बुधवार, जून 18, 2025
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महालक्ष्मी शक्ति पीठ (Mahalakshmi Shakti Peeth) मंदिर का इतिहास, रहस्य और एक वास्तविक कहानी

महालक्ष्मी शक्ति पीठ (Mahalakshmi Shakti Peeth) मंदिर बांग्लादेश के सिलहट शहर में स्थित है, मुख्य रूप से इस मंदिर की गिनती 51 शक्तिपीठों में की जाती है। प्राचीन घटना के अनुसार यहां पर देवी सती का गला गिरा था, जिसके परिणामस्वरुप यहां पर महालक्ष्मी शक्ति पीठ मंदिर की स्थापना की गई। एक महत्वपूर्ण जानकारी के अनुसार बताना चाहेंगे कि महालक्ष्मी शक्तिपीठ मंदिर भारत तथा बांग्लादेश दोनों देशों में स्थित है। हम इस आर्टिकल में बांग्लादेश में स्थित शक्तिपीठ के बारे में चर्चा करेंगे । क्या आप महालक्ष्मी शक्तिपीठ मंदिर के इतिहास से परिचित है? क्या आप उस कहानी से परिचित हैं जिसमें एक रहस्यमई लड़की ने एक मजदूर को थप्पड़ मारा था? मंदिर से जुड़े अन्य सवालों के जवाब तथा रहस्यों को जानने के लिए आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ें।

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महालक्ष्मी शक्ति पीठ मंदिर का इतिहास | Mahalakshmi Shakti Peeth History in Hindi

ऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार एक बार महान संत ब्रह्मानंद गिरि श्रीहट्टा ने देवी की साधना में शिद्धि प्राप्त की। साधना में संत जी को ज्ञान हुआ कि महालक्ष्मी जी के मंदिर के पश्चिम दिशा में भगवान शिव का अंश मौजूद है। एक दिन वह अपने साथ अपने सभी शिष्यों को लेकर गए और उनको बताया कि यहीं पर देवी तथा भैरव स्थापित हैं।

संत जी के एक शिष्य थे, जिनका नाम आचार्य शंकर था जब शंकर जी ने पता लगाया कि यहां पर देवताओं का अंश मौजूद है, तब उन्होंने 1281 ई में मंदिर को आक्रमण कार्यों से बचाने की संपूर्ण कोशिश की, लेकिन वह इस कार्य में सफल न हो सके और वीरगति को प्राप्त हो गए अथार्त उनकी मृत्यु हो गयी।

कुछ सालों बाद 1286 ई में जब आचार्य शंकर जी ने एक सपना देखा जिसमें उन्होंने अपने स्वर्गवासीय गुरु जी को देखा जिसमें वह विशाल पहाड़ी पर चढ़ रहे थे। और वह कह रहे थे –

“इस छेत्र में देवता विराजमान है, मैं उन्हें जरुर विख्यात करूंगा”

जब इस बात को शंकराचार्य जी ने अपने अन्य गुरु से बताया तब सभी शिष्य और गुरु मिलकर उस पहाड़ी पर गए और खुदाई की, जहां पर उन्हें शिवलिंग की प्राप्ति हुई। इस शिवलिंग की बात पूरे क्षेत्र में फैल गई और वहां पर पूजा आराधना होने लगी। इस तरह से आगे चलकर उस जगह को महालक्ष्मी शक्ति पीठ मंदिर (Mahalakshmi Shakti Peeth) का नाम दिया गया।

महालक्ष्मी शक्ति पीठ मंदिर की संरचना | Mahalakshmi Shakti Peeth Architecture

महालक्ष्मी शक्ति पीठ मंदिर एक पवित्र स्थान पर स्थित है। मंदिर को अन्दर से देखने पर यह चौकर आकार में दीखता है। मंदिर के अन्दर सफ़ेद पत्थरों की संरचना देखी जा सकती है। मंदिर के ठीक बिच में एक चट्टान का उभार है, इसी चट्टान को मंदिर की मुख्य देवी मानकर, उनकी पूजा आराधना की जाती है।

मंदिर में उभरी देवी रूपी चट्टान के चारो तरफ पत्थर से उभरी एक आकृति बनाई गई है। चट्टान को ऊपर से चुन्नी से ढका गया है जोकि देवी के श्रींगार का एक हिस्सा है। मंदिर की छत को खुला रखा गया है, क्यूंकि एक मान्यता के अनुसार देवी की ऐसी आज्ञा थी कि उनको खुले में रखा जाए।

महालक्ष्मी शक्ति पीठ मंदिर की महत्वपूर्ण बातें

मंदिर का नाममहालक्ष्मी शक्ति पीठ मंदिर (Mahalakshmi Shakti Peeth)
मंदिर के देवतादेवी महालक्ष्मी, इश्वरानंद
मंदिर की जगहसिलहट (बांग्लादेश)
मंदिर की भाषाबंगाली, हिंदी इंग्लिश
मंदिर की प्रमुखतामंदिर के पास ही देवी सती का गला या गर्दन गिरी थी।
मंदिर के प्रमुख त्यौहारदुर्गापूजा, नवरात्री
मंदिर निर्माण काल1000 वर्ष पूर्व
मंदिर खुलने का समयप्रातः काल 5 बजे

महालक्ष्मी शक्ति पीठ मंदिर के अनसुने रहस्य | Mahalakshmi Shakti Peeth Facts in Hindi

भारत में स्थित महालक्ष्मी शक्तिपीठ मंदिर के बारे में आपने जरूर सुना होगा लेकिन क्या आप बांग्लादेश में महालक्ष्मी शक्तिपीठ मंदिर के रहस्य के बारे में जानते हैं? अगर नहीं, तब आपको निम्नलिखित रहस्यों को जरूर पढ़ना चाहिए।

  • सिलहट (बांग्लादेश) में स्थित इस मंदिर के पास ही देवी सती का गला या गर्दन गिरी थी, जिसके परिणामस्वरुप यहां पर महालक्ष्मी शक्ति पीठ मंदिर (Mahalakshmi Shakti Peeth) की स्थापना की गई।
  • मंदिर में प्रमुख देवी को महालक्ष्मी तथा भगवान शिव को ईश्वरानंद के रूप से जाना जाता है।
  • महालक्ष्मी शक्ति पीठ मंदिर (Mahalakshmi Shakti Peeth) को श्री शैल शक्ति पीठ मंदिर के रूप में भी जाना जाता है।
  • महालक्ष्मी शक्ति पीठ मंदिर (Mahalakshmi Shakti Peeth) की मुख्य देवी सती हैं, जिन्हें मंदिर में महालक्ष्मी के रूप में जाना जाता है।
  • एक पौराणिक मान्यता के अनुसार देवी सती के सात रत्न इसी स्थान पर गिरे थे, यही एकमात्र कारण है, जिसकी वजह से स्थानीय लोग यहां पर देवी को महालक्ष्मी के रूप में पूजते हैं।
  • महालक्ष्मी शक्ति पीठ मंदिर (Mahalakshmi Shakti Peeth) सिलहट (बांग्लादेश) नामक छेत्र में पास स्थित है, जिसका एक अन्य अर्थ पहाड़ी होता है। यही एकमात्र कारण है कि पहाड़ी पर स्थित महालक्ष्मी मंदिर के क्षेत्र को सिलहट नाम दिया गया है।
  • एक पौराणिक रिपोर्ट के अनुसार सन 2003 से 2010 तक कुछ आक्रमणकारियों ने मंदिर पर अपना कब्जा कर लिया था। लेकिन बाद में मंदिर को स्वतंत्र कर दिया गया और यह मंदिर भक्तगणों के लिए खोल दिया गया।
  • महालक्ष्मी शक्ति पीठ मंदिर (Mahalakshmi Shakti Peeth) के पास मौजूद लोगों द्वारा इस मंदिर को “दक्षिण का कैलाश” के रूप में भी पूजा जाता है।

महालक्ष्मी शक्ति पीठ मंदिर की एक अनोखी कहानी | Mahalakshmi Shakti Peeth Story in Hindi

देवी सती के 51 शक्ति पीठ से जुड़ी अद्भुत कहानियां कौन नहीं सुनना चाहता। देवी का हर भक्त उनसे जुड़ी हर कहानियों को सुनना, जानना और उनसे सीख लेना चाहते हैं। अगर आप भी शक्ति पीठ से जुड़ी कहानियों में दिलचस्पी रखते हैं, तब आपको निम्नलिखित कहानी को जरूर पढ़ना चाहिए।

पौराणिक कथा के अनुसार,

बंगाल के एक क्षेत्र में सड़क निर्माण का कार्य चल रहा था। इस कार्य को पूर्ण करने के लिए वहां के एक देवीप्रसाद दास नामक व्यक्ति ने इस कार्यभार को संभाला था। सड़क निर्माण कार्य में वहां पर मौजूद सभी श्रमिक पूरी मेहनत और लगन से कम कर रहे थे। 1 दिन की बात है जब सभी मजदूर अपने समय पर वहां पर काम करने आए, उन्होंने सड़क की खुदाई का काम चालू कर दिया और काफी देर तक खुदाई करते रहे। तभी अचानक उन्हें खुदाई के दौरान विशाल चट्टान दिखाई दी, जोकि इतनी भारी थी की उसे कोई भी ना हिला सका।

जब वहां पर कार्य कर रहे सभी मजदूर चट्टान को न हिला सके, तब उनमें से एक मजदूर ने चट्टान के उपरी भाग के दो टुकड़े कर दिए। इसके बाद ही एक आश्चर्यचकित घटना घटित हुई। इस घटना के अनुसार जब मजदूर ने विशाल शीला के दो टुकड़े किए, तभी जंगल में एक रहस्यमई लड़की उत्पन्न हुई तथा उसके पास आकर उसपर वार किया और वहां से गायब हो गई।

इस घटना के बाद सभी मजदूर मिलकर देवीप्रसाद के पास गए तथा उनसे पूरी घटना का जिक्र किया। जब मजदूर ने उसे पूरी घटना को देवी प्रसाद के से बताया, तब काफी रात हो चुकी थी। इसलिए देवी प्रसाद ने सभी मजदूरी से कहा, आज पूरी रात हो चुकी है, हम सभी कल सुबह उस जगह का परीक्षण करेंगे।

देवी प्रसाद की बात सुनकर सभी मजदूर अपने अपने घर लौट गए। इसके बाद उसी रात को देवी प्रसाद के सपने में एक देवी ने दर्शन दिया और देवीप्रसाद से कहा,

“मैं देवी सती का स्वरूप हूं, मुझे वहीँ पर स्थापित कर दो जहां पर तुम्हारे मजदूरों ने मुझे देखा था और वहां पर विशेष पूजा की व्यवस्था करो, ऐसा करने से सभी मनुष्यों के जीवन में कल्याण होगा।”

सुबह होने पर देवीप्रसाद अपने रात के सपने के बारे में सोचने लगा। बाद में उसे लगा कि शायद यह देवी की आज्ञा है, मुझे देवी की आज्ञा का पालन जरूर करना चाहिए। परिणामस्वरुप देवीप्रसाद ने जहां पर चट्टान मिली थी वहां पर मंदिर बनवाने लगा। उस दिन सभी मजदूर मिलकर मंदिर निर्माण का कार्य पूरा करने लगे। शाम होते ही सभी मजदूर अपने-अपने घर लौट गए तथा देवी प्रसाद भी अपने घर लौट गया।

अब देवी प्रसाद ने अगली रात को फिर से एक सपना देखा, जिसमें देवी कह रही थी –

मेरे मंदिर को खुला रखा जाए, इस तरह से मैं पूरे संसार में विख्यात हो जाऊंगी।

देवीप्रसाद ने देवी की आज्ञा का पालन किया तथा मंदिर निर्माण का कार्य रोक दिया। उसने चट्टान के चारों तरफ पत्थर का घेरा बना दिया और ऊपर से खुला छोड़ दिया। इस तरह से महालक्ष्मी शक्ति पीठ मंदिर (Mahalakshmi Shakti Peeth) की स्थापना हो पायी।

महालक्ष्मी शक्ति पीठ मंदिर के पास घुमने की अन्य जगह

अगर आप बांग्लादेश में स्थित महालक्ष्मी शक्ति पीठ के दर्शन के लिए जा रहे हैं तब आपको मंदिर के आसपास मौजूद पर्यटन स्थल भी जरूर घूमना चाहिए। क्योंकि यह बांग्लादेश में स्थित है और भारतीय लोगों को यहां पर जाने के लिए वीजा बनवाने की जरूरत होती है, इसलिए आपको वीजा बनवाने के बाद मंदिर के आस पास अन्य पर्यटन स्थलों पर जरूर जाना चाहिए । चलिए मंदिर के पास स्थित कुछ पर्यटन स्थलों के बारे में जानते हैं।

राइटर गुल दलदली वन

यह वन बांग्लादेश में स्थित एक प्रसिद्ध वन है जहां पर विभिन्न प्रजातियों के पशु, पक्षियों को देखा जा सकता है। इस वन की सबसे प्रमुख बात यह है कि यहां पर 200 से अधिक पक्षियों की प्रजातियां पाई जाती हैं। जो भक्तगण पशु पक्षियों में दिलचस्पी रखते हैं वह मंदिर के साथ इस वन में भी घूमने के लिए जा सकते हैं

सिलहट

सिलहट बांग्लादेश में स्थित एक प्रमुख बागानी स्थल है। यहां पर बागानों में चाय की खेती की जाती है। यह बागान अपनी प्राकृतिक सुंदरता से प्रसिद्ध है, इसलिए आपको मंदिर के साथ इस क्षेत्र में भी घूमने के लिए जरूर जाना चाहिए।

माधबकुंडा झरना

बांग्लादेश में स्थित यह झरना अपनी प्राकृतिक सुंदरता से लोगों को आकर्षित करता है, दूर से आने वाले दार्शनिक मंदिर के अलावा माधबकुंडा झरना की यात्रा करना भी पसंद करते हैं।

महालक्ष्मी शक्ति पीठ मंदिर कैसे पहुंचे | How To Reach Mahalakshmi Shakti Peeth

जो भक्तगण महालक्ष्मी शक्ति पीठ मंदिर (Mahalakshmi Shakti Peeth)के दर्शन करना चाहते हैं जानकारी के लिए बताना चाहेंगे यह मंदिर भारत में नहीं है बल्कि यह मंदिर भारत के पड़ोसी देश में स्थित है जिसे बांग्लादेश के नाम से जानते हैं। महालक्ष्मी शक्ति पीठ मंदिर (Mahalakshmi Shakti Peeth) बांग्लादेश में होने के कारण, वहां जाने के लिए वीजा बनवाना पड़ता है। जो भक्तगण बांग्लादेश का वीजा बनवाने में समर्थ है, वह सड़क मार्ग, रेल मार्ग और एरोप्लेन की मदद से मंदिर के दर्शन कर सकते हैं। अगर कोई भक्तगण विभिन्न मार्गो से अज्ञात है, तब वह हमारे द्वारा बताए गए मार्ग की मदद से मंदिर तक पहुंच जाते हैं। चलिए मंदिर तक जाने वाले रास्तों को विस्तार से जानते हैं।

सड़क मार्ग द्वारा महालक्ष्मी शक्ति पीठ मंदिर कैसे पहुंचे

जैसा कि आप जान चुके हैं बांग्लादेश में जाने के लिए आपको बांग्लादेशी वीजा बनवाने की जरूरत पड़ेगी। अगर आपने बांग्लादेश का वीजा बनवा लिया है, तब आप बांग्लादेश की तरफ जाने वाली बस की मदद ले सकते हैं आप बस की मदद से सिलहट बस स्टैंड तक जा सकते हैं। सिलहट बस स्टैंड से मंदिर की दूरी लगभग 2.1 किलोमीटर है। इसलिए बस स्टैंड से ऑटो की मदद से आप मंदिर तक आसानी से पहुंच सकते हैं।

रेल मार्ग द्वारा महालक्ष्मी शक्ति पीठ मंदिर कैसे पहुंचे

जो भक्त ट्रेन के माध्यम से मंदिर तक पहुंचाना चाहते हैं, उन्हें सबसे पहले सिलहट रेलवे स्टेशन तक पहुंचाना पड़ेगा, जोकि बांग्लादेश में स्थित है। सिलहट रेलवे स्टेशन से मंदिर की दूरी लगभग 2.6 किलोमीटर है, इसलिए आप रेलवे स्टेशन से ऑटो बुक करके मंदिर तक आसानी से पहुंच सकते हैं।

एरोप्लेन के माध्यम से महालक्ष्मी शक्ति पीठ मंदिर कैसे पहुंचे

जिन भक्तगण के पास मंदिर ट्रैवलिंग के लिए काफी अच्छा बजट है तथा वह कम समय में मंदिर की यात्रा करना चाहते हैं। तब उनके लिए एरोप्लेन का सफर काफी अच्छा हो सकता है। जिन भक्तगण ने मंदिर तक जाने के लिए एरोप्लेन का सफर चुना है, उन्हें सबसे पहले अपने शहर से उस्मानी इंटरनेशनल एयरपोर्ट की टिकट बुक करवानी होगी। एयरपोर्ट पहुंचने के बाद आप वहां से ऑटो तथा टैक्सी की मदद ले सकते हैं क्योंकि एयरपोर्ट से मंदिर की दूरी लगभग 13 किलोमीटर है।

महालक्ष्मी शक्ति पीठ मंदिर का दर्शन और आरती समय | Mahalakshmi Shakti Peeth Darshan & Aarti Timing

जो भक्तगण मंदिर घूमने का सबसे सर्वोत्तम समय जानना चाहते हैं, जानकारी के लिए उन्हें बताना चाहेंगे, अगस्त से लेकर मार्च तक का महीना घूमने के लिए काफी अच्छा होता है। क्योंकि इस दौरान ना ज्यादा बारिश होती है ना ही ज्यादा गर्मी, इसमें भी आप अक्टूबर तथा नवंबर के महीने में मंदिर के दर्शन कर सकते हैं, क्योंकि इस समय सर्दियों की शुरुआत होती है और मौसम भी अच्छा रहता है। जो भक्तगण मंदिर में होने वाले दैनिक कार्यक्रम में हिस्सा लेना चाहते हैं, तब उन्हें मंदिर में होने वाली पूजा तथा आरती के बारे में जरूर पता होना चाहिए, ताकि वह आरती तथा पूजा के ठीक समय पर मंदिर पहुंच पाएं। मंदिर में होने वाली पूजा तथा आरती के समय का विवरण आप नीचे दी गई तारीख में पढ़ सकते हैं।

आरती & दर्शनसमय
मंगल आरतीसुबह 6:00 बजे
सुबह की पूजासुबह 7:00 बजे
अभिषेकम पूजासुबह 8:00 बजे
महा आरतीसुबह 9:00 बजे
संध्या आरतीशाम 6:00 बजे
संध्या पूजारात्रि 7:00 बजे
रात्रि अभिषेकरात्रि 8:00 बजे
रात्रि शयन आरतीरात्रि 9:00 बजे

FAQS: Mahalakshmi Shakti Peeth

महालक्ष्मी शक्ति पीठ मंदिर (बांग्लादेश) (Mahalakshmi Shakti Peeth) कब खुलता है?
रोजाना सुबह 6 :00 बजे से रात्री को 8:00 बजे तक।

महालक्ष्मी शक्ति पीठ मंदिर (Mahalakshmi Shakti Peeth) की प्रमुखता क्या है?
मंदिर के पास ही देवी सती का गला गिरा था।

महालक्ष्मी शक्ति पीठ मंदिर (Mahalakshmi Shakti Peeth) कहाँ पर स्थित है?
यह मंदिर भारत और बांग्लादेश (सिलहट) दोनों जगह पर स्थित है।

महालक्ष्मी शक्ति पीठ मंदिर (Mahalakshmi Shakti Peeth) की प्रमुख भाषा क्या है?
बांग्लादेश में स्थित महालक्ष्मी शक्ति पीठ मंदिर में बंगाली, हिंदी और इंग्लिश भाषाएँ बोली जाती है।

महालक्ष्मी शक्ति पीठ मंदिर (Mahalakshmi Shakti Peeth) के प्रमुख त्यौहार कौन से हैं?
दुर्गा पूजा और नवरात्री।

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