सोमवार, जुलाई 7, 2025
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अथ श्री दुर्गा सप्तशती : क्षमा – प्रार्थना | Durga Saptashati : Forgiveness Prayer

दुर्गा सप्तशती के पाठ के बाद यह क्षमा-प्रार्थना की जाती है ताकि यदि पाठ में कोई त्रुटि हो गई हो, तो देवी उसे क्षमा कर दें


प्रमेश्वरि! मेरे द्वारा रात-दिन सहस्त्रों अपराध होते रहते है। ‘यह मेरा दास है ‘- यों समझकर मेरे उन अपराधोंकेा तुम कृपापूर्वक क्षमा करो।।

परमेश्वरि! मैं आवाहन नहीं जानता, विसर्जन करना नहीं जानता तथा पूजा करनेका ढंग भी नहीं जानता। क्षमा करो।। देवि! सुरेश्वरि! मैंने जो मन्त्रहीन, क्रियाहीन और भक्तिहीन पूजन किया है, वह सब आपकी कृपासे पूर्ण हो।। सैकड़ो अपराध करके भी जो तुम्हारी शरणमें जा ‘जगदम्ब’ कहकर पुकारता है, उसे वह गति प्राप्त होती है, जो ब्रह्मादि देवताओंके लिये भी सुलभ नहीं हैं। जगदम्बिके ! मैं अपराधी हूँ, किंतु तुम्हारी शरणमें आया हूँ। इस समय दयाका पात्र हूँ। तुम जैसा चाहो, वैसा करों।।

देवी ! परमेश्वरि! अज्ञानसे, भूलसे अथवा बुद्धि भ्रान्त होनेके कारण मैंने जो न्यूनता या अधिकता कर दी हो, वह सब क्षमा करों और प्रसन्न होओ।।।

सच्चिदानन्दस्वरूपा परमेश्वरि! जगम्माता कामेश्वरि तुम प्रेमपूर्वक मेरी यह पूजा स्वीकार करों और मुझपर प्रसन्न रहो ।। देवि! सुरेश्वरि! तुम गोपनीयसे भी गोपनीय वस्तुकी रक्षा करनेवाली हो। मेरे निवेदन किये हुए इस जपको ग्रहण करो। तुम्हारी कृपासे मुझे सिद्धि प्राप्त हो।।

  • संस्कृत पाठ:
  • अपराधसहस्राणि क्रियन्तेऽहर्निशं मया।
  • दासोऽयमिति मां मत्वा क्षमस्व परमेश्वरि॥
  • आवर्तनं न जानामि न जानामि विसर्जनम्।
  • कर्मणां फलसंयोगं ज्ञात्वा मे क्षम्यतां शिवे॥
  • पूजां च वैदिकीं देवि नैव शक्ता करोम्यहम्।
  • मिष्टान्नैर्नैव नैवेद्यैर्भक्त्या मातः प्रसीद मे॥
  • मन्त्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वरि।
  • यत्पूजितं मया देवि परिपूर्णं तदस्तु मे॥
  • यत्किञ्चिद्भक्तितः प्राप्तं पारितोष्यं सुरेश्वरि।
  • तत्सर्वं सम्मतं देवि गृहाणेशि नमोऽस्तु ते॥
  • हिन्दी अर्थ:
  • हे माँ परमेश्वरी! मुझसे दिन-रात असंख्य अपराध होते रहते हैं।
  • मैं आपका दास हूँ, कृपया मुझे क्षमा करें।
  • मुझे पाठ की विधि, उसकी पूर्णता और समापन की सही विधि का ज्ञान नहीं है।
  • कृपया मेरे किए हुए कार्यों को समझकर मुझे क्षमा करें, हे शिवे!
  • हे माँ! मैं वैदिक विधि से आपकी पूजा करने में असमर्थ हूँ।
  • ना ही मैं उत्तम भोजन, नैवेद्य और उचित सामग्रियों से आपकी अर्चना कर सका हूँ।
  • फिर भी, कृपया मेरी भक्ति से प्रसन्न हों।
  • हे सुरेश्वरी! मेरी पूजा में यदि कोई मंत्र, विधि या भक्ति की कमी रह गई हो,
  • तो कृपया उसे पूर्ण मानकर स्वीकार करें।
  • हे देवी! मैंने अपनी भक्ति और श्रद्धा से जो कुछ भी अर्पित किया है,
  • कृपया उसे स्वीकार करें और मुझ पर अपनी कृपा बनाए रखें।

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