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चित्रगुप्त पूजा 2024: जानिए महत्व, तिथि, मुहूर्त और पूजा विधि

चित्रगुप्त पूजा हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान चित्रगुप्त की पूजा की जाती है। भगवान चित्रगुप्त यमराज के लेखाकार हैं। वे सभी मनुष्यों के कर्मों का लेखा-जोखा रखते हैं। चित्रगुप्त पूजा करने से यमराज के न्याय से भय नहीं रहता है। चित्रगुप्त पूजा को दावत पूजन के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन लोग लेखी-दावत (लेखन-स्याही) की पूजा करते हैं। ऐसा माना जाता है कि चित्रगुप्त जी लेखन और स्याही के माध्यम से ही सभी मनुष्यों के कर्मों का लेखा-जोखा रखते हैं। इसलिए इस दिन लेखन और स्याही की पूजा करने से हमें बुद्धि, वाणी और लेखन का आशीर्वाद मिलता है। चित्रगुप्त पूजा 2024 का शुभ मुहूर्त कब है, चित्रगुप्त पूजा कब होगी, चित्रगुप्त पूजा 2024 की पूर्ण पूजा विधि क्या है? और साथ ही जानेंगे चित्रगुप्त पूजा 2024 से जुड़े रोचक तथ्य बारे में। इन सबके बारे में संपूर्ण जानकारी जानने के लिये पोस्ट को अंत तक ज़रूर पढ़े।

चित्रगुप्त का क्या अर्थ है?

चित्रगुप्त का अर्थ है गुप्त चित्र। यह एक हिंदू देवता हैं जो यमराज के लेखाकार हैं। वे सभी मनुष्यों के कर्मों का लेखा-जोखा रखते हैं।

चित्रगुप्त नाम दो शब्दों से मिलकर बना है: चित्र और गुप्त। चित्र का अर्थ है “चित्र” या “लेख” और गुप्त का अर्थ है “गुप्त” या “छिपा हुआ”। इसलिए, चित्रगुप्त का अर्थ है गुप्त चित्र या छिपा हुआ लेख। यह इस तथ्य को दर्शाता है कि चित्रगुप्त यमराज के लिए सभी मनुष्यों के कर्मों का लेखा-जोखा रखते हैं, जो एक गुप्त प्रक्रिया है।

चित्रगुप्त को अक्सर एक राजा के रूप में चित्रित किया जाता है जो एक लेखाकार की पोशाक पहने हुए है। उनके पास एक लेखनी और एक कलम है, जो उनके काम का प्रतिनिधित्व करते हैं।

चित्रगुप्त प्रकटोत्सव 2024 कब है?

14 नवंबर 2024 को चित्रगुप्त पूजा का आयोजन है और यह दिन विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। इस दिन का महत्व हमारे पंचांग में उपलब्ध है और हम इसे ध्यानपूर्वक मनाते हैं। चित्रगुप्त पूजा के दिन भगवान चित्रगुप्त का स्मरण करने से हमारे जीवन में कई तरह के लाभ होते हैं, जैसे कि कार्य में उन्नति, आकर्षित वाणी और बुद्धि में वृद्धि। इस दिन को ध्यान में रखकर हम अपने कर्मों को सुधार सकते हैं और अधिक साफ़ दिशा में आगे बढ़ सकते हैं।

चित्रगुप्त पूजा का इतिहास क्या है?

चित्रगुप्त देव का जन्म ब्रह्मा जी की काया से हुआ था। इसलिए उन्हें कायस्थ कहा जाता है। उनसे उत्पन्न मानव भी कायस्थ कहलाते हैं। इन्हें कायस्थ जाति का जन्मदाता माना जाता है।

चित्रगुप्त देव का जन्म : भगवान विष्णु की नाभि से उत्पन्न कमल पर ब्रह्मा जी का जन्म हुआ। उन्हें सृष्टि का सृजन करने का कार्य मिला। इस कारण उन्होंने देवी-देवता, सुर-असुर और धर्मराज आदि उत्पन्न किए। इनमें संसार को गतिशील बनाने हेतु यमराज का जन्म किया, जिन्हें मृत्यु का स्वामी बनाया गया। इस कार्य का भार अधिक था, जिसके लिए यमराज ने एक सहायक की मांग की। तब ब्रह्मा जी ने हजार वर्षों तक तपस्या की और उनकी काया से पुरुष का जन्म हुआ।

कायस्थ जाति की उत्पत्ति : हिंदू मान्यता के अनुसार, ब्रह्मा जी ने अपने शरीर के अलग-अलग हिस्सों से पहले 16 पुत्रों को जन्म दिया, और फिर इसके बाद अपने पेट से भगवान चित्रगुप्त का जन्म किया। जिस कारण उनका नाम चित्रगुप्त पड़ा।

इस प्रकार अधिक मास के वर्ष में कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वीज को चित्रगुप्त का जन्म हुआ, इसलिए इसे चित्रगुप्त जयंती के रूप में प्रति वर्ष भाई दूज के दिन मनाया जाता है।

चित्रगुप्त देव का कार्य : चित्रगुप्त देव एक लेखक कहे जाते हैं जो मनुष्य के जीवन का सार विस्तार लिखते हैं। उनके चित्र में उनके एक हाथ में किताब है, जिसमें मनुष्य के कर्मों का ब्यौरा है, दूसरे हाथ में कलम है और अन्य में दंड और करवाल हैं। इस तरह वे मनुष्य के कर्मों के लेखा के लिए सदैव सज्ज रहते हैं और उसके अनुसार उसकी नियति तय करते हैं।

चित्रगुप्त पूजा का शुभ मुहूर्त

चित्रगुप्त पूजा के दिन, हमें अच्छे मुहूर्त का अध्ययन करना चाहिए ताकि हम इसे अधिक विशेष बना सकें। इस दिन पूजा करने के लिए अगले मुहूर्त उपयुक्त होते हैं:

सुबह का मुहूर्तसुबह 10.48 से दोपहर 12.13 बजे तक
अभिजित मुहूर्त11.50 से दोपहर 12.36 बजे तक
अमृत काल मुहूर्तशाम 05.00 से शाम 06.36 बजे तक

चित्रगुप्त भगवान की पूजा की विधि:

चित्रगुप्त देव की पूजा भाई दूज के दिन की जाती है। इस दिन चित्रगुप्त देव की प्रतिमा को घर में स्थापित कर उनकी पूजा की जाती है। पूजा में चित्रगुप्त देव को फल, फूल, मिठाई, धूप, दीप, नैवेद्य आदि अर्पित किए जाते हैं। उनकी पूजा के बाद आरती की जाती है।

  • सबसे पहले घर को साफ-सुथरा कर लें।
  • फिर एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं।
  • उस पर भगवान चित्रगुप्त की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
  • प्रतिमा के सामने धूप, दीप, नैवेद्य आदि अर्पित करें।
  • चित्रगुप्त जी की आरती करें।

भगवान चित्रगुप्त से अपने कर्मों का लेखा-जोखा ठीक रखने और अच्छे कर्मों का फल देने की प्रार्थना करें।

चित्रगुप्त पूजा समान लिस्ट:

चन्दन पेस्टतिल
कपूरपान
सुपाड़ीशक्कर
पेनपेपर
इंकगंगा जल
धानरुई
शहरपिली सरसों
धुपदही
मिठाईएक कपड़ा
दूधफल
पंचपात्रगुलाल
तुलसीरोली
केसरमाचिस

चित्रगुप्त भगवान की पूजा का कथा विस्तार :

एक समय की बात है, एक कायस्थ ब्राह्मण था जिसका नाम चित्रगुप्त था। वह एक विद्वान और न्यायप्रिय व्यक्ति था। एक दिन, चित्रगुप्त ने भगवान ब्रह्मा से विनती की कि वे उसे मनुष्य के कर्मों का लेखा-जोखा रखने की शक्ति प्रदान करें। भगवान ब्रह्मा ने उनकी विनती स्वीकार कर ली और उन्हें चित्रगुप्त नाम दिया।

चित्रगुप्त यमराज के सहायक बन गए और वे मनुष्य के कर्मों का लेखा-जोखा रखने लगे। मृत्यु के बाद, चित्रगुप्त यमराज के सामने मनुष्य के कर्मों का लेखा-जोखा प्रस्तुत करते हैं। यमराज उसी आधार पर मनुष्य को उसके कर्मों के अनुसार फल देते हैं।

चित्रगुप्त को लेखन और लेखन कौशल का भी देवता माना जाता है। इसलिए, लोग चित्रगुप्त पूजा के दिन अपने बहीखातों और कलम की पूजा करते हैं। वे भगवान चित्रगुप्त से अच्छे लेखन और लेखन कौशल का आशीर्वाद मांगते हैं।

चित्रगुप्त पूजा का महत्व क्या है जाने

चित्रगुप्त पूजा धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कर्मों के महत्व को प्रमोट करने और अच्छे कर्मों की प्रोत्साहना करने में मदद करती है और यह भक्तों को अपने कर्मों के लिए जिम्मेदारी से देखने की प्रेरणा प्रदान करती है। इसलिए, चित्रगुप्त पूजा हिन्दू संस्कृति में महत्वपूर्ण है और यह व्यक्ति को अच्छे कर्मों की ओर प्रोत्साहित करने का माध्यम होता है। चित्रगुप्त को लोग मिथ्या और सच्चाई के रिकॉर्ड करने वाले देवता मानते हैं। इसलिए इस दिन कई लोग अपने कार्यों और विचारों को मिथ्या से दूर रखने का निश्चित उपाय ढूंढते हैं।

  • कर्मों का महत्व- चित्रगुप्त पूजा द्वादशी के दिन मनाई जाती है, जिससे कर्मों का महत्व प्रमोट किया जाता है। यह दिन लोगों को अच्छे कर्मों के प्रति प्रेरित करता है और बुरे कर्मों से बचने की दिशा में मार्गदर्शन प्रदान करता है।
  • पुण्य का अवसर- इस पूजा के दिन लोग दान-दानविरासन, तीर्थयात्रा, और अच्छे कार्यों करके पुण्य कमाने का प्रयास करते हैं।
  • सामाजिक एकता- चित्रगुप्त पूजा के दिन लोग सामाजिक और पारिवारिक तौर पर एक साथ होते हैं और एक-दूसरे के साथ समय बिताते हैं, जिससे सामाजिक एकता बढ़ती है।

इस तरह, चित्रगुप्त पूजा एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सामाजिक आयोजन है जो लोगों को मिथ्या और सच्चाई के प्रति सजग रहने और अच्छे कर्मों का पालन करने के लिए प्रोत्साहित करता है।

चित्रगुप्त की पूजा क्यों की जाती है?

चित्रगुप्त देव की पूजा निम्नलिखित कारणों से की जाती है:

  • न्याय के देवता के रूप में : चित्रगुप्त देव को न्याय का देवता माना जाता है। वे मनुष्य के कर्मों का लेखा-जोखा रखते हैं और उसके अनुसार उसकी नियति तय करते हैं। इसलिए, उनकी पूजा से मनुष्य को न्याय प्राप्त होता है।
  • कर्मों के लेखा-जोखा के लिए : चित्रगुप्त देव मनुष्य के कर्मों का लेखा-जोखा रखते हैं। वे प्रत्येक व्यक्ति के अच्छे और बुरे कर्मों को लिखते हैं। इसलिए, उनकी पूजा से मनुष्य के कर्मों का लेखा-जोखा ठीक रहता है।
  • अच्छे कर्मों के फल के लिए : चित्रगुप्त देव अच्छे कर्मों के फल को प्रदान करते हैं। इसलिए, उनकी पूजा से मनुष्य को अच्छे कर्मों का फल मिलता है।
  • पापों से मुक्ति के लिए : चित्रगुप्त देव पापों से मुक्ति प्रदान करते हैं। इसलिए, उनकी पूजा से मनुष्य को पापों से मुक्ति मिलती है।
  • सुखमय जीवन के लिए : चित्रगुप्त देव सुखमय जीवन प्रदान करते हैं। इसलिए, उनकी पूजा से मनुष्य को सुखमय जीवन मिलता है।

भगवान चित्रगुप्त जी की वंशावली

भानुविभानु
विश्वभानुवीर्यभानु
चारुसुचारु
चित्राख्यमतिभान
हिमवानचित्रचारु
चित्रचरणअतीन्द्रिय

चित्रगुप्त की पूजा कौन करता है?

चित्रगुप्त देव की पूजा मुख्य रूप से निम्नलिखित लोगों द्वारा की जाती है:

  • कायस्थ समुदाय के लोग- कायस्थ समुदाय के लोग चित्रगुप्त देव को अपना आराध्य देव मानते हैं। इसलिए, वे चित्रगुप्त देव की पूजा विशेष रूप से करते हैं।
  • लेखक और कलाकार- चित्रगुप्त देव को लेखन और कला के देवता माना जाता है। इसलिए, लेखक और कलाकार चित्रगुप्त देव की पूजा करते हैं।
  • न्यायपालिका के लोग- चित्रगुप्त देव को न्याय के देवता माना जाता है। इसलिए, न्यायपालिका के लोग चित्रगुप्त देव की पूजा करते हैं।
  • व्यवसाय करने वाले लोग- चित्रगुप्त देव को लेखन और कला के देवता माना जाता है। इसलिए, व्यवसाय करने वाले लोग भी चित्रगुप्त देव की पूजा करते हैं।

चित्रगुप्त पूजा की शुभकामनाएं

चित्रगुप्त पूजा के इस खास मौके पर मैं आपको ढेर सारी शुभकामनाएं भेजता हूँ। चित्रगुप्त जी को अपने उचित कर्मों की रक्षा करने के लिए यह पूजा आपको आत्मशुद्धि और सफलता की दिशा में मार्गदर्शन करे। आपके जीवन में सफलता और सुख-शांति की प्राप्ति हो, यही मेरी शुभकामना है। चित्रगुप्त पूजा के इस महत्वपूर्ण पर्व को खुशियों और आदर से मनाएं, और अच्छे कर्मों का पालन करते रहें। शुभ चित्रगुप्त पूजा!

FAQS: चित्रगुप्त पूजा 2024

भारत में कितने चित्रगुप्त मंदिर हैं?

भारत में कई चित्रगुप्त मंदिर हैं, लेकिन उनकी संख्या बदलती रहती है, और इसका सटीक आंकड़ा अपडेट हो सकता है। चित्रगुप्त जी के पूजा के लिए समर्पित कई मंदिर भारत के विभिन्न हिस्सों में हैं, जैसे कि उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, और तमिलनाडु में। चित्रगुप्त मंदिर भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल होते हैं, और इनमें से कुछ बहुत प्रसिद्ध और प्राचीन हैं।

चित्रगुप्त जयंती कब है 2024?

चित्रगुप्त जयंती इस साल 14 नवंबर 2024 मंगलवार को मनाई जाएगी। यह दिन अधिक मास के वर्ष में कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान चित्रगुप्त का जन्म हुआ था।

चित्रगुप्त पूजा में क्या लिखें?

श्री चित्रगुप्त देव, आप मेरे बहीखातों के रक्षक हैं। आपसे मैं अच्छे लेखन और लेखन कौशल का आशीर्वाद मांगता हूं। आपसे मैं अपने कर्मों का लेखा-जोखा ठीक रखने और अच्छे कर्मों का फल देने की प्रार्थना करता हूं।

चित्रगुप्त का क्या काम है?

चित्रगुप्त को देवताओं का लेखपाल और यमराज का सहायक माना जाता है। उनका काम मनुष्य के कर्मों का लेखा-जोखा रखना है। वे मनुष्य के अच्छे और बुरे दोनों कर्मों को लिखते हैं। मृत्यु के बाद, चित्रगुप्त यमराज के सामने मनुष्य के कर्मों का लेखा-जोखा प्रस्तुत करते हैं। यमराज उसी आधार पर मनुष्य को उसके कर्मों के अनुसार फल देते हैं।

चित्रगुप्त का पहला पुत्र कौन था?

चित्रगुप्त के पहले पुत्र का नाम चारु था।

चित्रगुप्त आरती

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