कम्पिल क्षेत्र के प्रमुख मंदिर (Famous Temples in Kampil) : फर्रुखाबाद के कम्पिल छेत्र में स्थित सभी मंदिर महाभारत काल, रामायण काल तथा जैन धर्म से जुड़े हुए है। कम्पिल छेत्र में स्थित सभी मंदिर अपने अनोखे रहस्यों के साथ भी मशहूर हैं। जानकारी के लिए बताना चाहेंगे, फर्रुखाबाद के कम्पिल छेत्र में स्थित यह सभी मंदिर उत्तर प्रदेश के सभी मंदिरों में से बेहद अलग हैं। इन सभी मंदिरों को पौराणिक स्थलों का भी दर्जा दिया जाता है। उत्तरप्रदेश राज्य में काम्पिल छेत्र को कम्पली जी के नाम से भी जाना जाता है। क्या आप फर्रुखाबाद के कम्पिल छेत्र में मौजूद विभिन्न मंदिरों से परिचित हैं? अगर नहीं तो आज आप इस आर्टिकल में इन सभी मंदिरों के बारे में विस्तार से जानेंगे।
कम्पिल क्षेत्र के प्रमुख मंदिर का चार युगों का सम्बन्ध
कम्पिल छेत्र में स्थित विभिन्न मंदिर का सम्बन्ध चारों युगों से है, जिसके बारे में बहुत कम लोग ही जानते हैं। आज इस आर्टिकल के माध्यम से आप मंदिर से जुड़े चारों युगों के सम्बन्ध को विस्तार से जानेंगे।
सतयुग से सम्बन्ध
सतयुग में कपिल मुनि ने अपने समय में वेदों तथा ग्रंथों का ज्ञान प्राप्त किया था। कपिल मुनि के नाम का सम्बन्ध कपिल छेत्र से भी है। सतयुग में कंपिल छेत्र में मौजूद मंदिर को पवित्र माना जाता था। एक अन्य मान्यता के अनुसार सतयुग में कपिल मुनि आश्रम में गंगा सागर का जाप करते थे।
द्वापर युग से सम्बन्ध
द्रोपदी कुंड की वजह से जुड़ा है द्वापर युग से सम्बन्ध। एक मान्यता के अनुसार पौराणिक घटना घटित हुई थी जिसमे द्रोपदी जी ने द्रोपदी कुंड में स्नान किया था, द्रोपदी के इस कुंड में स्नान मात्र से उन्हें स्वर्ग जा पाने का अवसर प्रदान हुआ था। द्रोपदी कुंड की एक अन्य ख़ास बात है कि इस कुंड का पानी अपने रंग में बदलाव करता रहता है, इन सभी घटनाओं को प्रथम बार द्वापर युग में देखा गया था इस तरह से kampil के मंदिर का द्वापर युग से सम्बन्ध हैं।
दूसरी तरफ कम्पिल छेत्र के कालेश्वर नाथ मंदिर को भी द्वापर युग से जोड़ा जाता है। इस मंदिर में बाबा कालेश्वर नाथ की पूजा आराधना की जाती है।
त्रेता युग से सम्बन्ध
त्रेता युग में रामेश्वरम नाथ मंदिर की उत्त्पती हुई थी, जिसमें भगवान राम की पूजा आराधन की जाती थी। यह मंदिर कम्पिल छेत्र में एक प्रशिद्ध मंदीर है। एक अन्य मान्यता के अनुसार भगवान राम ने यही पर त्रेता युग में भगवान शिव की विशेष पूजा आरधना की थी।
कलयुग से सम्बन्ध
राधा कृष्ण मंदिर एक प्रशिद्ध मंदीर है, जिसका सम्बन्ध कलयुग से भी जोड़ा जाता है। कलयुग से ही इस मंदिर को जैन धर्म से प्रमुख मान्यता मिली है। यह मंदिर कम्पिल छेत्र में मौजूद है और कलयुग से ही प्रशिद्धि होने की वजह से इसे कलयुग के साथ जोड़ा जाता है।
कम्पिल क्षेत्र के प्रमुख मंदिर से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें
कम्पिल क्षेत्र के मंदिर की जगह | उत्तर प्रदेश |
मंदिर का निर्माण काल | महाभारत और रामायण काल |
कम्पिल क्षेत्र के मंदिर के धर्म | हिंदू धर्म, जैन धर्म |
जैन धर्म के अनुसार मंदिर का नाम | कम्पिल जी |
कम्पिल छेत्र से संबंधित युग | सतयुग, द्वापरयुग, त्रेतायुग,कलयुग |
कम्पिल छेत्र जिला नाम | फर्रुखाबाद |
कम्पिल छेत्र के प्रमुख मंदिर | Famous Temple in Kampil
उत्तर प्रदेश में रहने वाले वह भक्तगण कम्पिल छेत्र के मंदिर से अज्ञात है उन्हें इन सभी मंदिरों के दर्शन जरुर करने चाहिए, क्यूंकि यह सभी मंदिर मशहूर होने के साथ साथ अपने साथ ऐसे अनेकों रहस्य छुपाएँ हुए है, जिसकी मदद से अनेकों देवतों की प्रमुखता का पता चलता है। लेकिन क्या आप इस छेत्र के मंदिर के बारे में पूर्ण रूप से परिचित हैं? अगर आपने कम्पिल छेत्र में स्थित अनेकों मदिरों को नहीं जाना है, तब आपको निचे बताए गए मंदिर को विस्तार से जरुर पढना चाहिए, ताकि आप कम्पिल छेत्र में मौजूद मंदिरों के बारे में विस्तार पूर्वक सभी अनसुनी बातों को जान पाएं। चलिए अब उन सभी मंदिरों के बारे में जानते हैं।
गीता मंदिर (Gita Mandir)
गीता मंदिर उतराखंड के हरिद्वार में पड़ता है। इस मंदिर से जुड़ा एक प्रशिद्ध स्थल काफी मशहूर है जिसे कनखल के नाम से जाना जाता है। इस मंदीर की सबसे ख़ास बात यह है कि यहाँ पर अदभुत शान्ति का अहसास प्राप्त होता,है। गीता मंदिर गंगा नदी के पास स्थित है जिसमें देवी दुर्गा, शिव, राधा कृष्णा, भगवन विष्णु, हनुमान और गणेश भगवान की मूर्तियों का प्राचीन और खुबसूरत नजारा देखा जा सकता है। गीता मंदिर को विभिन्न नामों से भी जाना जाना जाता है, जिसमें राधा कृष्णा मंदिर, 11 मजिल मंदिर जैसे नाम शामिल हैं। मंदिर से जुड़ कुछ अन्य विशेषताओं के बारे में आप आगे पढ़ सकते हैं।
- गीता मदिर की संरचना काफी सराहनीय है, इस मंदिर में श्रधालुओ का ध्यान रखते हुए 30 से 40 कमरे बनवाये गए हैं जिसकी वजह से मंदिर आने वाले भक्तगण बेहद आसानी से मंदिर में ठहर कर मंदीर की यात्रा का अनुभव प्राप्त कर सकते हैं।
- इस मंदिर में मुख्य रूप से देवी सती के दर्शन भी किए जा सकते हैं।
- मंदिर की संरचना 11 खंडों में देखी जा सकती है।
- इस मंदिर में जन्माष्टमी के शुभ अवसर पर मंदिर में अनेकों कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं जिनके लिए अनेकों भक्तगण मंदिर की यात्रा करते हैं।
श्री रामेश्वरम मंदिर (Shree Rameshwaram Mandir)

फर्रुखाबाद के कम्पिल क्षेत्र के सबसे श्रेष्ठ मंदिर के रूप में श्री रामेश्वर मंदिर को दर्जा दिया जाता है। इस मंदिर को रामायण काल से जोड़ा जाता है क्योंकि मंदिर से जुड़ी घंटनाएं रामायण के राम जीवन की घटना को प्रदर्शित करती है। पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान राम लंका पर विजय प्राप्त करने के बाद लंका में मौजूद विशाल शिवलिंग को अपने साथ लेकर आए थे। राम द्वारा प्राप्त शिवलिंग की स्थापना शत्रुघन ने कांपिल्य नमक जगह पर की थी, जिसे वर्तमान में कम्पिल छेत्र के रूप में जाना जाता है। मंदिर में स्थापित शिवलिंग की पूजा माता सीता भी करती थी। श्री रामेश्वर मंदिर में मुख्य रूप से सावान के महीने में भीड़भाड़ होती है। इस मंदिर में भगवान राम के साथ अन्य देवताओं की प्रतिमा भी देखी जा सकती है।
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कपिल मुनि आश्रम (Kapil Muni Ashram)

पौराणिक मान्यता के अनुसार कपिल एक महान ऋषि थे, कपिल मुनि ने एक आश्रम में कठोर तपस्या की थी, उनकी कठोर तपस्या के जरिए आस पास के शिक्षकों को कपिल मुनि द्वारा शिक्षा का प्राप्त हो सकी और इस तरह से एक आश्रम का निर्माण हो पाया। इस आश्रम की सबसे मुख्य बात है कि यह कम्पिल छेत्र के प्रमुख आश्रम में से एक है।
कम्पिल जैन धर्म के मंदिर (Kampil Jain Dharam Ashram)

जैन धर्म द्वारा जाने वाले ऐसे कई मंदिर स्थापित हैं जिन्हे कम्पिल जैन धर्म मंदिर के रूप में जाना जाता है। जैन धर्म के अनुसार कम्पिल में अनेकों मंदिर आज भी मशहूर है, जिन्हे शायद कम लोग जानते हैं। अगर आप भी उन सभी मंदिरों से अपरिचित हैं, तब आपको नीचे दिए गए प्रमुख मंदिर के बारे में जरूर पढ़ना चाहिए।
विमलनाथ मंदिर (vimleshwar temple)
विमलनाथ मंदिर जैन धर्म के मंदिर में से एक है, इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि मंदिर में रखी गई मूर्ति की खोज मां गंगा के जल में की गई थी। भगवान की मूर्ति प्राप्त होने के बाद उनकी मूर्ति को पास के क्षेत्र में ही स्थापित कर दिया गया। विमालनाथ मंदिर के बारे में एक अन्य मान्यता है कि मंदिर के दर्शन करने और मनोकामना रखने वाले श्रद्धालुओं की सभी मुरादे पूरी हो जाती हैं।
दिगंबर मंदिर (Digambar Mandir)
दिगंबर मंदिर जैन धर्म में प्रसिद्ध मंदिर तो है ही लेकिन इसे हस्तिनापुर के सबसे बड़े मंदिरों में से एक माना जाता है। पुरानी कहावतों को सुने तो इस मंदिर का राज तलाब में मौजूद कमल के फूल से जुड़ा है, जिसकी वजह से इसका प्राचीन नाम कमलदह मंदिर था। समय के साथ इस मंदिर के नाम में बदलाव कर दिया जिसे आज दिगम्बर मंदिर के नाम से जाना जाता है।
श्री श्वेतांबर मंदिर (shwetambar mandir)
श्री श्वेतांबर मंदिर जैन धर्म से जुड़ा एक अन्य मंदिर है जिसकी स्थापना 1950 में हुई थी। दिगंबर मंदिर और श्वेतांबर मंदिर की सबसे प्रमुख बात यह है कि दोनो एक दूसरे काफी नजदीक स्थित हैं।
द्रोपदी कुंड (draupadi kund | Famous Temple in Kampil)

जैसा कि आप नाम से ही समझ सकते हैं इस कुंड का जुड़ाव महाभारत काल के द्रोपदी से है। द्रोपदी के साथ घटित घटना के बाद, इस कुंड का निर्माण किया गया था। इस कुंड की खास बात यह है कि यह कुंड कपिल आश्रम के पास मौजूद है। एक अन्य मान्यता को देखे तो इसके अनुसार द्रोपदी को उत्त्पति इसी हवन कुंड से हुई थी।
श्री कालेश्वर नाथ मंदीर (kaleshwar mandir)
श्री कालेश्वर नाथ मंदिर व्यास नदी के तट पर स्थित है, जिसे कालेसर के नाम से भी जाना जाता है। मंदिर में चिंतापूर्णी देवी के स्वरूप को पूजा जाता है। सावन महीने में इस जगह अनेकों कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं जिसकी वजह से मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ एकत्रित होती है। इस मंदिर के निर्माण की शुरुवात 400 साल पहले हुई थी जिसे बनवाने में पांडवों का मुख्य योगदान था।
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FAQS:
फर्रुखाबाद के कम्पिल छेत्र (kampil kshetra) के मंदिर किस राज्यों में स्थापित हैं?
कम्पिल छेत्र के सभी मंदिर उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित हैं।
कम्पिल छेत्र (kampil kshetra) में मुख्य रूप से कौन से धर्म के मंदिर हैं?
हिंदू और जैन धर्म।
दिगंबर मंदिर (Digambar Mandir)का पुराना नाम क्या था?
कमलदेह मंदिर।
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