सोमवार, अगस्त 4, 2025
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भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग, भीम के वध के साथ कैसे जुड़ा है, जानिए इसके पीछे की कहानी और अनोखे रहस्य

भीमाशंकर शिवलिंग (Bhimashankar jyotirlinga ) : हिंदू धर्म के 12 ज्योतिर्लिंग पूरे विश्व में प्रसिद्ध है, जिसे देखने के लिए सिर्फ भारतीय नहीं बल्कि अन्य देशों और विदेशों से लोग मंदिर के दर्शन करने आते हैं। प्राचीन मान्यता के अनुसार इन सभी ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने मात्र ही श्रद्धालुओं के जीवन के हर कष्ट दूर हो जाते हैं। इन्हीं ज्योतिर्लिंगों में से एक भीमाशंकर शिवलिंग (Bhimashankar jyotirlinga) है। अनेकों श्रद्धालु इसे भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के नाम से भी जानते हैं। भीमाशंकर शिवलिंग की रचना में नागर शैली का बखूबी इस्तेमाल किया गया है, आर्टिकल में आगे इसकी वास्तुकलाओं को विस्तार से जानेंगे। आज इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपके साथ भीमाशंकर शिवलिंग के रहस्यों पर्दा उठाने वाले हैं, और साथ ही भीम के वध की कहानी आपके साथ शेयर करेंगे।

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग का रहस्य (Bhimashankar jyotirlinga Mystery)

हिन्दू धर्मो के अनुसार देवकाल में, भगवान शिव जहां भी प्रकट हुए, उन सभी स्थलों पर शिवलिंग या ज्योतिर्लिंग स्थापित किया गया। इसमें मौजूद भीमाशंकर शिवलिंग के बारे में अनेकों रहस्य बताये जाते हैं, जिन्हें सुनने के बाद, आपके अंदर भी इस मंदिर के दर्शन की जिज्ञासा जाग उठेगी। आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से 12 ज्योतिर्लिंग में से एक भीमाशंकर शिवलिंग के रहस्यों को बताने वालें है। चलिए इस ज्योतिर्लिंग के रहस्यों को विस्तार से जाने।

  • भीमाशंकर शिवलिंग आकार में काफी मोटा है इसी करण इसे मोटेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है।
  • शिव पुराण में एक खास बात का जिक्र है जिसमें यह बताया गया है, कि भगवान शिव ने राक्षस भीम का वध किया था, इसी कारण यहां पर भीमाशंकर शिवलिंग स्थापित कर दिया गया।
  • भारत में मौजूद पूजनीय 12 ज्योतिलिंगों में से इस शिवलिंग को छठा स्थान दिया ज्याता है।
  • हिन्दू धर्म में मौजूद शिव पुराण के अनुसार जो भक्त, सूर्योदय के समय भीमाशंकर शिवलिंग की पूजा करता है, उसके जीवन के हर पाप नष्ट हो जाते हैं।
  • भीमाशंकर शिवलिंग के पास एक नदी है, जिसे भीमा नदी के नाम से जाना जाता है,सावन के महीने में यहां पर भारी संख्या में श्रद्धालु लोग इस नदी के दर्शन के लिए आते हैं।
  • भीमाशंकर शिवलिंग भीम के साथ जुड़ा हुआ है, एक मान्यता के अनुसार भीम ने ब्रह्मा जी को प्रसन्न करने के लिए 1000 वर्षों तक तपस्या की थी।
  • भीमाशंकर शिवलिंग की खास बात यह है कि, इस मंदिर के आसपास अनेकों रहस्यमय वनस्पतियों और विभिन्न प्राणियों की प्रजातियां पाई जाती हैं।
  • एक कहावत के अनुसार राक्षस भीम और भगवान शिव की लड़ाई में भगवान शिव के शरीर से निकली पसीने की बुंदे निकली थी, जिससे भीमा रति नदी का निर्माण हो हुआ।
  • भीमाशंकर शिवलिंग के पास एक प्रसिद्ध मंदिर कमलजा मंदिर है, इस मंदिर की प्रमुख बात यह है कि कमलजा देवी माता पार्वती का ही रूप है जोकि भगवान शिव की पत्नी हैं। इसी कारण यह मंदिर शिवलिंग के पास स्थापित किया गया है।
  • इस शिवलिंग के पास प्रमुख धार्मिक मंदिर स्थापित हैं, जिन्हें आज हनुमान शीला, साक्षी विनायक के रूप में जाना जाता है।

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग की महत्वपूर्ण बातें (Bhimashankar Temple Information)

इस आर्टिकल की मदद से आप भीमाशंकर शिवलिंग मदिर के रहस्यों से बखूबी परिचित हो चुके हैं, लेकिन यहाँ पर हम मंदिर के बारे में अन्य महत्वपूर्ण जानकारियाँ आपके साथ शेयर करने वालें हैं, जिनके बारे में आपको जरुर पता होना चाहिए। चलिए नीचे दी गयी टेबल के माध्यम से मंदिर की कुछ ख़ास बातों को जानते हैं।

मंदिर का नामभीमाशंकर शिवलिंग मंदिर
प्रमुख देवतामहादेव शिव
जगह का नामखेड गाँव, पुणे, (महाराष्ट्र)
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग मंदिर निर्माण कालदेवकाल (प्राचीन काल)
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग मंदिर से जुड़े पर्वमहाशिवरात्र
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग मंदिर की प्रमुख बातभीम के वध स्थल पर भीमा शिवलिंग की स्थापना की गई है।
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग मंदिर का दूसरा नाममोटेश्वर महादेव मंदिर
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग मंदिर खुलने का समयप्रातःकाल 4:30,
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग मंदिर की वस्तुकला शैलीनागर शैली
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग सम्बंधित धर्महिन्दू धर्म

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग (मंदिर) की कहानी (Bhimashankar Temple Story)

भारत में स्थित सभी ज्योतिर्लिंग के पीछे कोई ना कोई घटना जरूर घटी होती है। ऐसे में ज्योतिर्लिंग से जुड़ी अनेकों कहानियां सुनी जाती हैं, जिन्हें सुनकर मन पूरी तरह से अचंभित हो जाता है। कुछ इसी प्रकार की एक कहानी भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग से भी जुड़ी हुई है, जिसकी जानकारी हमें शिवपुराण के ग्रंथो में मिलती है। चलिए इस कहानी को विस्तार से जानें।

एक बार की बात है, देवताओं के काल में एक भीम नाम का राक्षस रहता था, जिसे कुंभकर्ण के पुत्र के रूप से जाना जाता था। भीम के जन्म से पहले ही भीम के पिता कुंभकर्ण की किसी कारणवश मृत्यु हो गई थी।

जैसा कि हम सभी को पता है कुंभकर्ण की मृत्यु भगवान राम के हाथ हुई थी, भीम इस घटना से भी पूरी तरह से अनजान थे। लेकिन कुछ समय के बाद उनकी माता ने पिता कुंभकर्ण की मृत्यु का राज अपने पुत्र से बता दिया, जिसके अनुसार कुंभकर्ण की हत्या भगवान राम के हाथों हुई थी। इस घटना के बारे में सुनकर भीम अत्यधिक क्रोधित हो उठे और उन्होंने भगवान राम का वध करने की ठान ली।

भीम ने खुद को बलशाली बनाने के लिए ब्रह्मा जी की कठोर तपस्या की और उनसे विजयी होने का वरदान प्राप्त कर लिया, इसके बाद वह देवी और देवताओं पर अत्याचार करने लगा, जिसकी वजह से देवता भयभीत रहने लगे। समय के साथ-साथ उसने सभी देवी और देवताओं को परास्त कर उनके राज सिंहासन को हड़पना शुरू कर दिया। राक्षस भीम साधु संत तथा देवी देवताओं के यज्ञ में विघ्न डालने लगा और दुनिया में चारों तरफ अत्याचार होने लगे।

परिणाम स्वरुप सभी देवता भगवान शिव के शरण में गए और मदद के लिए गुहार लगाने लगे। तब शिव शंकर ध्यान से जागे और देवताओं की बात सुनकर काफी चिंतित हुए और सभी देवताओं को आश्वासन दिलाया की राक्षस भीम की मृत्यु निश्चित है। इसके पश्चात भगवान शिव ने अपनी दिव्य दृष्टि से राक्षस भीम का पता लगाया और वहां पहुंचकर भीम के साथ भयंकर युद्ध किया। ब्रह्मा जी के वरदान के कारण राक्षस भीम काफी शक्तिशाली बन गया था जिसके कारण उसे हरा पाना इतना आसान नहीं था। लेकिन महाकाल के आगे आजतक किसी की ना चली है।

भयंकर युद्ध के बाद भगवान शिव ने भीम की कमजोरी को समझते हुए उसपर अपनी प्रचंड शक्तियों का इस्तेमाल किया, जिसके परिणाम स्वरूप राक्षस भीम भगवान शिव के हाथों मारा गया और वहां पर मौजूद सभी देवताओं ने भगवान शिव को कोटि कोटि नमन किया। इसी दौरान सभी देवताओं ने भगवान शिव से उसी जगह विराजमान होने का आग्रह किया, भगवान शिव ने प्रसंतापूर्वक देवताओं की बात मान ली और इसी जगह एक शिवलिंग के रूप में स्थापित हो गए।

जिसे आज भीमाशंकर शिवलिंग (Bhimashankar jyotirlinga) के नाम से जाना जाता है।

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग की वास्तुकला (Bhimashankar Temple Architecture)

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग मंदिर की स्थापना हेतु नागर शैली का खूबसूरत उपयोग किया गया है। मंदिर के लंबे स्तंभ और घुमावदार नक्काशी दोनों में बेहतरीन डिजाइन देखी जा सकती है। इस मंदिर के निर्माण में बेसाल्ट चट्टानों के पत्थर का उपयोग किया गया है, जोकी देखने में एकदम अलग लगते हैं। मंदिर के प्रवेश द्वार पर एक विशेष प्रकार की नक्काशियां की गई हैं, इसके साथ प्रवेशद्वार पर फूलमाला और पटकाओं को देखा जा सकता है।

यह भी पढ़ें: ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर की कहानी

वहीं मंदिर का प्रवेश द्वार गर्भग्रह की तरफ जाता है जहां पर भीमाशंकर शिवलिंग मौजूद है। मंदिर के गर्भगृह में मौजूद शिवलिंग के चारों तरफ चांदी का घेरा बना है, इसके बीचों बीच विशालकाय शिवलिंग का दर्शन किया जा सकता है। जहां पर महादेव स्थापित हो, उनके साथ नंदी की मौजूदगी ना हो ऐसा तो हो ही नहीं सकता। मंदिर के बाहर की तरफ नंदी जी को बैल के रूप में देखा जा सकता है, मंदिर में मौजूद नंदी जी को देखकर ऐसा प्रतीत होता है जैसे कि वह मंदिर के शिवलिंग की पहरेदारी कर रहे हों। भीमाशंकर मंदिर में विशालकाय 230 सीढ़ियां मौजूद हैं।

मंदिर के अंदर एक विशाल सभामंडल है जहां पर श्रद्धालु लोगों की भीड़ इकट्ठा होती है। किसी धार्मिक पर्व या अनुष्ठानों पर इस सभामंडल में सभी श्रद्धालु इकट्ठा होते हैं, और मंदिर से मिलने वाले प्रसाद का सेवन करते हैं।

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग पहुंचने का रास्ता (How To Reach Bhimashankar Jyotirlinga )

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग मंदिर पहुँचने के लिए आपके शहर से मुख्य रूप से 3 तरीके सुविधाजनक होंगे, जिसमे से सड़क मार्ग, ट्रेन मार्ग, फ्लाइट मार्ग। लेकिन शायद आपको सही तरह से पता ना हो कि आपके घर से मंदिर का सफ़र तय करने के लिए किस सड़क, ट्रेन या फिर फ्लाइट का उपयोग करना पड़ेगा। आपकी इसी दुविधा को ध्यान में रखते हुए, मंदिर तक के सफ़र को विस्तार से बताने वालें हैं जानने के लिए आगे पढ़ें।

सड़क से कैसे जा सकते हैं :

मंदिर तक पहुँचने के लिए हाईवे से जुड़ी छोटी सड़कों की मदद ली जा सकती है। अगर आप महाराष्ट्र के निवासी हैं तब आपके लिए टैक्सी जैसी सुविधाए आसानी से मिल जाती हैं। इसके अलवा अपने शहर से पुरे दिन के लिए कैब बुक की जा सकती है।

ट्रेन मार्ग द्वारा मंदिर कैसे पहुच सकते हैं :

अगर आप मंदिर तक पहुंचने के लिए ट्रेन यात्रा के बारे में सोच रहे हैं, तब जानकारी के लिए बताना चाहेंगे भीमाशंकर शिवलिंग के आसपास कोई भी रेलवे स्टेशन मौजूद नहीं है। लेकिन मंदिर के काफी दूर कर्जत रेलवे स्टेशन मौजूद है, यह रेलवे स्टेशन मंदिर से 168 किलोमीटर दूर है। रेलवे स्टेशन पहुंचने के बाद, यहां से आप बस या कैब की सहायता ले सकते हैं, जानकारी के लिए बताना चाहेंगे रेलवे स्टेशन से मंदिर तक पहुंचने में आपको 2 घंटे का समय लग सकता है।

फ्लाइट से भीमाशंकर शिवलिंग मंदिर कैसे पहुंचे :

समय न होने की वजह से, अगर आप मंदिर तक, फ्लाइट से जाना चाहते हैं, तब आपको सबसे पहले पुणे एयरपोर्ट पर विजिट करना पड़ता है। मंदिर से नजदीकी एअरपोर्ट न्यू पुणे एअरपोर्ट है। न्यू पुणे एयरपोर्ट से टैक्सी या कैब की सहायता ली जा सकती है, यहाँ से मंदिर की दुरी लगभग 41 किलोमीटर है। अगर आप एयरपोर्ट से टैक्सी या कैब की सहायता से मंदिर तक पहुंचाना चाहते हैं, तब आपको ढाई घंटे का समय लग सकता है।

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग दर्शन का समय (Bhimashankar Temple Visiting Time)

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग एक प्रमुख मंदिर है जहां पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। इस मंदिर में दर्शन को लेकर कई सारे नियम है। जिसमें से एक है, मंदिर में मोबाइल ले जाने पर मनाही। इसका मुख्य कारण यह है कि मंदिर में श्रद्धालुओं की संख्या काफी ज्यादा होती है, उनकी सुरक्षा के लिए इस तरह के कदम उठाए गए हैं। मंदिर में पहुंचने से पहले हमें मंदिर की समयसारणी के बारे में पता होना आवश्यक है, ताकि सही समय पर मंदिर पहुंचा जा सके। इस आर्टिकल में मंदिर से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण समय सारणी के बारे में बताने वाले हैं। मंदिर जाने से पहले आपको यह समय सारणी जरूर पढ़ लेनी चाहिए।

भीमाशंकर शिवलिंग दर्शन समय कालघडी के अनुसार समय
मंदिर कब खुलता है4:30 सुबह
मंगल आरती का समय4:45 – 5:00 बजे सुबह
भीमाशंकर शिवलिंग दर्शन समय5:00 – 5:30 बजे सुबह
सामान्य दर्शन6:00 -2:30 बजे दोहपर
नैवेध पूजा का समय12 – 12:30 बजे दोपहर
मध्य समय की आरती3:00 – 3:30 बजे दोपहर
श्रृंगार आरती और दर्शन3:30 – :9:30 बजे रात
शाम की आरती7:30 – 8:30 बजे शाम
मंदिर बंद होने का समय9:30 बजे रात

यह भी पढ़ें: ओंकारेश्वर दर्शन समय

FAQ

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग की सबसे खास बात क्या है?
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग की सबसे खास बात यह है कि यहां पर राक्षस भीम का वध हुआ था, जिसके बाद यहां पर ज्योतिर्लिंग स्थापित कर दिया गया।

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग का दूसरा नाम क्या है?
भीमाशंकर श्रीलंका दूसरा नाम मोटेश्वर महादेव है।

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग मंदिर में कितनी सीढ़ियां मौजूद हैं?
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग मंदिर में कुल मिलाकर 230 सीढ़ियां मौजूद है।

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग मंदिर के दर्शन करने के लिए कौन-सा महीना उचित है?
जहां पर भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग मौजूद है वहां पर अक्टूबर, नवंबर, दिसंबर, जनवरी, फरवरी, मार्च के महीनों में तापमान काफी अच्छा होता है इस समय आप मंदिर के दर्शन कर सकते हैं।

सभी ज्योतिर्लिंग में से भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग का स्थान कौन सा है?
भारत में मौजूद 12 ज्योतिर्लिंग में से भीमाशंकर शिवलिंग छठे नंबर पर है।

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