सोमवार, अगस्त 4, 2025
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वीरभद्र मंदिर (Veerabhadra Temple) : क्या है हवा में उठे खम्भे का रहस्य, जानिए मंदिर से जुडी एक पौराणिक कहानी और अनेकों रहस्य

वीरभद्र मंदिर (Veerabhadra Temple) : वीरभद्र मदिर (Veerabhadra Temple) भारत के आंध्र प्रदेश राज्य के अंतपुरम जिले के लेपाक्षी गाव में स्तिथ है। प्रशिद्ध जगह के नाम पर ही इसे लेपाक्षी मंदिर (Lepakshi Temple)के नाम से भी जाना जाता है, आर्टिकल में आगे वीरभद्र मंदिर के साथ लेपाक्षी मदिर (शब्द) का भी उपयोग किया गया है, उम्मीद है आप समझ गए होंगे की ये दोनों नाम एक मंदिर के लिए ही उपयोग किए गए है। वीरभद्र मंदिर को तीन खंडो में देखा जा सकता है, जिसमे मुख मंडप, पूर्व कक्ष, और गर्भ गृह शामिल हैं। मंदिर परिसर में भगवान शिव और माता पार्वती के लिए के लिए अलग कक्ष स्थापित किए गए है। मंदिर में सात मुख वाला नाग शिवलिंग, और विशाला नंदी की मूर्ति स्थापित की गई है। क्या आप वीरभद्र मंदिर में स्तिथ रहस्यमई खम्भे के बारे में जानते हैं? आखिर यह हवा में क्यूँ लटका है? भगवान शिव के जटाओं से वीरभद्र का जन्म क्यूँ हुआ था? इस आर्टिकल के माध्यम से जानिए पूरी कहानी और मंदिर से जुड़े चौंका देने वाले रहस्य।

वीरभद्र मंदिर की महत्वपूर्ण बातें | Veerabhadra Temple Importance

मंदिर का नामवीरभद्र मदिर, लेपाक्षी मंदिर (Lepakshi Temple)
जगहलेपाक्षी (आन्ध्र प्रदेश)
मंदिर का निर्माण समय16वीं शताब्दी
मंदिर को समर्पित देवतावीरभद्र
मंदिर सम्बंधित देवताभगवान शिव
मंदिर वास्तुकलाद्रविड़ वास्तुकला
मंदिर की प्रमुख बातहवा में उठा खम्भा, माता सीता के पैर के निशान
मंदिर के निर्माताविरूपन्न और विरान्ना
मंदिर दर्शन का समयप्रातः काल 6 बजे से शाम 6 बजे तक

वीरभद्र मंदिर का इतिहास | Lepakshi Temple HIstory

वीरभद्र अर्थात लेपाक्षी मंदिर वीरभद्र जी को समर्पित है। इस मंदिर का निर्माण 16 शताब्दी में हुआ था। इतिहासकारों के अनुसार इस मंदिर निर्माण दो भाइयों विरूपन्न और विरान्ना ने मिलकर करवाया था। यह दोनो भाई विजनगर साम्राज्य राजा अचुतार्य के गवर्नर थे।

प्राचीन स्कंद पुराण में इस मंदिर का काफी बारकियों से जिक्र किया गया है, जिसके अनुसार यह मंदिर भगवान शिव के दृव्य छेत्रों में से एक है। मंदिर में दीवारों पर भगवान शिव के अनेक रूपों का चित्रण किया गया है। मंदिर में भगवान शिव के आलावा अन्य देवी देवताओं के अंश देखे जा सकते हैं।

वीरभद्र मंदिर से जुड़े रहस्य | Lepakshi Temple Mystery

भारत धार्मिक स्थलों का गढ़ है, इस बात में पूर्ण रूप से सच्चाई है, क्यूंकि यहाँ पर अनेकों मंदिर और धार्मिक केंद्र मौजूद हैं, जिन्हें आप गिनते थक जाओगे। भारत के आंध्रप्रदेश के लेपाक्षी गाँव में वीरभद्र मंदिर (Veerabhadra Temple) स्तिथ है, इसका निर्माण 16वी शताब्दी में हुआ था। मंदिर को लेपाक्षी मंदीर (Lepakshi Temple) के नाम से भी जाना जाता है। सामान्य रूप से हर मंदिर के पीछे कोई न कोई रहस्य जुड़े होते हैं, लेकिन वीरभद्र मंदिर (Veerabhadra Temple) के कई चौंका देने वाले रहस्य मिलते हैं, जिनपे उठने वाले सवालों को आजतक वैज्ञानिक भी नहीं सुलझा पाएं हैं। आज इस आर्टिकल के माध्यम से उन सभी रहस्यों के बारे में चर्चा करेंगे, जिनकों जानने के बाद आप इस मंदिर के दर्शन जरुर करना चाहेंगे।

  • वीरभद्र मंदिर (Veerabhadra Temple) की सबसे चौका देने वाली बात यह हैं कि इस मंदिर में विशालकाय खम्भा मौजूद है जोकि उपर की तरफ हवा में लटका हुआ है, लेकिन अपने भार के हिसाब से यह हवा में कैसे लटका हुआ है? यह एक रहस्य भरी बात है, इस रहस्य का पता आजतक कोई इंजीनियर भी नहीं लगा पाया है।
  • एक प्राचीन मान्यता के अनुसार वीरभद्र मंदिर (Veerabhadra Temple) में भगवान वीरभद्र (Lord Veerabhadra) विराजमान करते थे, यही कारण था कि उनके नाम पर ही इस मंदिर का नाम रख दिया गया।
  • मंदिर में मौजूद एक रहस्यमयी खम्भा है, जिसके साथ मंदिर का पूरा भार आधारित है। दार्शनिकों के अनुसार यह खम्भा जमीन से आधा इंच उपर की तरफ उठा हुआ है।
  • वीरभद्र मंदिर (Veerabhadra Temple) के रहस्यमई खम्भे के बारे में एक मान्यता है जिसके अनुसार अगर कोई व्यक्ति इस खम्भे के नीचे से कपडा निकालकार कोई मनोकामना मांगी जाए, तो उनकी हर मनोकामनाए जल्दी ही पूरी हो जाती हैं, और उनके घर में हमेशा सुख समृधि बनी रहती है।
  • वीरभद्र मंदिर (Veerabhadra Temple) में कुल 70 खम्भे मौजूद हैं, जिनपर अदभुत नक्काशियों का नजारा देखने को मिलता है।
  • वीरभद्र मंदिर (Veerabhadra Temple) को खम्भे की खाशियत की वजह से, हैंगिंग पिलर टेम्पल के नाम से भी जान जाता है।
  • एक प्राचीन कहावत के अनुसार मंदिर में माता सीता और भगवान राम के चरणों का निशान पाया गया है, जोकि इसे एक रहस्यमई धार्मिक स्थल बनाता है।
  • वीरभद्र मंदिर (Veerabhadra Temple) के साथ पहाड़ी पर जटायु जी की प्रतिमा स्थापित की गयी है, जोकि किसी अनोखे रहस्य की तरफ इशारा करता है।
  • इस मंदिर में एक अदभुत शिवलिंग मौजूद है जिसके साथ फनधारी नाग की विशाल प्रतिमा देखी जा सकती है, इसी वजह से यह शिवलिंग भारत में मौजूद 12 ज्योतिर्लिंग से भी अधभुत है।
  • मंदिर में मौजूद माता सीता के पैर वाली जगह की एक रहस्य भरी बात यह है कि यहाँ की जमीन हमेशा पानी से गीली रहती है। पैर के निशान वाली जगह से अगर पानी सुखा दिया जाए, फिर भी कुछ समय उपरान्त वहां की जगह गीली हो जाती है। इस रहस्य का कारण आज तक कोई नहीं बता पाया है।

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वीरभद्र मंदिर से जुडी एक अनोखी कहानी | Lepakshi Temple Related Story

वीरभद्र मंदिर (Veerabhadra Temple) के बारे में आप भले ही आप जानते हो, लेकिन क्या आपको पता है कि इस मंदिर के पीछे देवो के देव महाकाल अथार्त भगवान शिव की एक प्राचीन कथा प्रचलित है। आज इस आर्टिकल के माध्यम से वीरभद्र मंदिर (Veerabhadra Temple) की रहस्यमई कहानी को विस्तार से जानेंगे।

एक मान्यता के अनुसार वीरभद्र भगवान शिव का अंश थे।

देवताओं के युग में एक बार जब माता सती का आत्मदाह हो रहा था, तब भगवान शिव ने भयंकर रूप धारण कर लिया था, वह इस प्रकार क्रोधित हो उठे थे कि संसार में देव, दानव, पृथ्वी, आकाश, पाताल सब तहस नहस होने लगा। तब भगवान शिव ने अपनी जटा से वीरभद्र को उत्पन्न किया और दोषी दक्ष प्रजापति को ख़त्म करने की आज्ञा दी। परिणामस्वरूप वीरभद्र ने दक्ष प्रजापति को मृत्यु के घाट उतार दिया, लेकिन इस घटना के बाद भी भगवान शिव क्रोधित अवस्था में थे जिसके कारण अभी भी संसार में सब कुछ तहस नहस हो रहा था।

यह सब देख वीरभद्र काफी चिंतित हो गए और भगवान शिव के सामने हाथ जोड़कर प्रार्थना करने लगे, और भगवान से कहने लगे –

हे प्रभु आप तो संसार में सबसे दयालुं हैं, संसार में सब कुछ लगभग नष्ट होने की कदार पर है, अगर आप शांत नहीं हुए तो संसार में जीवन का अस्तित्व ख़त्म हो जाएगा, और कुछ भी नहीं बचेगा। कृपा कर अपने भक्तों पर दया करें।

वीरभद्र की बात सुनकर भगवान शिव ने इस अवस्था के बारे में एक सुझाव दिया और वीरभद्र को तपस्या करने की आज्ञा दी। इसके बाद वीरभद्र तपस्या में लीन हो गए, लेकिन तपस्या के दौरान भी भगवान क्रोध के अवतार में थे जिसकी वजह से वीरभद्र के आस पास की जगह कापने लगी और तेज आंधी तूफ़ान आने लगा लेकिन वीरभद्र ने तपस्या से ध्यान नहीं हटाया। उन्होंने अपने तपस्या पूर्ण की और भगवान शिव को शांत कर लिया।

इस तरह जहाँ वीरभद्र ने अपनी तपस्या पूर्ण की थी, उस जगह वीरभद्र मंदिर (Veerabhadra Temple) स्थापित हो गया। एक मान्यता के अनुसार इस रहस्यमई मंदिर के उठे खम्भे के पीछे भगवान शिव का क्रोध छुपा है, क्यूंकि जब वीरभद्र तपस्या कर रहे थे तब उनके आस पास की चीजें कापने लगी थी, बाद में सब चीजे अपनी जगह स्थिर तो हो चुकी थी लेकिन एक खम्भा उसी अवस्था में रह गया।

आज भी कहा जाता है कि जिस दिन यह यह खम्बा जमीन को स्पर्श कर लेगा उस दिन महादेव का क्रोध दुबारा से लौट आएगा और संसार में प्रलय आ जाएगी।

वीरभद्र मंदिर के रहस्यमयी आकर्षण | Attraction Of Lepakshi Temple

लेपाक्षी मंदिर के बारे में एक नहीं बल्कि अन्य कई सारे किस्से सुने जाते हैं, जिसके अनुसार इस मंदिर की स्मृति मनमुग्ध कर देने वाली है। जो लोग इस मंदिर के दर्शन कर चुके हैं, उन्होंने मंदिर में मौजूद अनेकों आकर्षण को बेहद करीब से देखा होगा, लेकिन जो लोग अभी इस मंदिर तक नहीं पहुँच पाएं हैं उनके लिए मंदिर एक सपनो जैसा है। आज इस आर्टिकल के माध्यम से आप मंदिर का सदृश्य दर्शन कर पाएंगे, और इसके साथ ही मंदिर से जुड़े आकर्षण को गौर से जानेंगे।

1. वीरभद्र मंदिर का लटका हुआ खम्भा (Hanging Pillar Of Lepakshi Temple )

लेपाक्षी मंदिर की समसे मशहूर चीज मंदिर में मौजूद लटका खम्भा है, मंदिर में जाने वाले दार्शनिकों के अनुसार यह खम्भा जमीन से आधा इंच उपर उठा हैं। पुरानी मान्यता के अनुसार इस खम्भे के निचे से कपडा निकालने पर घर में सुख समृधि की प्राप्ति होती है। अगर इस खम्भे को सामने से देखा जाए तो इस पर प्राचीन कलाकृतियाँ बनी हुई हैं जोकि प्राचीन सभ्यता को प्रदर्शित करती हैं।

2. सप्तमुखी शीर्षनाग शिवलिंग (Lepakshi Temple Naag Shivling)

लेपाक्षी मंदिर के परिसर में एक भव्य विशालकाय सातमुख वाली नाग की मूर्ति रखी गई है, इस मूर्ति के बिच में एक सुन्दर शिवलिंग मौजूद है। यह मूर्ति भगवान शिव का प्रतिक है। यह मूर्ति एक विशालकाय शिला पर टिकी है। भारत में यह सबसे बड़ी नाग शिवलिंग प्रतिमा है, जिसे अदभुत आकर्षण का केंद्र माना जाता है।

3. माता सीता का पगचिन्ह (Lepakshi Temple Sita Footprint)

लेपाक्षी मंदिर में कल्याण मंडप के आगे भू स्थल पर एक बड़ा सा पैर का निशान देखा जा सकता है, प्राचीन मान्यता के अनुसार यह निशान माता सीता के पैर का है। इसके पीछे एक चौका देने वाला रहस्य छुपा है, जिसके अनुसार पैर के निशान में हमेशा पानी भरा रहता है, अगर इस पानी को निकाल कर जगह को सुखा दी जाए, तो फिर कुछ समय के अन्तराल में यहाँ फिर से पानी भर जाता है मतलब यह जगह हमेशा गीली रहती है।

4. नंदी मूर्ति (Lepakshi Temple Nandi Murti)

लेपाक्षी मंदिर में एक विशेष स्थान पर नंदी जी की विशाल मूर्ति स्थापित की गई है, जोकि 200 मीटर के दायरे में देखी जा सकती है। मूर्ति को ऊंचाई 20 फीट और लंबाई 30 फीट है। पत्थर की मूर्ति होने के बावजूद भी इसपर की गई कलाकृतियां काफी मनोरंजक हैं।

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वीरभद्र मंदिर दर्शन समय | Darshan Timing Of Lepakshi Temple

वीरभद्र मंदिर श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र हैं। इस मंदिर के अनेकों रहस्यों को जानने के बाद हर कोई इस मंदिर के दर्शन करना चाहता है, “क्या आप भी इस मंदिर में घूमने का प्लान बना रहें हैं?” अगर हां, तब आपको मंदिर से जुड़ी महत्वपूर्ण बातों के बारे में जरूर पता होना चाहिए, ताकि दर्शन के समय आपको किसी तरह की दिक्कतों का सामना ना करना पड़े।

मंदिर दर्शन से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें –

  • वीरभद्र मंदिर का द्वार सुबह 6 बजे खुल जाता है, इस दौरान कोई भी श्रद्धालु मंदिर पहुंचकर भगवान के दर्शन कर सकता है।
  • सुबह 7 बजे से 7:30 बजे तक, शिवलिंग का अभिषेक और पूजा अर्चना की जाती है, इस दौरान कोई भी भक्त पूजा अभिषेक का सदृष्य आनंद ले सकता है।
  • मंदिर में मूर्ति अभिषेक के दौरान वस्त्र चढ़ाया जाता है, और प्रसाद के रूप में अनेकों मिष्टान का भोग लगाया जाता है। पूजा समापन के बाद, मंदिर के रुके लोगों को प्रसाद के रूप में सुपारी प्रदान की जाती है।
  • मंदिर में प्रवेश के लिए किसी प्रकार का शुल्क नहीं लिया जाता।
  • दिन भर विभिन्न पूजा के उपरांत मंदिर में शाम 6 बजे के बाद दर्शन प्रवेश बंद कर दी जाती है, इसलिए कोई भी दर्शनकर्ता शाम 6 बजे के बाद मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकता।

FAQ

वीरभद्र मंदिर (Veerabhadra Temple) की सबसे रहस्यमई बात कौन सी है?
वीरभद्र मंदिर में मौजूद 70 खम्भों में से एक खम्भा, जमीन से आधे इंच की उपर उठा हुआ है, जबकि सभी खम्भे जमीन के आधार पर टिके हैं।

वीरभद्र मंदिर (Veerabhadra Temple) किस देवता को समर्पित है?
वीरभद्र मंदिर भगवान शिव की जटा से जन्मे वीरभद्र को समर्पित है।

वीरभद्र कौन थे?
वीरभद्र को भगवान शिव ने अपनी जटाओं से उत्पन्न किया था, उन्होंने तपस्या कर भगवान शिव का क्रोध शांत किया था और इसके साथ ही वीरभद्र मंदिर की स्थापना हुई थी।

लेपाक्षी मंदिर कहां पर स्थित है?
गांव लेपाक्षी, जिला अनंतपुर, (आंध्र प्रदेश)

लेपाक्षी मंदिर का दर्शन समय कब तक रहता है?
प्रातः काल 6 बजे से शाम के 6 बजे तक।

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