रविवार, अगस्त 11, 2024
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जगन्नाथ पुरी मंदिर का इतिहास, कथा एवं चौकाने वाले रहस्य | Jagannath Temple History In Hindi

Jagannath Temple History In Hindi : आप सभी लोगो ने जगन्नाथ पुरी मंदिर के बारे में तो सुना ही होगा। और आपमें से काफी लोग ने जगन्नाथ पुरी मंदिर के दर्शन भी किये होगे। जगन्नाथ पुरी मंदिर ओडिशा राज्य के पूरी शहर में पूर्वी तट पर स्थित हैं। और इस मंदिर में हर रोज लाखो की संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने के लिए जाते हैं।

ओडिशा राज्य के पूरी शहर में स्थित यह मंदिर हिन्दू मंदिर माना जाता हैं। इस मंदिर में भगवान जगन्नाथ, देवी सुभद्रा और बड़े भाई बालभद्र विराजमान हैं। और उनकी पूजा अर्चना की जाती हैं। हर साल इस मंदिर में लाखो की संख्या में लोग दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं।

ऐसा माना जाता है की इस मंदिर में जाकर भगवान के दर्शन करने से और मंदिर में माथा टेकने से श्रधालुओं की मनोकामना पूर्ण होती हैं। पूरी में स्थित भगवान जगन्नाथ का यह मंदिर बहुत ही प्राचीन मंदिर माना जाता हैं। यह बहुत ही भव्य मंदिर माना जाता हैं।

जगन्नाथ पूरी मंदिर का निर्माण कलिंग वास्तुकला के आधारित हैं। अगर बात की जाए मंदिर की ऊंचाई के बारे में तो इस मंदिर की उंचाई 65 मीटर के करीब हैं।

इस मंदिर से जुड़े इतिहास और कुछ रोचक तथ्यों के बारे में आज हम इस आर्टिकल में चर्चा करने वाले हैं। साथ साथ भक्तगण इस मंदिर तक कैसे पहुंच सकते है। इन सभी के बारे में भी बात करने वाले हैं।

तो आइये हम आपको पूरी जगन्नाथ मंदिर के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी प्रदान करते हैं।

जगन्नाथ पुरी मंदिर का इतिहास – Jagannath Temple History In Hindi

अगर आप देखेगे तो भारत में स्थित हर एक प्राचीन मंदिर के बनने के पीछे कोई ना कोई कहानी छिपी हुई होती हैं। ऐसे मंदिर का इतिहास होता हैं। ऐसे में जगन्नाथ पुरी मंदिर बनने के पीछे भी एक रोचक कहानी छिपी हैं। इस मंदिर का इतिहास भी काफी रोचक हैं।

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जगन्नाथ पुरी मंदिर के पीछे भी एक कहानी छिपी हुई हैं। जिसके बारे में हमने वर्णन किया हैं। एक समय की बात हैं। एक विश्वासु नामक राजा थे। जो भगवान में काफी श्रद्धा रखते थे। उन्होंने एक दिन भगवान नीला माधबा की पूजा करने का निश्चिय किया और वह गुप्त रूप से देवता की पूजा करने लगे।

लेकिन उस समय के पूरी के राजा इन्द्रुद्युम को देवता के बारे में जानना था। इसलिए उन्होंने उनके एक ब्राह्मण पुजारी जिनका नाम विद्यापति उनको राजा विश्वासु की खोज करने के लिए भेजा।

लेकिन ऐसा माना जाता है की पुजारी विद्यापति ने राजा विश्वासु की काफी खोज की लेकिन राजा उनको नही मिले। लेकिन जिस जंगल में विद्यापति राजा की खोज कर रहे थे। वहां उनको राजा की पुत्री ललिता मिली और उन दोनों को एक दुसरे से प्यार हो गया। इसके बाद विद्यापति और राजा की पुत्री ललिता ने शादी कर ली।

लेकिन कुछ समय बाद विद्यापति के काफी आग्रह करने के बाद राजा विश्वासु अपने दामाद को उस गुफा में लेकर गए जहां उन्होंने भगवान की पूजा की थी।

लेकिन ऐसा माना जाता है की जब राजा विश्वासु दामाद को भगवान के दर्शन करने के लिए गुफा की तरफ ले जा रहे थे। तब राजा ने दामाद की आँखों पर पट्टी बाँध ली थी। लेकिन विद्यापति ने चालाकी से पुरे रास्ते पर राई बिखेर दी थी ताकि वह राजा इन्दृधुम को उस जगह पर ले जा सके।

विद्यापति ने जब दर्शन कर लिए उसके बाद वह राजा इन्दृधुम के पास पहुंचे और उस गुफा में उनको भी दर्शन करने के लिए लेकर गए। लेकिन ऐसा माना जाता है की जब राजा इन्दृधुम उस जगह पर दर्शन करने के लिए पहुंचे तब उस गुफा में कोई भी भगवान मूर्ति स्थापित नही थी।

इसके बाद राजा को अचानक से कोई आवाज सुनाई दी थी। जिसमे उन्होंने सुना की नीलसैला पर भगवान का एक भव्य मंदिर बनाया जाए। उस आवाज को सुनकर राजा ने नीलसैला पर भगवान विष्णु का एक भव्य मंदिर बनाया था।

मंदिर बनने के बाद मंदिर को पवित्र करने के लिए राजा ने ब्रह्माजी को आमंत्रित किया था। लेकिन ऐसा माना जाता है की ब्रह्माजी उस समय अपने ध्यान में लीन थे। और इस वजह से उनको मंदिर में आने के लिए नौ साल का समय लग गया था। तब तक मंदिर पूरा रेत में दब चूका था।

लेकिन राजा ने फिर से नींद में एक आवाज को सुना और मंदिर का निर्माण करने के लिए कहा गया। इसके बाद राजा ने फिर से भव्य मंदिर बनाया और उसमे पेड़ की लकड़ी से बनी भगवान जग्ग्न्नाथ, देवी सुभद्रा और बलभद्र की मूर्ति स्थापित की। और तब से लेकर आज दिन तक यह मंदिर स्थित हैं। ऐसा माना जाता हैं।

जगन्नाथ मंदिर का निर्माण 

गंग वंश काल में मिले कुछ प्रमाणों के अनुसार जगन्नाथ मंदिर का निर्माण उस समय के कलिंग के राजा अनंतवर्मन चोडगंग ने करवाया था। ऐसा माना जाता है की कलिंग के इस राजा ने सन 1078 से 1148 के बीच में मंदिर विमान भाग का और जगमोहन का निर्माण करवाया था।

लेकिन अभी जो वर्तमान मंदिर हैं। उसका पूरा निर्माण ओडिशा के राजा भीम देव ने सन 1197 में करवाया था। ऐसा माना जाता है की 1448 से जगन्नाथ मंदिर में पूजा अर्चना की जाती थी।

लेकिन इसी वर्ष किसी अफगान ने जगन्नाथ मंदिर पर आक्रमण किया था। और इस आक्रमण में मंदिर में मौजूद मूर्ति और मंदिर पूरा मंदिर नस्ट हो गया था।

लेकिन इसके बाद राजा रामचन्द्र ने अपने राज्य की स्थापना की थी। और जगन्नाथ मंदिर को दुबारा फिर से बनाया था। तब राजा ने मंदिर का निर्माण करके मंदिर में मूर्ति की स्थापना करवाई थी।

जगन्नाथ पूरी मंदिर के रोचक तथ्य

जगन्नाथ पूरी मंदिर के कुछ रोचक तथ्य हैं। जो आपमें से काफी कम लोगो को पता होगे। ऐसे ही कुछ रोचक तथ्यों के बारे में हमने नीचे जानकारी प्रदान की हैं।

  • जगन्नाथ पूरी मंदिर के ऊपर एक ध्वजा लहरा रहा हैं। ऐसा माना जाता है की यह ध्वजा हमेशा ही हवा की उल्टी दिशा में लहराता हैं।
  • आज दिन तक कोई भी इसके पीछे कारण पता नही पर पाए हैं।
  • जगन्नाथ पूर्ति मंदिर की ध्वजा हमेशा ही उल्टी दिशा में लहराता हैं। जो श्रद्धालुओ के लिए आश्चर्य की बात हैं।
  • जगन्नाथ पूरी मंदिर के ऊपर एक अष्टधातु से बना हुआ चक्र लगाया हुआ हैं।
  • इस चक्र की ख़ास विशेषता है की चक्र को पूरी के किसी भी दिशा से देखा जाए तो वह सामने से ही दिखाई देता हैं।
  • जगन्नाथ मंदिर के ऊपर लगी ध्वजा को रोजाना बदला जाता हैं। लेकिन ऐसा माना जाता है की इस ध्वजा को बदलने वाला इसकी उल्टी दिशा में चढ़कर ध्वजा को बदलता हैं।
  • जब इस ध्वजा को बदला जाता हैं। उस समय बदलने की प्रक्रिया को देखने के लिए भारी मात्रा में लोग वहां मौजूद होते हैं।
  • जगन्नाथ मंदिर पर लगी ध्वजा के ऊपर भगवान शिव का चन्द्र बना हुआ हैं। जो काफी आकर्षक और मनमोहक लगता हैं।
  • जगन्नाथ मंदिर में प्रसाद पकाने का तरीका भी काफी अलग हैं। ऐसा माना जाता है की मंदिर परिसर में सात बर्तनों को एक दुसरे के ऊपर रखकर प्रसादम पकाया जाता हैं।
  • जगन्नाथ मंदिर के ऊपर एक गुबंद मौजूद हैं। माना जाता है की इस गुबंद की छाया कभी भी दिखाई नही देती हैं।
  • इसके अलावा गुबंद की एक और विशेष बात यह है की इस गुबंद के ऊपर से कोई भी पक्षी या विमान नही निकलता हैं।
  • जगन्नाथ मंदिर में रोजाना प्रसादम बनाया जाता है लेकिन आज दिन तक रिकोर्ड हैं की इस मंदिर में कभी प्रसादम ना की कम पड़ता हैं। और नाही ज्यादा होता हैं।
  • जगन्नाथ मंदिर में हवा की दिशा में भी कुछ अलग ही विशेषता देखने को मिलती हैं। इस मंदिर में मानो हवा उल्टी दिशा में फ़ैल रही हैं। ऐसा महसुस होता हैं।

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जगन्नाथ पूरी मंदिर दर्शन का टाइम

वैसे अगर देखा जाए तो जगन्नाथ पूरी मंदिर में दर्शन करने के लिए कोई भी शुल्क नही देना होता हैं। यानी की प्रवेश फ्री होता हैं। लेकिन अगर आप किसी अनुष्ठान का हिस्सा बनते हैं। तो आपको दस से पचास रूपये तक का भुगतान करना पड़ सकता हैं।

जगन्नाथ पूरी मंदिर सुबह 5 बजे खुल जाता हैं। और रात 12 बजे तक खुला रहता हैं। मंदिर की पुरे दिन की दिनचर्या के बारे में हमने नीचे जानकारी प्रदान की हैं।

मंदिर में मंगल आरती
सुबह 5 बजे मंदिर खुलते ही
बेशालगीसुबह 8 बजे जिसमे भगवान को वस्त्रो से सुसज्जित किये हैं
सकल धुपसुबह 10 बजे इसमें सुबह का भोग भगवान को अर्पित किया जाता हैं।
मैल्म और भोग मंडपसकल धुप के बाद एक बार फिर से भगवान के वस्त्रो को बदला जाता हैं
मध्याह्न धुपसुबह 11 से दुपहर 1 बजे के बीच भोग लगाया जाता है
संध्या धुपशाम को 7 से 8 बजे के बीच भगवान को संध्या भोग लगाया जाता है
मेलम और चंदना लागीशाम की पूजा के बाद भगवान को चंदन का अभिषेक किया जाता हैं
बादश्रुंगार भोगपुरे दिन की क्रिया के बाद यह अंतिम भोग होता हैं।

जगन्नाथ पूरी मंदिर कैसे पहुंचे

आप जगन्नाथ पूरी मंदिर विभिन्न तरीके से पहुँच सकते हैं। जिसके बारे में हमने नीचे जानकारी प्रदान की हैं।

ट्रेन मार्ग से जगन्नाथ पूरी मंदिर कैसे पहंचे?
जगन्नाथ मंदिर पूरी रेलवे स्टेशन से काफी नजदीक हैं। अगर आप पूरी रेलवे स्टेशन पर उतरते हैं। तो वहां से आप मंदिर तक ऑटो रिक्षा या फिर टैक्सी बस से मंदिर तक जा सकते हैं।

पूरी रेलवे स्टेशन देश के लगभग सभी शहर से जुड़ा हुआ है। आप अपने शहर के रेलवे स्टेशन से पूरी के लिए चल रही ट्रेन से पूरी तक पहुँच सकते हैं। कोलकाता, न्यू दिल्ली और अहमदबाद से पूरी के लिए काफी सारी ट्रेन चलती हैं।

पूरी के लिए शताब्दी, सुपरफ़ास्ट और गरीब रथ आदि ट्रेन चलती हैं। आप इन में से अपने अनुसार किसी भी ट्रेन का चुनाव कर सकते हैं।

सडक मार्ग से जगन्नाथ पूरी मंदिर कैसे पहुंचे
पूरी का बस स्टैंड वहां के गुडिचा मंदिर के बिलकुल पास में हैं। आप यहाँ के बस स्टैंड से विशाखापत्तनम और कोलकाता के लिए बस पकड़ सकते हैं। इसके अलावा आप यहाँ से भुवनेश्वर के लिए भी बस पकड़ सकते हैं।

हवाई मार्ग से जगन्नाथ पूरी मंदिर कैसे पहुंचे
पूरी में कोई भी हवाई अड्डा नही हैं। लेकिन अगर आप हवाई मार्ग से पूरी जाना चाहते हैं। तो आपको पूरी के पास वाले शहर भुवनेश्वर हवाई अड्डा पर उतरना होगा। यहाँ से पूरी लगभग 60 किलोमीटर तक दुरी पर होगा। आप भुवनेश्वर के हवाई अड्डे पर उतरकर यहाँ से बस या टैक्सी से जगन्नाथ पूरी मंदिर तक पहंच सकते हैं।

जगन्नाथ पूरी मंदिर जाने का सही समय

अगर आप जगन्नाथ पूरी मंदिर जाना चाहते हैं। तो आप पुरे वर्ष में किसी भी महीने में जा सकते हैं। लेकिन मंदिर में दर्शन करने के लिए मार्च से जून महीने के बीच में जा सकते हैं। इन महीनो में पूरी का वातावरण अच्छा होता हैं। और बारिश भी नही होती हैं।

जून से सितंबर महीने में यहाँ पर बारिश का मौसम होता है। इसलिए इस महीने में आप जाते हैं। तो बारिश की वजह से थोडा आपको परेशानी का सामना उठाना पड़ सकता हैं।

अगर आप पूरी में ठंड का मजा लेना चाहते हैं। तो आपको जनवरी या फरवरी माह में पूरी जाना चाहिए। इन दिनों में काफी भक्तगण भगवान के दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं।

जगन्नाथ पूरी में फाल्गुन माह में डोला यात्रा का आयोजन किया जाता हैं। आप फाल्गुन महीने में अगर पूरी जाते हैं। तो आपको डोला यात्रा में हिस्सा लेने का मौका मिल सकता हैं।

इसके अलावा अप्रैल और मई महीने में यहाँ पर चंदन यात्रा का आयोजन किया जाता हैं। जो लगभग 21 दिन तक चलता हैं। तो आप इस महीने में भी जगन्नाथ पूरी दर्शन करने के लिए जा सकते हैं।

FAQS : Jagannath Temple History In Hindi

जगन्नाथ मंदिर कहा स्थित हैं?
जगन्नाथ मंदिर ओडिशा के पूरी शहर में स्थित हैं।

जगन्नाथ पूरी में किन देवता का मंदिर हैं?
जगन्नाथ मंदिर भगवान श्री कृष्ण का मंदिर हैं। जो जगन्नाथ भगवान का मंदिर माना जाता हैं। इस मंदिर में भगवान जगन्नाथ की प्रतिमा के साथ साथ देवी सुभद्रा और बड़े बाही बालभद्र की प्रतिमा भी स्थापित हैं।

जगन्नाथ मंदिर की विशेषता क्या है?
जगन्नाथ मंदिर की विशेषता है की इस मंदिर के ऊपर से विमान या पक्षी नही निकलते हैं। इसके अलावा मंदिर के ऊपर लगा हुआ झंडा हवा की उल्टी दिशा में लहराता हैं।

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