मंगलवार, जुलाई 8, 2025
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श्री घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग की उत्पत्ति के साथ बालक वध का क्या है राज? जानें भगवान शिव के 12 वें ज्योतिर्लिंग घृष्णेश्वर की कहानी | Grishneshwar Jyotirlinga

श्री घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग (Shri Grishneshwar Jyotirlinga): भारत के 12 ज्योतिर्लिंग में से सबसे छोटा ज्योतिर्लिंग, जिसे श्री घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग (Shri Grishneshwar Jyotirlinga) के नाम से जाना जाता है! घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र राज्य के वेरुल छेत्र में स्तिथ है, जोकि औरंगाबाद जिले में पड़ता है! भारत में इसे बारहवें ज्योतिर्लिंग रूप में जाना जाता है! इस ज्योतिर्लिंग का मुख पूर्व दिशा की तरफ रखा गया है, क्योंकि प्राचीन काल में सूर्य देव इस ज्योतिर्लिंग पूजा अर्चना करते थे, और सूर्य देव का उगम हमेशा पूर्व दिशा से ही होता है, इसी कारण से इस मंदिर को पूर्व दिशा को तरफ स्थापित किया गया है। इस मंदिर के साथ सुदेहा के बालक वध करने की कहानी बहुत ज्यादा प्रचलित है, इसी घटना के साथ ही घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग की स्थापना हुई थी। आखिर एक बालक वध से घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग की स्थापना से क्या संबंध हो सकता है? घृष्णेश्वर मंदिर से जुड़े ऐसे कौन से रहस्य जिसे आजतक कोई नही पाया? इन सभी सवालों के जवाब के लिए आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ें।

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श्री घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर का इतिहास (Shri Grishneshwar Jyotirlinga Temple History)

13वीं शताब्दी की शुरुआत में घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर (Grishneshwar Jyotirlinga Temple) की स्थापना की गई थी। लेकिन कुछ समय पश्चात 13वीं और 14वीं शताब्दी के मध्य, मुगलों ने मंदिर पर आक्रमण कर दिया था, परिणामस्वरुप मंदिर को काफी ज्यादा हानि पहुंची थी। इसके बाद 16वीं शताब्दी के मध्य में छत्रपति शिवाजी महाराज के दादा मालोजी भोलसे ने मंदिर को पुनः स्थापित किया था।

1680 ई के दौर में मुगल के सैनिकों ने फिर से मंदिर को छतिग्रस्त कर दिया था। जिसके बाद लंबे समय तक मंदिर का निर्माण नहीं हो सका, इसके बाद 18वीं शताब्दी में महारानी अहिल्या ने इस मंदिर के निर्माण करवाया और मंदिर को पुनः स्थापित किया।

घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर सम्बंधित महत्वपूर्ण जानकारियां

मंदिर का नामघृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर (Grishneshwar Jyotirlinga Temple)
घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर (Grishneshwar Jyotirlinga Temple) का धर्महिन्दू
घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर (Grishneshwar Jyotirlinga Temple) के देवताभगवान शिव
घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर (Grishneshwar Jyotirlinga Temple) की जगहऔरंगाबाद, वेरुल (महारष्ट्र)
घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर (Grishneshwar Jyotirlinga Temple) वर्तमान निर्मातारानी अहिल्या होल्कर
घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर (Grishneshwar Jyotirlinga Temple) में मनाए जाने वाले पर्वमहाशिवरात्रि, गणेशचतुर्थी, दुर्गा पूजा
घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर (Grishneshwar Jyotirlinga Temple) खुलने का समय3:30 बजे सुबह
घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर (Grishneshwar Jyotirlinga Temple) प्रवेश शुल्कनिशुल्क
घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर (Grishneshwar Jyotirlinga Temple) वास्तुकला सभ्यतादक्षिण भारतीय वास्तुकला
घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर (Grishneshwar Jyotirlinga Temple) की स्थापना कब हुई थी18 वीं शताब्दी

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घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर के अनसुने रहस्य (Grishneshwar Jyotirlinga Temple Mystery)

भगवान शिव में विश्वास रखने वाले भक्तों के लिए 12 ज्योतिर्लिंग का अपना अलग ही महत्व है। इन सभी ज्योतिर्लिंग के पीछे अनेकों ऐसे रहस्यों को सुना जाता है जोकि काफी चौंका देने वाले होते हैं, अब तक आपने जितने भी ज्योतिर्लिंग के रहस्यों को हमारे ब्लॉग में पढ़ा, सबमे कुछ ना कुछ अलग था। आज हम फिर से घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर (Grishneshwar Jyotirlinga Temple) के रहस्यों को आपके सामने प्रस्तुत करेंगे। उम्मीद है कि आप इसे पढ़कर कुछ नया जान सकेंगे।

घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर (Grishneshwar Jyotirlinga Temple) के अनेकों रहस्य इस प्रकार है –

  • घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर (Grishneshwar Jyotirlinga Temple) को 12 ज्योतिर्लिंग में से बारहवां स्थान दिया जाता है, इसके साथ ही इसे प्रकाश का शिवलिंग के रूप में भी जाना जाता है।
  • मंदिर में गणेश जी की अदभुत मूर्ति को विराजित किया गया है, एक मान्यता के अनुसार जो भक्त इस मंदिर के दर्शन करने आते हैं, अगर वह भगवान गणेश के दर्शन नहीं करते, तब उनकी यह लम्बी यात्रा अधूरी मानी जाएगी।
  • घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर (Grishneshwar Jyotirlinga Temple) कुल मिलाकर 500 मीटर के दायरे में स्थित है।
  • घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर (Grishneshwar Jyotirlinga Temple) एलोरा की विशाल गुफा में मौजूद है, जहाँ पर जाने के बाद अन्य ज्योतिर्लिंग से भिन्न अनुभव प्राप्त किया जा सकता है।
  • भारत के 12 ज्योतिर्लिंग में घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग (Grishneshwar Jyotirlinga) सबसे छोटा माना जाता है।
  • भगवान शिव शाम के समय मंदिर में वास करते हैं। इसी कारण यहां पर होने वाली संध्या आरती काफी प्रचलित है।
  • घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग (Grishneshwar Jyotirlinga) मंदिर का मुख पूर्व की तरफ रखा गया है, एक मान्यता के अनुसार प्राचीन काल में भगवान सूर्य इस ज्योतिर्लिंग की आराधना करते थे, जिसके अनुसार इस मंदिर का मुख सूर्य देव की तरफ रखा गया अथार्त जहाँ से सूर्य उगते हैं, उस तरफ मंदिर का मुख निर्माण किया गया है।
  • जो भक्त घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर (Grishneshwar Jyotirlinga Temple) के दर्शन कर लेता है, उसके जीवन में किए गए सभी पाप, भोलेनाथ की कृपा मात्र से नष्ट हो जाते हैं।
  • एक मान्यता के अनुसार जिन वैवाहित जोड़ों को पुत्र प्राप्ति में अड़चने आती हैं, उन्हें घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग (Grishneshwar Jyotirlinga) मंदिर के दर्शन से पुत्र की प्राप्ति हो जाती है।

घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर की कहानी (Grishneshwar Jyotirlinga Temple Story)

आपने हमारे इस ब्लॉग में 12 ज्योतिर्लिंग से जुड़े अनेकों ज्योतिर्लिंग की कहानियों के बारे में तो जरुर पढ़ा होगा, आज इस आर्टिकल में आप घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग (Grishneshwar Jyotirlinga) मंदिर से जुडी रहस्यमयी कहानी को विस्तार से जानेंगे!

प्राचीन काल से प्रचलित शिव पुराण के अनुसार –

प्राचीन युग में एक सुधर्मा नाम का ब्राम्हण रहता था। वह अपने पत्नी सुदेहा के साथ जीवन व्यापन करता था। उनकी शादी को काफी वक्त बीत चुका था, लेकिन उनकी कोई संतान नहीं हो पाई थी। इस बात से सुधर्मा की पत्नी सुदेहा बहुत चिंतित रहती थी। कुछ समय पश्चात सुदेहा के मन में एक खयाल आया, जिसके अनुसार उसने अपनी छोटी बहन का विवाह सुधर्मा से करवाना चाहा। जब उसने इस बात का जिक्र, अपने पति से किया, तब वह अपनी पत्नी की बात मान गए।

सुदेहा की छोटी बहन नाम घुश्मा था, वह भगवान शिव की भक्त थी। घुश्मा भगवान शिव स्वरूप शिवलिंग बना कर उनकी पूजा आराधना करती थी और पूजा के उपरांत शिवलिंग को नजदीक स्थित सरोवर में बहा देती थी। सुदेहा ने अपनी छोटी बहन को विवाह प्रस्ताव के बारे में बताया तो उसने अपनी बड़ी बहन को आज्ञा मान ली और सुधर्मा से विवाह रचा लिया। विवाह के बाद वह तीनों लोग एक साथ जीवन व्यापन करने लगे। कुछ ही समय के बाद सुधर्मा को घुश्मा से, अति सुंदर पुत्र की प्राप्ति हो जाती है। पुत्र प्राप्ति के बाद सुधर्मा अपनी दूसरी पत्नी घुश्मा से अत्यधिक प्रेम करने लगा, लेकिन यह बात सुदेहा को बिल्कुल पसंद नहीं आई, और वह अपनी छोटी बहन से घृणा करने लगती है।

एक बार घुश्मा शिवलिंग बना कर उसकी पूजा आराधना कर रही थी। और सुधर्मा भी वन में भ्रमण हेतु गए थे, तब घुश्मा का पुत्र घर में अकेला था और उसके पास सुदेहा बैठी थी। लेकिन उस समय वह अपनी बहन के लिए घृणा भाव रखकर कुछ सोच रही थी –

“जब से इस पुत्र ने इस घर में जन्म लिया है तब से मेरे पति ने मेरी तरफ से प्रेम का त्याग कर दिया है। मेरे पति इस पुत्र की वजह से ही मुझसे बहुत दूर जा चुके है, सब कुछ इस लड़के को वजह से ही हुआ है। आज मैं इसे ही खत्म कर दूंगी।”

इसके बाद सुदेहा उस बालक को मारकर उसी सरोवर में बहा देती है जहां पर घुश्मा शिवलिंग विसर्जित करती थी। जब घुश्मा पूजा समाप्त कर के घर पहुंची तो उसे उसके पुत्र की मृत्यु का समाचार मिलता है। यह दुख भरी खबर सुनकर घुश्मा कुछ भी ना बोल पाती, और वह भगवान शिव की पूजा आराधना करने लगती है। एक दिन जब घुश्मा पूजा करने के बाद जब शिलिंग को सरोवर में विसर्जित करने गई, तब वहां पर उसका पुत्र जीवित मिल जाता है। यह देखकर वह प्रसन्नता हो उठती है और भगवान को हाथ जोड़कर नमन करने लगती है। तभी भगवान शिव वहां पर प्रकट हो जाते हैं और लंबे समय से चली आ रही घुश्मा की पूजा से प्रसन्न होकर, उसे वर मांगने के लिए कहते हैं। इसी दौरान घुश्मा भगवान से वहीं पर स्थापित होने का वर मांग लेती है।

इसके बाद से भगवान शिव वहीं ज्योतिर्लिंग के रूप में स्थापित हो जाते हैं, और इस तरह से घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग (Grishneshwar Jyotirlinga) स्थपित हो जाता है, जो आगे चलकर घृणेश्वर मंदिर के रूप में प्रसिद्ध हो जाता है।

घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर (Grishneshwar Jyotirlinga Temple) कैसे पहुंचे

घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर भारत में मौजूद 12 ज्योतिर्लिंग में से एक है, सभी ज्योतिर्लिंग भारत के विभिन्न स्थलों में स्तिथ हैं। घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर, औरंगाबाद के वेरुल गाँव में स्थित है, जहाँ पर एलोरा की विशाल गुफा मौजूद है। अगर आप अपने शहर से मंदिर जाने का प्लान बना रहें तब आपको सबसे पहले औरंगाबाद जाना होगा, और फिर यहाँ से आप यातायात के साधनों की मदद से मंदिर तक का सफ़र तय कर सकते हैं। सड़क, रेलमार्ग और एयरपोर्ट की मदद से आप बहुत ही आसानी से मंदिर का सफर तय कर सकते हैं। चलिए इन तीनों मार्गो को विस्तार से जानते हैं।

सड़क मार्ग द्वारा घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर कैसे पहुंचे

सड़क द्वारा मंदिर पहुंचने के लिए सबसे पहले आपको अपने शहर से नेशनल हाईवे नंबर 211 पर आना होगा, क्योंकि यह हाईवे औरंगाबाद जाकर मिलता है। औरंगाबाद में प्रवेश करने के बाद आप यहां से ऑटो या टैक्सी बुक कर सकते हैं, जोकि आपको मंदिर के आस पास के इलाके मे छोड़ देंगे, यहां से फिर आपको पैदल चलकर मंदिर की गुफा तक खुद जाना पड़ता है। जानकारी के लिए बताना चाहेंगे औरंगाबाद से मंदिर की दूरी लगभग 200 किलोमीटर है।

रेल मार्ग द्वारा घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर कैसे पहुंचे

भारत के किसी अन्य जगह से मंदिर तक, कोई भी ट्रेन डायरेक्ट नहीं आती है। अपने शहर से दो ट्रेन की मदद से आप औरंगाबाद के नजदीक रेलवे स्टेशन पर पहुंच सकते हैं। औरंगाबाद के नजदीकी रेलवे स्टेशन मनमाड रेलवे जंक्शन है, यहां से अनेकों ट्रेन औरंगाबाद के लिए जाती हैं। औरंगाबाद में रेलवे स्टेशन पर उतरने के बाद, आप टैक्सी या ऑटो की मदद से मंदिर के पास पहुंच सकते हैं।

एरोप्लेन की मदद से घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर कैसे पहुंचे

अगर आप अपने शहर से मंदिर तक का सफर एयरप्लेन द्वारा तय करना चाहते हैं, तो यह आपके लिए सबसे बेस्ट मार्ग होगा। क्योंकि मंदिर के नजदीक एक एयरपोर्ट मौजूद है, जो की छत्रपति संभाजी महाराज एयरपोर्ट के नाम से जाना जाता है, यहां से मंदिर की दूरी लगभग 30 किलोमीटर है। आप अपने शहर से छत्रपति संभाजी महाराज एयरपोर्ट की टिकट बुक कर सकते हैं, एयरपोर्ट पर उतरने के बाद आप टैक्सी या ऑटो की मदद से मात्र 20 मिनट के अंदर मंदिर के नजदीक पहुंच जाएंगे, वहां से मंदिर की गुफा कुछ ही दूरी पर मौजूद है।

घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग का दर्शन समय (Darshan Timing of Grishneshwar Jyotirlinga Temple)

भारत में अनेकों श्रद्धालु धार्मिक स्थलों के प्रति अपनी श्रद्धा रखते हैं, जो अपने निजी जीवन से समय निकाल कर, वर्ष में एक बार अनेकों मंदिरों के दर्शन जरूर करते रहते हैं। उन्ही में एक मंदिर है घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर (Grishneshwar Jyotirlinga Temple), जहां हर दिन सैकड़ों श्रद्धालुओं की भीड़ इक्कठा होती है। अगर आप भी मंदिर जाने की तैयारी कर रहे हैं तो आपको मंदिर से जुड़ी पूजा सम्बन्धित समय सारणी को जरूर जान लेना चाहिए, ताकि आप किसी भी आरती के समय, मंदिर में समय पर पहुंच सकें। चलिए आर्टिकल में आगे, मंदिर की समय सारणी को टेबल के माध्यम से जानते हैं।

पूजा का प्रकारसमय
मंगल आरतीसुबह 4 बजे
जलहरी सघनसुबह 8 बजे
महाप्रसाददोपहर 12 बजे
जलहरी सघनदोपहर 4 बजे
संध्या आरती (गर्मी के मौसम में)शाम 7:30 बजे
संध्या आरती (सर्दी के मौसम में)शाम 5:40 बजे
रात्रि की आरतीरात 10 बजे

FAQ

क्या घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर (Grishneshwar Jyotirlinga Temple) में ज्योतिर्लिंग को छूने दिया जाता है?
जी हां, किसी विशेष पूजा के अवसर पर वहां मौजूद पांडाल के साथ आप शिवलिंग का स्पर्श कर सकते हैं।

घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग (Grishneshwar Jyotirlinga) के पास कौन सी नदी बहती है?
एला गंगा नदी।

घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग (Grishneshwar Jyotirlinga) मंदिर तक जाने के लिए कितनी सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं?
लगभग 500 सीढियां।

महाराष्ट्र में कितने ज्योतिर्लिंग (Jyotirlinga) मौजूद हैं?
महाराष्ट्र में कुल 5 ज्योतिर्लिंग है। त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग, भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग, वैजनाथ ज्योतिर्लिंग, घृणेश्वर ज्योतिर्लिंग, औंधा नागनाथ ज्योतिर्लिंग।

घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग (Grishneshwar Jyotirlinga) की विशेष बात क्या है?
इस ज्योतिर्लिंग का मुख पूर्व दिशा की तरफ है, जिसकी वजह सूर्य देवता हैं।

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