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हिंगलाज माता मंदिर का संपूर्ण इतिहास एवं जानकारी | Hinglaj Shakti Peeth

हिंगलाज शक्ति पीठ (Hinglaj Shakti Peeth): आप में से अधिकतर लोगों को मां दुर्गा के शक्तिपीठों के बारे में पता ही होगा, जिनकी संख्या 51 है लेकिन क्या आप जानते हैं इन 51 शक्ति पीठों में से सबसे पहले शक्तिपीठ कौन सा है? अगर नहीं जानते हैं तो आज जान लीजिए, पहला शक्तिपीठ पाकिस्तान में है जी हां जिसे हम हिंगलाज माता मंदिर या हिंगलाज माता भवानी के नाम से जानते हैं।

पाकिस्तान में स्थित हिंगलाज शक्तिपीठ (Hinglaj Shakti Peeth) बलूचिस्तान प्रांत में मौजूद है मां दुर्गा का यह शक्तिपीठ इतना प्रसिद्ध है कि हिंदुओं के साथ-साथ मुसलमान भी वहां दर्शन के लिए आवश्यक पहुंचते हैं। नवरात्रि के समय वहां विशेष मेला का आयोजन किया जाता है जिसे हिंदू और मुसलमान दोनों मिलकर करते हैं। चलिए आगे के लेख में हिंगलाज माता की शक्तिपीठ के बारे में विस्तार से जानते हैं।

हिंगलाज शक्तिपीठ का इतिहास | History of Hinglaj Shaktipeeth

हिंगलाज शक्तिपीठ बड़ा ही प्राचीन और पहला शक्तिपीठ है, जो माता सती को समर्पित है। इक्यावन (51) शक्तिपीठों में से एक यह मंदिर पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत के हिंगलाज में हिंगोल नमक नदी बहती है उसके तट पर चंद्रकूप पहाड़ में स्थित है। यह मंदिर पाकिस्तान में मौजूद हिंदुओं में काफी आस्था का केंद्र बन गया है। हिंगलाज शक्तिपीठ का इतिहास में उल्लेख किया गया है कि यह मंदिर 2000 वर्ष पहले भी यहीं पर विद्यमान था।

हिंगलाज शक्तिपीठ अपने एक दूसरे नाम के लिए भी प्रसिद्ध है जिसे नानी पीर व नानी मंदिर के नाम से जाना जाता है। ऐसी मान्यता भी है की मुस्लिम समुदाय के लोग इस मंदिर की देख भाल बड़ी श्रद्धा से करते है। नवरात्रि के समय यहां पूरे नौ दिनों तक माता शक्ति की उपासना का आयोजन विशेष रूप से किया जाता है। माता के दर्शन के लिए सिंध-कराची के लाखों श्रद्धालु यहां भवानी माता के दर्शन के लिए आते हैं। भारत से भी हर साल एक दल बना कर भक्त दर्शन के लिए जाते है।

हिंगलाज शक्तिपीठ के इतिहास से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां निम्नलिखित है जिन्हे नीचे टेबल में व्यवस्थित की गई है।

हिंगलाज शक्तिपीठ की महत्वपूर्ण जानकारियां | Important Information About Hinglaj Shaktipeeth

1.मंदिर का नामहिंगलाज मंदिर
2.जगहपाकिस्तान, बलूचिस्तान
3.देवताहिंगलाज माता
4.सम्बद्धताहिंदू
5.शैलीराजपूत
6.स्थापनाप्राचीन कालीन
7.मंदिर के प्रमुख उत्सवनवरात्रि
8.मंदिर खुलने का समयप्रातः 4 बजे
9.पूजा के लिए महावपूर्ण दिनमंगलवार, शनिवार
10.भौगोलिक23°55′26″N 72°23′19″E
11.निर्देशांक23.92389°N 72.38861°E

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हिंगलाज शक्ति पीठ का चमत्कार | Miracle Of Hinglaj Shaktipeeth

हिंगलाज माता का मंदिर एक छोटी से प्राकृतिक गुफा के अंदर विद्यमान है जहां पर एक मिट्टी की वेदी बनी हुई है। वेदी एक आकृति होती है यही छोटे आकार की शिला ही हिंगलाज माता का स्वरूप है। ऊंची पहाड़ी पर एक गुफा में माता भवानी का मंदिर विद्यमान है। जिस जिस ने देवी मां के दिव्य चमत्कारों को देखा और जाना वह नतमस्तक होने को मजबूर हुआ है। अगर अपने हिंगलाज शक्तिपीठ का यह चमत्कार जान लिया तो आप जरूर हैरान रह जानेंगे। आगे के खंड में हमने हिंगलाज माता के 3 चमत्कारों पर प्रकाश डाला है, आइए जानते है:

1. मंदिर को तोड़ने का प्रयास: मुस्लिम कई बार इस मंदिर को तोड़ने और नुकसान पहुंचाने का प्रयास किया गया है। तब यहां के हिंदू और मुसलमान दोनों ने मिलकर माता के मंदिर को बचाया है। यह मंदिर भारत के हाथों में न चला जाए इस डर में आतंकवादि बौखला जाते थे और फिर मंदिर को तोड़ने का प्रयास और उस पर हमला हमले भी किए है लेकिन हिंगलाज माता का चमत्कार देखो वह सभी के सभी लोग हवा में लटक गए।

2. बम नही फटे: कहा जाता है की पाकिस्तानी ब्रिगेडियर शाहनवाज खान के 450 बम हिंगलाज माता के चमत्कार से नही फटे यह देखकर ब्रिगेडियर ने माता के दर्शन के लिए भारत सरकार से अनुमति भी मांग ली थी। इस अनुमति के लिए उन्हें करीब 2 से 3 साल लग गए तब उन्हे दर्शन का मौका मिला। दर्शन के दौरान शाहनवाज खान ने चांदी का छत्र भी चढ़ाया। बताया जाता है की वहां के ब्रिगेडियर अपने पाकिस्तानी बम आम लोगो को दिखाना चाहते थे और वह बम माता के चमत्कार से उस समय फटे ही नहीं।

3. माता ने जन्म लिया: मंदिर के पुजारी की माने तो मामडिया चारण नाम का चारण हर दिन सात बार पैदल हिंगलाज माता की यात्रा करता था। एक रात उसे सपना आया जिसमे माता में उससे पूछा तुम्हे पुत्र चाहिए या पुत्री तो चारण में माता भवानी से कहा मां आप ही मेरे घर आ जाइए। तब माता के आशीर्वाद से उसके घर सात पुत्री और एक पुत्र का जन्म हुआ जिसमे से एक को तनोट माता के नाम से जाना जाता है। यह राजस्थान के जैसलमेर में स्थित है।

हिंगलाज शक्तिपीठ के चमत्कार चमत्कार को जानने के बाद आपको इनके रहस्यों को जानने में भी दिलचस्पी जरूर होगी इसलिए हमने अगले खंड में हिंगलाज शक्तिपीठ का रहस्य विस्तार से बताने का प्रयास किया है। चलिए आगे बढ़ते है..

हिंगलाज शक्ति पीठ का रहस्य | Mystery Of Hinglaj Shaktipeeth

हिंदू देवी का ऐसा मंदिर जहां मुसलमान खुशी से सर झुकाते हैं पाकिस्तान में मौजूद यह मंदिर सर्वश्रेष्ठ है लोगों की मान्यता है कि अगर किसी ने एक बार इस मंदिर में दर्शन कर लिए तो हर मनोकामना पूरी हो जाती है, जिंदगी से हर मुश्किलें खत्म हो जाती है। चलिए आगे हिंगलाज शक्तिपीठ का रहस्य कुछ रहस्य के बारे में जानते है।

  • चाहे चारों धाम की यात्रा क्यों न कर ले जब तक हिंगलाज देवी के दर्शन ना कर ले तो सब कुछ व्यर्थ माना जाता है।
  • हिंगलाज मंदिर पहुंचना अमरनाथ यात्रा से भी ज्यादा कठिन माना जाता है क्योंकि पुराने जमाने में जब गाड़ियां नहीं होती थी उसे समय हिंगलाज पहुंचने में 45 दिन का समय लग जाता था।
  • हिंगलाज शक्तिपीठ पहुंचने में कई तरह की बढ़ाएं आती हैं जैसे रास्ते में हजार फिट के पहाड़, सुनसान रेगिस्तान, जंगली जानवर से भरे जंगल, डाकू और आतंकवादियों का डर बना रहता है इसलिए हिंगलाज मंदिर हमेशा एक दल बनाकर ही जाया जाता है।
  • पाकिस्तान, ईरान, इराक जैसे देशों के मुसलमान भी इस मंदिर में पहुंच कर सिर झुकते हैं। पाकिस्तान में हिंदुओं का रहना कितना मुश्किल है यह तो हर कोई जानता है। हिंगलाज माता को मुस्लिम राष्ट्र में रहने की सजा भुगतान पड़ती है। जैसे आए दिन यहां आतंकवादी, धर्मविरोधी हमले होते रहते हैं लेकिन इतने सारे हमले होने के बावजूद आज तक यहां कोई नुकसान नहीं पहुंच सका।
  • यह मंदिर बहुत ही ज्यादा चमत्कारी और अनोखा है तभी यहां हिंदू हो या मुसलमान हर कोई माता के चरणों में सिर झुकता है। बलूचिस्तान में पाकिस्तान सैनिक द्वारा होने वाले अत्याचार से कोई अनजान नहीं है लेकिन हैरानी की बात यह है कि आजादी के बाद पाकिस्तान ने यहां तमाम हिंदू मंदिरों को तोड़ दिया। इतने बड़े-बड़े दंगे फसाद के बावजूद हिंगलाज माता का कोई कुछ नही बिगड़ सका। पाकिस्तानी सैनिक यहां के मंदिर के नाम से थर-थर कांपते हैं।
  • आजादी के पहले भी मुगल सैनिकों ने मंदिर पर कई बार हमला किया, मंदिर तोड़ने की कोशिश की लेकिन कोई भी इस मंदिर को टस से मस नहीं कर पाया। जिस किसी ने मंदिर के खिलाफ जाने की कोशिश की उसका बहुत बुरा हाल हुआ कुछ का तो परिवार ही नहीं बचा।
  • यहां के स्थानीय मुसल्मानो के मन में इस मंदिर को लेकर आस्था जाग गई तभी इस मंदिर में न सिर्फ हिंदू श्रद्धालु आते हैं बल्कि मुसलमान भी यहां आकर माता के दर्शन करना नहीं भूलते है।
  • यहां आने वाले हिंदू और मुस्लिम में कोई फर्क भी नहीं दिखता दोनों धर्म के लोग बड़े प्यार से माता हिंगलाज की सेवा सत्कार करते हैं और उनके भजन गाते हैं। इस तरह की चीजे बलूचिस्तान में आस्था की वजह से हो रहे हैं या फिर मां के चमत्कार से यह कोई नहीं जानता।
  • हम सभी जानते हैं इस्लाम धर्म में अल्लाह के अलावा किसी और देवी देवता के सामने सर झुकाने की अनुमति नहीं है लेकिन फिर भी इस्लाम भाई हिंगलाज देवी के चमत्कार से इतना ज्यादा प्रभावित है कि वह खुद को उनके सामने झुकने से नहीं रोक पाते हैं और सिर्फ पाकिस्तान ही नहीं दुनिया भर के लोग इस चमत्कारी मंदिर को देखने के लिए आते हैं।
  • इस्लाम धर्म के लोग इस मंदिर को नानी पीर के नाम से जानते हैं। मंदिर का जिक्र शिव पुराण में भी देखने को मिलता है। यह मंदिर वही जगह है जहां माता सती के 51 टुकड़े होने के बाद उनका सर सबसे पहले गिरा था। तभी तो यह मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है।
  • हिंगलाज शक्तिपीठ मंदिर में गहरी आस्था रखने वाले लोगों का कहना है कि चाहे चारों धाम की यात्रा क्यों न कर लें लेकिन जब तक हिंगलाज देवी के दर्शन ना करें तब तक सब कुछ व्यर्थ है।

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हिंगलाज शक्तिपीठ कहां स्थित है | Where is Hinglaj Shakti Peeth located?

हिंगलाज शक्तिपीठ सबसे पुराने और प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। यह मंदिर 2 जगह पर स्थित है पहला भारत के मध्यप्रदेश राज्य के छिंदवाड़ा जिले के पास स्थित है। यहां पर मंगलवार और शनिवार को पूजा के लिए विशेष दिन माना जाता है और दूसरा पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में स्थित है। जहां जाने के लिए पाकिस्तान सरकार से अनुमति लेनी होती है।

आपकी जानकारी के लिए बता दें यहां पहुंचना कोई आसान बात नहीं है हम ऐसा क्यों कह रहे है आइए आपको आगे बताते है। सबसे पहली बात पाकिस्तान में स्थित हिंगलाज माता का मंदिर आप अकेले नहीं जा सकते। जब तक कुछ लोगो का ग्रुप नही बन जाता तब तक यहां जाने की अनुमति नहीं मिल सकती।

इसके पीछे कई कारण है जैसे लंबी यात्रा, डाकू और आतंकवादियों का खतरा, रास्ते में पड़ने वाले जंगल और जंगल में मौजूद जंगली जानवरों का खतरा आदि।

हिंगलाज शक्तिपीठ कैसे पहुंचे | How To Reach Hinglaj Shaktipeeth

हिंगलाज शक्तिपीठ तक पहुंचना थोड़ा कठिन हो सकता है लेकिन अगर आप माता के भक्त है और उनका दर्शन के लिए पाकिस्तान जा सकते है या जाना चाहते है, तो हमने आपके लिए हिंगलाज माता मंदिर दर्शन के लिए गाइड प्लान बनाया है। जिसे पढ़ने के बाद आपको हिंगलाज शक्तिपीठ कैसे पहुंचे समझ में जरूर आ जायेगा।

जैसा की आप सब जानते है हिंगलाज शक्तिपीठ पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत है। मंदिर तक पहुंचने के लिए कराची में जिन्ना अंतराष्ट्रीय हवाई अड्डा जो लगभग मंदिर से 280 किलो मीटर की दूरी पर है उसका इस्तेमाल कर सकते है। वहीं कराची से टैक्सी ले सकते है जो करीब 7-8 घंटे की यात्रा पूरी करवाकर मंदिर तक पहुंचा देता है।

आपकी जानकारी के लिए बता दे मंदिर में रुकने की कोई व्यवस्था उपलब्ध नहीं है। अगर श्रद्धालु रुकने में इच्छुक है तो आस पास के कस्बों, गांव में रुक सकते है। इसका किराया ज्यादा महंगा है न सस्ता है। बात करें हिंगलाज शक्तिपीठ मंदिर में दर्शन समय की तो इसकी जानकारी आपको नीचे के खंड में मिल जायेंगी।

हिंगलाज शक्तिपीठ दर्शन समय | Hinglaj Shaktipeeth Darshan Time

हिंगलाज शक्तिपीठ में दर्शन का समय और दैनिक पूजा पाठ के कार्यक्रम को भी जानना अति महत्वपूर्ण है। हिंग्लाज माता की पूजा अर्चना सुबह 4 बजे से शुरू होकर शयन आरती 10 बजे होती है। अगले दिन फिर इसी नियम का पालन होता है। इस बीच कई दैनिक अनुष्ठान होते है जिसमे प्रसाद चढ़ाया जाता है माता की सेवा और पूजा की जाती है। इस पूजा में सभी भक्त भाग लेते है और माता हिंगलाज का आशीर्वाद प्राप्त करते है।

हमने यहां पर नीचे टेबल में माता के पूरे दिन में होने वाले पूजा कार्यक्रमों को बताया है:

प्रातः04.00मंगला
सुबह07.00श्रृंगार
दोपहर12.00भोग
शाम07.00संध्या
रात्रि10.00शयन

FAQ:

हिंगलाज शक्तिपीठ में सती का कौन सा भाग गिरा था?
हिंगलाज शक्तिपीठ में माता सती का सबसे पहला भाग सिर गिरा था।

हिंगलाज देवी कौन है?
माता सती ही हिंगलाज देवी है।

हिंगलाज माता का मंदिर कहां स्थित है?
पहला मंदिर छिंदवाड़ा जिले में और दूसरा पाकिस्तान के बलुचिस्तान प्रांत में स्थित है।

हिंगलाज माता का मंदिर राजस्थान में कहां पर स्थित है?
हिंगलाज माता का मंदिर राजस्थान के जैसलमेर में स्थित है जिसे आवड मां और तनोट माता भी कहा जाता है।

हिंगलाज माता किसकी कुलदेवी है?
कटियावाड की कुलदेवी हिंगलाज माता को कहा जाता है।

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