सोमवार, अगस्त 4, 2025
होमब्लॉगकेदारनाथ ज्योतिर्लिंग के अनसुने रहस्य और केदारनाथ की अनोखी कहानी

केदारनाथ ज्योतिर्लिंग के अनसुने रहस्य और केदारनाथ की अनोखी कहानी

केदारनाथ ज्योतिर्लिंग (Kedarnath jyotirlinga) : हिन्दू धर्म में कई ऐसे धार्मिक स्थल मौजूद हैं जहां पर जाने मात्र से हर इंसान के हर पाप धुल जाते हैं। इन्ही स्थलों में 12 ज्योतिर्लिंगों को विशेष स्थान दिया जाता है, और इन 12 ज्योतिर्लिंग में एक है केदारनाथ शिवलिंग। केदारनाथ का यह मंदिर उत्तराखंड की बहुमूल्य विरासत है। हिन्दू धर्म के अनुसार “चारों धाम घूम लिया” ऐसी कहावत तो आपने सुनी ही होगी, उन्ही चार धाम से एक है केदारनाथ ज्योतिर्लिंग (Kedarnath jyotirlinga) धाम। अगर आप भी केदारनाथ मंदिर के रहस्यों के बारे में सभी बाते जानना चाहते हैं और भगवान शिव के भैंसे के स्वरूप से जुडी कहानी से अनजान हैं, तब इस रहस्यों से भरे आर्टिकल को जरुर पढ़ें।

केदारनाथ शिवलिंग का रहस्य (Kedarnath Shivling Mystery)

हिन्दू धर्म में केदारनाथ धाम को स्वर्ग की मान्यता दी गयी है। इसके पीछे अनेकों ऐसे रहस्य छुपे हैं जो इस बात को सच साबित करते हैं। इन्ही रहस्यों को विस्तार से जानने के लिए, हमारे साथ बने रहिये और आगे जाने कि आखिरकार क्या है सभी वह सभी रहस्य।

  • आपको यह बात जानकार हैरानी होगी कि आखिर समुद्र केदार नाथ शिवलिंग की दुरी कितनी है। जानकारी के लिए बताना चाहेंगे इस दुरी का आकलन करने के बाद पता चला कि यह शिवलिंग समुद्र से 3500 मीटर की उंचाई पर स्थित है।
  • भारत में मौजूद 12 ज्योतिर्लिंग में से यह शिवलिंग काफी अलग अवस्था में स्थापित है। अन्य शिवलिंग का आकर बेलनाकार होता है जिसे हम सभी जानते हैं, लेकिन इस शिवलिंग का स्वरूप बिलकुल अलग है, इस शिवलिंग का आकर त्रिभुजाकार है, जिसे देखकर कोई भी अचम्भित हो सकता है।
  • एक पुरानी कहावत के अनुसार भगवन शिव के अंश पांच जगहों पर देखे गए थे, जिसमे केदारनाथ शिवलिंग एक है, और इसी वजह से इसे पञ्च केदार के नाम से भी जाना जाना जाता है।
  • इस मंदिर की खोज सैकड़ों साल पहले भू विज्ञानिकों द्वारा की गयी थी, आज से करीब 400 साल पहले इस मंदिर की खोज हुए थी, लेकिन इसमें हैरान कर देने वाली बात यह थी कि 400 साल तक यह मंदिर बर्फ की मोटी चादर से ढका रहा, और इसके बावजूद भी मंदिर में कोई खरोच तक नहीं आई।
  • देव काल में इस मंदिर को पाँचों पांडवो ने मिलकर इस निर्मित किया था, देवकाल समापन के बाद राजा शंकराचार्य और उनके बाद राजा भोज ने इस मंदिर का पुनः निर्माण किया था।
  • हिन्दू धर्म के अनुसार केदारनाथ स्वर्ग धाम के रूप से जाना जात है क्यूंकि यहाँ पर आने वाले हर श्रद्धालु स्वर्ग के सामान नजारा देकते हैं और इससे हर भक्त का मन तृप्त हो जाता है।
  • केदारनाथ मंदिर दर्शनार्थीयों के लिए यह मंदिर साल में सिर्फ मई से लेकर नंबर के पहले सप्ताह तक खोला जाता है।
  • एक मान्यता के अनुसार इस धार्मिक स्थल पर स्वर्ग की हवा बहती है।

यह भी पढ़ें: ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर की कहानी

केदारनाथ शिवलिंग की महत्पूर्ण बातें (Kedarnath Temple Information)

हिदू धर्म में प्रशिद्ध केदारनाथ मंदिर के बारे में अनेकों ऐसी बातें हैं, जिसे मै भी आज तक नहीं जानता था लेकिन आज इस आर्टिकल के माध्यम से यह महत्वपूर्ण जानकारियां आपके साथ शेयर करने वाला हूँ। कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां निचे टेबल में पढ़ सकतें हैं।

मंदिरकेदारनाथ शिवलिंग मंदिर
सम्बंधित धर्महिन्दू
पूजनीय देवताभगवान शिव
लोकेशनउत्तराखंड
मंदिर निर्माताशंकराचार्य और राजा भोज
मंदिर से जुड़े त्यौहारमहाशिवरात्रि
मंदिर खुलने का समयसुबह 6 बजे, बंद होने का समय रात 9 बजे
प्रमुख बातत्रिभुजाकार शिवलिंग
मंदिर से समुद्र से दुरी3 हजार मीटर से अधिक
केदारनाथ का दूसरा नामकेदार खंड
केदारनाथ मंदिर खुलने का कालशुरुवाती मई से लेकर नवम्बर के शुरू तक

केदारनाथ शिवलिंग कहानी (Kedarnath Temple shivling story)

महाभारत समाप्त होने के बाद, पाँचों पांडव ने युद्ध में जीत हांसिल कर ली थी। लेकिन पाँचो पांडव के सर हजारों जन की मृत्यु का पाप लगा था। पाप से मुक्ति पाने का एकमात्र उपाय भगवान् शिव थे। आखिर क्यूँ भगवान शिव को भैंसे का रूप धारण करना पडा? क्या पांडवों के पाप उनके जीवन से ख़तम हो पाए? इन्ही सवालों का जवाब केदारनाथ शिवलिंग की कहानी में मिलता है। चलिए इस कहानी को विस्तार से जानते हैं।

पुराण काल में जब महाभारत का समापन हुआ तब एक बार पाँचो पांडव और भगवान विष्णु भरी सभा में विचार विमर्श कर रहे थे। उसी दौरान भगवान् विष्णु ने –

हे पांडवों, महाभारत के इस युद्ध में भले ही आप लोग विजयी बने हों, लेकिन आप सभी लोग हजारों जन की मृत्यु के लिए पाप में भागीदार हो।

यह सुनकर सभी पांडव काफी चिंतित हो गए और भगवान विष्णु से इसका उपाय पुचने लगे।

पांडवों की व्यथा को देखकर भगवन विष्णु दुखी हुए और बाद में उन्होंने इस पाप से मुक्त होने का एकमात्र उपाय बताया, जिसके अनुसार उनके पापों का निवारण केवल भगवान शिव ही कर सकते थे।

इस तरह से भगवान विष्णु के कथनानुसार पाँचों पांडव भगवान शिव के पास जाने लगे। लेकिन उधर भगवान शिव पाँचों पांडव के इस कुकर्म से काफी नाराज थे। जब भगवान शिव को पांडवों के आने का आभास हुआ तब वह कैलाश पर्वत से अदृश्य हो गए। इस तरह से पांडवों को भगवान शिव के दर्शन ना हो पाए। लेकिन इसके पश्चात भी पांडव ने भगवान शिव को पृथ्वी के हर भाग में ढूंढा, लेकिन वह कहीं नहीं मिल रहे थे।

आखिर में पांडव थके हारे केदारनाथ पहुंचे, वहां पर भगवान शिव ध्यान में विलीन थे। लेकिन जब उन्हें पांडवों के आने का ध्यान हुआ तब उन्होंने खुद को भैसे के रूप में परिवर्तित कर लिया, और पास एकत्रित पशुओं के झुंड में छिप गए। पांडव वहां भी पहुच गए तब पांडव में से भीम ने अपना विकराल रूप धारण कर लिया और सभी पशुओं को अपने पैरों के निचे से निकालने लगे। लेकिन उनमे से एक भैंसा जोकि भगवान शिव का स्वरप था वह नहीं गया। जब भीम ने उस भैंसे को देखा तो कुछ समय पश्चात वह भैंसा धरती में लीं होने लगा। भीम ने यह देखकर उस भैंसे की रीढ़ की हड्डी को पकड़ कर ली जिससे वह पूरी तरह से अन्दर नहीं समा पाए। इसी दौरान भैंसे के उस भाग ने पिंड का रूप ले लिया और पांडवों के सामने भगवान शिव प्रकट हो गए।

पांडवों के चिंतित मुख को देखकर भगवान शिव को उनपर दया आ गयी और उन्होंने पांडवों के सभी पाप माफ़ कर दिए।

एक मान्यता के अनुसार केदारनाथ शिवलिंग को इस घटना से जोड़ा जाता है क्यूंकि जब भैंसे के रूप में भगवान शिव आधा उपर रह गए थे, तब उनके पीठ का त्रिभुजाकार हिसा उपर रह गया था जोकि केदारनाथ में स्थित शिवलिंग से पूर्ण रूप से मिलता है।

16 जून 2013 केदारनाथ की घटना (Kedarnath Temple Incident in June)

केदारनाथ श्रधालुओं के लिए यह दिन विपदा भरा था, इस दिन को याद कर के आज भी लोगो की रूह काँप जाती है। इस दिन केदारनाथ में बादल फटने से मंदागिनी नदी ने अपना क्रूर रूप धारण कर लिया था। नदी का पानी आस पास के इलाकों में भरने लगा था, और बाढ़ का माहौल हो गया था। इस बाढ़ में हाजारों लोग पानी में बह गए, और अनगिनत लोगो का कंकाल बरामद किया गया। 14 Jun 2013 को बारिश हुई थी, जिसके दुसरे दिन यह हादसा हुआ। 16 जून 2013 के दिन बड़े बड़े पहाड़ टूटकर नदी में बहने लगे कुछ लोग अपनी जान बचाकर सुरछित जगह पहुच पाए, आपत्ति जनक स्तिथि के कारण कितने परिवार के सदस्य पानी में बह गए और हमेसा के लिए लापता होगा गये।

17 जून 2013 के दिन नदी के जरिये मलबो का ढेर केदारनाथ के आस पास इलाकों में आने लगा और कितने घर परिवार सहित तहस नहस हो गए। 18 जून 2013 के दिन यह तबाही तेजी से न्यूज चेंनेल और सोशल मीडिया पर वायरल हो गयी। न्यूज के हिसाब से केदारनाथ में मरने वालो की संख्या लगभग 4500 के करीब थी साथ ही 13 हजार करोड़ से ज्यादा धन सम्पतियों का नुक्सान हो गया। बाद में सरकार द्वारा कुछ सालों के भीतर इन सब संपत्तियों को फिर से निर्मित किया गया।

यह भी पढ़ें: महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की भस्म आरती

केदारनाथ शिवलिंग वस्तुकलाएं (Kedarnath Temple Architecture)

अगर आप केदारनाथ के भव्य मंदिर को सामने से देखें तब आपको इस मंदिर में बड़ा सा चबूतरा दिखाई पड़ता है, इसके अंदर एक बड़ा शिवलिंग स्थापित किया गया है। शिवलिंग के की परिक्रमा करने के लिए चारो तरफ पैदल पथ बने हैं। मंदिर के बाहर भगवान शिव को नंदी बैल के उपर मूर्ति के रूप में दिखाया गया है। मंदिर के मध्य भाग में गणेश और माता पारवती के प्रमुख यंत्र की प्रतिमा बनी देखी जा सकती है। केदारनाथ शिवलिंग देखने में त्रिभुजाकार अवस्था में है, यही वजह है की यह अन्य शिवलिंग सबसे अलग है। यहाँ मंदिर में पांच पांडव, द्रोपती, वीरभद्र, और अनेक देवी देवताओं की मुर्तिया देखी जा सकती है।

केदारनाथ शिवलिंग भारत में मौजूद 12 ज्योतिर्लिंग में से एक है। केदारनाथ मंदिर में इस शिवलिंग को लिंगम नाम से भी जाना जाता है। अगर आप केदारनाथ में स्थित शिवलिंग के दर्शन और इसे स्पर्श करना चाहते हैं। तब आपको सुबह 10 बजे से लेकर 4 बजे के बिच में मंदिर पहुचना होता है। केदारनाथ सूचना बोर्ड के अनुसार 4 बजे के बाद शिवलिंग को स्पर्श करना वर्जित है।

मंदिर के सुधार हेतु मंदिर की मरम्मत कराई जा चुकी है। मंदिर के फर्श के निर्माण कार्यों में जामिन पर पत्थर लगवाये गए हैं। इस मुख्य मकसद श्रदुलाओं की यात्रा को सुखमय बनाना है।

केदारनाथ शिवलिंग (मंदिर) कैसे पहुंचे

अगर आप केदारनाथ शिवलिंग दर्शन के इच्छुक है। तब आपको अपने घर से केदारनाथ तक के रास्ते के बारे में पता हों चाहिए। एक महत्वपूर्ण सुचना के अनुसार यह मंदिर मई के पहले सप्ताह में खुलता है और नवम्बर के पहले सप्ताह में इसे बंद कर दिया जाता है, इसी कारण दर्शन इच्छुक श्रधालुओं को मई और जून के महीने में केदारनाथ की यात्रा करनी चाहिए। केदारनाथ शिवलिंग के दर्शन हेतु सड़क मार्ग, रेल मार्ग और हवाई जहाज से सफ़र तय किया जा सकता है। चलिए इन सभी मार्ग के बारे में विस्तार से जाने।

सड़क मार्ग से कैसे पहुचें

केदार नाथ मंदिर पहुँचने से पहले आपको, हरिद्वार के रास्ते पर आना पड़ता है, जहां से मंदिर का सफ़र लगभग 230 किलोमीटर होता है। हरिद्वार आने के बाद आपको रुद्रप्रयाग पहुंचना पड़ता है, हरिद्वार से रुद्रप्रयाग तक पहुँचने के लिए आपको 165 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है। रुद्रप्रयाग के रास्ते आपको गौरीकुंड पहुंचना होगा, जोकि केदारनाथ की सीमा के अंदर आता है। यहाँ से केदारनाथ शिलिंग की यात्रा के लिए पैदल जाना पड़ता है या फिर आप यहाँ पर मौजूद यातायात की सुविधाओं की मदद ले सकते हैं।

रेलमार्ग से कैसे पहुंचे

अगर आप अपने घर से रेल द्वारा केदारनाथ जाना चाहते हैं तब आपके लिए कुछ रेलवे स्टेशन उपलब्ध हैं जहां से मंदिर की यात्रा संपन्न की जा सकती हैं, अगर आप रेल द्वारा यात्रा करना चाहते हैं तब आपको हरिद्वार रेलवे स्टेशन, ऋषिकेश रेलवे स्टेशन, देहरादून रेलवे स्टेशन, कोटद्वार रेलवे स्टेशन पर उतरना पड़ता है फिर वहां से आगे के लिए आपको यातायात परिवन की सयाहता लेनी पड़ेगी जोकि आपको मंदिर के नजदीक छोड़ सकते हैं।

हवाई जहाज से कैसे पहुंचे

अगर आपके पास समय की कमी है और केदारनाथ शिवलिंग के दर्शन करना आवश्यक है तब आपके लिए हवाई जहाज का सफ़र सबसे उत्तम होगा। हवाई जहाज से सफर के लिए आपको केदारनाथ के नजदीक स्तिथ जौलीग्रांट एअरपोर्ट पर उतरना होगा, हालाकि यहाँ से मंदिर की दुरी 239 किलोमीटर है। एअरपोर्ट से आपको ऋषिकेश जाना पड़ता है जिसकी एअरपोर्ट से दुरी लगभग 16 किलोमीटर है। ऋषिकेश से केदारनाथ मंदिर तक जाने के लिए आपको टेक्सी या ऑटो की मदद लेनी पड़ती है।

केदारनाथ शिवलिंग मंदिर का दर्शन समय (Kedarnath Temple Visiting Time)

जैसा की हम सभी जान चुके हैं यह मंदिर मई से लेकर नवम्बर के पहले सप्ताह तक खोला जाता है। इस दौरान मंदिर में पूजा पाठ का टाइम अलग अलग होता है। केदारनाथ श्रधालुओं के लिए मंदिर के दर्शन का समय एक मुख्य सवाल है, ऐसे में हम आपके साथ मंदिर से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण समय की व्याख्या करने वालें हैं। दर्शन समय विवरण के लिए आगे पढ़ें।

  • केदारनाथ शिवलिंग मंदिर दर्शन के लिए सुबह 6 बजे खोल दिया जाता है।
  • इसके बाद दोपहर के 4 बजे तक पूजा अर्चना की जाती है और फिर विश्राम समय हो जाता है, इस दौरान मंदिर को बंद कर दिया जाता है।
  • शाम के 5 बजे पुनः मंदिर का द्वार खुल दिया जाता है।
  • इसके बाद रात को 7:30 से 8:30 बजे तक भगवान् शिव की मुख्य आरती की जाती है।
  • इसके बाद राती के 9 बजे बंदिर को पूरी तरह से बंद कर दिया जात है।

FAQ

केदारनाथ शिवलिंग अभिन्न कैसे है?
केदार नाथ शिवलिंग संसार के हर शिवलिंग से अलग है क्यूंकि यह त्रिभुजाकार आक्रति में विराजमान हैं।

केदारनाथ शिवलिंग को छूने सम्बंधित बात का क्या मतलब है?
केदारनाथ के शिवलिंग को 4 बजे के बाद नहीं छुआ जा सकता, क्यूंकि इसके बाद मंदिर में शिवलिंग की आरती की जाती है।

केदारनाथ शिवलिंग त्रिभुजाकार क्यूँ हैं?
एक मान्यता के अनुसार 400 साल पहले बर्फ के निचे दबे होने के कारण इस शिवलिंग की आकृति इस तरह हो गयी थी।

केदारनाथ की घटना से क्या मतलब है?
16 जून 2013 के दिन बदल फटने के वजह से बाढ़ आ गयी थी जिसे केदारनाथ की सबसे भयंकर घटना माना जात है।

केदारनाथ मंदिर का दूसरा नाम क्या है ?
केदारनाथ मंदिर को केदार खंड नाम से भी जाना जाता है।

Share this content:

RELATED ARTICLES

4 टिप्पणी

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

Most Popular