ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग (Omkareshwar jyotirlinga) : हिंदू धार्मिक स्थल में से एक प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग जिसे ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के नाम से जाना जाता है। भारत में मौजूद 12 ज्योतिर्लिंग में से, इसे चौथा स्थान दिया गया है। ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में स्थित है। इस मंदिर की विशेष बात यह है कि इसे ॐ आकार में स्थापित किया गया है, इसी कारण से मंदिर को ओंकारेश्वर नाम से जाना जाता है। एक प्राचीन मान्यता के अनुसार यहां पर 33 करोड़ देवी और देवताओं का वास है, यह एक प्रमुख कारण है जिसकी वजह से इस स्थल को पवित्र माना जाता है। आखिरकार इस मंदिर में रात का समय खास क्यों होता है? मंदिर के पास स्थित नर्मदा नदी से जुड़े रहस्य क्या है? भगवान शिव और माता पार्वती रात्रि के समय इस स्थान पर क्यों आते हैं? इन सभी रहस्यों से पर्दा उठाकर, हम ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग (Omkareshwar jyotirlinga) का खुलासा करने वालें हैं, साथ ही मंदिर तक पहुंचने के हर तरीके आपके साथ शेयर करेंगे।
ओंकारेश्वर मंदिर से जुडी महत्वपूर्ण जानकारियां
हिंदू धर्म के नाते अगर आप भी ओंकारेश्वर मंदिर के भक्त हैं, तब मंदिर से जुड़ी विशेष बातों का ज्ञान अवश्य होना चाहिए ताकि, आप अपने भक्ति का परिचय परिवार और आस पड़ोस में दे सके। यहां पर मंदिर के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां उपलब्ध कराई गई है जिन्हे आपको जरूर पढ़ना चाहिए।
मंदिर का नाम | ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर |
धार्मिक मंदिर | हिन्दू धर्म |
प्रमुख देवता | भगवान शिव |
जगह का नाम | जिला खंडवा, मध्यप्रदेश |
मंदिर के निर्माता | स्वयंभू |
मंदिर से जुड़े त्यौहार | महाशिवरात्रि, कुंभ मेला |
मंदिर की निर्माण शैली | नागर शैली |
मंदिर खुलने का सही समय | सुबह 5 बजे से रात 9: 40 तक |
प्रमुख मूर्ति | ज्योतिर्लिंग |
स्थापित काल | प्राचीन काल |
ओंकारेश्वर मंदिर का रहस्य (Omkareshwar jyotirlinga Temple Mystery)
भारत के 12 ज्योतिर्लिंग में से चौथा नंबर ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग का है। इस ज्योतिर्लिंग के बारे में अनेकों रहस्यमई बातें कही जाती हैं, जिससे लोग आजतक अनजान हैं। ओंकारेश्वर मंदिर के रहस्यों से पर्दा हटाते हुए, हम आपके साथ वह सभी बातें शेयर करने वाले हैं, जिनको सुनकर आप आश्चर्यचकित रह जाएंगे। चलिए अब ओंकारेश्वर मंदिर के अनसुने रहस्यों को आपके साथ शेयर करते हैं।
- ओंकारेश्वर मंदिर भारत के 12 ज्योतिर्लिंग में से एक है, जिसको प्रसिद्धि के तौर पर चौथा स्थान दिया गया है।
- प्राचीन मान्यता के अनुसार ओंकारेश्वर मंदिर भगवान शिव का विश्राम स्थल होता था।
- नर्मदा नदी के तट पर स्थित यह मंदिर ओम आकार में स्थापित है, इसी कारण इसे ओंकारेश्वर मंदिर के नाम से जाना जाता है।
- ओंकारेश्वर मंदिर की शयन श्रृंगार आरती काफी प्रसिद्ध है, क्योंकि रात्रि के समय भगवान शिव खुद यहां पर विश्राम करते हैं।
- एक पुरानी मान्यता के अनुसार रात्रि पहर में भगवान शिव और माता पार्वती मंदिर के भीतर चौसर खेलते हैं, इसी वजह से यहां पर रात्रि से पहले, इसकी तैयारी कर दी जाती है, सुबह होने पर यहां के पंडितों द्वारा देखा जाता है कि चौसर पर किसी प्रकार की प्रक्रिया हुई है, जो इस राज की सच्चाई बयां करता है।
- प्राचीन कहावत के अनुसार राजा मांधाता ने भगवान शिव से ओंकारेश्वर स्थान पर विराजित होने का वरदान मांगा था, उन्होंने वरदान में मंदिर के साथ अपना नाम जोड़ने की इच्छा जताई थी। यही कारण है कि ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर को मांधाता के नाम से भी जाना जाता है।
- इस मंदिर के दर्शन हेतु भक्तगण द्वारा मंदिर में जल चढ़ाना, एक विशेष रिवाज है, इसके बिना मंदिर की यात्रा अधूरी मानी जाती है।
- ओंकारेश्वर मंदिर नर्मदा और कावेरी नदी के संगम पर स्थित है एक मान्यता के अनुसार यह स्थल देवी और देवताओं का वास है, इसी वजह से यहां पर आने वाले श्रद्धालुओं की हर पीड़ा और दुख दर्द पूर्ण रूप से समाप्त हो जाते हैं।
यह भी पढ़ें: महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की भस्म आरती
ओंकारेश्वर मंदिर की कहानी (Omkareshwar Mandir Story In Hindi)

हिंदू धर्मशास्त्र के अनुसार ओंकारेश्वर ज्योर्तिलिंग मंदिर से जुड़ी एक रहस्यमई कहानी बताई गई है, जिसमें नारद जी और भगवान शिव का जिक्र किया गया है। आज इस आर्टिकल के माध्यम से इस पूरी कहानी को आपके साथ शेयर करने वाले हैं, जानने के लिए आगे पढ़े।
एक बार जब विष्णु के भक्त नारायण जी तीनों लोकों का विहार करते हुए गिरिराज के विंध्य पर्वत पर पहुंचे, वहां पर उनका आदर पूर्ण स्वागत किया गया। कुछ समय विश्राम के पश्चात विंध्याचल देव नारद जी से पूछने लगे – “आपको मेरे पास कौन सी कमी दिखाई देती है?”
तब जवाब में नारद जी कहने लगे –
हे देव आपके पास किसी चीज की कमी नहीं है आप सर्वगुण संपन्न है किंतु आपके पास एक कमी है, आप सुमेरु पर्वत से ऊंचे नहीं हो सकते। अपने बारे में इतनी बड़ी कमी जानकर विंध्याचल देव निराश हो गए।
निराशा की भावना से विंध्याचल देव ने भगवान शिव की आराधना के बारे में सोचा और शिवलिंग स्थापित करके प्रसन्न मन से भगवान शिव की कड़ी तपस्या में लीन हो गए।
लगभग 6 महीने की कठोर तपस्या के बाद भगवान शिव अति प्रसन्न हुए और विंध्याचल देव के सामने प्रकट हुए। भगवान के प्रकट होने पर विंध्याचल देव ने हाथ जोड़कर भगवान शिव का स्वागत किया। तब प्रसन्न रूपी भगवान शिव ने विंध्याचल देव से वरदान मांगने को कहा।
परिणावस्वरूप विंध्याचल देव ने भगवान शिव से वरदान में मांगते हुए कहा-
हे देव!
मुझे एक बुद्धिमान व्यक्ति होने का वरदान दीजिए जो हर तरह के कार्य सिद्ध कर सके।
भगवान शिव ने विंध्याचल देव की यह बात सुनकर प्रसन्नचित मन से उन्हें वरदान दे दिया। कुछ समय पश्चात वहां पर ऋषि और मुनि प्रकट हो गए और भगवान से प्रार्थना करने लगे।
“हे प्रभु आप यहीं पर विराजित हो जाए, ताकि मानव हितों का कल्याण हो सके।”
मनुष्य के हितों की रक्षा करने हेतु, भगवान ज्योतिर्लिंग के रूप में वही पर विराजित हो गए।
इस तरह आगे चलकर यह स्थान ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के नाम से प्रसिद्ध हो गया।
ओंकारेश्वर मंदिर की वास्तुकलाए (Omkareshwar Mandir Architecture)
हिंदू धर्म में ओंकारेश्वर मंदिर अदभुत कला का एक प्रमुख उदाहरण है। अगर ओंकारेश्वर मंदिर को गौर से देखें तो इसकी ऊंचाई लगभग 80 फीट हैं, इसके साथ मंदिर के निर्माण कार्य में नागर शैली का बखूबी उपयोग किया गया है। इस मंदिर के निर्माण में घुमावदार आकृति और जटिल नक्कासियों को विशेष रूप से उजागर किया गया है।
ओंकारेश्वर मंदिर के साथ दो गेट देखे जा सकता है, एक गेट पूर्व दिशा में और दूसरा पश्चिम दिशा में स्तिथ है। मंदिर में प्रवेश करने के लिए पूर्वी द्वार का उपयोग किया जाता है, यहां से ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन किया जा सकता है। वही मंदिर के गर्भगृह में चार तरह के छोटे मंदिरों को स्थापित किया गया है।
मंदिर के पश्चिमी द्वार की तरफ एक सभामंडल स्थापित है, किसी विशेष उत्सव या त्योहार पर सभामंडल में भक्तगणों की भारी संख्या में भीड़ देखी जा सकती है। मंदिर के एक विशेष स्थल पर कुंडा नामक टैंक मौजूद है, जिसके बारे में मान्यता है कि इस कुंड में विशाल औषधीय गुण पाए जाते हैं जोकी किसी भी मनुष्य के हर तरह के रोगों का हरण कर सकते हैं।
ओंकारेश्वर मंदिर के पास स्थित नर्मदा नदी का रहस्य
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर एक पवित्र स्थल है जोकी नर्मदा नदी के तट पर स्थित है। एक कहावत के अनुसार इस स्थान पर 33 करोड़ देवी और देवताओं का वास होता है। शास्त्र नियम अनुसार जो श्रद्धालु यात्रा के दौरान नर्मदा नदी का जल, मंदिर में नहीं चढ़ाते हैं उनकी यात्रा पूर्ण नहीं मानी जाती। मंदिर के पास स्थित नर्मदा नदी की सबसे विशेष बात यह है कि जो व्यक्ति 7 दिन तक सूर्योदय के समय स्नान करके, ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करते हैं, उनको मनचाहा फल की प्राप्ति होती है, साथ ही उसके हर रोग और कष्ट दूर हो जाते हैं।

ओंकारेश्वर मंदिर कैसे पहुंचे (How To Reach Omkareshwar Mandir)
आपकी लोकेशन से ओंकारेश्वर मंदिर की दूरी शायद अधिक हो, लेकिन आप अपने घर से ओंकारेश्वर मंदिर का सफर आसानी से तय कर सकते हैं। इस मंदिर तक पहुंचने के लिए आपको ट्रेन, बस और फ्लाइट का सहारा लेना पड़ सकता है, जिसकी मदद से आप बड़ी आसानी से मंदिर तक पहुंच सकते हैं। अगर आप अपने घर से ओंकारेश्वर मंदिर तक जाने के लिए कंफ्यूज है, तब हमारे द्वारा बताई गई जानकारियां आपके बहुत काम आ सकती है, आप इन्हे नीचे पढ़ सकते हैं।
सड़क मार्ग से कैसे पहुंचे :
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग का मंदिर उज्जैन के खंडवा जिले में स्थित है, उज्जैन में खंडवा जिले से जुड़ी कई ऐसी सड़कें मौजूद है, जो रास्तों को हाईवे से जोड़ती हैं इस तरह से आप किसी बस या कैब की मदद से इस मंदिर तक आसानी से पहुँच सकते हैं।
ट्रेन से मंदिर कैसे पहुंचे :
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर पहुंचने के लिए, आप ट्रेन भी बुक कर सकते हैं, ट्रेन के माध्यम से आप मंदिर के नजदीक स्थित ओंकारेश्वर रेलवे स्टेशन तक पहुंच सकते हैं। इस रेलवे स्टेशन से मंदिर की दूरी लगभग 12 किलोमीटर है। हेड खंडवा एक दूसरा रेलवे स्टेशन है जहां से आप इस मंदिर तक पहुंच सकते हैं। जानकारी के लिए बताना चाहेंगे हेड खंडवा से मंदिर मंदिर तक की दूरी 70 किलोमीटर है, लेकिन इस रेलवे स्टेशन की खास बात यह है कि इस रेल ट्रैक से दिल्ली, बेंगलुरु, मैसूर, लखनऊ कन्याकुमारी और अहमदाबाद के रेलवे ट्रैक जुड़े हैं। रेलवे स्टेशन से मंदिर तक की दूरी तय करने के लिए बहुत ही आसानी से यातायात परिवहन मिल जाते हैं।
फ्लाइट से मंदिर कैसे पहुंचे :
मंदिर तक पहुंचने के लिए फ्लाइट एक सबसे सुविधाजनक जरिया है, जिसकी मदद से आप कम टाइम में मंदिर तक का सफर तय कर सकते हैं। मंदिर से पहले आपको इंदौर एयरपोर्ट पर पहुंचना होगा, जहां से आपको बस या कैब आसानी से मिल जाते हैं और इस तरह आप मंदिर तक की दूरी आसानी से तह कर सकते हैं।
ओंकारेश्वर दर्शन समय (Visiting Time Of Omkareshwar Mandir)
ओंकारेश्वर मंदिर में श्रद्धालुओं के लिए निशुल्क सेवा उपलब्ध कराई गई हैं, जिसके जरिए किसी विशेष दिन या किसी प्रकार के त्योहारों आप निशुल्क मंदिर के दर्शन किए जा सकते हैं। मुख्य रूप से आप शनिवार और रविवार वाले दिन निशुल्क मंदिर के दर्शन कर सकते हैं, लेकिन इसके लिए आपको कुछ समय पहले से ही निशुल्क टोकन बुक करना पड़ता है। मंदिर का मुख्य द्वार सुबह 5:00 बजे से खुल जाता है, और मंदिर की अंतिम आरती के बाद लगभग 10 बजे यह द्वारा बंद होकर दिया जाता है।
जानकारी के लिए बताना चाहेंगे जो श्रद्धालु इस मंदिर के दर्शन करना चाहते हैं, उन्हें एक हफ्ते पहले से ही मंदिर के लिए बुकिंग करनी होती है, साथ ही एक नंबर से सिर्फ एक बार बुकिंग की जा सकती है, अधिक बार बुकिंग करने पर यूजर का मोबाइल नंबर ब्लॉक कर दिया जाता है। अगर आप ओंकारेश्वर मंदिर के दर्शन करना चाहते हैं तब नीचे बताए गए टाइम के अनुसार मंदिर में ज्योतिर्लिंग के दर्शन किए जा सकते हैं। मंदिर अधिकारियों के दिशानिर्देश अनुसार मंदिर में 10 से 15 मिनट पहले ही आना चाहिए ताकि सही समय पर आपका टोकन बुक किया जा सके। समय से लेट पहुंचने पर श्रद्धालुओं को किसी प्रकार का टोकन नहीं दिया जाता और वह मंदिर के दर्शन नहीं कर सकते।
समय काल | दर्शन का टाइम |
सुबह | 5:00 Am – 7:00 Am |
सुबह | 7:00 Am – 9:00 Am |
सुबह | 9:00 Am – 11:00 Am |
सुबह | 11:00 Am – 12:20 Pm |
दोपहर (आरती श्रृंगार) | 12:20 Pm – 1:20 Pm |
दोपहर | 1:20 Pm – 4:00 Pm |
दोपहर | 4:30 Pm – 6:00 Pm |
शाम | 6:00 Pm – 8:00 Pm |
रात्री (शयन श्रृंगार) | 9:00 Pm – 9:40 Pm |
FAQ
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के पास कौन सा ज्योतिर्लिंग मौजूद है?
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के पास ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग मौजूद है।
ओंकारेश्वर मंदिर का दूसरा नाम क्या है?
ओंकारेश्वर मंदिर का नाम शिव भक्त के नाम से पड़ा है, इसी वजह से इस मंदिर को मांधाता नाम से भी जाना जाता है।
भारत में मौजूद 12 ज्योतिर्लिंग में से प्रथम ज्योतिर्लिंग कौन सा है?
भारत में मौजूद 12 ज्योतिर्लिंग में सोमनाथ ज्योतिर्लिं सर्वप्रथम ज्योर्तिलिंग मना जाता है।
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर किस दो नदियों के संगम पर स्थित है?
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर नर्मदा और कावेरी नदी के विशालकाय संगम पर स्थित है।
ओंकारेश्वर मंदिर के दर्शन हेतु निशुल्क सेवा किस दिन उपलब्ध होती है?
ओंकारेश्वर मंदिर के निशुल्क दर्शन के लिए शनिवार, रविवार और कोई विशेष त्योहार सही समय होता है।
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