मंगलवार, जुलाई 8, 2025
होमगीतहै माटी के दिए हम तो, हवा से कैसे टकराते | HAR...

है माटी के दिए हम तो, हवा से कैसे टकराते | HAR HAR SHAMBHU Lyrics (Full Bhajan) by Jubin Nautiyal, Payal Dev, Manoj Muntashir Shukla, Kashan |T-Series

चन्द्रमा ललाट जागे जटाओ में गंगा सोई
तेरे जैसा आदि योगी हुआ है न होगा कोई
हाँ ……
चन्द्रमा ललाट जागे जटाओ में गंगा सोई
तेरे जैसा आदि योगी हुआ है न होगा कोई

बाबा इतना सरल तू, हर प्राथना का फल तू
मेरे भोले शंभु हर हर शंभु, निर्बलों का है बल तू
है माटी के दिए हम तो, हवा से कैसे टकराते
तेरे हाथों ने घेरा है, नहीं तो कब के बुझ जाते
है माटी के दिए हम तो, हवा से कैसे टकराते
तेरे हाथों ने घेरा है, नहीं तो कब के बुझ जाते

दुख के सिलवटे आई जब हमारे माथे पर
कोई ढूँढा है शिवाला और झुका दिया है सर
धडकनो से आती है अब कहाँ धवनि कोई
आठो पहर सीने में गूँजता है हर हर हर

बाबा दर्शन तू नयन तू
बाबा रत्नो का रत्न तू
मेरे भोले शंभु हर हर शंभु
निर्धनों का है धन तू

तेरे पग में न झुकते तो, उठा के सर न जी पाते
तेरे बिन कौन है मरुथल में भी जो मेघ बरसादे
है माटी के दिए हम तो हवा से कैसे टकराते
तेरे हाथों ने घेरा है, नहीं तो कब के बुझ जाते

दानियो का दानी है तू सारी श्रिष्टि याचक है
नाथ भय उसे है किसका जो तेरा उपाशक है
आते जाते रहते है धुप छाओ से नाते
तू पिता है तेरी करुणा जन्म से चिता तक है

बाबा जीवन तू मरण तू
बाबा ममता की छुवन तू
मेरे भोले शंभु हर हर शंभु
सब सुखो का कारन तू

कोई गिनती नहीं जग में करम तेरे जो गिनवा दे
समुन्दर स्याही होता तो तेरे उपकार लिख पाते
है माटी के दिए हम तो हवा से कैसे टकराते
तेरे हाथों ने घेरा है, नहीं तो कब के बुझ जाते

है माटी के दिए हम तो हवा से कैसे टकराते
तेरे हाथों ने घेरा है, नहीं तो कब के बुझ जाते

Share this content:

RELATED ARTICLES

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

Most Popular