कालाराम मंदिर (Kalaram Mandir) : भगवान श्री राम को समर्पित यह मंदिर नासिक (महाराष्ट्र) जिले के पंचवटी छेत्र में स्थित है। मंदिर में मुख्य भगवान अथार्त भगवान श्री राम जी की मूर्ति काले पत्थर से निर्मित की गई है, इसके साथ ही पुरे मंदिर का निर्माण काले पत्थर के साथ किया गया है यही वजह है की इस मंदिर को कालाराम मंदिर (Kalaram Mandir) के नाम से जाना जाता है। कालाराम मंदिर में भगवान राम के साथ माता सीता, लक्ष्मण और हनुमान जी की मूर्ति को विराजित किया गया है। इसी मंदिर के साथ एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटना जुडी है, जिसमें दलितों के लिए सत्याग्रह किया गया था। इस सत्यग्रह का नेतृत्व डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर ने किया था, जोकि एक महान समाजसुधारक थे। कालाराम मंदिर (Kalaram Mandir) से जुडी ऐतिहासिक घटना और मंदिर से जुड़े अनेकों तथ्यों के लिए इस आर्टिकल को अंत तक जरुर पढ़ें।
कालाराम मंदिर सम्बंधित महत्वपूर्ण जानकारियां
मंदिर का पूरा नाम | श्री कालाराम मंदिर (Kalaram Mandir) |
मंदिर को समर्पित देवता | भगवान राम |
मंदिर की भाषा | मराठी, हिंदी |
सम्बंधित धर्म | हिन्दू |
मंदिर की जगह | पंचवटी, नासिक (महाराष्ट्र) |
मंदिर की स्थापना | 1792 ई |
वास्तुकला शैली | नागर शैली |
मंदिर से जुड़े प्रमुख त्यौहार | राम नवमी और दशहरा |
मंदिर खुलने का समय | सुबह 5 बजे |
प्रमुख मूर्ति | कालाराम मूर्ति (राम की काली मूर्ति) |
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कालाराम मंदिर के तथ्य | Kalaram Mandir Facts
भारत में एक से बढ़कर एक मंदिर है और उन सभी मंदिरों के कुछ ना कुछ रहस्य हमें बताए जाते हैं, जोकि कभी कभी अनसुने होते हैं और कुछ बातों के बारे में हम पहले से ही जानते हैं, इसी तरह के रहस्य कालाराम मंदिर से भी जुड़े हैं, जोकि सुनाने में काफी रोचक लगते है। आज इस आर्टिकल के माध्यम से आप मंदिर से जुड़े अनेकों रहस्यों के बारे में विस्तार से जानेंगे, चलिए मंदिर के बारे में कुछ रोचक बातों को जानते हैं।
- प्राचीन मान्यता के अनुसार वनवास के दौरान भगवान राम, कालाराम मंदिर की भूमि पर कुछ दिनों के लिए रुके थे, यहाँ पर उनके विश्राम स्थल की जगह पर, मंदिर को स्थापित कर दिया गया।
- कालाराम मंदिर (Kalaram Mandir) की बनावट के पीछे एक चौंका देने वाली बात कही जाती है, जिसके अनुसार पुरे मंदिर को काले पत्थरों के साथ बनाया गया है, मंदिर को पूर्ण रूप से तैयार करने में कम से कम 12 साल का समय लगा था।
- श्री राम को समर्पित इस मंदिर में भगवान की मूर्ति को काले पत्थरों से निर्मित किया गया था, जिसमे अनेकों गुण छुपे हुए हैं।
- एक मान्यता के अनुसार मंदिर की सामग्रियों के साथ मंदिर के निर्माणकार्य में 23 लाख रुपए से ज्यादा राशि लगी थी, जोकि अब के समय में अरबों में गिनी जा सकती है।
- कालाराम मंदिर (Kalaram Mandir) के चारों तरफ द्वारा की संरचना की गयी है, जोकि जीवन के चार अवस्थाओं को दर्शाते हैं। एक अन्य मान्यता के अनुसार मंदिर के चारों द्वारों को चार वर्णों के साथ जोड़ा जाता है।
- मंदिर के सबसे ऊपर एक रहस्यमई कलस बनवाया गया है, जिसकी ऊंचाई 69 फीट है, इस कलस का निर्माण 32 टन सोने के साथ किया गया है।
- कालाराम मंदिर (Kalaram Mandir) में एक अनोखी गुफा मौजूद है जिसे सीता गुफा के नाम से जाना जाता है। एक मान्यता के अनुसार माता सीता ने यहाँ पर मौन अवस्था में तपस्या की थी।
- एक प्राचीन मान्यता के अनुसार इस मंदिर के पास परेशान करने वाले राक्षसों का वध करने के लिए भगवान राम ने काला रूप धारण किया था और इसी रूप में भगवान ने इस छेत्र को सभी राक्षसों से मुक्त किया था।
- मंदिर में दर्शन करने वाले श्रधालुओ के अनुसार जिसके जीवन में काल सर्प का दोष होता है, अगर वह कालाराम मंदिर के दर्शन कर ले तो उसका पूरा दोष ख़त्म हो जाता है।
कालाराम मंदिर सत्याग्रह का इतिहास | Kalaram Mandir Satyagrah History
कालाराम मंदिर का सत्याग्रह, दलितों के हित के लिए किया जाने वाला सबसे बड़ा आन्दोलन था, जिसका नेतृत्व डॉक्टर भीम राव अम्बेडकर ने किया था।
नासिक के पंचवटी क्षेत्र में स्थित कालाराम मंदिर (Kalaram Mandir) भगवान राम को समर्पित है कलाराम मंदिर नासिक शहर का सबसे प्रसिद्ध मंदिर है। मंदिर में रखी गई भगवान राम की मूर्ति पूर्ण रूप से काली है इसलिए इस मंदिर का नाम कालाराम मंदिर के नाम से रखा गया है। कलाराम मंदिर में दलित वर्ग के लोगों के प्रवेश पर मनाही थी, लेकिन इसके बावजूद भी डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने दलितों को मंदिर प्रवेश में का अधिकार दिलवाने का प्रयास किया।
प्राचीन काल से ही हिंदू समाज के निचले पायदान के लोगों को सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ता था। पेशवा शासन के तहत हिंदू धर्म के दलित वर्गों को दोपहर 3:00 बजे के बाद और रात को 9:00 बजे तक मंदिर में प्रवेश के लिए मना किया जाता था। उस समय शासन कर रही सरकार के अनुसार दलित वर्गों के मंदिर में प्रवेश करने पर, मंदिर को दूषित माना जाता था। सन 1818 और 1947 के मध्य दलितों के अधिकारों को लेकर कई कदम उठाए गए, जिसमें दलित वर्गों को मंदिर में प्रवेश करने के ऊपर जोर दिया गया।
सत्याग्रह से पहले 1928 से 1929 में पुणे और अमरावती में कई प्रयास किए गए थे। कालाराम मंदिर सत्याग्रह के तहत 2 मार्च 1930 को डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर द्वारा मार्गदर्शन किया गया। अगले ही दिन 3 मार्च 1930 को डॉ भीमराव अम्बेडकर की तरफ से 15000 दलित अनुयायियों ने मंदिर के बाहर धरना दे दिया, जिसके चलते मुंबई की सरकार ने तत्कालीन मंदिर के आसपास धारा 144 लागू कर दी। 7 अप्रैल 1930 के दिन मंदिर के सबसे बड़े त्यौहार राम नवमी का आयोजन किया जा रहा था, तभी डॉक्टर अंबेडकर के नेतृत्व में 200 स्वयंसेवकों का जुलूस निकला गया। उस समय रामनवमी के दिन रथयात्रा के समय मजदूरों से रथ का भार तो खिंचवाया जाता था, लेकिन उन्हें मंदिर में प्रवेश लिए मना कर दिया जाता था। 9 अप्रैल 1930 के दिन उच्च जाति के समर्थन में कुछ लोगो ने दलित वर्गों पर हमला कर दिया। लेकिन सत्याग्रह के दौरान एकजुट दलितों के ऊपर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा।
यह सत्याग्रह लगभग 3 वर्षों तक चला, सन 1933 में भीमराव जी ने आंदोलन की तरफ से ध्यान हटाकर राजनीतिक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया, क्यूंकि उनके अनुसार दलितों के मंदिर में प्रवेश करने से, सभी समस्याओं का हल नहीं हो सकता था। इसके पश्चात भीमराव जी ने किसी अन्य मंदिर से जुड़े आंदोलन में भाग नहीं लिया।
इस तरह से कलाराम मंदिर में हुए इस आंदोलन को कालाराम मंदिर सत्याग्रह (Kalaram Mandir Satyagrah) के रूप जाना जाता है।
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कालाराम मंदिर की वास्तुकला | Kalaram Mandir Architecture
भारत के विभिन्न हिन्दू मंदिर में अनेकों वस्तुकालाओं का निर्माण किया गया है, जिसमे कोई ना कोई ख़ास बात देखेने को मिलती है। इसी तरह नासिक के कलाराम मंदिर (Kalaram Mandir) में भी अदभूत कलाकृतियों का नजारा देखा जा सकता हैं, मंदिर के चारों दिशाओं में चार विशाल द्वार देखा जा सकते हैं, जिसपर बहुत ही खूबसूरत नक्कासियां की गई हैं। मंदिर में कुल मिलाकर 96 खंभे स्तिथ हैं। मंदिर में पूर्व दिशा की तरफ से मंदिर में प्रवेश किया जा सकता है, पूर्व दिशा की तरफ प्रवेश द्वार की खास रूप से संरचना की गई है, जिसे धनुष का आकार दिया गया है।
मंदिर में अंदर की तरफ जाने पर स्तंभों और महराबों का नजारा मनमोहक हैं, इनपर बखूभी ढंग से नक्काशियां की गई हैं। कालराम मंदिर की लंबाई 74 मीटर हैं इसके साथ ही मंदिर की चौड़ाई 32 मीटर और ऊंचाई 69 मीटर हैं। मंदिर के सम्मुख दर्शन के बाद ऐसा प्रतीत होता है कि आपने त्रयंबकेश्वर मंदिर के भी दर्शन यही पर कर लिए हो, इसके पीछे एक मुख्य कारण यह है की दोनो मंदिर की संरचना लगभग एक समान है।
मंदिर के शिखर पर सोने का कलश स्थापित की गई है, जोकि सूरज की रोशनी में चकाचौंध की तरह चमकता हैं। मंदिर में अन्य देवताओं को भी विराजित किया गया है, आप भगवान राम के साथ मंदिर में भगवान विट्ठल और गणेश जी के भी दर्शन कर सकते हैं।
कालाराम मंदिर के प्रमुख त्यौहार | Kalaram Mandir Festival
हिन्दू धर्म के अनेकों मंदिरों में प्रत्येक वर्ष धार्मिक अनुष्ठान आयोजित किए जाते हैं, इसी प्रकार कालाराम मंदिर (Kalaram Mandir) में सालों से चाले आ रहे त्यौहार काफी प्रचलित है, आर्टिकल के माध्यम से उन्ही त्योहारों के बारे में चर्चा करेंगे।
श्री राम नवरात्रि
यह त्यौहार हिन्दू कैलेंडर के हिसाब से चैत के महीने में आयोजित किया जाता है। मंदिर में पुरोहितों के अनुसार यह मंदिर का सबसे बड़ा त्यौहार है। इस त्यौहार को रामनवमी के रूप में भी जाना जाता है। राम नवमी के दो दिन बाद शहर में भव्य यात्रा निकाली जाती है।
विजय दशमी दशहरा
इस दिन भगवान ने लंका पर विजय प्राप्त की थी और माता सीता को लंका से वापस लेकर आए थे, भगवान राम की जीत के अवसर पर कालाराम मंदिर में दशहरे जैसे त्योहार को बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है। इस दिन भगवान राम को पालकी में बिठाकर रथ यात्रा की जाती है और उनकी पूजा आर्धना की जाती है।
कलाराम मंदिर से जुड़े अन्य त्यौहार
कलाराम मंदिर में ऊपर बताए गए त्यौहार प्रमुख त्योहार हैं, लेकिन उनके अलावा भी मंदिर में अन्य त्योहारों को मान्यता दी जाती है, जिसमे से माता सीता के लिए सीता गुफा में अन्य अनुष्ठान आयोजित किए जाते हैं।
कालाराम मंदिर कैसे पहुंचे | How to visit Kalaram Mandir
कालाराम मंदिर (Kalaram Mandir) पहुँचने के लिए आप ट्रेन, फ्लाइट और बस की मदद ले सकते हैं। अगर आप मंदिर तक के सफ़र को विस्तार से जानना चाहते हैं, तो आर्टिकल में आगे बताई गयी जानकारी को जरूर पढ़ें।
बस द्वारा कालाराम मंदिर कैसे पहुंचे
अगर आप अपने शहर से मंदिर तक बस से जाना चाहते हैं, तब आपको महाराष्ट्र जाने वाली बस के बारे में जानकारी एकत्रित करनी पड़ेगी। महाराष्ट्र में प्रवेश करने के बाद आपको नासिक जाना होगा, नासिक रोड से आपको सीता गुफा रोड तक आना होगा, और फिर वहां से मंदिर के लिए अनेकों यातायात साधन मिल जाएंगे।
ट्रेन द्वारा कालाराम मंदिर कैसे पहुंचे
ट्रेन से मंदिर तक का सफ़र तय करने के लिए आपको अपने शहर से नासिक रेलवे स्टेशन तक पहुंचना होगा, हो सकता है आपके शहर से डायरेक्ट यहाँ ट्रेन ना आती हो, तब आप ट्रेन बदलकर यहाँ तक पहुँच सकते हैं। नासिक रेलवे स्टेशन से मंदिर तक जाने के लिए आपको टेक्सी या ऑटो जैसी सेवाएं आसानी से उपलब्ध हो जाएंगी।
फ्लाइट द्वारा कालाराम मंदिर कैसे पहुंचे
अगर आप फ्लाइट के जरिए मंदिर जाने की सोच रहें है तब आपको मंदिर के नजदीकी एअरपोर्ट की टिकट बुक करवानी होगी, जोकि ओजार नासिक एअरपोर्ट है। भारत के प्रमुख राज्यों से यहाँ तक ऐरोप्लन की सेवाएं आसानी से उपलब्ध हो जाती हैं। एअरपोर्ट से बहार आने के बाद आपको सुविधाजनक रोड देखें को मिल जाते हैं, जहां से टेक्सी और ऑटो की मदद से आप मंदिर तक आसानी से पहुँच सकते हैं।
कालाराम मंदिर का दर्शन समय
अगर आप नासिक में स्तिथ कालाराम मंदिर (Kalaram Mandir) के दर्शन करना चाहते है और मंदिर जाने का प्लान बना रहें है, तब आपको मंदिर से जुडी समय सारणी के बारे में जानकारी होनी चाहिए, ताकि आप मंदिर में होने वाली आरती के अनुसार सही समय पर मंदिर पहुँच सकें। इस आर्टिकल के माध्यम से मंदिर में होने वाली आरती के बारे में नीचे दी गई टेबल में बताया गया है।
आरती | समय |
मंदिर खुलने का समय | 5:00 बजे सुबह |
काकड आरती | 5:30 -6:30 बजे सुबह |
शहनाई वादन और भूपाली | 7 – 8 बजे सुबह |
मंगल आरती | 8 -10 बजे सुबह |
महा आरती | 10:30 सुबह – 1 बजे दोपहर |
विविध मंडल भजन | 3 बजे दपहर से शाम 5 तक |
शेज आरती | 7 बजे से 8 बजे रात तक |
मंदिर बंद होने का समय | 10 बजे रात |
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कालाराम मंदिर (Kalaram Mandir) की विशेषता क्या है?
कालाराम मंदिर के मुख्य गृह में 14 सीढियाँ स्थापित की गई है, जोकि भगवान राम के 14 वर्ष के वनवास का प्रतिनिधित्व करती हैं।
कालाराम मंदिर (Kalaram Mandir) सत्याग्रह से क्या मतबल है?
कालाराम मंदिर सत्याग्रह दलितों के हितों के लिए किया गया आदोलन था, जिसके अनुसार दलितों को मंदिर में प्रवेश दिलाने का प्रयास किया गया था।
कालाराम मंदिर (Kalaram Mandir) के निर्माणकर्ता कौन हैं?
कालाराम मंदिर की स्थापना सरदार रंगाराव ओधेकर ने की थी।
कालाराम मंदिर (Kalaram Mandir) सत्याग्रह का नेतृत्वकर्ता कौन थे?
डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर।
कालाराम मंदिर (Kalaram Mandir) प्रवेश आन्दोलन कब शुरू किया गया था?
2 मार्च 1930
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