सोमवार, जुलाई 7, 2025
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इस्कॉन मंदिर (ISKCON Temple) कि स्थापना क्यों कि गयी थी | ISKCON Temple kya hai?

इस्कॉन मंदिर: ISKCON भगवान श्री कृष्ण की भक्ति के लिए एक महत्वपूर्ण संगठन है, जिसे आप हरे कृष्ण आन्दोलन के नाम से भी जानते हैं। इस्कॉन के अनुयायी आज दुनिया भर में फैले हुए हैं और उनकी मुख्य धारा हरे रामा, हरे कृष्ण के भजन और कीर्तन से विख्यात है। आज की पोस्ट में हम इस्कॉन मंदिर के बारे में संपूर्ण जानकारी देने का प्रयास करेंगें इसलिए पोस्ट को अंत तक ज़रूर पढ़े।

इस्कॉन मंदिर का मतलब क्या होता है | ISKCON Temple kya hai?

इस्कॉन मंदिर का पूरा नाम इंटरनेशनल सोसायटी फॉर कृष्ण कॉन्शियसनेस” (International Society for Krishna Consciousness) है। यह एक हिन्दू मंदिर है जो भगवान कृष्ण के भक्ति और संविदान के आधार पर स्थापित किया गया है। इस्कॉन मंदिरों में भगवान कृष्ण की पूजा और भगवद गीता के उपदेश का प्रचार किया जाता है।

इस्कॉन मंदिर आमतौर पर भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति की पूजा करते हैं और भगवद गीता के शिक्षाओं को प्रसारित करते हैं। इसके साथ ही, इन मंदिरों में भक्ति संगीत, कीर्तन और ध्यान जैसी धार्मिक क्रियाएं भी आयोजित की जाती हैं।

इस्कॉन मंदिरों की जानकारी:

फाउंडेशन का नामद इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शसनेस
स्थानविश्वव्यापी
संस्थापकसी. भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद
स्थापना का वर्ष13 जुलाई 1966, न्यूयॉर्क शहर
मुख्यालयमायापुर, पश्चिम बंगाल
संबद्धताएँगौड़ीय वैष्णववाद
सबसे बड़ा इस्कॉन कॉम्प्लेक्सइस्कॉन बैंगलोर
इस्कॉन मंदिरों की वास्तुकलाआधुनिक तत्वों के स्पर्श के साथ नव-वैदिक और शास्त्रीय भारतीय

इस्कॉन मंदिर का इतिहास

इस्कॉन मंदिर का इतिहास 1966 में शुरू होता है, जब भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद ने न्यूयॉर्क शहर में पहला इस्कॉन मंदिर की स्थापना की। प्रभुपाद एक हिंदू धार्मिक गुरु थे जिन्होंने भगवान श्री कृष्ण के संदेश को दुनिया भर में फैलाने के लिए समर्पित थे। उन्होंने इस्कॉन मंदिरों को एक महत्वपूर्ण उपकरण के रूप में देखा जो लोगों को भगवान कृष्ण के बारे में जानने और उनके संदेश को अपनाने में मदद कर सकता है।

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प्रभुपाद की शुरुआती सफलताओं के बाद इस्कॉन मंदिरों ने दुनिया भर में तेजी से फैलना शुरू कर दिया। आज इस्कॉन मंदिर 100 से अधिक देशों में स्थित हैं। भारत में इस्कॉन मंदिरों की संख्या सबसे अधिक है, लेकिन इस्कॉन मंदिरों को दुनिया के कई अन्य हिस्सों में भी पाया जा सकता है, जिनमें यूरोप, अमेरिका, एशिया और अफ्रीका शामिल हैं।

इस्कॉन मंदिरों की स्थापना के बाद से उन्होंने दुनिया भर में लाखों लोगों को प्रभावित किया है। इस्कॉन के अनुयायी भगवान कृष्ण की पूजा करके अपने जीवन में शांति, प्रेम और आनंद प्राप्त कर सकते हैं। वे इस्कॉन मंदिरों में आयोजित भजन, कीर्तन और भक्ति कार्यक्रमों में भाग लेकर अपने आध्यात्मिक जीवन को विकसित कर सकते हैं।

इस्कॉन मंदिर एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल हैं जो भगवान कृष्ण की पूजा और उनके संदेश को फैलाने का काम करते हैं। वे दुनिया भर के लोगों के लिए आध्यात्मिक मार्गदर्शन और समर्थन प्रदान करते हैं।

इस्कॉन मंदिर की सच्चाई

इस्कॉन मंदिरों के बारे में कई सच्चाइयां हैं। इनमें से कुछ सच्चाइयां निम्नलिखित हैं:

  • इस्कॉन मंदिर हिंदू धर्म के एक महत्वपूर्ण हिस्से हैं।
  • इस्कॉन मंदिर दुनिया भर में लाखों लोगों को प्रभावित करते हैं।
  • इस्कॉन मंदिर भगवान कृष्ण के संदेश को फैलाने के लिए काम करते हैं।
  • हालांकि, इस्कॉन मंदिरों के बारे में कुछ विवाद भी हैं। इनमें से कुछ विवादों में शामिल हैं:
  • इस्कॉन के कुछ अनुयायीों पर यौन शोषण के आरोप लगे हैं।
  • इस्कॉन को कुछ लोगों द्वारा एक संप्रदाय के रूप में देखा जाता है।
  • यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि सभी इस्कॉन मंदिर एक जैसे नहीं हैं। कुछ इस्कॉन मंदिरों में अन्य की तुलना में अधिक विवाद हैं।

कुल मिलाकर, इस्कॉन मंदिर एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल हैं जो भगवान कृष्ण की पूजा और उनके संदेश को फैलाने का काम करते हैं। हालांकि, इस्कॉन मंदिरों के बारे में कुछ विवाद भी हैं जो ध्यान में रखने योग्य हैं।

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इस्कॉन मंदिर क्यों प्रसिद्ध है?

इस्कॉन मंदिर प्रसिद्ध हैं क्योंकि वे हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण देवताओं में से एक, भगवान श्री कृष्ण की पूजा करते हैं। इस्कॉन मंदिरों में भगवान श्री कृष्ण और उनकी पत्नी राधा की मूर्तियों की पूजा की जाती है। इन मंदिरों में नियमित रूप से भजन, कीर्तन और भक्ति कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

इसके अलावा इस्कॉन मंदिरों ने दुनिया भर में लाखों लोगों को प्रभावित किया है। इस्कॉन के अनुयायी भगवान कृष्ण की पूजा करके अपने जीवन में शांति, प्रेम और आनंद प्राप्त कर सकते हैं। वे इस्कॉन मंदिरों में आयोजित भजन, कीर्तन और भक्ति कार्यक्रमों में भाग लेकर अपने आध्यात्मिक जीवन को विकसित कर सकते हैं।

इस्कॉन मंदिरों की प्रसिद्धी के कुछ मुख्य कारण निम्नलिखित हैं:

भगवान कृष्ण का महत्व: भगवान कृष्ण हिंदू धर्म के सबसे लोकप्रिय देवताओं में से एक हैं। वे एक बाल अवतार के रूप में लोकप्रिय हैं, जिन्हें अक्सर एक युवा लड़के के रूप में चित्रित किया जाता है जो गायों के साथ खेलता है और रास लीला नृत्य करता है।

विश्वव्यापी उपस्थिति: इस्कॉन मंदिर 100 से अधिक देशों में स्थित हैं। इससे वे दुनिया भर के लोगों तक पहुंचने में सक्षम हैं।

आध्यात्मिक मार्गदर्शन: इस्कॉन के अनुयायी मानते हैं कि भगवान कृष्ण एक पूर्ण परमात्मा हैं जो सभी जीवों के लिए मार्गदर्शक और शिक्षक हैं। वे भगवान कृष्ण की पूजा करके अपने जीवन में शांति, प्रेम और आनंद प्राप्त कर सकते हैं।

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भारत के प्रसिद्ध इस्कॉन मंदिर की लिस्ट

मंदिरनामजगह
इस्कॉन मायापुरश्री मायापुर चंद्रोदय मंदिरमई, पश्चिम बंगाल
इस्कॉन बैंगलोरश्री राधा कृष्ण मंदिरराजाजीनागर , बैंगलोर
इस्कॉन वृन्दावननशिना बलराम मंदिरउत्तर प्रदेश
इस्कॉन मुंबईसी ऐस राधा गोपीनाथ टेम्पलचौपाटी मुंबई
इस्कॉन पूरीश्री श्री राधा वृन्दावनचन्द्र मंदिरकॉम्प: पुणे
इस्कॉन हैदराबादएसएस राधा मदनमोहन मंदिरएबिड्स. हैदराबाद
इस्कॉन नोएडाश्री राधा गोविन्द मंदिरसेक्टर 33, नोएडा
इस्कॉन अहमदाबादश्री श्री राधा गोविंद धामसरखेजगांधीनगर हाईवे अहमदाबाद
इस्कॉन चेन्नाश्री श्री राधा कृष्ण मंदिरशोलिंगनल्लूर, चेन्नई
इस्कॉन सिलीगुड़ीएसएस रथ माधव सुंदर मंदिरसिलिगुन, पश्चिम बंगाल
इस्कॉन गुवाहाटीएसएस रुक्मिणी कृष्णासाउथ सारणी गुवाहाटी
इस्कॉन भुवनेश्वश्री कृष्णा बलराम मंदिरनयापाल्ली , भूबनीमीन
इस्कॉन एससी श्री राधा दरोदा मंदिरजहगीर पूना
इस्कॉन चंडीगढ़श्री श्री राधा माधव मंदिरसेक्टर-368 चंडीगढ़

इस्कॉन मंदिर का उद्देश्य

इस्कॉन मंदिर का मुख्य उद्देश्य है भगवान श्रीकृष्ण के भक्ति मार्ग को प्रसारित करना और लोगों को आध्यात्मिकता की दिशा में मार्गदर्शन करना।

इस्कॉन के माध्यम से भगवान श्री कृष्ण की पूजा, सेवा, और भक्ति को बढ़ावा देना है।

इस्कॉन मंदिर भगवद गीता के महत्व को जागरूक करने का काम करते हैं और इसे आम लोगों तक पहुँचाने का प्रयास करते हैं।

यह संगठन धर्मिक शिक्षा और आध्यात्मिक ज्ञान को प्रसारित करने के लिए कई कार्यक्रम और शिक्षा की प्रदान करता है।

इस्कॉन के तहत लोग ध्यान, कीर्तन, और आध्यात्मिक साधना के माध्यम से आत्मा के साथ जुड़कर आध्यात्मिक विकास कर सकते हैं।

सामाजिक सेवा के माध्यम से इस्कॉन भी गरीबों और आवश्यकता में रहने वालों की मदद करने का कार्य करता है।

इसका उद्देश्य एक समृद्धि और संतुलन भरे समाज की स्थापना करना है, जिसमें भावनाओं और धार्मिकता का महत्व होता है।

इस्कॉन मंदिरों के माध्यम से लोगों को भगवान कृष्ण के साथ आंतरिक संबंध बनाने की प्रेरणा देना एक महत्वपूर्ण उद्देश्य है।

यह संगठन आध्यात्मिक संजीवनी प्राणियों के रूप में भगवान कृष्ण के भक्ति को प्रस्तुत करता है और लोगों को धार्मिक सुख और शांति की दिशा में मार्गदर्शन करता है।

इस्कॉन मंदिर के 4 नियम

इस्कॉन मंदिर के अनुयायों के लिए चार मुख्य नियम होते हैं:

  1. नशा न करें: इस्कॉन के अनुयायियों को किसी भी प्रकार का नशा करने से मना किया जाता है, जिसमें शराब, धूम्रपान, चाय और कॉफी शामिल हैं।
  1. अवैध यौन संबंध न रखें: इस्कॉन के अनुयायियों को विवाह के बाहर यौन संबंध रखने से मना किया जाता है।
  1. मांसाहार न करें: इस्कॉन के अनुयायियों को मांस, मछली, अंडे और अन्य मांसाहारी पदार्थों को खाने से मना किया जाता है।
  1. जुआ न खेलें: इस्कॉन के अनुयायियों को जुआ खेलने से मना किया जाता है।

इन नियमों का पालन करने से इस्कॉन के अनुयायियों को अपने आध्यात्मिक जीवन को विकसित करने में मदद मिलती है। वे इन नियमों को इसलिए मानते हैं क्योंकि वे मानते हैं कि ये उन्हें भगवान कृष्ण के करीब आने में मदद करते हैं।

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कौन है ISKCON Temple की स्थापना वाले स्वामी प्रभुपादजी?

स्वामी प्रभुपादजी, जिनका पूरा नाम अभयचरणारविंद भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद था, एक हिंदू धार्मिक गुरु थे जिन्होंने 1966 में इस्कॉन मंदिर की स्थापना की थी। वे एक भक्तिवादी थे जो भगवान कृष्ण की पूजा और उनके संदेश को फैलाने के लिए समर्पित थे।

प्रभुपादजी का जन्म 1896 में कोलकाता भारत में हुआ था। उन्होंने 26 साल की उम्र में एक आयुर्वेदिक चिकित्सक के रूप में अपना करियर शुरू किया लेकिन जल्द ही उन्होंने आध्यात्मिकता की ओर रुख किया। 1959 में उन्होंने भारत के पश्चिम बंगाल राज्य में एक वैष्णव संप्रदाय में दीक्षा ली।

FAQ

भारत में कुल कितने इस्कॉन मंदिर हैं?
भारत में इस्कॉन के 100 से अधिक मंदिर हैं।

भारत का सबसे बड़ा इस्कॉन मंदिर कौन सा है?
भारत का सबसे बड़ा इस्कॉन मंदिर श्री कृष्ण बलराम मंदिर है, जो वृंदावन, उत्तर प्रदेश में स्थित है।

ISKCON Temple में किस भगवान की पूजा की जाती है?
इस्कॉन मंदिर में भगवान कृष्ण की पूजा की जाती है।

इस्कॉन मंदिर की स्थापना कब हुई?
इस्कॉन मंदिर की स्थापना 13 जुलाई 1966 को न्यूयॉर्क शहर, संयुक्त राज्य अमेरिका में हुई थी। इसकी स्थापना स्वामी प्रभुपादजी ने की थी, जिनका पूरा नाम अभयचरणारविंद भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद था। वे एक हिंदू धार्मिक गुरु थे, जो भगवान कृष्ण की पूजा और उनके संदेश को फैलाने के लिए समर्पित थे।

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