मंगलवार, जुलाई 8, 2025
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नगरी हो अयोध्या सी | Nagri Ho Ayodhya Si | प्रकाश गाँधी

नगरी हो अयोध्या सी,
नगरी हो अयोध्या सी
रघुकुल सा घराना हो
रघुकुल सा घराना हो
चरन हो राघव के, जहा मेरा ठिकाना हो
चरन हो राघव के, जहा मेरा ठिकाना हो

हो.. चरन हो राघव के,जहा मेरा ठिकाना हो

लक्ष्मण सा भाई हो
लक्ष्मण सा भाई हो,
कौशल्या सी माई हो
कौशल्या सी माई हो
स्वामी तुम जैसा मेरा रघुराई हो
स्वामी तुम जैसा मेरा रघुराई हो

नगरी हो अयोध्या सी,
नगरी हो अयोध्या सी
रघुकुल सा घराना हो
रघुकुल सा घराना हो
चरन हो राघव के,जहा मेरा ठिकाना हो

हो त्याग भरत जैसा
हो त्याग भरत जैसा,
सीता सी नारी हो
सीता सी नारी हो
लव कुश के जैसी सन्तान हमारी हो
लव कुश के जैसी सन्तान हमारी हो

नगरी हो अयोध्या सी,
नगरी हो अयोध्या सी
रघुकुल सा घराना हो
रघुकुल सा घराना हो
चरन हो राघव के,जहा मेरा ठिकाना हो

श्रद्धा हो श्रवण सी,
श्रद्धा हो श्रवण सी
शबरी सी भक्ति हो
शबरी सी भक्ति हो
हनुमान के जैसे निष्ठा और शक्ती हो
हनुमान के जैसे निष्ठा और शक्ती हो

नगरी हो अयोध्या सी,
नगरी हो अयोध्या सी
रघुकुल सा घराना हो
रघुकुल सा घराना हो
चरन हो राघव के,जहा मेरा ठिकाना हो

मेरी जीवन नैया हो,
मेरी जीवन नैया हो
प्रभु राम खेवैया हो ।
प्रभु राम खेवैया हो ।
और राम कृपा की सदा, मेरे सर छय्या हो
और राम कृपा की सदा, मेरे सर छय्या हो

नगरी हो अयोध्या सी,
नगरी हो अयोध्या सी
रघुकुल सा घराना हो
रघुकुल सा घराना हो
चरन हो राघव के,जहा मेरा ठिकाना हो

रघुकुल रीत सदा चली आई, प्राण जाए पर वचन न जाई
रघुकुल रीत सदा चली आई, प्राण जाए पर वचन न जाई
रघुकुल रीत सदा चली आई, प्राण जाए पर वचन न जाई
रघुकुल रीत सदा चली आई, प्राण जाए पर वचन न जाई
रघुकुल रीत सदा चली आई, प्राण जाए पर वचन न जाई
रघुकुल रीत सदा चली आई, प्राण जाए पर वचन न जाई
रघुकुल रीत सदा चली आई, प्राण जाए पर वचन न जाई
रघुकुल रीत सदा चली आई, प्राण जाए पर वचन न जाई

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