दाक्षायणी शक्ति पीठ मंदिर (Dakshyani Shakti Peeth) देवी शक्ति को समर्पित है। 51 शक्ति पीठों में से एक होने के साथ यह शक्तिपीठ एक स्वच्छ जल निकाय के बगल में स्तिथ है जिसे मानसरोवर झील के नाम से जाना जाता है। मानसरोवर झील हिन्दू ही नहीं अपितु जैन, बुद्ध, तथा तिब्बतियों के लिए भी पवित्र स्थल के रूप में जाना जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार मानसरोवर झील का निर्माण ब्रम्हा जी की लीला का एक हिस्सा है। दाक्षायणी शक्ति पीठ मंदिर (Dakshyani Shakti Peeth) के पास मौजूद सरोवर में भगवान शिव एक पक्षी के रूप में विहार करते थे। दाक्षायणी शक्ति पीठ मंदिर (Dakshyani Shakti Peeth) के साथ ही जुड़ा है राक्षस ताल का अनसुना रहस्य। इसी तरह के अन्य पौराणिक मान्यताओं और रहस्यों के लिए आर्टिकल को पूरा जरुर पढ़ें।

दाक्षायणी शक्ति पीठ के पास मौजूद स्थलों का नामकरण
तिब्बती मान्यता के अनुसार कंगरी करछक में कहा गया है कि मानसरोवर की देवी दोर्जे फांग्मो यहाँ निवास करती है। देमचोर्ग और देवी फांग्मो सरोवर के पास नित्य विहार करते थे। मानसरोवर का अन्य नाम ‘त्सोमफम’ भी है, जिसके पीछे मान्यता है कि एक मछली सरोवर में ‘मफम’ करते हुए आई थी। इसी कारण से इस मान सरोवर का नाम ‘त्सोमफम’ पड़ गया।

मानसरोवर के समीप राक्षस ताल मौजूद है, जिसे लोग रावण हृद भी कहते हैं। मानसरोवर का पानी नदी के माध्यम से राक्षस ताल तक जाता है। तिब्बत के लोग स्थानीय भाषा में इस नदी को ‘लंगकत्सु’ नाम से सम्बोधित करते हैं। जैन धर्म ग्रंथों के अनुसार रावण एक बार ‘अष्टपद’ की यात्रा करने आया था तब उसे ‘पद्महद’ में स्नान करने की इच्छा हुई, किंतु देवताओं ने उसे ऐसा करने से रोक दिया। तब उसने एक सरोवर, ‘रावणहृद’ का निर्माण करवाया और उस सरोवर में मानसरोवर की धारा को लाकर स्नान किया।
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दाक्षायणी शक्ति पीठ मंदिर से जुडी महत्वपूर्ण जानकारियां
मंदिर का नाम | दाक्षायणी शक्ति पीठ मंदिर (Dakshyani Shakti Peeth) |
मंदिर के प्रमुख देवता | देवी दाक्षायणी (माता सती) |
मंदिर की भाषा | हिंदी, इंगलिश |
मंदिर का प्रारूप | एक विशाल शिखर |
मंदिर की प्रमुखता | यहाँ पर माता सती का सीधा हाथ गिरा था। |
प्रमुख त्यौहार | नवरात्री, शिवरात्री |
जगह का नाम | तिब्बत (चीन) |
निर्माणकर्ता | प्रकिर्तिक |
दाक्षायणी शक्ति पीठ मंदिर के रहस्य | Dakshyani Shakti Peeth Facts in Hindi

दाक्षायणी शक्ति पीठ मंदिर (Dakshyani Shakti Peeth) माता सती को समर्पित है। इस मंदिर की सबसे अनोखी बात यह है कि यहाँ कोई भवन या गर्भगृह नहीं, अपितु यहाँ पर विशाल शिला रूपी पत्थर मौजूद है जिसको माता सती का रूप मानकर पूजा आराधना की जाती है। दाक्षायणी शक्ति पीठ मंदिर के बारे में ऐसे अनेकों रहस्य मौजूद है, जिसे जितना जानना चाहो उतना कम है। ऐसे ही कुछ रहस्यों को आप इस आर्टिकल में आगे पढ़ सकते हैं।।
- दाक्षायणी मंदिर के पास ही माता सती का दायाँ अथार्त सीधा हाथ गिरा था, जिसके बाद यही पर दाक्षायणी शक्ति पीठ मंदिर को स्थापित किया गया।
- दाक्षायणी शक्ति पीठ मंदिर (Dakshyani Shakti Peeth) स्तिथ प्रमुख देवी को मनसा देवी के नाम से तथा मंदिर में मौजूद भैरो जी को अमर नाम से जाना जाता है।
- एक पुरानी कहावत के अनुसार दाक्षायणी शक्ति पीठ मंदिर (Dakshyani Shakti Peeth) के पास स्तिथ मानसरोवर में भगवान शिव ने हंस का रूप धारण किया था, और वह यही पर ही हंस रूप में विहार करते थे।
- पौराणिक ग्रंथो के अनुसार दाक्षायणी शक्ति पीठ मंदिर (Dakshyani Shakti Peeth) को ब्रम्हा जी के मन से निर्मित किया गया था, यही एकमात्र कारण है की संसार इसे मानसरोवर शक्तिपीठ के नाम से पहचाना जाता है।
- दाक्षायणी शक्ति पीठ मंदिर (Dakshyani Shakti Peeth) के पास ही एक राक्षस ताल स्थित है जिसे रावण हृद के रूप में भी जाना जाता है।
- विष्णु पुराण के अनुसार दाक्षायणी शक्ति पीठ मंदिर (Dakshyani Shakti Peeth) के पास स्तिथ पर्वतीय चोटियाँ क्रिस्टल, रूबी, सोने और नील रंग के बहुमूल्य पत्थरों से भरी पड़ी हैं।
- दाक्षायणी शक्ति पीठ मंदिर (Dakshyani Shakti Peeth) के पास ही सिधु, ब्रम्हपुत्र और सतलुज जैसे नदियाँ भी बहती है, जोकि इस शक्तिपीठ को रहस्यमई बनाती हैं।
- दाक्षायणी शक्ति पीठ मंदिर (Dakshyani Shakti Peeth) में किसी प्रकार की कोई भी प्रतिमा या मूर्ति नहीं है बल्कि यहाँ पर एक विशाल पत्थर को स्थापित किया गया है, जिसे दाक्षायणी शक्ति पीठ के रूप में पूजा जाता है।
- एक पौराणिक मान्यता के अनुसार हिन्दू धर्म के अनेकों तांत्रिक दाक्षायणी शक्ति पीठ मंदिर को तांत्रिक शक्तियों का गढ़ मानते हैं।
- जैन धर्म ग्रंथो में दाक्षायणी शक्ति पीठ मंदिर (Dakshyani Shakti Peeth) के पास स्थित कैलाश पर्वत को अष्टपद और मानसरोवर को पद्म्हाद के नाम से जाना जाता है।
- एक कहावत के अनुसार दाक्षायणी शक्ति पीठ मंदिर (Dakshyani Shakti Peeth) के नजदीक सरोवर के पास छोटी घास और झाड़ियों के अलवा कोई अन्य पेड पोधे नहीं देखे जा सकते।
- दाक्षायणी शक्ति पीठ मंदिर (Dakshyani Shakti Peeth) के पास ही मान्धाता पर्वत स्थित है, एक पौराणिक मान्यता के अनुसार राजा मान्धाता ने यही पर अपनी तपस्या पूर्ण की थी तत्पश्चात यही पर उनके नाम से पर्वत स्थापित हो गया।
- दाक्षायणी शक्ति पीठ मंदिर (Dakshyani Shakti Peeth) के पास ही रावण, मारीच, तथा अन्य देवताओं ने तपस्या कर अपने इच्छाएं पूर्ण की थी।
- दाक्षायणी शक्ति पीठ मंदिर (Dakshyani Shakti Peeth) की जगह पर मानसरोवर यात्रा के साथ नवरात्री जैसे पर्व को बढ़ी श्रद्धा भाव से मनाया जाता है।
दाक्षायणी शक्ति पीठ मंदिर के पास मौजूद है मानसरोवर झील | Dakshyani Shakti Peeth Mansarovar Jheel
दाक्षायणी शक्ति पीठ मंदिर (Dakshyani Shakti Peeth) के पास ही एक अदभुत विशाल मानसरोवर झील मौजूद है, जोकि 85 किलोमीटर के छेत्रफल में विस्तृत है। इस मानसरोवर में अनेकों हंसो का झुंड रहता है, जिनकी गर्दन घुमावदार होती है और वह अपनी गर्दन घुमाकर आने जाने वाले यात्रियों को निहारते काफी सुन्दर लगते हैं। एक मान्यता के अनुसार दाक्षायणी शक्ति पीठ मंदिर के दर्शन के साथ मानसरोवर झील की परिक्रमा भी की जाती है। इस प्रक्रिया के अनुसार सभी यात्री मानसरोवर के चारों दिशाओं में चक्कर लगाते हैं।
मानसरोवर झील से कैलाश पर्वत का सुन्दर नजारा देखा जा सकता है, इसके साथ ही झील के किनारे से कैलाश पर्वत का दक्षिण हिस्सा बेहद करीब लगता है। मानसरोवर के आगे ही कुछ दुरी पर राक्षस ताल स्तिथ है जिसका विस्तार 125 किलोमीटर में फैला हुआ है।
दाक्षायणी शक्ति पीठ मंदिर (Dakshyani Shakti Peeth) के पास मौजूद मानसरोवर झील के किनारे छोटे छोटे छोटे भवन का निर्माण किया गया है, जहाँ पर मंदिर के लिए आए यात्रियों को ठहरने का उचित प्रबंध किया जाता है।
दाक्षायणी शक्ति पीठ के पास जन्मे थे गणेश जी | Lord Ganesh Born at Dakshyani Shakti Peeth

सूनने में काफी रोचक लगता है, लेकिन यह बात ग्रंथो द्वारा सत्यापित है कि यहाँ पर माता पार्वती ने भगवान गणेश को जन्म दिया गया था, एक मान्यता के अनुसार जब माता पार्वती सरोवर में स्नान करने गई थी, तब सरोवर के पास ही गणेश जी को पहरेदारी करने के लिए कहा था। इसके कुछ देर बाद जब शंकर भगवान वहां पर माता पार्वती से मिलने आए तब गणेश जी ने उन्हें रोक दिया था।
गणेश जी के इस व्यवहार पर शंकर जी क्रोधित हो गए और उन्होंने गणेश जी का सिर धड़ से अलग कर दिया। तब माता पार्वती के विनती पर शकर भगवान जी ने गणेश जी को पुनः जीवित करने के लिए, नंदी जी को एक शीश ढूंढने की आज्ञा दी। नंदी जी ने पुरे कैलाश पर्वत शीश ढूंढा लेकिन उन्हें कही शीश नहीं मिल पाया। और आखिर में एक हाथी के सिर को काटकर गणेश जी की गर्दन पर लगा दिया गया, इस तरह से गणेश जी पुनः जीवित हो गए।
राक्षसताल के बारे में अनसुनी बातें | Unheard Thingh Of Rakshas Tal
राक्षसताल के बारे में एक मान्यता है कि यहाँ पर स्नान करना अशुभ माना जाता है, क्यूंकि पौराणिक कहावत के अनुसार असुर रावण ने इसी तालाब में डुबकी लगाई थी जोकि रक्षास का स्वरूप था, जब वह तालाब में डुबकी लगा रहा था तब उसके मन में बुरे विचार उत्पन्न हुए थे। यही एक मात्र कारण है कि लोगों के लिए यह ताल अशुभ मना जाता है।
एक अन्य कहावत के अनुसार रावण ने भगवान शिव की तपस्या की थी तब भगवान उससे प्रसन्न हो गए थे, जब भगवान शिव ने वरदान मांगने के लिए कहा तब रावण के मन में बुरे विचार ने जन्म ले लिया था, और यह विचार राक्षस ताल में स्नान के पश्चात ही उत्पन्न हुआ था। वरदान मांगते समय रावण ने, भगवान शिव से माता पार्वती को मांगता है, लेकिन बाद में उसकी मांग टाल दी गई थी। एक अन्य कारण यही भी था जिसकी वजह से राक्षस ताल को आज भी अशुभ माना जाता है।
वैज्ञानिक तथ्यों की माने तो राक्षस ताल में प्राकृतिक रूप से जहरीली गैस पाई जाती है, जिससे पानी का स्वाद खारा और अन्य किस्म का लगता है। कहा जाता है कि इस ताल का पानी ग्रहण करने के बाद शारीर में नकारत्मक उर्जा का वाश होता है।
दाक्षायणी शक्ति पीठ यात्रा विवरण | Traveling Detail Of Dakshyani Shakti Peeth
दाक्षायणी शक्ति पीठ मंदिर (Dakshyani Shakti Peeth) के दर्शन के लिए मानसरोवर यात्रा में पजीकरण करवाना पड़ता है, जानकारी के लिए बताना चाहेंगे दाक्षायणी शक्ति पीठ मंदिर तिब्बत में स्तिथ है जोकि चीन की सीमा में पड़ता है इसी वजह से मंदिर के दर्शन करने के लिए चीन जैसे देश से यात्रा की अनुमति लेना अनिवार्य है।
यात्रा के लिए उतराखंड के काठगोदाम रेलवे स्टेशन से अल्मोड़ा जाना पड़ता है, इसके बाद पिथौरागढ़ , थानिघाट, सोसा जिप्सी मार्ग, गंटव्यांग गुंजी, और यहाँ से नाविदांग होकर हिमाच्छादित 17900 ऊँचे लिपुला पार तिब्बत होते हुए मंदिर का सफ़र तय करना पड़ता है। इसके अलावा अल्मोड़ा, नार्विंग, लिपूलेह, तालकोट होते हुए आगे के रास्तों में उतार चढ़ाव करना पड़ता है फिर आप मानसरोवर के पास स्थित दाक्षायणी शक्ति पीठ के दर्शन कर सकते हैं।
मानसरोवर के पास ही तारकोट से 40 किलोमीटर की दुरी पर मान्धाता पर्वत स्तिथ है, इसके साथ ही 16200 फुट की ऊंचाई पर गुलैला दर्रा स्थित है, इसके बायीं तरफ मानसरोवर दाहिनी तरफ राक्षस ताल और उत्तर की तरफ कैलाश पर्वत स्थित है।
दूसरी तरफ नेपाल से इस शक्तिपीथी की यात्रा करना आसान है, नेपाल के काठमांडू से मंदिर की दुरी लगभग 1000 किलोमीटर है, इसी वजह से टेक्सी बुक करना काफी सुविधाजनक रहेगा। इसी दौरान तिब्बत के नायलम से आगे की यात्रा करना पड़ता है, जिसमे बिच बिच में ठहरने के लिए अनेकों साधनों का प्रबंध किया गया है।
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दाक्षायणी शक्ति पीठ मंदिर से जुड़े प्रमुख त्यौहार | Dakshyani Shakti Peeth Festival
श्री देवी दक्षायणी मंदिर के नवरात्रा महोत्सव के दौरान दैनिक धार्मिक संस्कार, सुबह और शाम को शशानी माता की आदर्श, आरती, नवेदारी, चौगाड़ा आदि कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। सोमवार दोपहर में एक बजे तक होम हवन और पूर्णाहुति आयोजित की जाती है, मंगलवार को सुबह पाँच बजे, विभिन्न धार्मिक कार्यक्रम जैसे महा अभिषेक का आयोजन किया जाता है। बुधवार शाम पाँच बजे, विजयदशमी, पंसुटारी, सिमोलानगन और शमीपूजन आदि कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
यहां नवरात्रियतों को मंदिर समिति के अध्यक्ष, कल्याचंद मुनोट, उपाध्यक्ष शिवजीराव भिस, सचिव असरम शेजुल, ट्रस्टी सुहानराव देशुखुरम, राधिश शर्मा, किशोर कुलकर्णी, जगन्नाथाराओ हरिचंद्रे, ट्रस्टी राहुल सिंघरवाद, प्रबंधक विष्णु हरिश्चंद्रे, सह-प्रबंधक साटन शालर, पुरोहित प्रकाश जोशी, कर्मचारी भक्त प्रमुख कार्यक्रम आयोजित करते हैं।
जैसा की हम सभी जानते हैं जहाँ जहाँ माता सती का स्वरूप हो वहां पर भगवान शिव का अंश ना हो ऐसा तो हो ही नहीं सकता। दाक्षायणी शक्ति पीठ मंदिर (Dakshayani Shakti Peeth) से जुड़ा एक अन्य त्यौहार महाशिवरात्रि है, जोकि भगवान के लिए मनाया जाता है। शिवरात्रि के महीने में लोग यहाँ पर यात्रा के लिए आते हैं और शिव के साथ माता दाक्षायणी अथार्त पार्वती जी की पूजा आराधना करते हैं।
FAQ
दाक्षायणी शक्ति पीठ मंदिर (Dakshyani Shakti Peeth) कहाँ पर स्थित है?
तिब्बत, चीन।
दाक्षायणी शक्ति पीठ मंदिर (Dakshyani Shakti Peeth) के प्रमुख देवता कौन है?
मनसा दाक्षायणी (माता सती का स्वरूप)।
राक्षस ताल किस अशुर से जुदा है?
यहाँ पर रावण ने दूषित मन के साथ स्नान किया था।
दाक्षायणी शक्ति पीठ जगह पर माता सती का कौनसा अंग गिरा था?
सीधा हाथ।
दाक्षायणी शक्ति पीठ के पास कौनसा सरोवर स्थित है?
मानसरोवर।
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