क्या आप जानते हैं कि भारत में ऐसे भी मंदिर है जहाँ सिर्फ महिलाएं प्रवेश कर सकती है और पुरुषों का जाना मना है। यह मंदिर भारत में अलग अलग जगहों पर है। इस लेख के माध्यम से हम ऐसे मंदिरों के बारे में जानेगे जिन्हे भारत मंदिरों की भूमि के रूप में जाना जाता है। भव्य, सरल, अलंकृत से लेकर पवित्र मंदिरों तक आस्था के ये प्रतीक देश के लगभग हर कोने में देखे जा सकते हैं। किसी भी मंदिर या धार्मिक स्थल पर जाना वास्तव में शांति प्रदान करता है। वहाँ की वास्तुकला, सुगंधित प्रसाद और गूंजने वाले अनुष्ठान मन को सुख और प्रफुल्लित कर देते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में ऐसे भी मंदिर है जहाँ परम्पराएं पुरुषों के प्रवेश पर रोक लगाती है या कुछ दिन ऐसे होते हैं जब मंदिर परिसर में महिलाओं का वर्चस्व होता है और तब केवल महिलाओं को ही पूजा करने के लिए परिसर में प्रवेश करने की अनुमति होती है। आइए जानते हैं इन मंदिरों के बारे में जहां परुष का जाना मना है।
देवी कन्याकुमारी या कुमारी अम्मन मंदिर – Goddess Kanyakumari or Kumari Amman Temple

कन्याकुमारी में स्थित कुमारी अम्मन मंदिर के गर्भगृह में माँ भगवती दुर्गा है। यहाँ केवल सन्यासी यानी ब्रह्मचारी पुरुष को मंदिर के द्वार तक जाने की अनुमति है, जबकि विवाहित पुरुषों को परिसर में प्रवेश करने की मनाही है। ऐसा माना जाता है की यह वह स्थान है जहाँ माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए तपस्या की थी। उसी स्थान पर मंदिर बना हुआ है। कन्या कुमारी के इस मंदिर में कन्या यानी कुंवारी माँ भगवती दुर्गा की पूजा केवल महिलाएं ही करती है।
देवी कन्याकुमारी मंदिर की जानकारी
विशेषता | देवी कन्याकुमारी |
स्थान | कन्याकुमारी, तमिलनाडु, भारत |
देवता | पार्वती देवी |
श्रेणी | शक्तिपीठ |
स्थापना | 16वीं सदी |
वास्तुकला | मंदिर एक चतुर्भुज योजना में बनाया गया है और इसमें एक गर्भगृह, एक अंतराल, एक नंदी मंडप और एक मंडप है। |
त्योहार | नवरात्रि, कार्तिक पूर्णिमा और होली |
कामाख्या मंदिर असम – Kamakhya Temple Assam

यह शायद भारतीय मंदिरों में सबसे प्रसिद्ध है जहाँ पुरुषों को वर्ष के कुछ निश्चित समय के दौरान मंदिर परिसर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं होती है। असम के पश्चिम गुवाहाटी में नीलांचल पहाड़ियों पर स्थित यह एक शक्तिपीठ मंदिर है जो भव्य अंबुबाची मेले का आयोजन करता है। जहाँ दूर दूर से भक्त आते हैं। इस दौरान मंदिर का मुख्यद्वार चार दिनों तक बंद रहता है। ऐसी मान्यता है कि इन दिनों देवी के मासिक धर्म का समय होता है। पी। इस अवसर पर पुरुषों को मंदिर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं है और उन दिनों केवल महिला पुजारी या सन्यासियों को मंदिर में पूजा पाठ और बाकी अन्य कामों को करने की अनुमति होती है।
कामाख्या मंदिर की जानकारी
विशेषता | कामाख्या मंदिर |
स्थान | गुवाहाटी, असम, भारत |
देवता | देवी सती |
श्रेणी | शक्तिपीठ |
स्थापना | 1565 |
वास्तुकला | मंदिर एक पहाड़ी पर स्थित है और इसमें एक गर्भगृह, एक अंतराल, एक नंदी मंडप और एक मंडप है। |
भगवान ब्रह्मा मंदिर – Lord Brahma Temple

राजस्थान के पुष्कर में स्थित ब्रह्मा मंदिर हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण मंदिरों में से एक है। यह दुनिया का एकमात्र ब्रह्मा मंदिर है, जो हिंदू धर्म के तीन प्रमुख देवताओं में से एक को समर्पित है। मंदिर में एक अनोखा नियम है कि विवाहित पुरुषों को गर्भगृह में प्रवेश करने की अनुमति नहीं है। इस नियम के पीछे एक पौराणिक कथा है। कथा के अनुसार, एक बार भगवान ब्रह्मा ने अपनी पत्नी सरस्वती के साथ पुष्कर झील के तट पर यज्ञ किया था। लेकिन किसी कारणवश सरस्वती को देरी हो गई। इस बीच ब्रह्मा ने गायत्री के साथ शादी कर यज्ञ पूरा कर लिया।
इस बात से सरस्वती बहुत नाराज हुईं और उन्होंने ब्रह्मा को श्राप दिया कि अब से कोई भी विवाहित पुरुष उनके मंदिर में प्रवेश नहीं कर पाएगा। इस श्राप के कारण आज भी ब्रह्मा मंदिर में विवाहित पुरुषों को गर्भगृह में प्रवेश करने की अनुमति नहीं है। वे केवल मंदिर के बाहर से ही दर्शन कर सकते हैं।
विशेषता | भगवान ब्रह्मा मंदिर |
स्थान | पुष्कर, राजस्थान, भारत |
देवता | भगवान ब्रह्मा |
स्थापना | 14वीं शताब्दी |
वास्तुकला | मंदिर एक चतुर्भुज योजना में बनाया गया है और इसमें एक गर्भगृह, एक अंतराल, एक नंदी मंडप और एक मंडप है। |
त्योहार | मंदिर में कई त्योहार मनाए जाते हैं, जिनमें नवरात्रि, कार्तिक पूर्णिमा और होली शामिल हैं। |
महत्व | मंदिर हिंदू धर्म के कसबसे महत्वपूर्ण मंदिरों में से एक हैं। |
अट्टकल भगवती मंदिर – Attukal Bhagavathy Temple

केरल। केरल का अट्टकल भगवती मंदिर में एक त्यौहार का आयोजन किया जाता है। जिसमें महिलाओं का वर्चस्व होता है। और जिम्मेदारी महिलाओं के हाथ में होती है। अट्टुकल पोंगल के दौरान यहाँ का मुख्य त्योहार यह मंदिर हजारों महिला भक्तों की एक मंडली में बदल जाता है। या यूं कहें कि हर तरफ सिर्फ महिला श्रद्धालुओं की ही भीड़ दिखाई देती है। यही आपको बता दें कि महिलाओं की इतनी भारी संख्या को लेकर गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में जगह बनाई या अपना नाम दर्ज करवा रखा है। लगभग 10 दिन तक मनाए जाने वाला यह त्योहार फरवरी और मार्च के बीच मनाया जाता है।
अट्टकल भगवती मंदिर की जानकारी
विशेषता | अट्टकल भगवती मंदिर |
स्थान | तिरुवनंतपुरम, केरल, भारत |
देवता | भद्रकाली / दुर्गा / कन्नाकी देवी |
श्रेणी | शक्तिपीठ |
स्थापना | 10वीं शताब्दी |
वास्तुकला | मंदिर एक चतुर्भुज योजना में बनाया गया है और इसमें एक गर्भगृह है। |
त्योहार | पोंगल और चैत्र पूर्णिमा |
चक्कूलथु मंदिर – Chakkulathu Temple

केरल में स्थित यहाँ एक और मंदिर हैं जो देवी भगवती को समर्पित है। इस मंदिर में पुरुषों को वर्ष के एक विशिष्ट समय के दौरान प्रवेश करने की अनुमति नहीं है। यहाँ नारी पूजा हर साल दिसंबर के पहले शुक्रवार के दौरान आयोजित की जाती है। जहाँ पुरुष पुजारी उन सभी महिला भक्तों के पैर धोते हैं जो 10 दिनों से उपवास कर रही है। इस दिन को धनु कहा जाता है। और इस दिन केवल महिलाएं ही मंदिर में प्रवेश कर सकती है। इस दिन महिलाएं बड़ी संख्या में पूजा करने के लिए एकत्रित होती है।
चक्कूलथु मंदिर की जानकारी
विशेषता | चक्कूलधु मंदिर |
स्थान | चोबरी, गुजरात, भारत |
देवता | शिव भगवान |
श्रेणी | लिंगायत मंदिर |
स्थापना | 15वीं शताब्दी |
वास्तुकला | एक गर्भगृह, एक अंतराल, एक नंदी मंडप और एक मंडप है |
महत्व | मंदिर गुजरात के सबसे महत्वपूर्ण हिंदू मंदिरों में से एक है। |
FAQS: 5 Temples Of India Where Men Are Not Allowed
देवी कन्याकुमारी मंदिर में पुरुषों की अनुमति क्यों नहीं है?
देवी कन्याकुमारी मंदिर में पुरुषों की अनुमति नहीं है क्योंकि इस मंदिर में देवी पार्वती को एक कन्या के रूप में पूजा जाता है। इस मंदिर में मान्यता है कि देवी पार्वती एक कन्या थी जिसे अविवाहित रखा जाना चाहिए। इसलिए, इस मंदिर में पुरुषों को प्रवेश नहीं करने दिया जाता है।
क्या कामाख्या मंदिर में पुरुष प्रवेश कर सकते हैं?
नहीं, कामाख्या मंदिर में पुरुष प्रवेश नहीं कर सकते हैं। यह मंदिर देवी सती को समर्पित है, जिनकी मृत्यु के बाद उनके शरीर के कई हिस्से अलग-अलग स्थानों पर गिरे थे। कामाख्या मंदिर में देवी सती के योनि के भाग को माना जाता है। इस मंदिर में मान्यता है कि देवी सती एक विवाहित महिला थीं, और इसलिए, इस मंदिर में केवल महिलाओं को प्रवेश करने की अनुमति है।
पुरुष मंदिरों में अपनी कमीज क्यों उतारते हैं?
पुरुष मंदिरों में अपनी कमीज उतारते हैं क्योंकि यह एक प्रकार की शुद्धिकरण प्रक्रिया है। यह माना जाता है कि इससे शरीर से अशुद्धता दूर होती है और भक्त भगवान के समक्ष अधिक विनम्रतापूर्वक प्रकट हो सकते हैं।
क्या कन्याकुमारी मंदिर में शॉर्ट्स की अनुमति है?
नहीं, कन्याकुमारी मंदिर में शॉर्ट्स की अनुमति नहीं है। इस मंदिर में सभी भक्तों को लंबे कपड़े पहनने की आवश्यकता होती है। पुरुषों को कुर्ता या धोती पहननी चाहिए, जबकि महिलाओं को साड़ी या सलवार कमीज पहननी चाहिए।
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