रविवार, अप्रैल 27, 2025
होमब्लॉगअंबाजी मंदिर शक्ति पीठ (Ambaji Shakti Peeth) के अनसुने रहस्य और पौराणिक...

अंबाजी मंदिर शक्ति पीठ (Ambaji Shakti Peeth) के अनसुने रहस्य और पौराणिक महत्व के साथ जाने मंदिर की पूरी जानकारी

अंबाजी मंदिर शक्ति पीठ (Ambaji Shakti Peeth) माता सती के हृदय का स्वरूप है। हिन्दू धर्म में इस इस धार्मिक स्थल को पूजनीय मानते हुए प्राचीन काल से ही बड़ी धूम धाम से माता की पूजा आराधना की जाती है। यह विश्व में मौजूद 51 शक्ति पीठ में से एक है। माता के मंदिर में कोई प्रतिमा नहीं है, बल्कि एक यंत्र को माता का स्वरूप बताया जाता है। इस मंदिर की सबसे चौंका देने वाली बात यह है कि यह मंदिर ऊँची पहाड़ियों में स्थित है, जहाँ पर माता के दर्शन करने के लिए 999 सीढियाँ चढ़नी पड़ती है। मंदिर से अन्य जुड़े पौराणिक महत्व और रहस्यों को जाने के लिए इस आर्टिकल को अंत तक जरुर पढ़ें।

अंबाजी मंदिर शक्ति पीठ इतिहास | Ambaji Shakti Peeth History in Hindi

इतिहासकारों के अनुसार अंबाजी मंदिर शक्ति पीठ (Ambaji Temple Shakti Peeth) की स्थापना 14वीं शताब्दी में हुई थी, मंदिर की स्थापना वल्लभी राज अरुण सेन ने की थी। यह मंदिर अरावली की पहाड़ियों पर स्थित है, इसी कारण से अंबाजी को अरासुरनी अम्बे के रूप में भी जाने जाती है। मंदिर में अंबाजी की पूजा आराधना वैदिक काल से ही प्रचलित है। ऐतिहासिक रूप से एक मान्यता के अनुसार अंबाजी जी कोई प्रतिमा नहीं है बल्कि मंदिर के अन्दर माता के स्वरूप का चित्रण देखने को मिलता है जिसे मंदिर में रहने वाले पुरोहित लोग पूजते हैं।

अंबाजी मंदिर में लोगो द्वारा एक यंत्र की पूजा की जाती है, मंदिर की ऐतिहासिक प्रथा के अनुसार भक्तों द्वारा बंद आँखों से इस दिव्य यंत्र की पूजा आराधना करने की अनुमति दी जाती है। ऐतिहासिक रूप से मंदिर को महत्वपूर्ण तंत्रों के साथ जोड़ा जाता है, जिसमे श्रद्धेय बटुक तांत्रिक प्रमुख है।

यह भी पढ़ें: महामाया शक्ति पीठ मंदिर (Mahamaya Shakti Peeth) का रहस्य और एक कबूतर जोड़ो की अनोखी कहानी

अंबाजी मंदिर शक्ति पीठ की वास्तुकला | Ambaji Temple Shakti Peeth Architecture

अंबाजी मंदिर शक्ति पीठ (Ambaji Temple Shakti Peeth) की संरचना प्राचीन भारतीय परम्परागत के अनुसार की गई है। मंदिर के शीर्ष पर 103 फिट की ऊंचाई पर एक राजसी कलश को स्थापित किया गया है। इस कलश को मुख्य रूप से संगमरमर के पत्थरों से निर्मित किया गया है, इस कलश का औसतन भार लगभग 3 टन के करीब है। इसके साथ ही कलश पर सोने की परत को देखा जा सकता है, जोकि मंदिर के शिखर को रौशनी में चकाचौंध बनाती है। मंदिर के शिखर पर एक पवित्र त्रिशूल के साथ पवित्र ध्वज जुड़ा हुआ है जोकि देखने में काफी अदभुत लगता है।

अंबाजी शक्ति पीठ का मंदिर एक विशाल मण्डप और गर्भगृह से घिरा हुआ है। मंदिर के गर्भगृह द्वार को चांदी की परत से निर्मित किया गया है। इसके साथ ही मंदिर के गर्भगृह में विशाल कोष्ट मौजूद है जिसमे अंबाजी की पूजा आराधना की जाती है। आतंरिक मंदिर का आकार ना ज्यादा छोटा है ज्यादा बड़ा है। एक मान्यता के अनुसार माता अंबाजी मंदिर के दीवारों के गोख में वास करती हैं। इसके साथ मंदिर में चारों तरफ दीवारों पर अन्य कलात्मक आकृतियाँ दिखी जा सकती हैं। मंदिर के कुछ दूरी पर एक चौड़ा कुंड स्थापित किया गया है, जहाँ पर स्नान करने से तन और मन दोनों पवित्र हो जाते हैं।

अंबाजी मंदिर शक्ति पीठ से जुडी महत्वपूर्ण जानकारियां

मंदिर का नामअंबाजी मंदिर शक्ति पीठ (Ambaji Temple Shakti Peeth)
प्रमुख देवताअंबाजी देवी
सम्बंधित धर्महिन्दू
प्रमुख जगहबनासकांठा जिला, गुजरात (भारत)
मंदिर की भाषाहिंदी, गुजरती
भौगोलिक निर्देशांक24.33°N 72.85°E
मंदिर की प्रमुखतायहाँ पर माता सती का हृदय गिरा था।
मंदिर से जुड़े त्यौहारचैत्र नवरात्रि, भाद्रवी पूनम महोत्सव, कार्तिक शुद्ध
मंदिर खुलने का समयप्रातः काल 5 बजे
वर्तमान मंदिर निर्माताअरुण सेन

अंबाजी मंदिर शक्ति पीठ का के रहस्य | Ambaji Tample Shakti Peeth Facts in HIndi

अम्बाजी शक्ति पीठ अन्य 51 शक्तिपीठ में से अनोखा शक्तिपीठ है, क्यूंकि यहाँ पर माता की मूर्ति नहीं बल्कि एक अदृश्य यंत्र को पूजा जाता है इसके पीछे ही एक अनोखी प्रथा भी बताई जाती है। इसी तरह के मंदिर से जुड़े अन्य रहस्यों को जानने के लिए आर्टिकल को आगे पढ़ते रहें। चलिए अब मंदिर से जुड़े अन्य रहस्यों के बारे में विस्तार से जानते हैं।

  • अंबाजी मंदिर के निकट ही माता सती का हृदय गिरा था, जिसके परिणामस्वरूप अंबाजी मंदिर शक्ति पीठ की स्थापना की गई।
  • एक मान्यता के अनुआर अंबाजी मंदिर के अन्दर माता की कोई प्रतिमा या मूर्ति नहीं है बल्कि मंदिर के गर्भगृह में “श्री वीसा यंत्र” की स्थापित है, जिसकी पूजा भक्तों द्वारा आँखों पर पट्टी बाँधकर की जाती है।
  • अंबाजी मंदिर शक्ति पीठ से कुछ दूरी पर एक अनोखा सरोवर स्थापति किया गया है, जिसके बारे में अनेकों मान्यताएं है, एक मान्यता के अनुसार जो भी भक्त इस सरोवर में स्नान करता है वह शारीरिक और मानसिक रूप पवित्र हो जाता है।
  • एक मान्यता के अनुसार अंबाजी मंदिर शक्ति पीठ 1200 साल पुराना है, मंदिर के वर्तमान रूप का नवीनीकरण 1975 में शुरू किया गया था, तब से अब तक कार्य प्रगति पर है।
  • अंबाजी मंदिर शक्ति पीठ का निर्माण संगमरमर के श्वेत पत्थरों से किया गया है, जोकि देखने में दूधिया प्रतीत होता है, साथ ही मंदिर के शिखर की ऊंचाई 103 फुट है, जोकि सोचने में काफी रहस्यमई लगती है।
  • अंबाजी मंदिर शक्ति पीठ में चैत्र नवरात्रि के दिनों में विशेष अनुष्ठान आयोजित किया जाते है, इस दौरान अंबाजी की पूजा आराधना की जाती है, इसके भवई और गरबा जैसे नृत्यों का आयोजन किया जाता है। नवरात्री के दिनों में सप्तशती का पाठ किया जाता है।
  • अंबाजी मंदिर में एक प्रमुख मेले का आयोजन किया जाता है जिसे भाद्रवी पूनम महोत्सव के नाम से जाना जाता है। इस मेले के दौरान मंदिर में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिसे देखने के लिए हजारों की संख्या में लोग प्रत्येक वर्ष मंदिर में प्रस्थान करते हैं।
  • एक प्राचीन मान्यता के अनुसार मंदिर के कुछ दूरी पर गब्बर पर्वत स्थित है जहाँ पर एक विशाल पत्थर पर अंबाजी का पद चिन्ह पाया गया था इसी वजह से यहाँ पर भी माता का मंदिर स्थापित किया गया है।
  • अंबाजी मंदिर में विशष अनुष्ठान के दौरान माता की 700 स्तुतियों का पाठन किया जाता है यह प्रथा प्राचीन समय से प्रचलित है।
  • अंबाजी मंदिर में माता को सुबह बाल रूप, दोपहर युवती रूप, और शाम को विधा रूप में पूजा जाता है।

अंबाजी मंदिर शक्ति पीठ (Ambaji Temple Shakti Peeth) का पौराणिक महत्व

अंबाजी मंदिर देवी अंबा को समर्पित है। वैसे तो इस मंदिर से जुडी अनेकों विचारधाराएँ प्रचलित हैं, इसके साथ अनेकों पौराणिक महत्व है जोकि काफी कुछ सोचने पर मजबूर कर देते हैं। आज आप इस आर्टिकल के माध्यम से भगवान विष्णु, राम, और पांडव सम्बंधित प्राचीन महत्व को जानेंगे।

एक पौराणिक मान्यता के अनुसार अंबाजी मंदिर के पास ही भगवान विष्णु का मुंडन हुआ था। यहाँ पर भगवान राम ने शक्ति ज्ञान के लिए उपासना की थी ।

एक पौराणिक कहानी के अनुसार जब भगवान राम, माता सीता के अपहरण होने पर उनकी खोज में वनों में भटक रहे थे तब वह गुजरात के गब्बर पर्वत पर भी आए थे जहाँ से कुछ दूरी पर अंबाजी का मंदिर है। यहाँ पहुँचने से पहले श्रृंगी जी ने भगवान राम को सलाह दी थी कि आपके गब्बर पर्वत पर यज्ञ करने से लक्ष्य प्राप्ति में आसानी होगी। तब भगवान राम ने गब्बर की पहाड़ियों पर ही पूजा आराधना की थी जिसके परिणामस्वरूप अंबाजी ने उन्हें एक रहस्यमई तीर प्रदान किया था। बाद में जब भगवान राम लंका पहुंचे तब उन्होंने इसी तीर की मदद से रावण का वध किया था।

महाभारत काल की बात की जाए तो सभी पांडवों ने मिलकर निर्वासन के तहत मंदिर में देवी अंबाजी की पूजा आराधना की थी, माता की कृपा से भीमसेन को अजयमाला प्राप्त हुई थी जोकि किसी भी योद्धा की विजय निश्चित करती है। अन्य मान्यता के अनुसार विदर्भ के राजा की पुत्री रुक्मणि जी ने भगवान विष्णु से विवाह रचाने के लिए माता अंबाजी के मंदिर में पूजा आराधना की थी।

इस तरह से अंबाजी ने अनेकों प्राणियों पर अपनी कृपा बरसाई है जोकि इस मंदीर के पौराणिक महत्व का विवरण देता है।

अम्बाजी मंदिर शक्ति पीठ कैसे पहुंचे | How To Reach Ambaji Temple Shakti Peeth

अम्बाजी का मंदिर गुजरात में बनासकांठा जिले के अरावाली पहाड़ियों में स्थित है, यह अम्बाजी शक्ति पीठ दुर्गा के प्राचीन मंदिरों में से एक है। यहाँ पर भारतीय ही नहीं अपितु अन्य देशों के लोग भी माता के दर्शन के लिए आते हैं। अगर आप भी अम्बाजी के दर्शन के इच्छुक है तब आप सड़क मार्ग, रेल मार्ग, और एरोप्लेन के माध्यम से मंदिर तक जा सकते है। मंदिर जाने के लिए रास्तों का विवरण आप आगे पढ सकते हैं।

सड़क मार्ग से अंबाजी मंदिर शक्ति पीठ कैसे पहुंचे

अगर आप सड़क से अंबाजी मंदिर शक्ति पीठ (Ambaji Temple Shakti Peeth) जाना चाहते हैं तो जानकारी के लिए बताना चाहेंगे, यह मंदिर राजस्थान और गुजरात की सीमा पर है। आप अपने शहर से बस या टैक्सी के माध्यम से राष्ट्रियमार्ग 14 की मदद से मंदिर तक पहुँच सकते हैं, जोकि मदिर के पास से होकर निकलता है। इसके आलावा राजमार्ग संख्या 9 की मदद से दंता अम्बाजी राज्यमार्ग जा सकते है जोकि मंदिर के करीब जाता है। यहाँ से आसानी से आप मंदिर तक पहुँच सकते हैं।

इसके आलावा आप अन्य रास्तो से भी मंदिर तक पहुँच सकते हैं कुछ रास्तों का विवरण निम्नलिखित टेबल में दिया गया है।

जगह का नामअंबाजी मंदिर तक की दूरी
पालनपुर (गुजरात)70 किलोमीटर
अमीरगढ़42 किलोमीटर
कडीयाद्रा50 किलोमीटर
माउंट आबू45 किलोमीटर
गाँधी नगर200 किलोमीटर
अमदाबाद175 किलोमीटर
सिरोही (राजस्थान)67 किलोमीटर
उदयपुर170 किलोमीटर
जोधपुर270 किलोमीटर

उपरोक्त टेबल के अनुसार आप मंदिर तक जाने के लिए बस, टैक्सी या निजी वाहन की मदद ले सकते हैं।

रेल मार्ग द्वारा अंबाजी मंदिर शक्ति पीठ कैसे पहुंचे

अगर आप रेल के माध्यम से मंदिर तक जाने की सोच रहे है तब आपको अपने शहर से सबसे पहले अंबाजी रेलवे स्टेशन जाना होगा, जोकि गुजरात में स्थित है। इसके अलवा अगर आपके शहर से डायरेक्ट कोई ट्रेन नहीं मिल पाती, तब आप दो ट्रेन बदलकर अंबाजी रेलवे स्टेशन पहुँच सकते हैं। यहाँ से मंदिर की दूरी लगभग 20 किलोमीटर है। मंदिर तक पहुँचने के लिए आप ऑटो या टैक्सी की मदद ले सकते हैं। इसके आलावा आप अन्य रेलवे स्टेशन के माध्यम से भी मंदिर तक पहुँच सकते हैं, दूसरा स्टेशन पालनपुर रेलवे स्टेशन है, जहाँ से मंदिर की दूरी लगभग 70 किलोमीटर दूर है। यहाँ से आप टैक्सी या ऑटो की मदद से मंदिर आसानी से पहुँच सकते हैं।

ऐरोप्लन अंबाजी मंदिर शक्ति पीठ कैसे पहुंचे

अगर आप ऐरोप्लन के माध्यम से मंदिर जाना चाहते हैं तो आपके लिए थोडा महंगा सफ़र हो सकता है। लेकिन आप बेहद ही कम समय में मंदिर पहुँच सकते हैं, एरोप्लेन से मंदिर जाने के लिए आपको सरदार बल्लभ भाई पटेल इंटरनेशनल एअरपोर्ट की टिकट बुक करवानी होगी, यहाँ से मंदिर की दूरी लगभग 180 किलोमीटर हैं, एयरपोर्ट पहुँचने के बाद आप टेक्सी की मदद से मंदिर आसानी से पहुँच सकते हैं।

यह भी पढ़ें: त्रिपुरमालिनी शक्ति पीठ जानिए मंदिर से जुड़ा इतिहास, वास्तुकला और एक अनोखी कहानी

अंबाजी मंदिर शक्ति पीठ के दर्शन और आरती समय | Ambaji Temple Shakti Peeth Visiting Time

अंबाजी मंदिर शक्ति पीठ (Ambaji Temple Shakti Peeth) के दर्शन हेतु, भक्तगण किसी समय भी प्रस्थान कर सकते हैं। जो लोग कम भीड़ में माता के दर्शन करना चाहते हैं, वह भक्त शुक्रवार, शनिवार और रविवार को छोड़कर अन्य दिनों में मंदिर आ सकते हैं। क्यूंकि मंदिर में इन तीनो दिनों भीड़ ज्यादा रहती है जबकि बाकी दिनों में कम भीड़ रहती है।

आरती / दर्शनसमय
सुबह की आरतीसुबह 6:30 – 8 बजे
सुबह का दर्शनसुबह 8 – 11:30 बजे
राज भोग आरतीदोपहर 12 बजे
दोपहर का दर्शन समयदोपहर 12:30 – 4:30 बजे
शाम की आरतीशाम 7 – 7:30 बजे
रात में दर्शन समयरात 7:30 – 9 बजे

अगर कोई भक्त मंदिर में दर्शन समय के बारे में विस्तार से जानना चाहता है तब वह नीचे दी गई तालिका को पढ़ सकता है। यहाँ पर मौसम और तीनो पहर के हिसाब से विवरण दिया गया है।

मौसमसुबह के समयदोपहर के समयशाम के समय
सर्दियों का समय7 – 11:30 Am12:30 – 4 PM6 – 8:30 PM
गर्मियों के समय7 – 10:45 Am12 – 4:30 PM7:30 – 9:15 PM
मानसून के समय7 – 11:30 Am12 – 4:30 PM7 – 9 PM

FAQ

अंबाजी मंदिर शक्ति पीठ (Ambaji Temple Shakti Peeth)गुजरात में कहाँ पर स्थित है?
गब्बर पर्वत, बनासकांठा जिला, गुजरात (भारत)

अंबाजी मंदिर शक्ति पीठ (Ambaji Temple Shakti Peeth) किस घटना से प्रसिद्ध है?
मंदिर के पास माता सती का ह्रदय गिरा था, जिससे अंबाजी मंदिर शक्ति पीठ की स्थापना हुई।

अंबाजी मंदिर शक्ति पीठ (Ambaji Temple Shakti Peeth) के दर्शन के लिए कितनी सीढियों की चढ़ाई करने पड़ती है?
999 सीढियों की चढाई करनी पड़ती है।

अंबाजी मंदिर शक्ति पीठ (Ambaji Temple Shakti Peeth) जाने के लिए उत्तम समय कब होता है?
नवरात्री और भाद्र के मेले का समय।

अंबाजी मंदिर शक्ति पीठ (Ambaji Temple Shakti Peeth) के प्रमुख त्यौहार कौन से हैं?
भाद्रवी पूनम महोत्सव, चैत्र नवरात्रि, शिवरात्री, कार्तिक शुद्ध, श्रावण वद अमावस

Share this content:

RELATED ARTICLES

1 टिप्पणी

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

Most Popular