सोमवार, जुलाई 7, 2025
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बहुला शक्ति पीठ मंदिर का इतिहास, रहस्य और वास्तविक चमत्कार | Bahula Shakti Peeth History In Hindi

बहुला शक्ति पीठ (Bahula Shakti Peeth) पश्चिम बंगाल के केतुग्राम में स्तिथ एक प्रमुख शक्ति पीठ है। एक मान्यता के अनुसार यहाँ पर माता सती के सीधे हाँथ का निपात हुआ था। देवी का यह मंदिर भक्तों के लिए फलदायी है। मंदिर के दर्शन करने वालों को मनवांछित फल की प्राप्ति होती है। इस मंदिर का नवीनीकरण 17वीं शताब्दी में किया गया था, जिसमे राजा कीर्ति चंद का मुख्य योगदान था। मंदिर के बारे में अनेकों रहस्य बताए गए हैं, जिनके बारे में आगे आर्टिकल में पढेंगे, साथ ही मंदिर से जुड़े चमत्कारों के बारे में पढेंगे।

बहुला शक्ति पीठ मंदिर का इतिहास | Bahula Shakti Peeth Mandir History in Hindi

बहुला शक्तिपीठ मंदिर ऐतिहासिक धरोवर में से एक है। इतिहासकारों की माने तो वीरसेन का राजा ने माता के स्पष्ट दर्शन किए थे, तब राजा ने माता के आशीर्वाद से मंदिर की स्थापना करवाई थी। इसके बाद अन्य राजा कीर्ति चंद मंदिर का पुनः नवीनीकरण करवाया, परिणामस्वरूप 17वीं शताब्दी में मंदिर का पूर्ण निर्माण हो पाया।

मुख्य रूप से प्राचीन ग्रंथो के अनुसार माता पार्वती जी के अंग निपात होने से शक्तिपीठ की उत्त्पति हुई थी।

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बहुला शक्ति पीठ मंदिर की वास्तुकला

बहुला शक्ति पीठ मंदिर (Bahula Shakti Peeth) की वास्तुकला हिन्दू धर्म की विशिष्ट वास्तुकला का स्वरूप है। मंदिर की संरचना चौकार आकर में है इसके साथ ही मंदिर को एक ऊँचे आसन पर निर्मित किया गया है। मंदिर का बाहरी भाग टेराकोटा किस्म की मिटटी से निर्मित किया गया है, इस तरह की मिटटी का निर्माण लाल मिटटी को पकाकर किया जाता है, जिसके साथ अनेक महत्वपूर्ण वस्तुएं डाली जाती है। इसके बाद पत्थर और ईटों के साथ ही अदभुत नक्कासियाँ की जाती है, जिसका वास्तविक नजारा आप मंदिर की बहरी दीवारों पर देख सकते हैं।

मंदिर में प्रवेश के लिए एक छोटे द्वार की संरचना की गई है, जो अनेकों छोटे मंदिरों से गिरा हुआ है। मंदिर के अन्दर मौजूद बहुला देवी की मूर्ति को काले पत्थरों द्वारा निर्मित किया गया है। मूर्ति की सुन्दरता को दर्शाने के लिए मूर्ति को आभूषण और मालाओं से सुसज्जित किया गया है। मंदिर के गर्भगृह में अन्य देवताओं की मूर्तियाँ स्थापित की गई है। मंदिर में एक विशेष स्थान पर तालाब मौजूद है, जिसमे सभी भक्ति स्नान करते हैं। एक मान्यता के अनुसार इस तालाब में स्नान करने से हर तरह की बीमारियाँ ठीक हो जाती हैं।

बहुला शक्ति पीठ मंदिर की महत्वपूर्ण जानकारियां

मंदिर का नामबहुला शक्ति पीठ
प्रमुख देवताबहुला देवी (माता सती)
जगह का नामकेतुग्राम, पश्चिम बंगाल (भारत)
मंदिर की प्रमुखतायहाँ पर माता सती का दायाँ हाथ गिरा था।
मंदिर के प्रमुख त्यौहारनवरात्री, रथयात्रा, दुर्गा पूजा
मंदिर की भाषाहिंदी, बंगाली, इंगलिश
मंदिर के निर्माताराजा कीर्ति चंद
मंदिर का निर्माणकाल17वी शताब्दी

बहुला शक्ति पीठ मंदिर के रहस्य | Bahula Shakti Peeth Facts in HIndi

बहुला शक्ति पीठ मंदिर (Bahula Shakti Peeth) माता सती के अदभुत मंदिरों में से एक है। बहुला देवी अपने भक्तों के सभी दुखों का निवारण करती हैं। हिन्दू धर्म में प्रचलित विभिन्न शक्ति पीठों की अलग अलग खासियत हैं, और मंदिर से जुड़े अदभुत रहस्य आज भी लोगो द्वारा सुने जाते हैं। अगर आप भी मंदिर से जुड़े रहस्यों को जानना और सुनना पसंद करते हैं, तब आपको निम्नलिखित रहस्यों को जरुर पढ़ना चाहिए।

  • पौराणिक ग्रंथों के अनुसार बहुला शक्ति पीठ में माता सती का बायाँ हाथ गिरा था।
  • बहुला शक्ति पीठ मंदिर (Bahula Shakti Peeth) में प्रमुख देवी को बहुला तथा प्रमुख देवता भगवान शिव को भीरुक के नाम से जाना जाता है।
  • बहुला शक्ति पीठ मंदिर (Bahula Shakti Peeth) में माता सती के स्वरूप, देवी बहुला (मूर्ति) को विशेष काले रंग के पत्थरों से निर्मित किया गया है।
  • बहुला शक्ति पीठ मंदिर (Bahula Shakti Peeth) में माता सती भगवान गणेश और कार्तिकेय के साथ विराजती हैं।
  • बहुला शक्ति पीठ मंदिर (Bahula Shakti Peeth) में दर्शन करने पर भक्तगणों को देवी बहुला की कृपा से ईश्वरीय ऊर्जा प्राप्त होती है।
  • एक मान्यता के अनुसार बहुला शक्ति पीठ मंदिर (Bahula Shakti Peeth) के दर्शन करने और सच्चे मन से पूजा अर्चना करने से भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।
  • बहुला शक्ति पीठ मंदिर (Bahula Shakti Peeth) की प्रमुख देवी को बहुलखी देवी के रूप में भी जाना जाता है।
  • बहुला शक्ति पीठ मंदिर (Bahula Shakti Peeth) में तंत्र ज्ञान के लिए विशेष साधना की जाती है, तंत्र साधना के लिए यहाँ पर अनेकों तांत्रिक प्रमुख अनुष्ठानो पर एकत्रित होते हैं और मंदिर में पूजा आराधना करते हैं।
  • बहुला शक्ति पीठ मंदिर (Bahula Shakti Peeth) में देवी की मूर्ति के दुर्लभ दर्शन किए जा सकते हैं, मूर्ति रूपी देवी चार भुजाओं के साथ स्थापित हैं।
  • बहुला देवी की प्रतिमा काफी अदभुत है, माता की एक भुजा में कंघा, दूसरी में दर्पण, और अन्य दो हाथों से माता गणेश और कार्तिकेय को आशीर्वाद देते हुए दिखाई गई हैं।
  • बहुला शक्ति पीठ मंदिर (Bahula Shakti Peeth) की प्रमुख देवी के आशीर्वाद से निसंतान को शीघ्र ही संतान की प्राप्ति होती है।

बहुला शक्ति पीठ मंदिर में हुए है अनोखे चमत्कार | Real Marvel Of Bahula Shakti Peeth

भारत धार्मिक स्थलों का प्रमुख देश हैं, यहाँ पर अक्सर ऐसी खबरे वायरल जल्दी होती हैं, जिसमे मंदिर से जुड़े अनेकों चमत्कार बताएं जाते हैं। कुछ इसी तरह के चमत्कार बहुला शक्ति पीठ मंदिर (Bahula Shakti Peeth) से जुड़े हैं, जिन्हें शायद आप न जानते हों, लेकिन आज इस आर्टिकल के माध्यम से आप मंदिर से जुड़े अनेकों चमत्कारों के बारे में जानेंगे।

  • एक निसंतान महिला बहुला देवी के दर्शन के लिए गई थी, मंदिर के दर्शन करने के कुछ सालों बाद उसे संतान की प्राप्ति हो गई।
  • एक अंधा व्यक्ति जोकि बहुला शक्ति पीठ मंदिर (Bahula Shakti Peeth) के दर्शन के लिए गया था। अंधे ने मंदिर में माता से सच्चे मन से प्राथना की और मंदिर के अन्दर मौजूद तालाब में स्नान करने लगा, स्नान के कुछ समय बाद उस अंधे व्यक्ति की रोशिनी वापस आ गई और प्रथम बार अपनी आँखों से उसने माता के मंदिर का दर्शन किया।
  • एक युवक सालों से बीमार था, जिसकी बिमारी का कोई इलाज नहीं था, उसके परिवार वाले अपने पुत्र की यह दशा देखकर बेहद चिंतित थे, तब उन्होंने देवी बहुला के दर्शन किए, परिणामस्वरूप माता का चमत्कार दिखा और वह युवक पूर्ण रूप से स्वस्थ हो गया।
  • एक व्यापारी का कारोबार पूरी तरह से ख़त्म होने की कदार पर था। तब उसने बहुला शक्ति पीठ मंदिर में सच्चे मन से दान किया, जिसके कुछ समय बाद माता की कृपा हुई और उसका व्यवसाय फिर से चलने लगा।
  • एक निसंतान जोड़ा, जो संतान प्राप्ति के लिए काफी परेशान था। डॉक्टर को दिखाने के बाद भी उनकी समस्या का समाधान ना हो पाया, आखिर में उम्मीद लिए वह जोड़ा देवी बहुला के दर्शन के लिए गया। दर्शन के कुछ महीनो बाद उन जोड़ों को गर्भधारण की खुशखबरी मिल गई।

बहुला शक्ति पीठ मंदिर से जुड़े प्रमुख त्यौहार | Bahula Shakti Peeth Related Festivals

बहुला शक्ति पीठ मंदिर (Bahula Shakti Peeth) बंगाल का एक प्रमुख धार्मिक स्थल है, जहाँ पर भारतीय रिती रिवाजों के अनुसार अनेकों पर्वों को बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है। लेकिन मंदिर में देवी से जुड़े सभी प्रमुख त्यौहारो को प्रमुख मान्यता दी जाती हैं। आज इस आर्टिकल के माध्यम से आप मंदिर से जुड़े पर्व के बारे में जानेंगे।

नवरात्रि

बहुला शक्ति पीठ मंदिर (Bahula Shakti Peeth) में प्रमुख रूप से नवरात्री पर्व की मान्यता है। मंदिर में नवरात्रि का पर्व वर्ष में दो बार मनाया जाता है, एक बार बसंत ऋतु और दूसरा शरद ऋतु में। नवरात्रि के अवसर पर पुरे मंदिर को रोशनी और फुल मालाओं से सजाया जाता है। इस दिन देवी बहुला की विशेष रूप से पूजा आराधना की जाती है।

रथयात्रा

बहुला शक्ति पीठ मंदिर (Bahula Shakti Peeth) में रथ यात्रा प्राचीन उत्सव का स्वरूप है। बंगाल में इसे रथ महोत्सव के रूप में जाना जाना जाता है। इस दिन देवी बहुला की मूर्ति को रथ पर विराजित करके, एक पवित्र यात्रा प्रारंभ की जाती है। मंदिर में आने वाले भक्त इस त्यौहार को बड़ी धूमधाम से मनाते हैं।

दुर्गा पूजा

दुर्गा पूजा बंगाल की सबसे बड़ी पूजा है। दुर्गा पूजा के दिन मंदिर आने वाले भक्तों की संख्या हजारों में होती है। इस दिन मंदिर को रंग रोशन किया जाता है और बाहर से रोशनीदार लड़ियों की मदद से मंदिर को सुसज्जित किया जाता है। दुर्गा पूजा के दिन मंदीर में आने वाले लोगों का मानना है कि इस दिन देवी की पूजा करने से हर भक्तों पर उनकी कृपा बरसती है।

काली पूजा

बहुला शक्ति पीठ मंदिर (Bahula Shakti Peeth) में काली माता की पूजा आराधना की जाती है, जिसे काली पूजा के रूप में भी जाना जाता है। इस दिन मंदिर में मौजूद देवी काली का अभिषेक किया जाता है और उन्हें प्रसाद का भोग लगाया जाता है। इसके साथ ही काली पूजा के शुभ अवसर पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

पोइला बैसाख

यह पर्व पुरे बंगाल में प्रशिद्ध उत्सव में से एक हैं। इस त्यौहार को बंगाल में नव वर्ष के रूप में मनाया आजा है। इस दिन लोग नए कपड़ों के साथ अपने आस पड़ोस में मिलने जाते हैं और उन्हें नव वर्ष की शुभकामनाएं देते हैं। साथ ही इस दिन बहुला मंदिर में पूजा अर्चना की प्रथा भी बताई जाती है। इस दिन लोग मंदिर में आकर देवी का आशीर्वाद लेते हैं और मार्गदर्शन के लिए सच्चे मन से बहुला देवी से प्राथना करते हैं।

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बहुला शक्ति पीठ मंदिर कैसे पहुंचे | How To Reach Bahula Shakti Peeth

जो भक्त बहुला देवी के दर्शन करना चाहते हैं उन्हें बहुला शक्ति पीठ जरुर जाना चाहिए, क्यूंकि यही पर माता सती का पौराणिक वास है। इस मंदिर के दर्शन करने से जीवन के मानसिक और शरीक दुःख दूर हो जाते हैं। अगर आप भी बहुला शक्ति पीठ के दर्शन करना चाहते हैं तब आप सड़क मार्ग, ट्रेन मार्ग, और एरोप्लेन की मदद से मदिर तक पहुँच सकते हैं। आपके शहर से मंदिर तक रास्तों का विवरण आर्टिकल में आगे पढ़ सकते हैं।

सड़क मार्ग से बहुला शक्तिपीठ मंदिर (Bahula Shakti Peeth) कैसे पहुंचे

अगर आप सड़क मार्ग से मंदिर तक जाना चाहते हैं तब आपको अपने शहर से पश्चिम बंगाल की यात्रा करनी होगी। आपको बस या टेक्सी की मदद से काटोया (पश्चिम बंगाल) पहुंचना होगा, यहाँ से मंदिर की दुरी लगभग 12 किलोमीटर है। अगर आप बस से यहाँ तक आते हैं, तब आप आगे की यात्रा के लिए बस और टेक्सी की मदद ले सकते हैं। टेक्सी की मदद से आप केतुग्राम बस स्टैंड पहुँच सकते हैं, बस स्टैंड से पैदल चलकर मंदिर पहुंचा जा सकता है।

ट्रेन से से बहुला शक्तिपीठ मंदिर (Bahula Shakti Peeth) कैसे पहुंचे

अगर आप ट्रेन के माध्यम से मंदिर तक जाना चाहते हैं तब आपको अपने शहर से पश्चिम बंगाल के लिए जाने वाली ट्रेन की मदद लेनी होगी। आपको अपने शहर से पश्चिम बंगाल के कटवा जंक्शन रेलवे स्टेशन तक पहुंचना होगा। इस रेलवे स्टेशन से मंदिर की दुरी लगभग 15 किलोमीटर हैं, इसी वजह से आपको यहाँ से टेक्सी या ऑटो बुक करना होगा जोकि आपको मंदिर तक छोड़ देगा।

ऐरोप्लन से बहुला शक्तिपीठ मंदिर (Bahula Shakti Peeth) कैसे पहुंचे

एरोप्लेन से मंदिर जाने के लिए सबसे पहले आपको मंदिर के निकटतम एअरपोर्ट तक जाना होगा। मंदिर से नजदीकी एअरपोर्ट नेताजी सुभाष चन्द्र बोस इंटरनेशनल एयरपोर्ट हैं। एअरपोर्ट पहुँचने के बाद, यहाँ से मंदिर जाने के लिए बस या टेक्सी की मदद से मंदीर पहुंचा जा सकता है। एअरपोर्ट से मंदिर की दुरी लगभग 241 किलोमीटर दूर है।

FAQ:

बहुला शक्ति पीठ (Bahula Shakti Peeth) में माता सती का कौनसा अंग गिरा था?
दायाँ हाथ।

बहुला शक्ति पीठ मंदिर (Bahula Shakti Peeth) कहाँ पर स्थित है?
केतुग्राम, पश्चिम बंगाल।

बहुला शक्ति पीठ मंदिर (Bahula Shakti Peeth) से नजदीकी रेलवे स्टेशन कौन सा है?
कटवा जंक्शन।

बहुला शक्ति पीठ मंदिर (Bahula Shakti Peeth) दर्शन के लिए कब खुलता है?
सुबह 6 से रात 8 बजे तक।

बहुला शक्ति पीठ मंदिर (Bahula Shakti Peeth) के दर्शन करने का शुभ समय कब होता है?
नवरात्री और दीपावली।

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