वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग (Baidyanath Jyotirlinga): हिन्दू धार्मिक स्थलों में वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग (Baidyanath Jyotirlinga) अन्य शिवलिंग में से एक है, जिसे वैद्यनाथ धाम के रूप में भी जाना जाता है। वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग (Baidyanath Jyotirlinga) झारखण्ड के देवघर में स्तिथ है, यहाँ पर दूर दराज से लोग भगवान शिव के दर्शन के लिए आते हैं।12 ज्योतिर्लिंग में से वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग को 9वां स्थान दिया जाता है। यहां मंदिर में एक विशेष अस्त्र देखा जाता है, जिसे लोग पंचशूल के नाम से जाना जानते हैं, एक मान्यता के अनुसार यह अस्त्र मंदिर की सुरच्छा का सूचक है। प्राचीन काल में भगवान राम सुल्तानपुर से मंदिर तक गंगा जल लेकर आए थे, तब से सावन महीने में इस प्रथा को भक्तों द्वारा निभाया जाता है, और हर भक्त सुल्तानपुर से कावड़िया में गंगा लेकर मंदिर तक पैदल आते हैं। रावण की लघुशंका वाली कहानी से ही इस ज्योतिलिंग की स्थापना हुई थी। आखिर कहानी में ऐसा क्या हुआ था? साथ ही मंदिर के अनेकों रहस्यों को जानने के लिए इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ें।
वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर के महत्वपूर्ण तथ्य
झारखंड के देवघर में स्थित वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर (Baidyanath Temple) प्राचीन काल से ही प्रशिद्ध है। ऐसे में मंदिर से जुडी अनेकों महत्वपूर्ण जानकारियां देखी जा सकती है, जो काफी आश्चर्यजनक है। अन्य महत्वपूर्ण तथ्यों को जानने के लिया नीचे टेबल में पढ़ें।
मंदिर का नाम | वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर (Baidyanath Temple) |
मंदिर सम्बंधित धर्म | हिन्दू |
प्रमुख देवता | भगवान शिव |
जगह का नाम | देवघर, झारखण्ड (भारत) |
वैद्यनाथ मंदिर (Baidyanath Temple) के निर्माता | राजा पूरनमल और विश्वकर्मा |
वैद्यनाथ मंदिर (Baidyanath Temple) से जुड़े प्रमुख पर्व | महाशिवरात्रि, सावन महिना |
वैद्यनाथ मंदिर (Baidyanath Temple) निर्माण शैली | द्रवित और नागर शैली |
वैद्यनाथ मंदिर (Baidyanath Temple) खुलने का समय | 3:40 सुबह |
वैद्यनाथ मंदिर (Baidyanath Temple) का निर्माणकाल | 1596 ई |
वैद्यनाथ मंदिर (Baidyanath Temple) की विशेषता | पंचशूल अस्त्र |
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वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर का इतिहास (BaidyanathTemple History)
भारतीय इतिहास के अनुसार मंदिर का निर्माण 1596 में हुआ था, मंदिर के निर्माण में विश्वकर्मा का बड़ा योगदान रहा है। मंदिर की ऊंचाई लगभग 72 फीट तक है, मंदिर के अंदर रखा शिवलिंग 5 इंच चौड़ा और 4 इंच ऊंचा है।
सन 1757 के दौरान शासन कर रहे अधिकारियों का ध्यान इस मंदिर पर गया था, तब अंग्रेजों के कुछ नौकर मंदिर के सीमा पर जांच पड़ताल करने गए थे। जिसके बाद अंग्रेज शासक ने इस मंदिर को बलपूर्वक बंद करवा दिया था। इस मंदिर के बारे में प्राचीन काल से ही एक प्रथा चली आ रही है जिसके अनुसार सुल्तानगंज से गंगाजल लेकर मंदिर तक पैदल यात्रा की जाती है, इन दोनो स्थान के बीच की दूरी लगभग 106 किलोमीटर है।
यहां मंदिर में अन्य देवता भी वास करते हैं इस कारण इसे देवघर के नाम से भी जाना जाता है। वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग (Baidyanath Jyotirlinga) मंदिर भारत में प्रसिद्ध 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह मंदिर झारखंड के देवगढ़ में स्थित है। इस मंदिर के परिसर में ज्योतिर्लिंग के पास 22 अन्य मंदिर स्थापित किए गए हैं। हिंदू धर्म में इस शिवलिंग को नौवा स्थान प्राप्त है।
वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर का रहस्य (Baidyanath Jyotirlinga Temple Mystery)
भले ही आप वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग (Baidyanath Jyotirlinga) के दर्शन कर चुके हों, लेकिन इसके पीछे छुपे अनेकों रहस्यों को शायद आप ना जानते हों। इस मंदिर के साथ अनेकों रहस्यमयी घटनाए घटित हुई हैं जिस कारण इस मंदिर को अनेकों नामों से जाना जात है। मंदिर में रखे पंचशूल अस्त्र की खासियंत क्या है? रावण से इस मंदिर का जुड़ाव किस प्रकार है? ऐसे ही अन्य रहस्यों को बारीकियों से जानने के लिए निचे दिए गए सभी रहस्यों को जरुर पढ़ें।
- इस मंदिर में आने वालों भक्त ज्योतिर्लिंग का अभिषेक करते हैं यह एक विशेष प्रथा है।
- वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर (Baidyanath Temple) में जुलाई और अगस्त माह में श्रावण मेले का समारोह किया जाता है।
- वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर (Baidyanath Temple) के स्थान पर देवी सती का ह्रदय गिरा था, एक मान्यता के अनुसार भगवान शिव माता के ह्रदय में वश करते हैं। इसलिए इस ज्योतिर्लिंग को हृदयापीठ के नाम से में भी जाना जाता है।
- पौराणिक मान्यता के अनुसार, यहाँ पर स्थित ज्योतिर्लिंग को स्पर्श करने भर से मन की सभी कामनाएं पूर्ण हो जाती है।
- वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर (Baidyanath Temple) में एक पंचशूल रखा हुआ है, जिसके बारे में एक मान्यता है कि यह शूल मंदिर को हर तरह की आपदा से सुरछित रखता है।
- वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर (Baidyanath Temple) में रखे पंचशूल को काम, क्रोध, मद, लोध, और मोह का सूचक मन जाता है।
- इस मंदिर के चारों तरफ वातावरण में मंत्रों की गूंज महसूस की जा सकती है।
- इस मंदिर की एक खास विशेषता यह है कि यहां पर विभिन्न धर्मो के लोग आ सकते हैं, जिससे यह मंदिर लोगों में एकता की भावना बनता है।
- एक कहावत के अनुसार रावण ने शिवलिंग को जमीन पर रख दिया था जबकि “भगवान शिव कथानानुसार शिवलिंग जहां पर भी रखा जाएगा वहां पर यह स्थापित हो जाएगा” इस तरह ज्योतिर्लिंग स्थापित होने के बाद इसे कामना लिंग के नाम से भी जाना जाता है।
- प्राचीन काल के अनुसार भगवान श्री राम ने सुल्तानगंज से जल लेकर इस मंदिर तक यात्रा की थी। इसके उपरांत यह प्रक्रिया भक्तों में देखी जाने लगी।

वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर की कहानी
भगवान शिव को वैद्यनाथ के नाम से भी जाना जाता है। वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग का दुसरा नाम वैद्यनाथ धाम है। जहां भगवान शिव का नाम हो वहां लंका पति रावण को कोई कैसे भूल सकता है, क्यूंकि संसार में रावण भगवान शिव का सबसे बड़ा भक्त था। क्या आप जानते हैं, वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग की स्थापना सर्वप्रथम रावण द्वारा की गयी थी। इस रहस्य के पीछे एक कहानी प्रशिद्ध है, जिसे आप आर्टिकल में आगे पढ़ेंगे।
देवताओं के काल में एक बार लंका पति रावण भगवान शिव की कठोर तपस्या कर रहे थे। इस तपस्या के दौरान रावण अपने सर की आयुतियाँ दे रहा था, 9 सर की आहुतियाँ देने के बाद, जब 10 वां सर काटकर अर्थी के आगे बढाने लगा तभी, भगवान शिव रावण के सामने प्रकट हो गए। रावण की कठोर तपस्या देखकर भगवान शिव प्रसन्न हो गए और आरती में चढ़ाए सभी सर को वापस रावण के सिर में लगा दिया। इस घटना के बाद से ही रावण को दशानंद के रूप में जाना जाना जाता है। इसके बाद भगवान शिव रावण की तपस्या से प्रसन्न होकर रावण को वर मांगने के लिए कहने लगे।
तब रावण ने वर में भगवान शिव के शिवलिंग को लंका ले जाने की आज्ञा मांगी, भगवान शिव ने वर तो दे दिया लेकिन उन्होंने एक चेतावनी दी कि शिवलिंग लंका ले जाते समय अगर रास्ते में कही जमीन पर रखा गया तो यह वही पर स्थापित हो जाएगा, फिर इसे कोई नहीं उठा सकेगा। रावण ने उनकी चेतावनी मान ली।
इधर स्वर्ग लोक में सभी देवतागण इस बात से काफी चिंतित हो गए और सहायता के लिए भगवान विष्णु के पास गए। तब भगवान विष्णु ने एक योजना बनाई। और वह खुद इस योजना में शामिल हो गए।
उधर जब रावण शिवलिंग लेकर लंका जाने लगा तब भगवान विष्णु एक चरवाहे का रूप धारण करके, उसके पास से गुजर रहे थे। इसी दौरान रावण के शरीर में गंगा माता प्रेवश कर गईं और उसके उदर में जाकर, रावण को लघुशंका के लिए विवश कर दिया, तब रावण ने उस चरवाहे से रुकने का आग्रह किया और शिवलिंग थामने को कहा। बाद में खुद लघुशंका मिटाने चला गया। जब रावण वहां से वापस आने लगा तो उसे कही भी हाथ धोने के लिए जल नहीं मिल पाया। इसी कारण उसने जमीन में एक विशालकाय गड्ढा कर दिया और वहां पर जल से भरा तालाब उत्पन्न हो गया। फिर रावण ने वहां पर अपना हाथ धोया और वापस चरवाहे के पास जाने लगा। वहां जाकर उसने देखा कि चरवाहा वहां पर नहीं था और शिवलिंग जमीन पर रखा था। यह देखकर रावण गुस्से से बौखला गया और चरवाहे को ढूढने लगा, लेकिन चरवाहा उसे कही भी नहीं मिल सका। आखिर में रावण ने क्रोध में आकर शिवलिंग को बलपूर्वक जमीन के नीचे धंसा दिया।
इस तरह से वहीँ पर वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग (Baidyanath Jyotirlinga) स्थापित हो गया, और बाद में यहाँ पर मंदिर का निर्माण हो गया।
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वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर पहुँचने का रास्ता

वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग (Baidyanath Jyotirlinga) मंदिर भगवान शिव का प्रतिक है। ऐसे में सावन के महीने में अनेकों श्रदालु भगवान शिव के प्रमुख धार्मिक स्थलों पर घूमना पसंद करते हैं। इसके पीछे एक कारण यह भी बताया जाता है कि सावन महीने में ज्योतिर्लिंग जैसे धार्मिक स्थलों के दर्शन करने से मन की सभी इच्छाएं पूर्ण हो जाती हैं, कुछ लोग इसी मांताओं के साथ सावन में ऐसे धार्मिक स्थलों पर जाना उचित समझते हैं। क्या आप भी उनमें से एक हैं? और वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग (Baidyanath Jyotirlinga) मंदिर के दर्शन हेतु, यात्रा का प्लान बना रहें है? अगर हाँ तो यह आर्टिकल आपके लिए ही है, क्यूंकि यहाँ पर हम आपके साथ वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग (Baidyanath Jyotirlinga) मंदिर पहुचने का आसन रास्ता शेयर किया गया है, जिसकी मदद से आप बेहद आसानी से मंदिर के दर्शन कर पायेंगे। चलिए मंदिर की यात्रा को विस्तार से समझते हैं।
सड़क द्वारा वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर कैसे पहुंचे
आप अपने शहर से मंदिर तक की यात्रा करने के लिए सड़क से लम्बे रूट पर चलने वाली प्राइवेट बसों की मदद ले सकते हैं, बस के द्वारा आपको मंदिर के पास स्तिथ देवघर बस स्टैंड तक पहुँचाना होगा, इसके बाद आप ऑटो या टेक्सी की मदद से मंदिर तक का सफ़र तय कर सकते हैं।
ट्रेन से वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर कैसे पहुंचे
अगर आप ट्रेन द्वारा मंदिर जाना चाहते हैं तब आपको अपने शहर से देवघर रेलवे स्टेशन या फिर जसीडिह रेलवे स्टेशन तक की टिकेट बुक करनी होगी, हो सकता है आपके शहर से डायरेक्ट कोई ट्रेन इन रेलवे स्टेशन तक ना आती हो, लेकिन आप इस बारे में इन्टरनेट से जानकारी ले सकते हैं और ट्रेन बदल कर बताए गए रिव्य स्टेशन तक पहुच सकते हैं, देवघर रलवे स्टेशन पहुँचने के बाद आप यहाँ से टेक्सी या ऑटो की मदद से मंदिर तक का सफ़र तय कर सकते हैं।
एयरप्लेन से वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर कैसे पहुंचे
अगर आपके पास समय की कमी है और आप किसी निश्चित समय पर मंदिर के दर्शन करना चाहते हैं तब आपके लिए हवाई जाहज की मदद से मंदिर जा सकते हैं। इसके लिए आपको अपने शहर से देवघर एअरपोर्ट की टिकट बुक करानी होगी। देवघर एअरपोर्ट से मंदिर की दुरी लगभग 15 किलोमीटर है जिसके लिए आप ऑटो या टेक्सी की मदद ले सकते हैं।
वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर का दर्शन समय
अगर आप वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग (Baidyanath Jyotirlinga) मंदिर पहुँचने से पहले मंदिर सम्बंधित सभी जानकारियां इन्टरनेट पर रिसर्च कर रहें है तो यह आर्टिकल आपके लिए काफी हेल्पफुल हो सकता है। क्यूंकि यहाँ पर मंदिर से जुडी हर बारीकियों को आपके साथ शेयर किया गया है। अगर आप वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग (Baidyanath Jyotirlinga) मंदिर के दर्शन करना चाहते हैं तब वहां पर पहुंचना और सही टाइम पर दर्शन कर पाना एक अहम् मुद्दा बन जाता है, ऐसे में हम आपके साथ यहाँ पर मंदिर से जुडी समय सारणी आपके साथ शेयर करने वालें जिसकी मदद से आप सही टाइम से मदिर से जुडी हर पूजा और आरती का दर्शन कर पायेंगे। चलिए इस समय सरणी को विस्तार से जाने ।
आरती | समय |
प्रातः काल आरती | 4:00 बजे सुबह |
कांचा जल अभिषेक | 4:10 बजे सुबह |
दोपहर विश्राम समय | 2:00 बजे दोपहर |
मंदिर की साफ सफाई | 6:00 बजे शाम |
श्रृंगार आरती | 6:10 बजे शाम |
मंदिर बंद होने का समय | 8:00 बजे रात में |
FAQ
वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर (Baidyanath Temple) कहाँ है?
वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर झारखण्ड के देवघर छेत्र में स्थित है।
देवघर में कितने मदिर मौजूद हैं?
देवघर देवताओं का घर माना जाता है, इसी कारण यहाँ पर लगभग 22 मंदिर मौजूद हैं।
वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर (Baidyanath Temple) मंदिर की रोचक बात क्या है?
ज्योतिर्लिंग मंदिर में पंचशूल अस्त्र मौजूद है जोकि मंदिर को हर आपदाओं से सुरछित रखता है।
अन्य ज्योतिर्लिंग में से वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग किस स्थान पर है?
नोंवे स्थान पर।
देवकाल में वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर (Baidyanath Temple) की स्थापना किसने की थी?
लंका राजा रावण ने ।
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[…] वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग | Baidyanath Jyotirlinga January 9, 2024 0 Comments […]
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