शुक्रवार, जून 6, 2025
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माँ काली जी की आरती | Maa Kali Aarti

अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली,
तेरे ही गुन गाए भारती, हे मैया, हम सब उतारे तेरी आरती |

तेरे भक्त जनो पार माता भये पड़ी है भारी |
दानव दल पार तोतो माड़ा करके सिंह सांवरी |
सोउ सौ सिंघों से बालशाली, है अष्ट भुजाओ वली,
दुशटन को तू ही ललकारती |
हे मैया, हम सब उतारे तेरी आरती |

माँ बेटी का है इस् जग जग बाड़ा हाय निर्मल नाता |
पूत कपूत सुने है पर ना माता सुनी कुमाता |
सब पे करुणा दर्शन वालि, अमृत बरसाने वाली,
दुखीं के दुक्खदे निवर्तती |
हे मैया, हम सब उतारे तेरी आरती |

नहि मँगते धन धन दौलत ना चण्डी न सोना |
हम तो मांगे तेरे तेरे मन में एक छोटा सा कोना |
सब की बिगड़ी बान वाली, लाज बचाने वाली,
सतियो के सत को संवरती|
हे मैया, हम सब उतारे तेरी आरती|

चरन शरण में खडे तुमहारी ले पूजा की थाली|
वरद हस् स सर प रख दो म सकत हरन वली|
माँ भार दो भक्ति रस प्याली, अष्ट भुजाओ वली,
भक्तो के करेज तू ही सरती|
हे मैया, हम सब उतारे तेरी आरती|

अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली|
तेरे ही गुन गाए भारती, हे मैया, हम सब उतारे तेरी आरती|

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