ज्वाला देवी शक्ति पीठ (Jwala Shakti Peeth) : माता ज्वाला 51 शक्ति पीठ में से एक शक्ति पीठ का स्वरूप है। शिव पुराण के अनुसार माता सती की जीभ इस स्थान पर विराजित हुयी थी, जिससे मंदिर में नौ ज्वालाओं की उत्पत्ति हो पाई। इन नौं ज्वालाओं में माता ज्वाला के अन्य स्वरूप देखे जा सकते हैं। ज्वाला देवी शक्ति पीठ हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा छेत्र में स्तिथ है। इसी मंदिर से जुडी एक प्राचीन कहानी प्रसिद्ध है जिसमे अकबर जैसे महान राजा का घमंड चकनाचूर हो गया था, इस काहानी का पूर्ण विवरण आप आगे विस्तार से पढ़ सकते हैं, साथ ही आर्टिकल में मंदिर से जुड़े अनेकों रहस्यों को जानेंगे।
ज्वाला देवी शक्ति पीठ मंदिर का इतिहास | Jwala Shakti Peeth History In Hindi

ज्वाला शक्ति पीठ मंदिर ज्वाला देवी के रूप में प्रसिद्ध है। इतिहासकारों के अनुसार माता दुर्गा के एक भक्त ने माता को सपने में देखा था, माता के द्वारा बताए गए स्थान पर कांगड़ा के प्राचीन राजा भूमिचंद ने देवी के मंदिर की स्थापना करवाई, जिसे बाद में ज्वाला देवी शक्ति पीठ के नाम से जाना गया।
51 शक्ति पीठ में से एक, ज्वाला देवी शक्तिपीठ है, जिस स्थान पर यह मंदिर स्थित है। देवकाल में उसी जगह पर माता सती की जीभ गिरी थी। मंदिर का वर्तमान निर्माण 19 शताब्दी के मध्य में हुआ था। इतिहास के अनुसार राजा भूमिचंद के साथ पांडवों ने भी मंदिर के निर्माण में काफी योगदान दिया था, इसके बाद मंदिर को वर्तमान रूप दिया गया।
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ज्वाला देवी शक्ति पीठ मंदिर की महत्वपूर्ण बातें
मंदिर का नाम | ज्वाला देवी शक्ति पीठ मंदिर |
सम्बंधित धर्म | हिन्दू |
प्रमुख देवता | ज्वाला जी |
प्रमुख अनुष्ठान | नवरात्री |
मंदिर की जगह | कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश |
मंदिर के निर्माता | भूमिचंद राजा |
मंदिर निर्माण काल | सतयुग |
मंदिर की भाषा | हिंदी, पहाड़ी |
मंदिर की ऊंचाई | 557.63 मीटर |
मंदिर खुलने का समय | सुबह 4 बजे |
ज्वाला देवी शक्ति पीठ मंदिर का रहस्य | Jwala Shakti Peeth Mystery In hindi
माता सती के 51 शक्ति पीठ के बारे में तो आप जरुर जानते होंगे, लेकिन क्या आप इनमे से प्रमुख ज्वाला देवी शक्ति पीठ मंदिर (Jwala Shakti Peeth) के बारे मे जानते हैं? इस मंदिर की सबसे चमत्कारिक बात यह कि यहाँ नौ प्रकार की ज्योतियाँ जलती हैं, जिन्हें पूजनीय माना जाता है, जबकि अन्य मंदिरों में मूर्तियों की पूजा आराधना की जाती है। ज्वाला देवी शक्ति पीठ मंदिर (Jwala Shakti Peeth) के बारे में अनेकों रहस्य बताए जाते हैं जो आज भी आश्चर्यचकित कर देने वालें है, क्या आप उन सभी रहस्यों से परिचित हैं? अगर नहीं तो आज आप इस आर्टिकल के माध्यम से उन सभी रहस्यों के बारे में विस्तार से जानेंगे।
- 51 शक्तिपीठ में से एक, इस मंदिर की उत्त्पति माता सती के जीभ गिरने से हुई थी, जिसे ज्वाला देवी शक्ति पीठ मंदिर के रूप में जाना जाता है।
- ज्वाला देवी शक्ति पीठ मंदिर (Jwala Shakti Peeth) में चमत्कारिक रूप से 9 तरह की अग्नि ज्वाला प्रज्ज्वल रहती हैं, जिसके रहस्य को आज तक कोई वैज्ञानिक नहीं सुलझा पाया है।
- ज्वाला देवी शक्ति पीठ मंदिर (Jwala Shakti Peeth) में जलने वाली नौ प्रकार की ज्योतियों को अन्नपूर्णा, चंडी, हिंगलाज, विन्ध्वासिनी, महालक्ष्मी, सरस्वती, अम्बिका, अन्जिदेवी, महाकाली का स्वरूप बताया जाता है।
- ज्वाला देवी शक्ति पीठ मंदिर (Jwala Shakti Peeth) “प्रकाश की देवी” के रूप में विख्यात हैं।
- एक मान्यता के अनुसार मंदिर में जलने वाली ज्वाला को अंग्रेज अपने कब्जे में करना चाहते थे, उन्होंने मंदिर में काफी नीचे तक खुदाई की, लेकिन वह इसकी गहराई और रहस्य का पता नहीं लगा सके।
- एक प्राचीन कहावत के अनुसार, अकबर ने मंदिर में जलने वाली ज्योति को बुझाना चाहा था। लेकिन उनके हर प्रयत्न विफल रहे। बाद में लोगों ने इसे ज्वाला देवी के रूप में स्वीकार कर लिया।
- ज्वाला देवी शक्ति पीठ मंदिर (Jwala Shakti Peeth) में प्रत्येक वर्ष मार्च से अप्रैल और सितम्बर से अक्टूबर तक विशेष अनुष्ठान का आयोजन किया जाता है।
- ज्वाला देवी शक्ति पीठ मंदिर (Jwala Shakti Peeth) में किसी मूर्ति की नहीं बल्कि पवित्र लौ की पूजा आराधना की जाती है।
- एक मान्यता के अनुसार अकबर ने मंदिर के ऊपरी सिरे पर सोने का छत्र चढ़ाया था लेकिन माता ने इस छत्र को स्वीकार नहीं किया और कुछ समय बाद यह अन्य धातु में परिवर्तित हो गया।
- ज्वाला देवी शक्ति पीठ मंदिर (Jwala Shakti Peeth) के पास ही एक विशाल नहर है, जिसको अकबर ने बनवाया था इसी वजह से इस नहर का नाम अकबर नहर रख दिया गया।
- ज्वाला देवी शक्ति पीठ मंदिर (Jwala Shakti Peeth) से जुड़ा एक और रहस्य भी बताया जाता है, जिसके अनुसार मंदिर के पास एक अनभूत जलकुंड मौजूद है जिसके अन्दर देखने पर वहां का पानी खौलता हुआ दिखाई देता है, लेकिन वास्तव में पानी गर्म नहीं अपितु सामान्य है।
ज्वाला देवी शक्ति पीठ मंदिर की कहानी | Jwala Shakti Peeth Story in Hindi

जिस तरह ज्वाला देवी शक्ति पीठ मंदिर (Jwala Shakti Peeth) के अनेकों रहस्य बताए जाते हैं ठीक उसी तरह, मंदिर से जुडी अनेकों कहानियाँ प्रसिद्ध हैं, जिसे मंदिर में रहने वाले पुरोहित, मंदिर में प्रवेश करने वाले भक्त जनों को सुनाते हैं। अक्सर आपने मंदिर के साथ अकबर का नाम सुना होगा, लेकिन शायद ही आपने माता ज्वाला और अकबर से जुडी पूरी कहानी को सुना हो, आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से उसी कहानी के बारे में विस्तार से जानेंगे।
एक प्राचीन कथा के अनुसार –
एक समय की बात है जब माता ज्वाला का एक भक्त ध्यानु भगत अपने साथ, हजारों यात्रियों लिए माता के दर्शन हेतु जा रहा था। इतने बड़े दल को देखकर अकबर के सिपाहियों ने उन सभी को एक स्थान पर रोक लिया और दल के मुख्य सदस्य ध्यानु भगत को पकड़ कर अकबर के दरबार में ले गया। दरबार में उपस्थित होने के बाद, अकबर ने ध्यानु भगत से पूछा-
“एक विशाल सदस्य संगठन के साथ आप आगे कहाँ जा रहें है? इसके पीछे मुख्य उदेश्य क्या है?”
तब ध्यानु भगत ने बड़ी ही नम्रता से कहा-
“हे महाराज मैं माता ज्वाला का भक्त हूँ और माता के दर्शन हेतु, मन में जिज्ञासा होने के कारण मैं माता के दर्शन करने जा रहा हूँ, मेरे साथ मौजूद यह सभी यात्री माता के भक्त हैं, इसी वजह से यह सभी मेरे साथ माता के दर्शन करना चाहते हैं।”
अकबर ने ध्यानु भगत की बात सुनकर कहा –
“माता ज्वाला कौन है और इनके दर्शन करने से क्या होगा?”
जवाब में ध्यानु भगत ने बताया कि माता ज्वाला एक लौ के स्वरूप में मंदिर में विराजमान हैं, इनके दर्शन मात्र से हर मनुष्यों का कल्याण होता है।
यह सुनकर अकबर ने कहा हमें आपकी बात पर संदेह है, संसार में कोई भी व्यक्ति ऐसा नहीं है जिसके आशीर्वाद मात्र से किसी के जीवन में कल्याण हो, अगर आपको अपनी देवी माता पर इतना ही विश्वास है तो आपको हमारे सामने इस बात का सबूत पेश करना होगा, और इसके लिए हम आपके अश्व का गला काट देंगे अगर सच में आपके देवी माता में शक्ति होगी, तो उनसे विनती करके इस घोड़े का सिर जुड़वा देना, तभी हमें आपकी माता पर पूर्ण विश्वास हो पाएगा।
ऐसा कहकर अकबर ने अपने सिपाहियों को आदेश दे दिया और ध्यानु भगत के घोड़े का सिर क़लम कर दिया।
ध्यानु भगत को यह देखकर बड़ी उदासीनता हुई, लेकिन वह माता पर पूर्ण विश्वास रखता था। इसलिए उसने अकबर से एक महीने की समय माँगा और साथ ही माता के दर्शन करके पूजा अर्चना करने की इजाजत मांगी। अकबर ने उसे इजाजत दे दी। तब ध्यानु भगत अपने मृत घोड़े के साथ माता के मंदिर के पास जा पहुंचा। वहां पर जाकर उसने माता के दर्शन किए और एक कड़ी तपस्या में लीन हो गया। परिणामस्वरूप माता ज्वाला अपने भक्त से प्रसन्न हो गई और उसके घोड़े को जीवित कर दिया। जब इस बात का पता अकबर को लगा तो वह आश्चर्यचकित रह गया, वह माता के दर्शन के लिए गया, लेकिन मन में शंका रखते हुए, उसने मंदिर में जल रही लौ को एक नहर के पानी से बुझाना चाहा, लेकिन वह असफल रहा।
बाद में अकबर ने माता से अपनी गलती की क्षमा मांगी, और माता के छत्र के लिए एक सोने की परत बनवाई लेकिन, ज्वाला देवी ने इस भक्त भाव को स्वीकार नहीं किया और छत्र गिरकर अन्य पदार्थ में बदल गया, जो ना सोने का रहा ना ही चांदी का।
इस तरह से माता ज्वाला मंदिर के प्रति लोगों की भक्ति भावना अटूट हो गयी। आज लोग इसे ज्वाला देवी शक्ति पीठ (Jwala Shakti Peeth) के रूप में भी जानते हैं।
ज्वाला देवी शक्ति पीठ मंदिर की वास्तुकला | Jwala Shakti Peeth Architecture
ज्वाला देवी शक्ति पीठ मंदिर (Jwala Shakti Peeth) एक चट्टान के बगल में स्थित है जिसे सिख वास्तुकला के साथ निर्मित किया गया है। मंदिर की संरचना काफी सरल है। मंदिर के गुम्बद और शिखर को सोने की परत से मढ़ा गया है। मंदिर में मौजूद मुख्य मंदिर की दीवार को चांदी की परत से मढ़ा गया है, जोकि देखने में काफी रहस्यमई प्रतीत होती है।
मंदिर के ठीक सामने एक विशाल घंटी को देखा जा सकता है एक मान्यता के अनुसार नेपाल के राजा ने इस मंदिर के लिए यह सुन्दर घंटी भेट की थी। मंदिर के अंदर नौ ज्वाला के रूप में माता सती के स्वरूपों का दर्शन किया जा सकता है। मंदिर के द्वार पर शेर की विशाल प्रातिमा को स्थापित की गई है। मंदिर के अन्दर प्रवेश करने पर मंदिर चौकोर आकर में दिखाई पड़ता है, जिसमे एक प्रमुख स्थान पर ज्वाला देवी हमेशा प्रज्ज्वलित रहती है। मंदिर के पास ही गोरख डिब्बी नाम का एक विशाल कुंड स्थापित है, जहाँ पर पानी में रहस्यमई बुलबुले उठते रहते हैं। मंदिर के कुछ दूरी पर ही विशाल नहर को स्थापित किया गया गया है, जोकि देखने में काफी मनमोहक प्रतीत होती है।
ज्वाला देवी शक्ति पीठ मंदिर कैसे पहुंचे | How To Reach Jwala Shakti Peeth

अगर आप भी ज्वाला देवी के दर्शन करना चाहते हैं, तो आप हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में स्थित ज्वाला देवी शक्ति पीठ के दर्शन कर सकते हैं। मंदिर जाने के लिए नवरात्री का समय सबसे शुभ माना जाता है। इसके साथ ही मंदिर में होने वाले विभिन्न अनुष्ठान पर मंदिर के दर्शन किए जा सकते हैं। मंदिर में मुख्य रूप से मार्च से अप्रैल और सितम्बर से अक्टूबर महीनों में दर्शन करने वालो लोगों की भारी भीड़ रहती है। मंदिर तक पहुंचने के लिए सड़क मार्ग, रेल और हवाई जहाज की मदद ली जा सकती है। चलिए इन सभी साधनों की मदद से मदिर कैसे पहुँच सकते हैं, विस्तार से जानते हैं।
सड़क मार्ग द्वारा ज्वाला देवी शक्ति पीठ मंदिर(Jwala Shakti Peeth) कैसे पहुंचे
सड़क मार्ग से मंदिर तक पहुँचने के लिए सबसे पहले आपको अपने शहर से उस बस के बारे में पता करना होगा जो हिमाचल प्रदेश की तरफ जाती हो। आप हिमाचल प्रदेश की तरफ जाने वाली बस की टिकट बुक कर सकते है। बस की मदद से आपको ज्वालामुखी बस स्टैंड (कांगड़ा ) तक जाना होगा, बस स्टैंड तक जाने के बाद टैक्सी या ऑटो की मदद से आप मंदिर तक से पहुँच सकते हैं।
रेल मार्ग द्वारा ज्वाला देवी शक्ति पीठ मंदिर (Jwala Shakti Peeth) कैसे पहुंचे
मंदिर जाने के लिए सबसे सस्ता, ट्रेन का सफ़र है। अगर आप ट्रेन से मंदिर जाने का प्लान बना रहें हैं तब आपको अपने शहर से ट्रेन के माध्यम से ज्वालाजी रोड रेलवे स्टेशन तक पहुंचना होगा, यहाँ से मंदिर की दूरी लगभग 20 किलोमीटर है रेलवे स्टेशन से आप ऑटो या टैक्सी की मदद से मंदिर तक पहुँच सकते हैं।
हवाई जहाज से ज्वाला देवी शक्ति पीठ मंदिर (Jwala Shakti Peeth) कैसे पहुंचे
समय की कमी और अच्छा बजट होने पर, आप एरोप्लेन से मंदिर का सफ़र तय कर सकते हैं, इसके लिए आपको अपने शहर से गग्गल एअरपोर्ट तक पहुँचाना होगा, यहाँ से मंदिर की दूरी लगभग 44 किलोमीटर है, मंदिर से एअरपोर्ट तक पहुँचने के लिए आप कैब और टैक्सी की मदद ले सकते हैं।
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ज्वाला देवी शक्ति पीठ मंदिर दर्शन समय | Visiting Time Of Jwala Shakti Peeth
अगर आप ज्वाला देवी के दर्शन करना चाहते हैं तो जानकारी के लिए बताना चाहेंगे मंदिर में पांच तरह की आरतियां की जाती है जिनका अलग-अलग समय निर्धारित हैं। मंदिर जाते समय आपको इनके बारे में जरुर पता होना चाहिए ताकि आप हर आरती का दर्शन कर सकें। सर्दियों में इन सभी आरतीयों के समय में 1 घंटे का बदलाव देखा जा सकता है, अथार्त सर्दियों में आरतियों को एक घंटे पहले ही पूर्ण कर लिया जाता है। मंदिर में होने वाली आरती की समय सारणी आप नीचे टेबल में देख सकते हैं।
आरती | समय |
श्रृंगार आरती | सुबह 4:30 बजे |
मंगल आरती | सुबह 5 – 6 बजे |
भोग आरती | सुबह 11:30 – दोपहर 12:30 बजे |
शाम की आरती | रात 7 बजे – 8 बजे तक |
शयन आरती | रात 9:30 से 10 तक |
मंदिर बंद होने का समय | रात 10 बजे |
FAQ
ज्वाला देवी शक्ति पीठ (Jwala Shakti Peeth) कहाँ पर स्थित है?
कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश।
ज्वाला देवी शक्ति पीठ (Jwala Shakti Peeth) में देवी के कितने स्वरूप पूजे जाते हैं?
नौ स्वरूप।
ज्वाला देवी शक्ति पीठ (Jwala Shakti Peeth)से नजदीक रेलवे स्टेशन कौन सा है?
ज्वालाजी रोड रेलवे स्टेशन।
ज्वाला माता किस कुल की देवी है
कुमावतों की कुल देवी।
ज्वाला देवी शक्ति पीठ (Jwala Shakti Peeth) माता सती के किस अंग से जुदा है?
जीभ।
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