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भगुड़ा मोगल मां का इतिहास | Bhaguda Mogal Maa History In Hindi 2024

नमस्कार, दोस्तों स्वागत है आपका आज की पोस्ट में जानेंगे ताई श्री मोगल माँ की जन्मकथा, साथ ही जानेंगे क्यों माँ मोगल धरती में समाई? भगुड़ा मोगल मां मंदिर गुजरात के अहमदाबाद जिले में स्थित एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। यह मंदिर देवी मोगल मां को समर्पित है, जो क्षेत्र की आराध्य देवी हैं। मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है। कहा जाता है कि यह मंदिर 16 वीं शताब्दी में बनाया गया था। तब यह मंदिर एक छोटे से कुएं के पास स्थित था। उस समय इस कुएं का पानी बहुत ही मीठा और पवित्र माना जाता था। लोग इस कुएं के पानी से अपने रोगों को ठीक करने के लिए आते थे वैसे हर ज्ञाति की कोई ना कोई कुल देवी होती है। कुलदेवी अपने सभी भक्तों के अपनी कृपा दृष्टि रखते हैं। आज हम जानेंगें ऐसे ही श्रीया मोगल माँ का इतिहास के बारे में।

भगुड़ा मोगल मां का मंदिर – Bhaguda Mogal Maa Ka Mandir

विशेषताजानकारी
स्थानअहमदाबाद, गुजरात, भारत
मंदिर का नामभगुड़ा मोगल मां मंदिर
देवी का नाममोगल मां
स्थापना तिथि16वीं शताब्दी
देवी की प्रतिमाएक हाथ में कमल और दूसरे हाथ में गदा धारण किए हुए
मंदिर की वास्तुकलासफेद संगमरमर से निर्मित
प्रांगण में पेड़ और फूलकई
मेलानवरात्रि के समय

भगुड़ा मोगल मां के मंदिर की विशेषता

  • भगुड़ा मोगल मां का मंदिर आज भी बहुत प्रसिद्ध है। दूर-दूर से लोग इस मंदिर में देवी के दर्शन करने आते हैं। मंदिर में देवी की प्रतिमा बहुत ही सुंदर है। प्रतिमा में देवी को एक हाथ में कमल और दूसरे हाथ में गदा धारण किए हुए दिखाया गया है।
  • भगुड़ा मोगल मां को क्षेत्र की आराध्य देवी माना जाता है। लोग अपनी मनोकामनाएं पूरी करने के लिए देवी की पूजा करते हैं। देवी अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं।
  • मंदिर की वास्तुकला बहुत ही सुंदर है। मंदिर का निर्माण सफेद संगमरमर से किया गया है। मंदिर के चारों ओर एक बड़ा प्रांगण है। प्रांगण में कई पेड़ और फूल लगे हुए हैं।
  • मंदिर में साल भर भक्तों का आना जाना लगा रहता है। नवरात्रि के समय यहां विशेष मेला लगता है। इस मेले में दूर-दूर से लोग आते हैं और देवी की पूजा करते हैं।

Bhaguda Mogal Maa History In Hindi

माँ मोगल का इतिहास 1350 साल पुराना है। मोगल माँ के पिता का नाम, देव सुर, धन, धान्य और माता का नाम था। माँ मुगल जन्मस्थान भीम राणा है। जन्म के समय से माँ बोल नहीं रही थी, इसलिए सभी लोगों का मानना की गल है, लेकिन किसी को भी उनकी शक्ति का एहसास नहीं हुआ। मोगल माँ की शादी 40 साल की उम्र में हुई थी।

उनकी शादी अक्षय तृतीया के दिन हुई थी। पहले के समय में अक्षय तृतीया को सबसे अच्छा मुहूर्त माना जाता था। माँ मुगल का ससुराल जूनागढ़ के भेसन तालुका के गुर वायली गांव में था। माँ मुगल की शादी उनकी बुआ के बेटे से हुई थी। गर्मी समाज की प्रथा है की कोई भी पिता अपनी बेटी की शादी अपने बहन के लड़के के साथ कर सकते हैं। माँ मुगल की विधि विधान शादी करके विदाई के समय पे उनके पिता ने उनको बैल गाड़ियों भर की उनको दहेज दिया, साथ ही 15 गाय और भैंसें दी। उस समय बेटी के साथ काम करने के लिए ही एक और लड़की को भेजते थे। माँ मुगल की सेवा के लिए और उनकी काम करने के लिए उनके पिता ने वान जीआई को भेजा।

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जैसे ही माँ मोगल चारन और वन बेल गाड़ी में बैठे तब बारात प्रस्थान करके अपने गांव की ओर निकल पड़ी। तब रास्ते में जा रहे ने माँ मुगल से कई प्रश्न पूछे, लेकिन माँ मोगल ने कुछ नहीं कहा। इसलिए चार नेवान जी आये से सवाल किए तो जीने चार रन से बात करना शुरू कर दिया और दोनों ने एक दूसरे को अपना अपना परिचय भी दिया। इस तरह दोनों रास्ते में बातें करते करते बढ़ रहे हैं। तब वान जी ने चारन से कहा कि पिताजी मैं कुछ जानती हूँ। तब चारण ने कहा बेटा तुम क्या जानती हो? असल में वानजी मंत्र तंत्र की जानकार थी, तब वान जी ने उड़द के दाने लिए और मंत्र बोलकर पीछे आ रहे बारातियों के ऊपर फेंक दिए। जैसे ही उड़द के दाने, जमीन पर गिरे तुरन्त बाढ़ आए हो, उस तरह चारों तरफ तेजी से पानी छा गया और पानी के वजह से सभी बारातियों अपने कपड़े को ऊपर करके चलने लगे।

माँ मुगल भी उस तरह चलने लगे जिससे लोगों को एहसास हुआ कि इसमें कोई लंबी समझ नहीं है। इसलिए ऐसा किया वरना थोड़ा ऐसा करती वान जी ने पानी वाला चमत्कार दिखाया और आगे रास्ते में चलते चलते जी ने फिर से उड़द के दाने फेंक कर जंगल में आग लगा दी। आग लगते ही सभी बारातियों जंगल में इधर उधर दौड़ने लगे। इस प्रकार वे आगे बढ़े और जब गांव की सीमा आई तब सभी बारातियों और नवदंपति गांव की सीमा पर बैठ गए। फिर माँ मोगल की ससुराल वालों ने बारात के स्वागत की तैयारी की और ढोल और बाजा बजाने वाले को ले आए।

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पहले की समय में एक नियम था कि स्नान करने के बाद ही नवदंपति अपने कपड़े बदल सकते थे, लेकिन मा मोगल ने पहले ही अपने कपड़ों को बदल दिया। थोड़े समय बाद लोगों के के मन में एक विचार आया कि उसने वान जी को किसी प्रकार की शाबाशी नहीं दी। तब चारण वान जी के पास गया और कहा वन जीतू तो बड़ी काम की बाईं है और चारण ने अपना हाथ उठाया और बान जी के हाथ में ताली बजाई। चरणों की रीती रिवाजों के अनुसार पर नारी के साथ ताली नहीं बजा सकते लेकिन फिर भी चार अन्य ताली बजाई। जैसे ही चारण ने ताली बजाए और ताली के बजाते ही माँ मुगल क्रोधित हो गए। उनकी आँखें लाल गुम हो गई और क्रोध से उनके भांग ऊपर हो गए। माम् उगलने चारण और वान जी की तरफ देखा और कहा, अरे चार यह वान जी तो हमारी बेटी के समान है। चारण तुमने एक बेटी समान स्त्री के साथ ताली बजाई, तुम्हें शर्म नहीं आती? माँ? मुगल ने आगे यह भी कहा कि मुझे अपना जीवन उसके साथ बिताना था, लेकिन अब मैं आपके साथ जीवन नहीं बिता सकूगी।

सभी बारातियों और गांव के लोग चकित हुए और चिल्ला उठे कि मुगल तो थे फिर ये कैसे बोलने लगे? माँ मुगल का क्रोध शांत नहीं हो रहा था। क्रोध में उनके बाल लंबे हो गए और उनका रंग हो गया मां मोगल महा काली का रूप धारण कर लिया। महा काली का रूप धारण किया इसलिए माना जाता है की माँ मोगल स्वयं महा काली का स्वरूप थे। माँ मुगल का इस महा काली का रूप को देखने के बाद सभी लोग आश्चर्यचकित हो गए। किसी को भी अपनी आँखें देखें दृश्य पर विश्वास नहीं था।

सभी लोग माँ मुगल को नमन करने लगे, लेकिन किसी को नहीं पता था कि माँ मोगल काली रूप धारण किया है और तब मोगल मां ने धरती माँ से प्रार्थना की मुझे आपके अंदर संभाल लें। जैसे ही माँ मुगल ने धरती माँ से प्रार्थना की तुरंत ही पृथ्वी फटने लगी और माँ मुगल को धरती ने समा लिया।

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