हेतु एकत्रित होती है।
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महामाया शक्ति पीठ मंदिर की महत्वपूर्ण बातें
मंदिर का नाम | महामाया शक्ति पीठ मंदिर |
प्रमुख देवता | देवी सती |
मंदिर निर्माण शैली | प्राकृतिक रूप से निर्मित |
मंदिर से जुड़े पर्व | श्रावणी मेला, नवरात्री, शिवरात्रि |
मंदिर की भाषा | हिंदी, पहाड़ी स्थानीय भाषा |
मंदिर का निर्माण काल | 5000 वर्ष पूर्व |
समुद्र तल से ऊंचाई | 12730 फीट |
मंदिर दर्शन वार्षिक अवधि | जुलाई और अगस्त (प्रत्येक वर्ष) |
मंदिर दर्शन का समय | सुबह 6 – शाम 6 तक |
मंदिर की प्रमुख बात | माता सती का कंठ यहाँ गिरा था। |
महामाया शक्ति पीठ मंदिर का रहस्य | Mahamaya Shakti Peeth Facts In Hindi

जब बात आती है आस्था की, तब वहां पर कठिन से कठिन रास्ता भी आसान बन जाता है, कुछ इसी तरह के रास्ते अमरनाथ यात्रा के दौरान पड़ते हैं, इसी अमरनाथ की गुफाओं में ही महामाया शक्ति पीठ स्थापित है। महामाया शक्ति पीठ (Mahamaya Shakti Peeth) अपने अदभुत चमत्कारों के लिए प्रसिद्ध है। क्या आप इस शक्ति पीठ के रहस्यों से परिचित हैं? अगर नहीं तो, आज आप इस आर्टिकल के माध्यम से उन सभी रहस्यों को जानेंगे।
- महामाया शक्ति पीठ की उत्त्पति माता सती के कंठ से हुई है।
- एक प्राचीन मान्यता के अनुसार महामाया शक्ति पीठ (Mahamaya Shakti Peeth) की स्थापना 5000 वर्ष पूर्व हुई थी।
- अमरनाथ में स्थित इस महामाया शक्ति पीठ (Mahamaya Shakti Peeth) को बर्फ के शिवलिंग के रूप में देखा जाता है। एक विशेष समय अवधि के दौरान महामाया शक्ति पीठ बर्फ के रूप में पूर्ण आकार लेती है। उस समय शक्ति पीठ के रूप में महामाया देवी के दर्शन करना, अत्यंत शुभ माना जाता है।
- प्राचीन महामाया शक्ति पीठ, दर्शनकर्ताओं का मानना है कि इस शक्तिपीठ के ऊपर एक कुंड स्थापित है, जिसे रामकुंड के नाम से जाना जाता है। इसी कुंड के द्वारा प्राकृतिक रूप से महामाया शक्ति पीठ का जल अभिषेक किया जाता है।
- महामाया शक्ति पीठ के रहस्मई तथ्य के अनुसार, अमरनाथ की गुफा में ही शिवलिंग के रूप में शक्ति पीठ को देखा जा सकता है, इसके अलावा क्षेत्र के चारों दिशाओं में ऐसी बर्फ रूपी शिवलिंग की संरचना कहीं नहीं मिलती है।
- महामाया शक्ति पीठ (Mahamaya Shakti Peeth) अमरनाथ की एक गुफा में स्थित है जिसकी लम्बाई 60 फिट, चौड़ाई 30 फीट और ऊंचाई 15 फीट है।
- महामाया शक्ति पीठ (Mahamaya Shakti Peeth) के पास ही भगवान शिव, भैरो देव, और गणेश जी की प्रतिमा को स्थापित किया गया है।
- एक पौराणिक कथा के अनुसार भगवान शिव ने अमरनाथ की इसी गुफा में माता पार्वती को एक अमर कथा सुनाई थी, जहाँ पर आज बाबा बर्फानी के रूप में बर्फरूप शिवलिंग देखा जा सकता है। इसके साथ ही श्रावण मास की पूर्णिमा को यह शिवलिंग अपने पूर्ण रूप में स्थापित हो जाता है।
- एक कहावत के अनुसार भगवान शिव जब माता पार्वती को अमर कथा सुना रहे थे, तब उसी जगह पर उपस्थित कबूतरों के जोड़े ने इस पूर्ण कथा को सुन लिया था, इसी वजह से वह कबूतर हमेशा के लिए अमर हो गए, और इन्ही कबूतरों को भगवान शिव और माता पार्वती के स्वरूप की मान्यता दी गई।
- एक पौराणिक मान्यता के अनुसार जब भगवान शिव और माता पार्वती इस गुफा में प्रस्थान करने वाले थे तब उन्होंने नंदी जी, शीश जटा चन्द्र, गंगा जी, और नाग को गुफा से कुछ दूरी पर ही छोड़ दिया था। इस तरह जहाँ पर उन्होंने इन सभी लोगों को छोड़ा, उस जगह पर विशेष स्थान स्थापित किए गए जिसमे, पहलगाम, चन्दनवाड़ी, पंचतरणी और शेषनाग शामिल हैं।
महामाया शक्ति पीठ मंदिर से जुडी कहानी | Mahamaya Shakti Peeth Story In Hindi

महामाया शक्ति पीठ मंदिर हिन्दू धार्मिक स्थलों में से एक है, जिसके बारे में कम लोग ही जानते हैं। लेकिन जो लोग जानते हैं वह इसके पीछे की एक अनोखी काहानी का बखान करते हैं। क्या आप भी इस कहानी के बारे में जानते हैं? अगर आप इस कहानी से अपरिचित हैं तो आपको निराश होने की बिल्कुल भी जरुरत नहीं है क्यूंकि आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से महामाया शक्ति पीठ मंदिर (Mahamaya Shakti Peeth) से जुडी एक अनोखी कहानी के बारे में बताने वाले हैं जिसमें माता पार्वती और शिव जी के साथ कबूतर के जोड़ों का सुन्दर वर्णन किया गया है। चलिए इस कहानी को विस्तार से जानते हैं।
एक पौराणिक कहानी के अनुसार –
देव काल में एक बार भगवान शिव और माता पार्वती कैलाश पर्वत पर विश्राम कर रहे थे। भगवान शिव ध्यान में लीन थे और माता पार्वती जागृत अवस्था में शिव जी को निहार रही थीं। तभी अचानक से उनकी नजर शिव जी के गले में टंगी मुंड मालाओं पर पड़ती है। पार्वती जी यह देखकर शंकित हो जाती है और मन में सोचने लगती है आखिर उनके पतिदेव अपने गले में मुंड मालाएं क्यूँ पहनते हैं?
अपने विचलित मन में सवाल लेकर पार्वती जी, शिव जी को ध्यान से जागने का आग्रह करती हैं। जब शिव जी अपने ध्यान से बाहर आते हैं तब माता पार्वती अपने सवाल भगवान शिव से पूछती हैं। तब भगवान शिव मुस्कुराकर कहते हैं-
“हे देवी,
जीवन और मरण काल में जब भी आपका जन्म हुआ, मैंने आपके जन्म के शुभ अवसर पर इस माला में प्रत्येक मुंड को ग्रहण किया है। एक अन्य कारण यह है कि इस मुंड माला के पीछे मेरी अमरता का रहस्य छुपा है।”
यह सुनकर पार्वती जी ने शिव जी से कहा –
“हे प्रभु मेरे मन में आपकी अमरता को जानने की जिज्ञासाए उठ रही है, क्या आप मुझे इस अमरता के पीछे रहस्य के बारे में बता सकते हैं?
तब शिव जी ने माता पार्वती से कहा
“हे देवी, यह एक लम्बी कथा है, जिसे कहने में लम्बा समय लगेगा और इस कथा को एकांत में ही सुना जा सकता है। इसलिए मै इस कथा का विवरण आपसे किसी एकांत स्थान पर ही करूँगा।”
ऐसा कहकर भगवान शिव और माता पार्वती किसी एकांत स्थान की तलाश करने लगते हैं। आखिर में उन्हें एक गुफा मिलती है जहाँ पर एकांत और शांत वातावरण था। इस गुफा में प्रवेश करने से पहले वह अकेले नहीं थे, बल्कि उनके साथ गंगा, नाग, चन्द्र और नंदी मौजूद थे। उन्होंने इन सभी लोगों को एक विशेष स्थान पर रोक दिया और खुद माता पार्वती के साथ गुफा में चले गए।
गुफा के अन्दर पहुंचकर शिव जी माता पार्वती को अमरता की कथा सुनाने लगे, कथा सुनते सुनते माता पार्वती को नीद आ गई, लेकिन अभी भी शिव जी कथा का विवरण प्रस्तुत कर रहे थे। माता के सोने के बाद वहीँ पर मौजूद एक कबूतर का जोड़ा कथा को सुन रहा था और शिव जी की कथा के साथ हुंकार भर रहा था। जब कथा पूर्ण हुई तो भगवान शिव ने देखा पार्वती जी सो चुकी हैं। लेकिन शिव जी इस बात को लेकर क्रोधित हो गए कि अगर देवी सो रही है तो कौन दुष्ट था जो देवी की जगह कथा सुनने का हुंकार भर रहा था। शिव जी ने अपनी दिव्य दृष्टि से देखा तो उनको एक कबूतर का जोड़ा नजर आता है। उनकी दुष्टता की वजह से शिव जी अधिक क्रोधित हो चुके थे, इसी कारण से उन्होंने कबूतर का वध करने की ठानी और अपने त्रिशूल से उनपर वार करने के लिए आगे बढे।
यह देखकर कबूतर के जोड़े ने कहा हे प्रभु अगर आपने हमें मार दिया तो, आपकी पूर्ण कथा झूठी साबित हो जाएगी। क्यूंकि आपकी पूरी अमर कथा हम सुन चुके हैं और आपके वार से हम जीवित नहीं रहे तो आपकी कथा व्यर्थ मानी जाएगी।
कबूतर की यह बात सुनकर भगवान शिव कबूतर के जोड़ों से प्रसन्न हुए और उन्हें अमरता के साथ आशीर्वाद दिया। इस दैविक घटना के बाद, इस जगह पर महामाया शक्ति पीठ (Mahamaya Shakti Peeth) की स्थापना हो गई।
महामाया शक्ति पीठ मंदिर कैसे पहुँचें | How To Reach Mahamaya Shakti Peeth

महामाया शक्ति पीठ (Mahamaya Shakti Peeth)कश्मीर के श्रीनगर से 141 किलोमीटर 12700 फीट की ऊंचाई पर स्तिथ है। महामाया शक्ति पीठ की गुफा तक पहुँचने के लिए मुख्य रूप से दो रास्ते देखे जा सकते हैं। पहला रास्ता जो बालटाल से होते हुए जाता है जोकि चलने के लिहाज से काफी कठिन रास्ता है, वहीँ दूसरे रास्ते की बात करें तो यह पहलगाम से शुरू होता है और चंदनवाड़ी, पंचतरणी के साथ शेषनाग से होते हए मंदिर की गुफा तक पहुँचता है। मुख्य रूप से भक्तगण मंदिर के दर्शन करने के लिए इसी रास्ते की मदद लेते हैं। इसेक अलावा आप सड़क मार्ग, रेल, और हवाई जहाज की मदद से आसानी से मंदिर के दर्शन कर सकते हैं, चलिए इन रास्तों को विस्तार से जानते हैं।
सड़क मार्ग से महामाया शक्ति पीठ मंदिर कैसे पहुंचे
अगर आप महामाया शक्ति पीठ मंदिर के दर्शन करना चाहते हैं और आप अपने शहर से सड़क मार्ग द्वारा मंदिर जाने की सोच रहें है तब आपको अपने शहर से बस की मदद से जम्मू कश्मीर के श्रीनगर पहुंचना होगा। श्रीनगर पहुंचने के बाद आप यहाँ से बस या टेक्सी की मदद से पहलगाम तक आ सकते हैं। इसके बाद यहाँ से मंदिर की गुफा तक पहुंचा जा सकता है।
ट्रेन से महामाया शक्ति पीठ मंदिर कैसे पहुंचे
ट्रेन से मंदिर जाने के लिए सबसे सस्ता सफ़र ट्रेन का मान जाता है। अगर आप भी महामाया शक्ति पीठ मंदिर के लिए ट्रेन से रवाना होना चाहते हैं तो सबसे पहले आपको अपने शहर से जम्मू तवी रेलवे स्टेशन तक पहुंचना होगा जोकि जम्मू कश्मीर का प्रसिद्ध रेलवे स्टेशन है। इस रेलवे स्टेशन पर देश के प्रमुख शहरों से ट्रेन आती जाती रहती है। जम्मू तवी रेलवे स्टेशन पहुँचने के बाद आप ऑटो टेक्सी की मदद से पहलगाम जा सकते हैं, और यहाँ से आसानी से मंदिर तक पहुंचा जा सकता है।
हवाई जहाज से महामाया शक्ति पीठ मंदिर कैसे पहुंचे
हवाई जहाज से मंदिर का सफ़र काफी कम समय में तय किया जा सकता है। अगर आप महामाया शक्ति पीठ मंदिर जाने के लिए हवाई जहाज का उपयोग करना चाहते हैं तब आपको अपने शहर से श्रीनगर एअरपोर्ट की फ्लाइट टिकट बुक करनी पड़ेगी। एअरपोर्ट पहुचने के बाद आप ऑटो और टेक्सी की मदद से पहलगाम पहुँच सकते हैं फिर वहां से पैदल मंदिर पहुंचा जा सकता है। इसके साथ ही मंदिर से नजदीक पंचतरणी तक के लिए हेलीकॉप्टर की सेवा उपलब्ध है, इस तरह सी आप हेलीकॉप्टर की मदद से पंचतरणी और फिर वहां से मंदिर पहुँच सकते हैं।
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महामाया शक्ति पीठ का मंदिर की पूजा और दर्शन टाइम | Visiting Time Of Mahamaya Shakti Peeth
जो भक्तगण महामाया शक्ति पीठ मंदिर (Mahamaya Shakti Peeth) के दर्शन के बारे में सोच रहे हैं। उन्हें मंदिर से जुड़ी पूजा और दर्शन के महत्वपूर्ण समय के बारे में जरुर जान लेना चाहिए, ताकि मंदिर ट्रेवल के दौरान किसी दिक्कतों का सामना ना करना पड़े। महामाया शक्ति पीठ मंदिर (Mahamaya Shakti Peeth) से जुड़ी पहली पूजा का आरम्भ उस दिन से होता है जब अमरनाथ यात्रा की घोषणा की जाती है। इस दिन गुफा में विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है। इस पूजा के दौरान, भूमि पूजा, नवग्रह पूजा, छड़ी पूजा और आखिर में मंदिर में प्रस्थान या दर्शन की अनुमति दे दी जाती है।
मंदिर से जुडी एक अन्य पूजा के अनुसार, छड़ी मुबारक विशेष अनुष्टान का आयोजन किया जाता है। इस पूजा के दौरान एक पवित्र गदा को अमरनाथ की तीर्थ यात्रा में निकला जाता है, और इस अस्त्र की विशेष पूजा की जाती है।
जो भक्तगण मंदिर के दर्शन करना चाहते हैं उनके लिए मंदिर वर्ष में एक महीने खोला जाता है जिसकी समय अवधि जुलाई से अगस्त तक होती है।
मंदिर से जुडी कुछ महत्वपूर्ण समय सारणी इस प्रकार है –
मंदिर खुलने की अवधि | 1 जुलाई (प्रत्येक वर्ष) |
दर्शन का समय | सुबह 6 बजे से शाम 6 तक |
मंदिर बंद होने की अवधि | 31 अगस्त (पत्येक वर्ष) |
FAQ
महामाया शक्ति पीठ मंदिर (Mahamaya Shakti Peeth) दर्शन के लिए कब खुलता है?
जुलाई महीने में सुबह 6 से शाम 6 बजे तक मंदिर के दर्शन करने की अनुमति दी जाती है।
महामाया शक्ति पीठ मंदिर (Mahamaya Shakti Peeth) किस देवता को समर्पित है?
देवी सती
महामाया शक्ति पीठ मंदिर (Mahamaya Shakti Peeth) कहाँ पर स्तिथ है?
अमरनाथ की गुफा में स्थित है। (जम्मू कश्मीर)
महामाया शक्ति पीठ (Mahamaya Shakti Peeth) का वास्तविक रूप क्या है?
बर्फ रूपी शिवलिंग
महामाया शक्ति पीठ (Mahamaya Shakti Peeth) के दर्शन के लिए वर्ष 2024 में कब जा सकते हैं?
2 जुलाई 2024
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