रविवार, अगस्त 3, 2025
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बिरजा शक्ति पीठ (Biraja Shakti Peeth) का इतिहास, अनसुने रहस्य और नवरात्रि की अनोखी प्रथा

बिरजा शक्ति पीठ (Biraja Shakti Peeth) एक ऐतिहासिक हिन्दू मंदिर है, जोकि उड़ीसा के जाजपुर जिले में पड़ता है। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार यही पर माता सती की नाभि गिरी थी। मंदिर का प्रथम निर्माण 13वीं शताब्दी में हुआ था। मंदिर में प्रमुख मूर्ति को भैंस रूपी महिषासुर का वध करते हुए दिखाया गया है। मंदिर से जुड़े अनेकों रहस्य बताएं जाते हैं, जिन्हें आप आर्टिकल में विस्तार से पढेंगे, इसके साथ ही मंदिर से जुडी नवरात्रि की रहस्यमई प्रथा के बारे में जानेंगे।

बिरजा शक्ति पीठ मंदिर का इतिहास | Biraja Shakti Peeth History in Hindi

ब्रह्माण्ड पुराण के अनुसार, एक बार ब्रह्मा (ब्रह्मांड के निर्माता) ने बैतरनी नदी पर यज्ञ (महान बलिदान) किया था । ब्रह्मा के आह्वान के परिणामस्वरूप गार्हपत्य अग्नि से पार्वती प्रकट हुईं थी। तब माता पार्वती ने खुद का बिरजा नाम रखने की सलाह दी थी, ब्रह्मा ने पार्वती जी से प्रार्थना की और उन्हें शिव की दिव्य पत्नी के रूप में क्षेत्र में रहने के लिए कहा, परिणामस्वरूप माता पार्वती सहमत हो गईं और उन्होंने नौ दुर्गा, चौंसठ योगिनियां, आठ चंडिकाएं बनाईं जो वहीँ पर वास करती हैं। इन देवियों की उपस्थिति के कारण यह भूमि शक्ति पीठ के रूप में विख्यात हो गई, और माता के नाम के साथ इस जगह का नाम बिराजा शक्ति पीठ पड़ गया।

इतिहास की माने तो केसरी वंश के शासक जाजाति केशरी ने कलिंग काल के दौरान 13वीं शताब्दी में, जाजाति नगर (वर्तमान जाजपुर) स्थान पर बिराजा मंदिर का निर्माण करावाया था। देवी, माँ बिराजा, जो फर्श से 70 फीट की ऊँचाई पर स्थित हैं, इन देवी की पूजा 5वीं शताब्दी से की जा रही है। मंदिर की जगह का नाम राजा जजाति केशरी के नाम पर रखा गया था। पौराणिक कथा के अनुसार, इस स्थान को ‘गदाक्षेत्र’ के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि इस पवित्र स्थान पर भीम की गदा का अंश पाया गया था। मंदिर के सामने हाथी (मूर्ति) के ऊपर शेर खड़े हैं। मंदिर में यह गजपति वंश की तुलना में केशरी राजवंश की महानता का सूचक है।

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बिरजा शक्ति पीठ मंदिर की वास्तुकला | Biraja Shakti Peeth Architecture

बिराजा शक्ति पीठ मंदिर की दीवारें लगभग 250 वर्ग मीटर क्षेत्र में फैली हुई है। बिरजा शक्ति पीठ मंदिर (Biraja Shakti PeethTemple) की वास्तुकला का कलिंग वास्तुकला का सुंदर उदाहरण है। मंदिर की चार दिशाओं में एक-एक प्रवेश द्वार है तथा मुख्य द्वार पर एक पत्थर रूपी सिंह प्रतिमा का निर्माण किया गया है। मंदिर के मुख्य द्वार पर हाथियों के प्रतिमा के ऊपर सिंह की मूर्तियों को निर्मित किया गया है, इसके साथ मंदिर प्रवेश द्वार के शीर्ष पर एक सुंदर मीनार की स्थापना की गई है, जोकि देखने में काफी अदभुत लगती है।

मंदिर का गर्भगृह एक विशाल ऊंचाई के साथ निर्मित किया गया है गर्भगृह के शीर्ष पर अम्लाखा, कलश और एक ध्वज देखा जा सकता है। मंदिर के गर्भगृह में देवी बिरजा की सुदर प्रतिमा का चित्रण किया गया है। देवी की प्रतिमा को फूलो और मालाओं से सुस्सजित किया गया है। मंदिर की प्रमुख देवी के सीधे हाथ में त्रिशूल और उल्टे हाथ में एक भैस की पूछ को पकडे दिखाया गया है, देवी इस प्रतिमा में भैस रूपी महिषासुर का वध करते हुए दिख रही हैं। देवी के मुकुट की संरचना काफी अदभुत है, क्यूंकि उनके मुकुट पर गणेश, चन्द्रमा, वासुकी नाग और शिवलिंक के स्वरूप का चित्रण किया गया है। मंदिर के गर्भगृह में दीवारों पर देवी के अनेकों रूपों का चित्रण किया गया है। इसके साथ मंदिर में देवी के अलवा अन्य देवताओं की सुंदर चित्रकारियां देखी जा सकती है।

बिरजा शक्ति पीठ मंदिर से जुडी महत्वपूर्ण जानकारी

मंदिर का नामबिरजा देवी शक्ति पीठ मंदिर (Biraja Shakti PeethTemple)
समर्पित देवताबिरजा देवी (माता सती)
जगह का नामजाजपुर, उड़ीसा (भारत)
मंदिर की भाषाहिंदी, उड़िया, इंगलिश
मंदिर की प्रमुखतायहाँ पर माता सती की नाभि गिरी थी।
मंदिर के प्रमुख त्यौहारदुर्गा पूजा, नवरात्री, दीपावली, दशहरा
भौगोलिक स्थिति20°50′1.55″N
सम्बंधित धर्महिन्दू

बिरजा शक्ति पीठ मंदिर से जुड़े रहस्य | Biraja Shakti Peeth Temple Facts in Hindi

बिरजा शक्ति पीठ मंदिर (Biraja Shakti PeethTemple) माता सती का एक प्रमुख स्वरूप है, भक्तगण द्वारा इसे धार्मिक स्थल के रूप में पूजा जाता है। माता सती से जुड़े अनेकों शक्ति पीठों के पीछे अनगिनित रहस्य छुपे हैं, जिन्हें शायद हर कोई नहीं जानता, इसी तरह से बिरजा शक्ति पीठ मंदिर के अनेकों रहस्य बताएं जाते हैं, जिसे सुनने के बाद पौराणिक मान्यताओं पर लोगो का अटूट विश्वास बन जाता है। आज इस आर्टिकल में मंदिर से जुड़े रहस्यों को विस्तार से जानेंगे।

  • एक पौराणिक दैविक घटना के अनुसार माता सती की नाभी यही पर गिरी थी, जिसके बाद यहां पर बिरजा शक्ति पीठ मंदिर (Biraja Shakti PeethTemple) की स्थापना कर दी गई।
  • ब्रह्मांड पुराण के अनुसार एक बार ब्रम्हा जी ने बैतरणी नदी के पास महातप किया था, जोकि बिरजा शक्तिपीठ मंदिर के पास ही स्थित है।
  • एक पौराणिक मान्यता के अनुसार हवन कुंड से माता बिरजा प्रकट हुई थी।
  • बिरजा शक्ति पीठ मंदिर (Biraja Shakti PeethTemple) के पास ही बगुलामुखी देवी का मंदिर स्थापित है जो दशमहाविद्या में से एक प्रमुख देवी हैं।
  • बिरजा शक्ति पीठ मंदिर (Biraja Shakti PeethTemple) के अन्दर ही एक पेड़ मौजूद है जिसपर सभी भक्तगण अपनी कमाना लेकर कपडे बंधते हैं, एक मान्यता के अनुसार जो भी इस प्रथा को सच्चे मन से निभाता है, देवी की कृपा से उन सभी भक्तजनों की सभी कामनाएं पूर्ण हो जाती है।
  • बिरजा शक्ति पीठ मंदिर (Biraja Shakti PeethTemple)के अंदर ही एक विशाल स्तम्भ की संरचना देखी जा सकती है जोकि काले पत्थर द्वारा निर्मित है, ठीक इसके उपर एक शेर की प्रतिमा को विराजित किया गया है।
  • एक कहावत के अनुसार मंदिर में अनेकों तात्रिक साधना के लिए आते हैं और पूजा आरधना के साथ बलि देने की परम्परा को आगे बढ़ाते हैं।
  • बिरजा शक्तिपीठ मंदिर के पास ही एक विशाल नदी है जिसे बैतरणी के नाम से जाना जाता है, एक मान्यता के अनुसार माता बिरजा का नामकरण इस नदी से जुड़ा है, स्थानीय भाषा के परिणामस्वरूप बैतरनी नदी से जोड़कर माता का नाम बिरजा देवी रख दिया गया।
  • बिरजा शक्तिपीठ मंदिर में रहने वाले पुजारी जगन्नाथ जी का कहना है कि दक्षिण भारत से अनेकों लोग मंदिर में अपने पितरों का श्राद्ध करने आते हैं, इसी कारण से पितृ पक्ष की अष्टमी से यहाँ पर विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है, जोकि पूरी नवरात्रि तक चलता है।
  • एक पौराणिक मान्यता के अनुसार माता बिरजा त्रिवेणी अमावस्या के दिन अस्तित्व में आई थी, जिसकी वजह से इस शुभ अवसर पर गायत्री मंत्रो के साथ माता का अभिषेक किया जाता है।

नवरात्रि के शुभ पर्व पर देवी की रथयात्रा | Navratri Rathyatra at Biraja Shakti Peeth Temple

बिरजा शक्ति पीठ मंदिर (Biraja Shakti PeethTemple) में नवरात्रि जैसे पर्व को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। मंदिर में नवरात्रि के दिन विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं जिनमें से रथयात्रा प्रमुख है। नवरात्रि के शुभ अवसर पर माता की प्रतिमा के साथ विशेष यात्रा प्रारंभ की जाती है। देवी के रथ को विशेष रूप से सुसज्जित किया जाता है, मंदिर में रहने वाले पुजारियों द्वारा इस रथ का नाम सिंहध्वज रखा गया है।

रथ यात्रा के दौरान रथ को लाल, सफेद और काले कपड़े से सजाया जाता है इसके साथ ही रथ पर सारथी के रूप में ब्रह्मा जी की प्रतिमा को विराजित किया जाता है। नवरात्रि के अंतिम दिन अपराजिता पूजा का आयोजन किया जाता है इसी दिन देवी महिषासुर को मारती हैं उसके बाद रात को रथ अन्य मैदान में ले जाते है, जहां पर आधी रात में देवी की विशेष पूजा आराधना की जाती है। इस मुख्य पूजा के अवसर पर देवी को पेय पदार्थ का भोग लगाया जाता है, इसके पश्चात पूजा खत्म होने के बाद देवी को मंदिर वापस लाया जाता है।

नवरात्रि के दौरान 9 दिनों तक प्रमुख देवी का अलग-अलग रूप में श्रृंगार किया जाता है तथा दाल, सब्जी, खिचड़ी और इसके साथ ही खीर का भोग लगाया जाता है।

बिरजा शक्ति पीठ मंदिर कैसे पहुंचे | How To Reach Biraja Shakti Peeth Temple

अगर आप भी बिरजा देवी के दर्शन करना चाहते हैं तब आपको बिरजा शक्ति पीठ मंदिर (Biraja Shakti PeethTemple) जरुर जाना चाहिए, क्यूंकि यहाँ पर माता बिरजा का प्रमुख मंदिर है। यह मंदिर उड़ीसा के जाजपुर में स्थित है। मंदिर से नजदीकी जगह भुवनेश्वर है जहा से मंदिर की दुरी लगभग 125 किलोमीटर है। अगर आप उड़ीसा से दूर रहते हैं तब आप सड़क मार्ग, रेल मार्ग और एरोप्लेन के माध्यम से मंदिर तक पहुँच सकते हैं। चलिए इन तीनो रास्तों के बारे में विस्तार से जानते हैं।

सड़क मार्ग से बिरजा शक्ति पीठ मंदिर कैसे पहुंचे

सड़क मार्ग से मंदिर तक पहुंचने के लिए सबसे पहले आपको अपने शहर से उड़ीसा की तरफ जाने वाली बस के बारे में पता करना होगा। उड़ीसा पहुंचने के बाद आप उड़ीसा क्षेत्र में चलने वाले बस की मदद ले सकते हैं आपको बस के माध्यम से जाजपुर बस स्टैंड पर पहुँचाना होगा, फिर यहाँ से ऑटो की मदद से आप मंदीर तक आसानी से पहुँच सकते हैं। जानकारी के लिए बताना चाहेंगे जाजपुर बस स्टैंड से मंदिर की दूरी लगभग 2 किलोमीटर है

रेलमार्ग से बिरजा शक्ति पीठ मंदिर कैसे पहुंचे

जैसा कि हम सभी जानते हैं ट्रेन का सफर काफी सस्ता होता है, इसलिए अगर आप ट्रेन के माध्यम से मंदिर जाना चाहते हैं तब आपको अपने शहर से उड़ीसा की तरफ जाने वाली ट्रेन की मदद लेनी पड़ेगी। ट्रेन से जाने के लिए सबसे पहले आपको अपने शहर से जाजपुर क्योंझर रोड रेलवे स्टेशन की टिकट बुक करवानी होगी, रेलवे स्टेशन पहुंचने के बाद आप टैक्सी या ऑटो की मदद से मंदिर तक पहुंच सकते हैं। रेलवे स्टेशन से मंदिर की दूरी लगभग 32 किलोमीटर है।

एरोप्लेन से बिरजा शक्ति पीठ मंदिर कैसे पहुंचे

मंदिर जाने के लिए एरोप्लेन का सफर थोड़ा महंगा पड़ सकता है, लेकिन आप बेहद कम टाइम में मंदिर तक पहुंच सकते हैं। अगर आप एरोप्लेन से मंदिर जाने के बारे में सोच रहे हैं तब आपको अपने शहर से बीजू पटनायक इंटरनेशनल एयरपोर्ट की फ्लाइट टिकट बुक करवानी होगी। इस एयरपोर्ट से मंदिर की दूरी लगभग 103 किलोमीटर है, इसलिए एयरपोर्ट से आप टैक्सी या ऑटो की मदद से मंदिर पहुंच सकते हैं।

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बिरजा शक्ति पीठ मंदिर दर्शन और पूजा समय | Biraja Shakti Peeth Darshan & Pooja Timing

बिरजा शक्ति पीठ के दर्शन करने वालों को मंदिर की समय सरणी से परिचित होना जरुरी है। क्यूंकि मंदिर में समय समय पर पूजा और आरतियाँ की जाती है, अगर आप भी मंदिर के दर्शन के बारे में सोच रहें है तो आपको निचे दिए गए समय विवरण को जरुर पढ़ना चाहिए।

बिरजा शक्ति पीठ मंदिर (Biraja Shakti PeethTemple) सुबह 4 बजे खुल जाता है। मंदिर खुलने के बाद मंदिर की साफ सफाई की जाती है, इसके बाद मंदिर में सर्वप्रथम मंगला आरती की जाती है। मंगला आरती के बाद मंदिर में मूर्ति का जल अभिषेक किया जाता है, जिसमें मूर्तियों को पानी, दूध, शहद और अन्य पदार्थों से स्नान करवाया जाता है। कुछ समय बाद मंदिर में मूर्तियों का श्रृंगार किया जाता है जिसमें भगवान और देवी को सुंदर आभूषण, फूल और मालाओं से सुसज्जित किया जाता है।

इसके साथ ही मंदिर में आने वाले भक्तों द्वारा मंदिर के दर्शन और भगवान से प्रार्थना की जाती है तथा मंदिर में रहने वाले पुजारी भजन तथा कीर्तन का जाप करते हैं। मंदिर के दर्शन के लिए उपयुक्त समय सुबह 7 बजे से रात 9 बजे तक है। मंदिर से जुड़ी पूजा सम्बन्धित समय सारणी को आप नीचे टेबल में देख सकते हैं।

पूजासमय
मंगला आरतीप्रातः काल 5 – 6 बजे
जल अभिषेकंसुबह 7 बजे
श्रींगार अलंकरसुबह 8 बजे
मिडडे सेवा आरती1 बजे दोपहर
दोपहर की आरती3 बजे दोपहर
शाम की आरतीशाम 7 बजे
रात की आरतीरात 10 बजे

FAQ

बिरजा शक्ति पीठ मंदिर (Biraja Shakti PeethTemple) कहा पर है?
उड़ीसा के जाजपुर जिले में स्थित है।

बिरजा शक्ति पीठ मंदिर (Biraja Shakti PeethTemple) के पास माता सती का कौनसा अंग गिरा था?
नाभि।

बिरजा शक्ति पीठ मंदिर (Biraja Shakti PeethTemple) के प्रमुख त्यौहार कौन से है?
त्रिवेणी अमावस्या, डोला पूर्णिमा, वारुणी महोत्सव, महाविषुव संक्रांति, कैनन पूर्णिमा, सावित्री अमावस्या, दीपावली, दुर्गा पूजा, आदि।

बिरजा शक्ति पीठ मंदिर (Biraja Shakti PeethTemple) के गर्भगृह में फोटोग्राफी की जा सकती है?
जी नहीं, सिर्फ गर्भगृह के बहार फोटोग्राफी की अनुमति दी जाती है।

बिरजा शक्ति पीठ मंदिर (Biraja Shakti PeethTemple) से नजदीकी रेलवे स्टेशन कौन सा है?
जाजपुर क्योंझर रोड रेलवे स्टेशन (मंदिर से दुरी 32 किलोमीटर)

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