छठ पूजा 2023: छठ पूजा हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है जिसे भारत में विशेष गौरव और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। यह पूजा हिन्दू पंचांग के अनुसार वर्ष में दो बार मनाई जाती है और इसका महत्व उन्नति, परंपरा और धर्मिक आदर्शों को साकार करता है। छठ पूजा का आयोजन हिन्दू पंचांग के अनुसार होता है, और यह दो बार मनाई जाती है – पहली बार चैत्र मास में (इंग्लिश कैलेंडर के मार्च या अप्रैल माह में) और दूसरी बार अक्टूबर या नवंबर में कार्तिक मास के माह में। यह पर्व सूर्य देव की प्रशंसा के लिए भी जाना जाता है, क्योंकि सूर्य देव हिन्दू धर्म में जीवन का प्रमुख स्रोत माने जाते हैं। यहाँ इस आर्टिकल में हम जानेंगे 2023 का छठ पूजा कब मनाया जाएगा, छठ पूजा कब है 2023, कार्तिक की छठ पूजा की कहानी, पीरियड के दौरान महिलाए छठ पूजा का व्रत कर सकती है या नहीं, छठ पूजा 2023 में किन पूजन सामग्री रखे ख़ास ध्यान, छठ पूजा 2023 पर कैसे करे पूजा के बारे में संपूर्ण जानकारी विस्तार से पढ़ पाएंगे।
छठ पूजा का इतिहास भारत के विभिन्न हिस्सों में भी मिलता है। बिहार, झारखंड, पूर्वांचल और नेपाल में छठ पूजा को विशेष रूप से मनाया जाता है। इन क्षेत्रों में छठ पूजा एक सामाजिक और सांस्कृतिक त्योहार है।
छठ पूजा की पूजा विधि चार दिनों तक चलती है। पहले दिन को नहाय–खाय कहा जाता है। इस दिन व्रती स्नान करके नए कपड़े पहनती हैं और मिठाई और फल खाती हैं। दूसरे दिन को खरना कहा जाता है। इस दिन व्रती एक विशेष प्रकार का भोजन खाती हैं जिसे खिचड़ी कहा जाता है। तीसरे दिन को उषा अर्घ्य दिया जाता है। इस दिन व्रती सूर्योदय से पहले नदी या तालाब में जाकर सूर्य को अर्घ्य देती हैं। चौथे दिन को संध्या अर्घ्य दिया जाता है। इस दिन व्रती सूर्यास्त के बाद सूर्य को अर्घ्य देती हैं।
छठ पूजा कब है 2023?

इस साल का छठ पूजा कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि पर मनाया जाएगा, जिसकी शुरुआत 18 नवंबर को होगी। यह दिन शनिवार को सुबह 09:18 बजकर 18 मिनट पर होगा। छठ पूजा का समापन अगले दिन 19 नवंबर को होगा जो रविवार है और यह सुबह 07:23 बजकर 23 मिनट पर होगा। इस वर्ष छठ पूजा के अनुसार छठी तिथि का पालन किया जा रहा है।
छठ पूजा एक महत्वपूर्ण हिन्दू त्योहार है जो लोक आस्था का प्रतीक है और इसे चार दिनों तक मनाया जाता है। इस त्योहार का पहला दिन “नहाय–खाय” के रूप में मनाया जाता है, जिसके दौरान व्रती अपने शुद्ध होने के लिए सूर्योदय का इंतजार करते हैं। इस वर्ष “नहाय-खाय” 17 नवंबर को होगा, और सूर्योदय 06:45 बजकर 45 मिनट पर होगा। सूर्यास्त उसी दिन शाम 05:27 बजकर 27 मिनट पर होगा।
छठ पूजा का दूसरा दिन “खरना“ के रूप में मनाया जाता है, जो छठी तिथि को होता है। इस दिन का सूर्योदय सुबह 06:46 बजकर 46 मिनट पर होगा और सूर्यास्त शाम 05:26 बजकर 26 मिनट पर होगा। “खरना“ एक महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजन है, जिसमें व्रती सूर्य के उपासना करते हैं और उन्हें ब्रत का पालन करना होता है।
छठ पूजा की तिथियां इस प्रकार हैं:
नहाय-खाय | 17 नवंबर, 2023 (सोमवार) |
खरना | 18 नवंबर, 2023 (मंगलवार) |
उषा अर्घ्य | 19 नवंबर, 2023 (बुधवार) |
संध्या अर्घ्य | 20 नवंबर, 2023 (गुरुवार) |
छट पूजा का महत्व क्या है जाने
छठ पूजा को एक पवित्र और शुभ त्योहार माना जाता है। यह माना जाता है कि छठ पूजा करने से संतान सुख, स्वास्थ्य और समृद्धि प्राप्त होती है। छठ पूजा में व्रती 36 घंटे तक निर्जला रहती हैं। वे सूर्योदय से पहले और सूर्यास्त के बाद सूर्य को अर्घ्य देती हैं। छठ पूजा को एक आस्था का त्योहार भी कहा जाता है।
छठ पूजा के महत्व के कुछ कारण निम्नलिखित हैं:
- सूर्य देव की पूजा: छठ पूजा में सूर्य देव की पूजा की जाती है। सूर्य देव को जीवन का स्रोत माना जाता है। सूर्य देव की पूजा करने से जीवन में सुख, समृद्धि और सफलता प्राप्त होती है।
- छठी माता की पूजा: छठ पूजा में छठी माता की पूजा की जाती है। छठी माता को संतान सुख की देवी माना जाता है। छठी माता की पूजा करने से संतान सुख प्राप्त होता है।
- निर्जला व्रत: छठ पूजा में व्रती 36 घंटे तक निर्जला रहती हैं। यह एक कठिन व्रत है, लेकिन इसे करने से व्रती के मन और शरीर को शुद्धता मिलती है।
- आस्था का त्योहार: छठ पूजा एक आस्था का त्योहार है। छठ पूजा में व्रती पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ सूर्य देव और छठी माता की पूजा करती हैं।
छठ पूजा का सामाजिक महत्व:
छठ पूजा एक ऐसा त्योहार है जो लोगों को एकजुट करता है। इस त्योहार में लोग मिलकर छठ पूजा की तैयारी करते हैं और एक साथ पूजा करते हैं। छठ पूजा एक ऐसा त्योहार है जो लोगों में आशा और विश्वास की भावना को बढ़ाता है।
छठ पूजा की तैयारी:

छठ पूजा की तैयारी कई दिनों पहले से शुरू हो जाती है। व्रती अपनी डाइट और लाइफस्टाइल में बदलाव करती हैं। वे साफ-सफाई और शुद्धता का विशेष ध्यान रखती हैं। छठ पूजा के लिए विशेष प्रकार के पकवान भी बनाए जाते हैं।
छठ पूजा की पूजा कैसे की जाती है?
- छठ पूजा की पूजा चार दिनों तक चलती है।
- पहले दिन को नहाय-खाय कहा जाता है। इस दिन व्रती स्नान करके नए कपड़े पहनती हैं और मिठाई और फल खाती हैं।
- दूसरे दिन को खरना कहा जाता है। इस दिन व्रती एक विशेष प्रकार का भोजन खाती हैं जिसे खिचड़ी कहा जाता है।
- तीसरे दिन को उषा अर्घ्य दिया जाता है। इस दिन व्रती सूर्योदय से पहले नदी या तालाब में जाकर सूर्य को अर्घ्य देती हैं।
- चौथे दिन को संध्या अर्घ्य दिया जाता है। इस दिन व्रती सूर्यास्त के बाद सूर्य को अर्घ्य देती हैं।
छठ पूजा का समापन:
छठ पूजा का समापन चौथे दिन संध्या अर्घ्य देने के बाद होता है। इस दिन व्रती अपने परिवार के साथ मिलकर भोजन करती हैं और त्योहार का आनंद लेती हैं।
छठ पूजा एक ऐसा त्योहार है जो लोगों में आस्था, विश्वास और एकता की भावना को बढ़ाता है। यह एक ऐसा त्योहार है जो लोगों को जीवन के वास्तविक मूल्यों को समझने में मदद करता है।
छठ पूजा का नियम क्या है?
छठ पूजा एक हिंदू त्योहार है जो सूर्य देव और छठी माता की पूजा के लिए मनाया जाता है। यह चार दिनों तक चलने वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार है जिसमें व्रत, स्नान, पूजा और सूर्य को अर्घ्य देना शामिल है। छठ पूजा बिहार, झारखंड, पूर्वांचल और नेपाल में विशेष रूप से मनाया जाता है।
छठ पूजा के नियम निम्नलिखित हैं:
- व्रती 36 घंटे तक निर्जला रहती हैं।
- व्रती खरना के दिन एक विशेष प्रकार का भोजन खाती हैं, जिसे खिचड़ी कहा जाता है।
- तीसरे दिन को उषा अर्घ्य देने के लिए व्रती सूर्योदय से पहले नदी या तालाब में जाकर सूर्य को अर्घ्य देती हैं।
- चौथे दिन को संध्या अर्घ्य देने के लिए व्रती सूर्यास्त के बाद सूर्य को अर्घ्य देती हैं।
- व्रती साफ-सफाई और शुद्धता का विशेष ध्यान रखती हैं।
- व्रती पूजा के दौरान पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ सूर्य देव और छठी माता की पूजा करती हैं।
- छठ पूजा एक सामाजिक त्योहार है, इसलिए व्रती अपने परिवार और दोस्तों के साथ मिलकर पूजा करती हैं।
छठ पूजा का इतिहास जाने
राजा प्रियवंद की कथा: इस कथा के अनुसार, राजा प्रियवंद की पत्नी निःसंतान थी। उन्होंने छठी माता की पूजा की और उन्हें पुत्र की प्राप्ति हुई। इस घटना के बाद से, छठ पूजा को संतान सुख प्राप्त करने के लिए मनाया जाने लगा।
श्रीराम और सीता की कथा: इस कथा के अनुसार, लंका के राजा रावण का वध करने के बाद श्रीराम जब पहली बार अयोध्या पहुंचे थे। उस समय भगवान श्रीराम और मां सीता ने रामराज्य की स्थापना के लिए छठ का उपवास रखा था और उस समय सूर्य देव की पूजा अर्चना की थी।
द्रौपदी की कथा: इस कथा के अनुसार, द्रौपदी ने पांडवों के अच्छे स्वास्थ्य और उनके बेहतर जीवन के लिए छठी माता का व्रत रखा था। उसके बाद पांडवों को उनका राजपाट वापस मिल गया था।
दानवीर कर्ण की कथा: इस कथा के अनुसार, दानवीर कर्ण सूर्य के पुत्र थे और वो हमेशा सूर्य की पूजा करते थे। इस कथा के अनुसार सबसे पहले कर्ण ने ही सूर्य की उपासना शुरू की थी। वह रोज स्नान के बाद नदी में जाकर अर्घ्य देते थे।
इन कथाओं से पता चलता है कि छठ पूजा एक प्राचीन त्योहार है। यह एक ऐसा त्योहार है जो लोगों में आशा, विश्वास और एकता की भावना को बढ़ाता है।
छठ पूजा 2023 में कौन कौन से सामान लगता है?
छठ पूजा 2023 में निम्नलिखित सामान लगता है:
नहाय-खाय | नए कपड़े, मिठाई, फल, हल्दी, कुमकुम, रोली |
खरना | खिचड़ी, मिठाई, फल, हल्दी, कुमकुम, रोली |
उषा अर्घ्य | सूप, नारियल,गन्ना, ठेकुआ कद्दू, शकरकंदी, सुथनी, अदरक का हरा पौधा, मीठा, नींबू, शरीफा, केला, नाशपाती, हल्दी, कुमकुम, रोली, फूल, चावल |
संध्या अर्घ्य | सूप, नारियल, गन्ना, ठेकुआ, कद्दू, शकरकंदी, सुथनी अदरक का हरा पौधा, मीठा नींबू, शरीफा, केला, नाशपाती, हल्दी, कुमकुम, रोली, फूल, चावल |
छठ पूजा कहां मनाया जाता है?
छठ पूजा एक हिंदू त्योहार है जो सूर्य देव और छठी माता की पूजा के लिए मनाया जाता है। यह चार दिनों तक चलने वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार है जिसमें व्रत, स्नान, पूजा और सूर्य को अर्घ्य देना शामिल है। छठ पूजा बिहार, झारखंड, पूर्वांचल और नेपाल में विशेष रूप से मनाया जाता है।
भारत में छठ पूजा
भारत में छठ पूजा को सबसे अधिक बिहार, झारखंड, पूर्वांचल और नेपाल में मनाया जाता है। इन क्षेत्रों में छठ पूजा एक सामाजिक और सांस्कृतिक त्योहार है। छठ पूजा के दौरान, लोग अपने घरों को सजाते हैं, नए कपड़े पहनते हैं और सूर्य देव और छठी माता की पूजा करते हैं।
बिहार में छठ पूजा
बिहार में छठ पूजा को सबसे अधिक धूमधाम से मनाया जाता है। यहां छठ पूजा को “छठ मइया” के नाम से जाना जाता है। छठ पूजा के दौरान, बिहार के लोग नदियों और तालाबों के किनारे जाकर सूर्य देव और छठी माता को अर्घ्य देते हैं। छठ पूजा के दौरान बिहार में कई सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं।
झारखंड में छठ पूजा
झारखंड में छठ पूजा को भी बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। यहां छठ पूजा को “छठी मइया” के नाम से भी जाना जाता है। झारखंड में छठ पूजा के दौरान, लोग नदियों और तालाबों के किनारे जाकर सूर्य देव और छठी माता को अर्घ्य देते हैं। छठ पूजा के दौरान झारखंड में भी कई सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
पूर्वांचल में छठ पूजा
पूर्वांचल में छठ पूजा को भी बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। यहां छठ पूजा को “छठी मइया” के नाम से भी जाना जाता है। पूर्वांचल में छठ पूजा के दौरान, लोग नदियों और तालाबों के किनारे जाकर सूर्य देव और छठी माता को अर्घ्य देते हैं। छठ पूजा के दौरान पूर्वांचल में भी कई सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
नेपाल में छठ पूजा
नेपाल में छठ पूजा को भी बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। यहां छठ पूजा को “छठ मइया” के नाम से भी जाना जाता है। नेपाल में छठ पूजा के दौरान, लोग नदियों और तालाबों के किनारे जाकर सूर्य देव और छठी माता को अर्घ्य देते हैं। छठ पूजा के दौरान नेपाल में भी कई सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
छठ पूजा क्यों की जाती है?
सूर्य देव की पूजा: छठ पूजा में सूर्य देव की पूजा की जाती है। सूर्य देव को जीवन का स्रोत माना जाता है। इसलिए, छठ पूजा में सूर्य देव की पूजा करने से लोगों को जीवन में आरोग्य, समृद्धि और खुशहाली प्राप्त होती है।
छठी माता की पूजा: छठ पूजा में छठी माता की भी पूजा की जाती है। छठी माता को बच्चों की देवी माना जाता है। इसलिए, छठ पूजा में छठी माता की पूजा करने से माँ बनने का अवसर प्राप्त होता है।
छठ पूजा एक पवित्र और शुभ त्योहार है। इस त्योहार में व्रत, स्नान, पूजा और सूर्य को अर्घ्य देने का महत्व है। छठ पूजा के दौरान कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए, ताकि त्योहार का पूरा लाभ मिल सके।
छठ पूजा में निम्नलिखित बातें नहीं करनी चाहिए:
- व्रत के दौरान तामसिक भोजन नहीं करना चाहिए।
- छठ पूजा के दौरान अश्लील बातें नहीं बोलनी चाहिए।
- छठ पूजा के दौरान किसी से झगड़ा या विवाद नहीं करना चाहिए।
- छठ पूजा के दौरान नदी या तालाब में स्नान करते समय सुरक्षा का ध्यान रखना चाहिए।
- छठ पूजा के दौरान पूजा की सामग्री और पूजा स्थल को साफ-सुथरा रखना चाहिए।
FAQ
छठ पूजा के बाद क्या खाना चाहिए?
छठ पूजा के बाद आपको सात्विक और पौष्टिक आहार पसंद करना चाहिए। धूप, अरघ्य, और पूजा के बाद बने चावल, दाल, और सब्जियाँ खाने की परंपरा होती है। इसके साथ गुड़, दूध, और फल भी शामिल करना चाहिए। यह सभी पौष्टिक आहार छठ पूजा के प्रसाद के रूप में प्रस्तुत किए जाते हैं।
छठ पूजा करने से क्या फल मिलता है?
छठ पूजा करने से भक्तों को अनेक आशीर्वाद मिलते हैं। यह पूजा सूर्य भगवान को समर्पित होती है, जिससे रोज़की, स्वास्थ्य, और समृद्धि की प्राप्ति होती है। छठ पूजा करने से विशेष रूप से परिवार के सदस्यों के लिए लौकिक और आध्यात्मिक सुख-शांति मिलती है। इसके अलावा, यह पूजा भक्त को सच्चे मन से दिन की प्रार्थना करने का अवसर प्रदान करती है और उनके मानसिक स्थिति को सुधारती है।
छठ के उपवास में क्या खाते हैं?
छठ पूजा में पानी पीने की परंपरा नहीं होती है, और यह पूजा अनिवार्य रूप से निर्जल व्रत के साथ की जाती है। भक्त छठी मैया की श्रद्धा और भक्ति से निर्जल व्रत रखते हैं, जिसमें उन्हें ऊष्मा का संचय करने के लिए पानी नहीं पीने की व्रत विधि का पालन करना होता है। इससे वे अपनी आस्था को मजबूत करते हैं और माँ छठी की कृपा प्राप्त करते हैं।
छठ पूजा का व्रत कितने दिन का होता है?
छठ पूजा का व्रत दो दिन का होता है। इसे कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी और सप्तमी तिथियों पर मनाया जाता है। पहले दिन व्रत करने के बाद ब्रतिनी अर्थात व्रत करने वाली महिला और उसके साथ कुछ परिजन षष्ठी की साँझ को सूर्योदय तक उपवास करते हैं, और दूसरे दिन व्रत का पूरा होता है।
छठ पूजा के लिए किस पौधे का उपयोग किया जाता है?
छठ पूजा में कस्तूरी (कुसुम) पौधे का उपयोग बहुत अधिक होता है, जो छठी मैया के पूजन में उपयोगी होता है। इसके फूल और पत्तियाँ पूजा में उपयोग के लिए प्रयोग किए जाते हैं।
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