सोमवार, अगस्त 4, 2025
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उज्जैन के महाकाल मंदिर के 5 रोचक तथ्य जानकर आप भी रह जाएंगे हैरान | Mahakal Temple Ujjain in Hindi

Mahakal Temple Ujjain in Hindi : महाकाल मंदिर भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है, जो मध्यप्रदेश के रुद्र सागर झील के किनारे बसा हैं। प्राचीन शहर उज्जैन में स्थित है, जो हिंदुओं के सबसे पवित्र और उत्कृष्ट स्थानों में से एक है। इस मंदिर में दक्षिणमुखी महाकालेश्वर महादेव भगवान शिव की पूजा की जाती है। यह एकमात्र ऐसा मंदिर है जहाँ भस्म आरती की रस्म निभाई जाती है। यहाँ आरती रोज़ भगवान शिव को जगाने के लिए की जाती है। भगवान शिव का आशीर्वाद लेने के लिए दूर दूर से लोग मंदिर में आते हैं।

महाकाल के यहाँ प्रति दिन सुबह के समय भस्म आरती होती है। ये आरती की खासियत यह है कि इसमें मुर्दे की बेसमेंट से ही महाकाल का श्रृंगार किया जाता है। इस जगह को भगवान शिव का पवित्र स्थान माना जाता है। यहाँ पर आधुनिक और व्यस्त जीवनशैली होने के बाद भी यहाँ मंदिर आने वाले पर्यटकों को पूरी तरह से मन की शांति प्रदान करता है। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहाँ एक अत्यंत पुण्यदायी मंदिर है। माना जाता है इस मंदिर के दर्शन मात्र से मोक्ष की प्राप्ति होती है। महाकालेश्वर मंदिर को भारत के टॉप 10 तंत्र मंदिरों में से एक माना जाता है

उज्जैन का महाकालेश्वर मंदिर का इतिहास

महाकालेश्वर के इतिहास के बारे में बात करें तो बता दें कि सनी 1107 से लेकर 1728 तक उज्जैन में यवनों का शासन रहा था। इस शासनकाल में एक बार हिंदुओं की प्राचीन परंपरा ये लगभग नष्ट हो गई थी। इसके बाद मराठों ने 1690 में मालवा क्षेत्र में हमला कर दिया था। फिर 29 नवंबर 1728 में मराठा शासकों ने मालवा में अपना शासन कर लिया था। इसके बाद उज्जैन की खोई हुई गौरव और चमक फिर से वापस आयी। इसके बाद 1728 से 1731 तक यहाँ मालवा की राजधानी बनी रही। मराठा शासन काल के समय यहाँ पर दो बड़ी घटनाएं हुई पहली घटना यह थी कि पहले यहाँ पर स्थित महाकालेश्वर मंदिर का फिर से निर्माण किया गया और की खोई हुई प्रतिष्ठा वापस मिले। इसके बाद यहाँ सिंहस्थ पर वह स्थान की स्थापना की गई जो बेहद खास उपलब्धि थी। आगे चलकर इस मंदिर का विस्तार राजा भोज द्वारा किया गया।

उज्जैन का महाकाल मंदिर की जानकारी – Mahakal Temple Ujjain in Hindi

विशेषताजानकारी
स्थानउज्जैन, मध्य प्रदेश, भारत
समर्पणभगवान शिव
प्रकारज्योतिर्लिंग
दिशादक्षिण
स्थितिस्वयंभू
वास्तुकलाहिन्दू वास्तुकला
स्थापनाअज्ञात
इतिहासप्राचीन
महत्वअत्यंत पवित्र
धार्मिक अनुष्ठानप्रातःकाल की आरती, सांयकाल की आरती, अभिषेक, पूजा, सट
अन्य मंदिरकाल भैरव मंदिर, कोटितीर्थ
प्रसिद्ध त्योहारमहाशिवरात्रि

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उज्जैन का महाकालेश्वर मंदिर की कहानी – Mahakal Temple Ujjain Ki Kahani in Hindi

उज्जैन आने वाले श्रद्धालु और पर्यटक महाकालेश्वर मंदिर के रहस्य और कहानी के बारे में जानने में काफी रुचि रखते हैं। आपके मन में भी उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर के इतिहास को लेकर काफी सवाल होंगे। तो चलिए आपको इस मंदिर के इतिहास के बारे में जानकारी देते हैं। पुराण के अनुसार एक बार भगवान ब्रह्मा और भगवान विष्णु के बीच इस बात को लेकर बहस हुई थी। इस सृष्टि में सर्वोच्च कौन हैं? उनका परीक्षण करने के लिए भगवान शिव ने तीनों लोगों में प्रकाश के एक अंतहीन स्तंभ को ज्योतिर्लिङ्ग के रूप में छेददार और इसके बारे में भगवान विष्णु और भगवान ब्रह्मा प्रकाश केंद्र का पता लगाने के लिए स्तंभ के साथ नीचे और ऊपर की ओर यात्रा करते हैं। लेकिन ब्रह्मा जी झूट बोल देते है। उन्हें अंत मिल गया और विष्णु हार मान लेते हैं। फिर शिव प्रकाश के स्तम्भ के रूप में प्रकट होते हैं और ब्रह्मा जी को श्राप देते हैं कि उनका किसी भी समारोह में कोई स्थान नहीं होगा। जबकि विष्णु जी की अनंत काल तक पूजा होगी जो त्रिलिंग वो जगह है जहाँ भगवान शिव प्रकाश के रूप में प्रकट हुए थे। स्थलों में से प्रत्येक में शिव के अलग अलग नाम हैं। इन सभी ज्योतिर्लिङ्ग को भगवान शिव का अलग अलग स्वरूप माना जाता है।

महाकालेश्वर मंदिर, मराठा भूमि और चालू के शैलियों की वास्तुकलाकार का एक सुंदर और कलात्मक मेल है। यहाँ पवित्र मंदिर है, एक झील के पास स्थित है जो विशाल दीवारों से घिरे हुए हैं। विशाल आंगन में स्थित है। बता दें कि इस मंदिर में पांच मंजिलें हैं, जिनमें से एक जमीन के अंदर स्थित है यहाँ पर है महाकालेश्वर की विशाल मूर्ति गर्भगृह में स्थित है और यह दक्षिणामूर्ति है, जिसका मतलब होता है दक्षिण दिशा की ओर मुँह वाली मूर्ति या खास बातें। सर्फ महाकालेश्वर मंदिर में पाई जाती है। महाकालेश्वर के इस सुंदर मंदिर के मध्य और ऊपर के हिस्सों में ओमकारेश्वर और नागचंद्रेश्वर के लिंग स्थापित है लेकिन आप नागचंद्रेश्वर की मूर्ति दर्शन है सिर्फ नागपंचमी के अवसर पर ही कर सकते है क्योंकि केवल इस खास मौके पर ही इसे आम जनता के दर्शन के लिए खोला जाता है। इस मंदिर के परिसर में एक बड़ा कुंड भी है जिसको कोटितीर्थ के रूप में जाना जाता है।

इस बड़े कुंड के बाहर है एक विशाल बरामदा है, जिसमें गर्भगृह को जाने वाले मार्ग का प्रवेश द्वार है। इस जगह गणेश, कार्तिकेय और पार्वती के छोटे आकार के चित्र भी देखने को मिलते हैं। यहाँ पर गर्भगृह की छत को ढकने वाली घोड़ी चांदी इस तीर्थ जगह की भव्यता को और भी ज्यादा बढ़ाती है। मंदिर में बरामदे के उत्तरी भाग में एक कक्ष हैं, जिसमें भगवान श्रीराम और देवी अवंतिका के चित्रों की पूजा की जाती है। बता दें कि महाकालेश्वर मंदिर में पूजा अर्चना और अभिषेक आरती सहित सभी अनुष्ठान पूरे साल नियमित रूप से किए जाते हैं।

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महाकाल मंदिर के 5 रोचक तथ्य जान कर हर कोई है हैरान

महाकालेश्वर मंदिर के पांच हैरान कर देने वाले रोचक तथ्य :

1) महाकाल मंदिर के सामने से कोई बात नहीं निकलती क्योंकि बाबा के सामने कोई घोड़े में सवारी नहीं कर सकता।

2) एक बार कई लोगों ने मंदिर पर हमला करने का प्लैन बनाया लेकिन वह दूसरे दिन फुटपाथ पर मरे पड़े मिले।

3) नंबर थ्री कई लोगों को लगता है कि बाबा की सुबह होने वाली भस्मआरती के लिए श्मशान से रख लाई जाती है। लेकिन असल में वो राख हवन कुंड में जली लकड़ी और कंडों की होती है।

4) माना जाता है कि महाकाल के दर्शन आप तब तक नहीं कर सकते जब तक बाबा की मर्जी ना हो। कई बार लोग दूर दूर से आने के बाद भी इनके दर्शन नहीं कर पाते।

5) महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंगों में भक्त केवल 500 ग्राम तक ही दूध चढ़ा सकते हैं जो कि सैकड़ों सालों से ज्यादा स्पर्श करने से शिवलिंग को छति पहुँच रही है। अता प्रशासन ने इसलिए इस नियम को लागू किया है।

महाकाल की नगरी उज्जैन में रात को रुकना क्यों मना है? – Mahakal Mandir Ke Rahasya

उज्जैन की ख्याति प्राचीन काल से ही धार्मिक नगरी के तौर पर देखी गई है। यहाँ लंबे समय तक राजा विक्रमादित्य का शासन रहा था। महाकाल मंदिर की भस्म आरती विशेष प्रसिद्ध है, जिसे देखने के लिए दूर दूर से दर्शनार्थी यहाँ पर आते हैं। ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव को अर्पित की गई भस्म का तिलक लगाना चाहिए। जीस प्रकार भस्म से कई प्रकार की वस्तुएं शुद्ध व साफ हो जाती है। उसी प्रकार भगवान शिव को अर्पित की गई भस्म का तिलक लगाने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। साथ ही कई जन्मों के पापों से भी मुक्ति मिलती है।

पहले किसी भी राजा को महाराज महाकाल की नगरी उज्जैन में ठहरने की इजाजत नहीं थी। ऐसा इसलिए था क्योंकि कहा जाता है कि सदियों पहले कोई और राजा एक रात यहाँ गुजार लें तो उसे अपनी सल्तनत गंवानी पड़ती थी। इसी वजह से महाकाल की शरण में रहने के लिए सिंधिया राजघराने ने महल बनवाया। उस समय से सिंधिया राजघराने ने उज्जैन में कालीदह महल अपने ठहरने के लिए बनवाया था।

कहा जाता है उज्जैन आने पर सिंधिया महाराज इसी महल में ठहरा करते थे। आज भी प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री रात के समय उज्जैन में नहीं रुकते हैं। साथ ही कांग्रेस सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया भी इस नगरी में रात के समय नहीं रुकते हैं। यह कथा आज भी उस जमाने की तरह ही सच है। आज भी उज्जैन के राजा बाबा महाकाल ही है। पौराणिक कथाओं व सिंहासन बत्तीसी के अनुसार राजा भोज के समय से ही कोई भी राजा यहाँ पर रात्रि निवास नहीं करता है।

उज्जैन का महाकालेश्वर मंदिर में मनाये जाने वाले त्यौहार

हम आपको इस मंदिर में मनाए जाने वाले सभी मुख्य त्योहार और होने वाले समारोह के बारे में बताने जा रहे हैं। नित्य यात्रा बता दें कि नित्य यात्रा में शामिल होने वाले सभी भक्त यहाँ की पवित्र नदी शिप्रा में स्नान करते हैं और इसके बाद इस यात्रा में नागचंद्रेश्वर, कोटेश्वर, महाकालेश्वर देवी, अवंतिका देवी हर सकते और अगरसेन वारा के दर्शन किए जाते हैं। महाकाल यात्रा इस यात्रा की शुरुआत रुद्रसागर से होती है। रुद्रसागर में स्नान के बाद एक भक्त देव के दर्शन करते हैं तो श्री श्रावण महीने के हर सोमवार उज्जैन की सड़कों पर होती हैं। पवित्र सवारी जुलूस को कुछ विशेष समय पर निकाला जाता है। भाद्रपद के अंधेरे पखवाड़े में यह सवारी लाखों लोगों को आकर्षित करती है। इस यात्रा को बहुत ही धूमधाम के साथ निकाला जाता है। विजयादशमी उत्सव के दौरान यह जुलूस काफी रोमांचक और आकर्षक होता है।

महाकालेश्वर मंदिर की भस्म आरती

महाकालेश्वर मंदिर में रोजाना होने वाली भस्म आरती सबसे खास होती है। यहाँ आरती सुबह होने से पहले होती है जो भगवान शिव को जगाने के लिए की जाती है। इस धार्मिक अनुष्ठान के दौरान ने भगवान की पूजा घाटों से लाई गई पवित्र राख से की जाती है। आरती का आयोजन करने से पहले राख को लिंगं में लगाया जाता है। आरती में शामिल होने वाले लोगों की खुशी और उल्लास की सबसे बड़ी वजह ये होती है की यहाँ आरती एकमात्र महाकालेश्वर मंदिर में ही की जाती है।

महाकालेश्वर मंदिर भस्म आरती बुकिंग

इस आरती में शामिल होने के टिकट ऑनलाइन उपलब्ध है और इसके लिए आपको 1 दिन पहले आवेदन करना होगा। आवेदन केवल 12:30 बजे तक स्वीकार किए जाते हैं। इसके बाद शाम 7:00 बजे सूची घोषित की जाती है। अगर आप उज्जैन महाकालेश्वर के दर्शन के लिए जा रहे हैं और यहाँ की सबसे खास भस्मआरती में शामिल होना चाहते हैं तो बता दे की यह आरती बहुत विशेष होती है।

FAQS: Mahakal Temple Ujjain in Hindi

उज्जैन का महाकालेश्वर मंदिर क्यों फेमस है?

उज्जैन का महाकालेश्वर मंदिर भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। मंदिर स्वयंभू है, अर्थात् यह स्वयं प्रकट हुआ है। मंदिर दक्षिणमुखी है, जो भगवान शिव के त्रिशूल के दक्षिणमुखी होने के समान है। इन विशेषताओं के कारण महाकालेश्वर मंदिर को अत्यंत पवित्र और पूजनीय माना जाता है। यह मंदिर हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण मंदिरों में से एक है। इसलिए, उज्जैन का महाकालेश्वर मंदिर अपने पवित्रता, ऐतिहासिक महत्व और वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है

महाकालेश्वर मंदिर में क्या नियमित रूप से किया जाता है?

महाकालेश्वर मंदिर में नियमित रूप से प्रातःकाल और सायंकाल की आरती, भगवान शिव का अभिषेक और पूजा की जाती है। इसके अलावा, प्रति सोमवार भगवान शिव की सवारी निकाली जाती है।

महाकालेश्वर मंदिर को महाकाल क्यों कहा जाता है?

महाकालेश्वर मंदिर को महाकाल इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह भगवान शिव को समर्पित है। भगवान शिव को मृत्यु और काल का देवता माना जाता है। संस्कृत में, काल का अर्थ है समय और मृत्यु। काल और मृत्यु दोनों को परास्त करने वाला महाकाल कहलाता है। भगवान शिव समय और मृत्यु पर विजय प्राप्त करते हैं, इसलिए उन्हें इस नाम से बुलाया जाता है।

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