Basant Panchami 2024 : हिंदू धर्म में ऐसे अनेकों त्यौहार हैं जो बड़ी ही श्रद्धापूर्वक मनाए जाते हैं। कोई रंगो का त्यौहार होता है, तो कोई दीपक जलाकर मनाया जाता है। भारत में अनेकों ऐसे त्यौहार मनाए जाते हैं जिनमें भगवान की पूजा करके अपने जीवन की लम्बी आयु, बुद्धि, बल, और सुख शांति के कामना की जाती है। उन्ही में से एक त्योहार है बसंत पंचमी जिसके मुख्य अवसर पर माता सरस्वती की पूजा अर्चना की जाती है। माता सरस्वती ज्ञान और कला की देवी हैं। वैसे तो इस त्यौहार को हिंदू धर्म में मनाया जाता है लेकिन बदलती दुनिया में लोग बसंत पंचमी का स्मरण करना भूल से रहें है, यह बहुत ही दुख की बात है, कि ज्ञान की देवी के इस त्यौहार को लोग भूलते जा रहे हैं। लेकिन दुनिया में भक्तों की कमी नही है, जो लोग सागितकार हैं वह माता सरस्वती को कभी नही भूल सकते, उनके लिए बिना सरस्वती देवी के आशीर्वाद के बिना कला में महारथ हासिल कर पाना लगभग असम्भव है। आज इस आर्टिकल में हम इसी त्यौहार के ऊपर चर्चा करेंगे और साथ ही जानेंगे बसंत पंचमी से जुड़े पौराणिक और वैज्ञानिक महत्व, जिसे जानकर शायद आप हैरान हो जाओगे।
Basant Panchami 2024 सम्बंधित महत्वपूर्ण बातें
त्यौहार का नाम | बसंत पंचमी (Basant Panchami) |
बसंत पंचमी (Basant Panchami) के अन्य नाम | श्री पंचमी, सरस्वती पूजा |
सम्बंधित धर्म | हिन्दू |
धार्मिक रंग | पिला |
अनुष्ठान प्रक्रिया | पूजा और सामाजिक कार्यक्रम |
बसंत पंचमी का समय | माघ शुल्क पंचमी |
मुख्य पूजा सामग्री | आम का पत्ता |
पूजनीय भगवन | देवी सरस्वती |
सम्बंधित त्यौहार | गणेश जयंती, शबरी जयंती, होली, गुडी पड़वा आदि। |
2024 में बसंत पंचमी कब है
पौराणिक काल से चले आ रहा बसंत पंचमी का त्योहार हिंदू कैलेंडर के अनुसार माघ मास के शुल्क पक्ष की पंचमी तिथि के दिन मनाया जाता है। अगर अंग्रेजी कैलेंडर की मदद से देखें तो यह त्यौहार जनवरी के आखिर से फरवरी माह में मनाया जाता है, लेकिन 2024 में बसंत पंचमी कब है? किस तारीख को पड़ेगा, इस बात को क्लियर करते हुए, जानकारी के लिए बताना चाहेंगे इस साल 2024 में बसंत पंचमी का त्यौहार 14 फरवरी को पड़ रहा है। लेकिन ज्योतिषाचार्य के अनुसार इस त्त्यौहार का मुहूर्त दो दिन पड़ रहा है। बसंत पंचमी तिथि विवरण के लिए नीचे टेबल में देखें।
बसंत पंचमी का शुभ मुहूर्त –
दिन | समय |
बसंत पंचमी का आरंभ | 13 फरवरी 2024, दोपहर 2:41 मिनट |
बसंत पंचमी का शुभ मुहूर्त | 14 फरवरी 20024, सुबह 7:10 से लेकर दोपहर 12 बजकर 22 मिनट तक |
बसंत पंचमी की समय अवधि | 5 घंटे 12 मिनट |
बसंत पंचमी का मध्यांतर समय | 14 फरवरी 2024, 12: 41 दोपहर |
बसंत पंचमी की समापन तिथि | 14 फरवरी 2024, 12: 22 दोपहर |
बसंत पंचमी का पौराणिक और वैज्ञानिक महत्व
हिन्दू धर्म में बसंत पंचमी नए साल की शुरुवात के रूप में जाना जाता है, जिस प्रकार अंग्रेजी कैलेंडर में 1 जनवरी को नया साल मनाया जाता है, उसी प्रकार हिन्दू कैलेंडर के हिसाब से बसंत पंचमी के दिन से नए साल शुरुवात होती है। बसंत पंचमी से जुड़े अनेकों पौराणिक और वैज्ञानिक महत्व हैं जिन्हें शायद आपने आज तक ना जाना हो, लेकिन आज इस आर्टिकल के माध्यम से बसंत पंचमी के अनेकों महत्वों को विस्तार से जानेंगे।
- बसंत पंचमी के आते ही नए मौसम की शुरुवात होने लगती है, इस समय ना ज्यादा ठंड होती और ना ज्यादा गर्मी।
- बसंत पंचमी के दिन से बसंत ऋतु की शुरुवात होने लगती है, फसलें खिलने लगती हैं, खेतों में चारों तरफ पीले रंग की फैसले दिखने लगती है, इसलिए पीले रंग को इस त्यौहार के साथ भी जोड़ा जाता है।
- पीला रंग इस त्यौहार से जुड़ा हुआ है और पीले रंग के पीछे एक वैज्ञानिक महत्व यह भी है कि इस रंग को शांति का प्रतीक माना जाता है और किसी भी मानसिक रूप से डिप्रेस व्यक्ति को ठीक करने में काफी हेल्पफुल है।
- बसंत पंचमी का सूचक पीला रंग, व्यक्ति के दिमाक को सक्रिय रखने में हेल्प करता है, और साथ ही यह रंग आत्मविश्वास को बढाता है।
- बसंत पंचमी के दिन से पेड़-पोधों में पुरानी पत्तियां झड जाती है और एक नए पेड़ का जन्म होता है, जोकि नए जीवन का संकेत देता है।
- बसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती की पूजा करने से, मन और बुद्धि में सकारात्मक ऊर्जा का निर्माण होता है।
- एक मान्यता के अनुसार सरस्वती देवी को सुरों को देवी माना जाता है, इसी कारण से संगीतकार हमेशा इस देवी की पूजा करते हैं।
बसंत पंचमी क्यों मनाया जाता है

बसंत पंचमी अथार्त बसंत की शुरुवात, यह हिन्दू धर्म में प्रशिद्ध त्योहारों में से एक है। इस दिन माँ सरस्वती की पूजा की जाती है। ज्ञान की देवी इस दिन हर घर में पूजी जाती हैं। इस दिन माँ सरस्वती की पूजा करके ज्ञान का का वरदान माँगा जाता है, ताकि कोई भी व्यक्ति में ज्ञान और ज्ञान की प्राप्ति करके जीवन में आगे बढ सके। बसंत पंचमी के दिन अन्य देवताओं को भी पूजा जाता है, इस दिन भगवान विष्णु और कामदेव की भी पूजा आराधना की जाती है। वैसे तो बसंत पंचमी की अनेकों विशेषताएं सुनी जाती हैं, लेकिन क्या आपने यह जानने की कोशिस की है कि बसंत पंचमी क्यों मनाया जाता है? अगर आप इस बारे में अनजान हैं, तो आज हम आपको बसंत पंचमी से जुडी एक पौराणिक कथा से बताएँगे कि बसंत पंचमी क्यों मनाया जाता है। चलिए इस कहानी को विस्तार से जानते हैं।
प्राचीन कहावत के अनुसार –
जब भगवान शिव ने ब्रम्हा जी को सृष्टि की रचना करने के लिए कहा, तब ब्रम्हा जी ने अपने अनुसार जीव, जंतु के साथ पूरी सृष्टि की रचना कर डाली। लेकिन अपनी सम्पूर्ण रचना के बाद भी ब्रम्हा जी यही सोचते रहते थे कि अभी भी सृष्टि में किसी चीज की कमी रह गई है, जिसकी वजह से यह संसार अधूरा लगता है।
काफी समय तक ब्रम्हा जी गहरी सोच में डूबे रहे, फिर बाद में उन्होंने अपने कमंडल से जल अपनी हाथेली पर लिया और भगवान विष्णु की स्तुति करने लगे। कुछ समय स्मरण के बाद, विष्णु जी स्वयं ब्रम्हा जी के सामने प्रकट हो जाते हैं। तब ब्रम्हा जी ने अपनी उलझन को भगवान विष्णु को बताया। लेकिन इस दुविधा को सुनकर विष्णु जी भी सोच में पड़ गए, इसलिए उन्होंने माता दुर्गा का आवाहन किया। विष्णु जी के ध्यान मात्र ही माता दुर्गा तुरंत वहां प्रकट हो जाती हैं, और उन्हें सामने देख भगवान विष्णु जी और ब्रम्हा जी अपनी उलझन का विवरण देने लगते हैं।
तब ब्रम्हा और विष्णु की बात सुनकर माता दुर्गा के शरीर से एक तेज रोशनी उत्पन्न होने लगती है, जिसके परिणामस्वरूप एक सुंदर स्त्री की उत्तपत्ति हुई। उस स्त्री के चार हाथ थे जिसमे दो हाथों में वीणा वादन और अन्य हाथो में पुस्तक और माला थी। कुछ ही समय में उनके हाथों के रखा वीणा संगीत से गूंज जाता है, जिससे पूरा संसार एक मधुरता से खिल उठता है, देवी, दानव, ब्रम्हांड का कण कण धुन में खो जाता है। यह देख ब्रम्हा जी ने इस देवी का नामकरण किया जिसके अनुसार इस देवी का नाम “सरस्वती” पड़ा।
वहां मौजूद माता दुर्गा ने ब्रम्हा जी से कहां –
यह सुंदर स्त्री आपकी पत्नी के रूप में संसार में पूजी जाएगी और इतना कहकर अंतर्ध्यान हो गई। इस दिन माता सरस्वती की उत्त्पति हुई थी, इसी वजह से उनके जन्म दिन को बसंत पंचमी के रूप में मनाया जाने लगा।
बसंत पंचमी के दिन उपयोग की जाने वाली पूजा सामग्री लिस्ट

अगर आप इस बार 14 फरवरी 2024 के दिन माता सरस्वती की पूजा आराधना करने के इच्छुक हैं तब आपको पूजा को पूर्ण करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण पूजा सामग्री की जरूरत पड़ेगी, जिसे आपको एक दिन पहले ही खरीद कर रख लेना चाहिए, ताकि पूजा के समय आपके पास सभी सामग्रियां उपलब्ध रहे।
बसंत पंचमी में उपयोग की जाने वाली पूजा सामग्री इस प्रकार है –
- माता सरस्वती की मूर्ति या तस्वीर
- मूर्ति की सज्जा करने के लिए पीले रंग का कपड़ा
- पीले रंग के फूल और पीली मालाएं
- सफेद चंदन, रोली, और सिंदूर
- आम का पत्ता
- कलश
- पान का पत्ता, सुपारी, छोटी इलाइची, और लौंग
- तुलसी का पता
- हल्दी
- बेसन के लड्डू, बूंदी, मोतीचूर के लड्डू, केसर को खीर, केसर का हलवा
- पंचमृत प्रसाद
- कलवा / मौली
- घी का दीपक
- अगरबती
उपरोक्त सभी वस्तुओं के साथ आप अपनी बसंत पंचमी की पूजा प्रारंभ कर सकते हैं। अगर किसी कारणवश यह सभी सामग्री उपलब्ध नहीं हो पाती तब आपको निराश होने की जरूरत नही है, आप इनमे से कुछ महत्वपूर्ण सामग्रियों के साथ पूजा को संपन्न कर सकते हैं, बस सच्चे मन से माता सरस्वती को प्रसाद का भोग लगाएं, वह हमेशा आपसे खुस रहेंगी।
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बसंत पंचमी पूजा विधी | Basant Panchami Puja Vidhi
जिन लोगो के जीवन में अज्ञानता का अंधकार होता है, वह लोग सही पथ से भटक जाते हैं, और गलत पथ पर चलने लगते है, फिर चाहते हुए भी वह खुद को सही रास्ते पर नही ला पाते। ऐसे में जो लोग बसंत पंचमी के दिन पूजा अर्चना करते हैं, उनके जीवन में कल्याण होता है और सरस्वती माता की कृपा से सब कुछ ठीक होने लगता है। अगर आप भी इस दिन पूजा आराधना करने के बारे में सोच रहें है तब आपको बसंत पंचमी की पूजा आराधना नियमानुसार करनी चाहिए।
विधिवत पूजा आराधना करने से माता सरस्वती अपने भक्तों से खुश रहती हैं, और इनपर सदा कृपा बनाते रखती हैं।
बसंत पंचमी के दिन नीचे बताई गई विधि के अनुसार आप पूजा आरंभ कर सकते हैं –
- सबसे पहले बसंत पंचमी के दिन जल्दी उठ जाएं, और नहा धोकर अच्छे से तयार हो जाएं।
- अब मंदिर की साफ सफाई करके, माता सरस्वती की फोटो या मूर्ति मंदिर वाली जगह पर स्थापित कर लें।
- पूजा वाले जगह को रंगली के साथ सजाएं।
- अब माता सरस्वती की मूर्ति को पीले रंग के वस्त्रों से सजाएं।
- अब मूर्ति को हल्दी, चन्दन और सिंदूर लगाकर सजाएं।
- माता की पूर्ण सज्जा करने के बाद, उनकी दाईं तरफ तेल का जलता हुआ दीपक रखें।
- अब माता सरस्वती का हाथ जोड़कर ध्यान करें।
- मन में गणेश और माता सरस्वती का आवाहन करें।
- अब मूर्ति के लिए आचमियां, स्नान जैसा अनुष्ठान करें।
- माता सरस्वती के सामने प्रसाद के रूप में पंचामृत अर्पित करें।
- अब मूर्ति के चारो तरफ गंगा जल छिड़क लें।
- अब माता के सामने पूजा की थाली अर्पित करें, जिसमे पान के पत्ते, मेवे, नारियल, हल्दी और केले होने चाहिए।
- अब थाली मूर्ति के आगे रखकर, हाथ जोड़कर मन में सभी इच्छाओं को को कहें और माता से प्राथना करें।
- पूजा समाप्त होने के बाद प्रसाद को घर में, पड़ोस में, और अन्य लोगो को देना चाहिए।
बसंत पंचमी से जुड़े प्रमुख पर्व | Basant Panchami Related Festival
बसंत पंचमी आते ही अपने साथ अनेकों पर्व का आगाज लेकर आती है, क्यूंकि इसी महीने में अनेकों त्योहार पड़ते हैं, जोकि हिन्दू लोगो के लिए पूजनीय हैं, आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से उन सभी त्योहारों की लिस्ट आपके साथ शेयर करने वालें हैं।
बसंत पंचमी के साथ इन त्यौहारों का भी शुरुवात होने लगती है, जानिए कौन से हैं वह त्यौहार, इन्हे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं।
क्रमांक | त्यौहारों के नाम |
1 | तिल चतुर्थी |
2 | शष्टिला एकादशी |
3 | मौनी अमावस्या |
4 | गुप्त नवरात्रि आरंभ |
5 | गणेश जयंती |
6 | बसंत पंचमी |
7 | नर्मदा जयंती |
8 | भानु सप्तमी |
9 | जया एकादशी |
10 | गुरु रविदास जयंती |
11 | यशोदा जयंती |
12 | शबरी जयंती |
13 | जानकी जयंती |
14 | कामदा जयंती |
15 | होली |
16 | महाशिवरात्रि |
17 | रंग पंचमी |
18 | पाप मोचिनी |
19 | गुड़ी पड़वा |
FAQ
2024 में बसंत पंचमी कब पड़ रही है?
वर्ष 2024 में बसंत पंचमी, 14 फरवरी बुधवार के दिन पद रही है, वहीं इसका शुभ मुहूर्त 7 बजे सुबह से 12:22 दोपहर तक होगा।
बसंत पंचमी का त्यौहार क्यों मनाया जाता है?
इस दिन माता सरस्वती की उत्त्पति हुई थी, उनके जन्म के अवसर पर बसंत पंचमी का त्योहार मनाया जाता है।
बसंत पंचमी का त्योहार किस भगवान को अर्पित है?
बसंत पंचमी का त्यौहार माता सरस्वती को अर्पित है।
माता सरस्वती की कौन सी देवी के रूप में जाना जाता है?
माता सरस्वती को ज्ञान, बुद्धि और कला की देवी माना जाता है।
माता सरस्वती की पूजा किस रंग के वस्त्र पहनकर करना चाहिए?
माता सरस्वती की पूजा पीले रंग के वस्त्रों के साथ ही करनी चाहिए।
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