कालीघाट शक्तिपीठ (Kalighat Shakti Peeth) जिसे दक्षिणेश्वर कालीघाट शक्तिपीठ भी कहा जाता है, कोलकाता की हुगली नदी के तट पर स्थित है। यह शक्तिपीठ 51 शक्तिपीठों में से एक है। कहा जाता है कि यहां माता सती के दाहिने पैर की चार उंगलियां गिरी थी। काली शक्तिपीठ बंगाल के आध्यात्म का प्रमुख केंद्र है।
इतना ही नहीं इस शक्तिपीठ का स्वामी विवेकानंद के गुरु रामकृष्ण परमहंस से भी रहस्यमई रूप से सम्बन्ध है। क्या आप भी जानना चाहते हैं काली शक्ति पीठ और स्वामी रामकृष्ण परमहंस से जुड़ा वह अनोखा रहस्य। यदि हां तो हमारे इस आर्टिकल से अंत तक जुड़े रहेंगे। इसमें हम काली शक्ति पीठ से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण बातों के साथ-साथ इस रहस्य की भी जानकारी देंगे।
काली शक्ति पीठ मंदिर का इतिहास | History of Kalighat Shakti Peeth in Hindi
पुराणों के अनुसार माता काली राक्षसों से युद्ध के बाद अत्यंत क्रोधित हो गई थी और वे मार्ग में आने वाले हर व्यक्ति का संहार कर रही थीं। अपने क्रोध में उन्होंने भीषण नरसंहार और रक्तपात मचा रखा था। यह दृश्य देखकर भगवान शिव महाकाली के क्रोध को शांत करने के लिए उनके मार्ग में जाकर लेट गए। देवी ने गुस्से में भगवान शिव की छाती पर पर रख दिया। जब उन्हें अपनी भूल का एहसास हुआ है तो वे शांत हुई और उन्होंने नरसंहार रोक दिया। माता काली की इसी क्रोधी छवि को काली शक्तिपीठन (Kalighat Shakti Peeth) की प्रतिमा में दर्शाया गया है।

एक और प्रसिद्ध कथा के अनुसार एक भक्त को भागीरथ नदी में से रोशनी की एक किरण निकलती दिखाई दी। जब वह उस रोशनी के स्रोत के पास पहुंचा तो उसे उस स्थान से इंसानी पैर के अंगूठे के आकार का एक पत्थर मिला। उस जगह से थोड़ी दूर पर ही उसे नकुलेश्वर भैरव शिवलिंग भी मिला। उस भक्त ने इन दोनों चीजों को एक छोटे से मंदिर में रखा और वहीं जंगल में उनकी पूजा करना शुरू कर दी। समय के साथ धीरे-धीरे उस स्थान की प्रसिद्ध बढ़ती गई और बाद में उसे ही कालीघाट शक्तिपीठ (Kalighat Shakti Peeth) के रूप में पहचान मिली।
साथ ही यह शक्तिपीठ भारत के प्रसिद्ध आध्यात्मिक संत रामकृष्ण परमहंस से भी जुड़ा हुआ है। जैसा कि ज्ञात है रामकृष्ण परमहंस मां काली के बहुत बड़े भक्त थेम कहा जाता है कि काली शक्तिपीठ में माता काली ने रामकृष्ण परमहंस को साक्षात दर्शन दिए थे इसके बाद उनका आध्यात्मिक ज्ञान उन्नति पर पहुंच और वे देश भर में प्रसिद्ध हुए। उन्होंने शक्तिपीठ के पास ही वेल्लूर मठ की स्थापना की और बाद में वे स्वामी विवेकानंद के आध्यात्मिक गुरु के रूप में भी पहचाने गए।
कालीघाट शक्ति पीठ मंदिर की संरचना | Kalighat Shakti Peeth Architecture in Hindi
कालीघाट शक्तिपीठ (Kalighat Shakti Peeth) की संरचना मध्यकालीन बांग्ला स्थापत्य शैली पर आधारित है। इस मंदिर में माता काली की प्रतिमा उग्र रूप में स्थापित है। इस प्रतिमा में माता काली को भगवान शिव की छाती पर पैर रखे हुए दर्शाया गया है। माता के गले में नर मुंडो की माला है। उनके हाथों में कुल्हाड़ी है और दूसरे हाथ में भी वे नरमुंड थामे हुए हैं। माता को कमर में भी नरमुंड बाँधे हुए दर्शाया गया है। प्रतिमा में माता की जीभ बाहर निकली हुई है, जिसमें से खून की बूंदें टपक रही है। प्रतिमा में माता की जीभ को सोने से बनाया गया है।
ऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार 15वीं शताब्दी में कालीघाट शक्तिपीठ (Kalighat Shakti Peeth) मंदिर का उल्लेख ग्रंथो में किया गया है। सन 1809 में काली शक्तिपीठ मंदिर का निर्माण रोक दिया गया था तथा मंदिर का निर्माण शबर्ना रॉय चौधरी ने करवाया था। काली शक्तिपीठ मंदिर के मूल स्वरों की संरचना राजा बसंत रॉय ने की थी।
मंदिर की झोपड़ी आकार की संरचना 16 शताब्दी में की गई थी, इस दौरान मंदिर के निर्माण में राजा मानसिंह ने महत्वपूर्ण योगदान दिया था। इसके बाद सन 1809 में मंदिर का नवीनीकरण किया गया था, जिसे आज वर्तमान रूप में देखा जा सकता है।
बेलूर मठ के पास स्थित काली शक्तिपीठ (Kalighat Shakti Peeth) को कालीघाट मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। बंगाल की आस्था के केंद्र इस काली शक्तिपीठ का निर्माण कार्य 1855 में पूर्ण हुआ। इस मंदिर का निर्माण महारानी रासमणि द्वारा करवाया गया। इस मंदिर में 12 गुंबद बनवाए गए हैं और इसके चारों तरफ शिवजी की 12 प्रतिमाएं स्थापित करवाई गई है। मंदिर परिसर के भीतर कई देवी देवताओं के मंदिर बनवाए गए हैं।
मंदिर के भीतर चांदी का एक कमल का फूल बनाया गया है जिसके अंदर 1000 पंखुड़ियां है इस कमल के फूल पर माता काली अपने प्रचंड रूप में अपने अस्त्र शस्त्रों के साथ भगवान शिव की छाती पर पैर रखे हुई मुद्रा में स्थापित की गई है।
काली शक्तिपीठ की महत्वपूर्ण जानकारियां | Important Details of Kalighat Shakti Peeth
मंदिर का नाम | कालीघाट शक्तिपीठ (Kalighat Shakti Peeth) |
मंदिर के प्रमुख देवता | मां काली |
मंदिर का स्थान | काली घाट कोलकाता |
मंदिर की प्रमुखता | यहां माता सती के दाएं पैर की चार उंगलियां गिरीं थीं |
मंदिर के प्रमुख त्योहार | दुर्गा पूजा, काली पूजा, पोहेला बैशाख, नवरात्र और डोंडी पर्व |
मंदिर की वास्तुकला | मध्यकालीन बांग्ला स्थापत्य शैली |
मंदिर की भाषा | हिंदी, बांग्ला, अंग्रेजी |
मंदिर का निर्माण काल | 15वी शताब्दी |
मंदिर खुलने का समय | प्रातः 05:00 बजे |
कालीघाट शक्ति पीठ मंदिर के अनसुने रहस्य | Secrets of Kalighat Shakti Peeth in Hindi
काली शक्तिपीठ (Kalighat Shakti Peeth) मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है जोकि देवी काली को समर्पित है। जो भक्तगण भारत में स्थित विभिन्न शक्तिपीठों में आस्था रखते हैं, उनके लिए मंदिर से जुड़े अनेक रहस्यों को जानना, एक दिलचस्प अहसास होगा। अगर आप भी काली शक्ति पीठ मंदिर से जुड़े रहस्य को जानना चाहते हैं तो निम्नलिखित बातों को पढ़ना ना भूले।
- कोलकाता में स्थिति मंदिर के पास देवी सती के दाहिने पैर की उंगलियां गिरी थी जिसके परिणामस्वरुप यहां पर काली शक्तिपीठ (Kalighat Shakti Peeth) मंदिर की स्थापना की गई।
- काली शक्ति पीठ मंदिर में मुख्य देवी को काली तथा मुख्य देवता को नकुलेश्वर के रूप में जाना जाता है, जो कि भगवान शिव का स्वरूप है।
- काली शक्ति पीठ (Kalighat Shakti Peeth) मंदिर के पास ही एक कुंडूपुकुर नामक तालाब है, इसके पानी को गंगाजल की तरह पवित्र माना जाता है। इसके बारे में मान्यता है कि जो भक्त इस तालाब में स्नान करता है उसे मनवांछित फल की प्राप्त होती है। साथ ही मान्यता है कि इसके जल में स्नान करने से सन्तानप्राप्ति की मनोकामना पूरी होती है।
- एक अन्य मान्यता के अनुसार काली शक्तिपीठ मंदिर में स्वामी विवेकानंद के आध्यात्मिक गुरु राम कृष्ण परमहंस को देवी ने साक्षात दर्शन दिये थे।
- काली शक्तिपीठ (Kalighat Shakti Peeth) मंदिर की स्थापना 25 एकड़ के विस्तार में हुई है।
- एक प्राचीन कहावत के अनुसार काली शक्ति पीठ मंदिर की स्थापना एक शूद्र महिला ने की थी, जिसके परिणामस्वरुप मंदिर में ब्राह्मण लोगों ने आने के लिए मना कर दिया था।
- काली शक्ति पीठ (Kalighat Shakti Peeth) मंदिर में एक श्री कृष्ण की खंडित मूर्ति रखी गई है इसकी पूजा अन्य देवताओं के समान की जाती है।
काली शक्ति पीठ मंदिर में मौजूद हैं अद्भुत संरचनाएं
जो भक्तगण काली शक्ति पीठ (Kalighat Shakti Peeth) मंदिर के दर्शन अभी तक नहीं कर पाए हैं जानकारी के लिए बताना चाहेंगे कि मंदिर के अंदर अनेको संरचनाएं देखी जा सकती है। आर्टिकल में आगे मंदिर में मौजूद विभिन्न प्रतिमाओं का जिक्र करेंगे।
नट मंदिर
नोट मंदिर काली शक्तिपीठ मंदिर के अंदर स्थित एक बरामदा है। इस बरामदे की संरचना सन 1835 शताब्दी में की गई थी, इसके निर्माता जमीदार काशीनाथ रॉय थे। नट मंदिर में प्रवेश करने पर मंदिर के अंदर मुख्य देवी के प्रतिमा स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है। मंदिर में मौजूद पुरोहितों द्वारा नट मंदिर का नवीनीकरण आज भी समय-समय पर करवाया जाता है।
जोर बांग्ला
जोर बांग्ला की संरचना मुख्य मंदिर के गर्भ ग्रह के बाहर की गई है। जब मंदिर में विशेष अनुष्ठानों का आयोजन किया जाता है तब होने वाले विभिन्न कार्यक्रमों को इसी स्थान पर आयोजित किया जाता है।
षष्टी ताल
मंदिर में मौजूद षष्टी ताल में तीन देवियों के दर्शन किया जा सकते है। इस ताल का निर्माण 1880 में गोविंद दास मंडल जी द्वारा किया गया था। यह ताल अपनी सुंदरता के लिए मशहूर है इसलिए यहां पर अनेकों भक्तगण दर्शन के लिए आते जाते रहते हैं।
हरकठ ताल
मंदिर में स्थित हरकठ ताल में मुख्य रूप से विशेष अनुष्ठानों पर पशुओं की बलि दी जाती है। इस क्षेत्र को विशेष रूप से निर्मित किया गया है, क्योंकि इसमें विभिन्न जानवरों के लिए अलग-अलग बली संग्रहालय बनाए गए हैं।
राधा कृष्ण मंदिर
यह मंदिर मुख्य मंदिर की विशेषताओं को संपूर्ण रूप से उजागर करता है। सर्वोत्तम इस मंदिर का निर्माण सन 1721 में किया गया था। इसके बाद सन 1843 में मंदिर का नवीनीकरण करवाया गया। इसके बाद सन 1853 में इस मंदिर को नए रूप दिया गया।
नकुलेश्वर महादेव मंदिर
नकुलेश्वर महादेव मंदिर देवी सती के पति अर्थात भगवान शिव को समर्पित है। इस मंदिर में भगवान शिव की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। ऐतिहासिक तथ्यों में इस मंदिर की संपूर्ण जानकारी मिलती है।
काली शक्तिपीठ मंदिर कैसे पहुंचे | How To Reach Kalighat Shakti Peeth Temple

जो भक्त गण भारत में स्थित विभिन्न शक्तिपीठों के दर्शन करना चाहते हैं उन्हें काली शक्तिपीठ (Kalighat Shakti Peeth) मंदिर में जरूर जाना चाहिए जो कि भारत के कोलकाता में ही स्थित है। काली शक्तिपीठ मंदिर के दर्शन हेतु सड़क मार्ग, रेल मार्ग तथा एरोप्लेन की मदद से मंदिर की यात्रा की जा सकती है। अगर आप मंदिर तक जाने वाले रास्ते से अपरिचित है तब आर्टिकल में बताए गए यात्रा विवरण को पढ़ सकते हैं।
सड़क मार्ग द्वारा काली शक्तिपीठ मंदिर कैसे पहुंचे
जो भक्तगण काली शक्तिपीठ (Kalighat Shakti Peeth) मंदिर सड़क मार्ग द्वारा जाना चाहते हैं, उन्हें अपने शहर से कोलकाता की तरफ जाने वाली बस मदद लेनी पड़ेगी सबसे पहले भक्तगण को बस के माध्यम से श्यामा प्रसाद मुखर्जी रोड पर आना होगा। यहां से फिर आपको कोलकाता में चलने वाली बस की मदद से कालीघाट बस स्टैंड तक की बस बुक करनी पड़ेगी बस स्टैंड पर पहुंचने के बाद आप पैदल आसानी से मंदिर तक पहुंच सकते हैं।
ट्रेन के माध्यम से काली शक्तिपीठ मंदिर कैसे पहुंचे
जिन भक्ति गानों के पास मंदिर जाने के लिए लिमिट बजट है ट्रेन के माध्यम से मंदिर तक पहुंच सकते हैं सबसे पहले आपके शहर से मंदिर तक जाने के लिए आपको हावड़ा जंक्शन रेलवे स्टेशन की टिकट करवानी होगी। रेलवे स्टेशन से कैफ तथा ऑटो की मदद से आप मंदिर तक आसानी से पहुंच सकते हैं।
एरोप्लेन से काली शक्तिपीठ मंदिर कैसे पहुंचे
जिन भक्त गणों ने कालीघाट शक्तिपीठ मंदिर जाने के लिए एरोप्लेन का सफर चुना है उन्हें सबसे पहले अपने शहर से नेताजी सुभाष चंद्र बोस इंटरनेशनल एयरपोर्ट की टिकट बुक करवानी होगी। एयरपोर्ट से मंदिर की दूरी लगभग 25 किलोमीटर है इसलिए आप टैक्सी बुक करके मंदिर तक आसानी से पहुंच सकते हैं।
काली शक्तिपीठ मंदिर में दर्शन समय तथा अन्य महत्वपूर्ण बातें | Timing of Kalighat Shakti Peeth Temple
यदि हम काली शक्तिपीठ की यात्रा के उपयुक्त समय की बात करें तो आप यहां अक्टूबर से मार्च के बीच आ सकते हैं। क्योंकि इस समय इस शक्तिपीठ में नवरात्रि पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इन त्योहारों के समय बड़ी संख्या में भक्तगण शक्तिपीठ में माता काली के दर्शन करने आते हैं और उनसे मन्नत मांगते हैं। मार्च से अक्टूबर के बीच का समय कोलकाता में यात्रा के लिए सबसे उपयुक्त समय माना जाता है क्योंकि इस समय यहां मौसम भी अनुकूल होता है।
मंदिर खुलने का समय (Timing of Temple) | |
सुबह (Morning) | सुबह 5:00 से दोपहर 2:00 बजे |
शाम (Evening) | शाम 5:00 बजे से रात 10:30 बजे |
नोट – दोपहर 02:00 बजे से शाम 05:00 बजे तक मंदिर बंद रहता है। इस दौरान माता को भोग लगाया जाता है।
FAQS: Kalighat Shakti Peeth
रामकृष्ण परमहंस और काली शक्तिपीठ किस तरह संबंधित है
काली शक्तिपीठ में रामकृष्ण को माता ने साक्षात दर्शन दिए थे।
कालीघाट शक्तिपीठ की विशेषता क्या है
कालीघाट शक्तिपीठ में माता सती के दाएं पैर की चार उंगलियां गिरी थी
काली शक्तिपीठ स्थित कुंडूपुकुर तालाब क्यों प्रसिद्ध है
कुंडूपुकुर तालाब के जल में स्नान करने से संतान प्राप्ति की मनोकामना पूर्ण होती है।
काली शक्ति पीठ के मुख्य देवी देवता कौन है
काली शक्तिपीठ की मुख्य देवी माता काली और भगवान शिव नकुलेश्वर महादेव के रूप में स्थित है।
काली शक्तिपीठ के प्रमुख त्यौहार कौन–कौन से हैं
काली पूजा, दुर्गा पूजा, नवरात्रि, डोंडी और पोहेला वैशाख
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