मंगलवार, जुलाई 8, 2025
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श्री ज्ञान सरस्वती मंदिर (Shri Gyan Saraswati Temple) का इतिहास, रहस्य और अन्य महत्वपूर्ण बातें

श्री ज्ञान सरस्वती मंदिर (Shri Gyan Saraswati Temple) : हिन्दू धार्मिक स्थलों में माता सरस्वती के अनेकों मंदिर स्थापित है, लेकिन उनमे से सबसे प्रमुख श्री ज्ञान सरस्वती मंदिर (Shri Gyan Saraswati Temple) है। इस मंदिर की स्थापना सर्वप्रथम महर्षि वेद्वास जी ने की थी। श्री ज्ञान सरस्वती मंदिर (Shri Gyan Saraswati Temple) की सबसे प्रमुख बात यह है कि यहाँ पर मंदिर के एक स्तम्भ से 7 सुरों की धनि सुनी जा सकती है, ऐसे ही अनेकों रहस्य है जिन्हें शायद आप ना जानते हों। मंदिर से जुड़े अन्य रहस्य, महत्व और मंदिर का इतिहास जानने के लिए इस आर्टिकल को अंत तक जरुर पढ़ें।

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श्री ज्ञान सरस्वती मंदिर का इतिहास | Shri Gyan Saraswati Temple History In Hindi

महाभारत के अनुसार, जब महर्षि व्यास मानसिक रूप से अशांत थे, तब वह अपने शिष्य और और विश्वामित्र के साथ शांत वातावरण में बसने का फैसला लिया था। जिसके परिणामस्वरूप वह दंडक वन पहुंचे, वहां के वातावरण से प्रसन्न होकर वहीं रहने लगे। महर्षि व्यास ने उस वन में काफी समय बिताया इसलिए इस जगह को ‘वासरा’ नाम से जाना जाता था। बाद में क्षेत्र में रहने वाले मराठी लोगों ने इसका नाम बदलकर “बसरा” रख दिया था।

इतिहासकारों के अनुसार, श्री ज्ञान सरस्वती मंदिर (Shri Gyan Saraswati Temple) मंजीरा और गोदावरी नदी के संगम में स्तिथ मंदिरों में सबसे प्रमुख मंदिर है। ऐतिहासिक रूप से कर्नाटक के प्राचीन राजा ने छठी शताब्दी में मंदिर का पूर्ण रूप से निर्माण करवाया था। लेकिन कुछ शताब्दियों के बाद 17वीं शताब्दी में मुस्लिम शासकों द्वारा मंदिर पर हमला कर दिया गया था, जिसकी वजह से मंदिर को ध्वस्त कर दिया गया। बाद में मुस्लिमों के जाने के बाद नंदगिरी के एक सरदार ने मंदिर का पुनः निर्माण करवाया।

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श्री ज्ञान सरस्वती मंदिर की महत्वपूर्ण जानकारियां

मंदिर का नामश्री ज्ञान सरस्वती मंदिर (Shri Gyan Saraswati Temple)
मंदिर की जगहबसरा, निर्मल, आंध्र प्रदेश (अदिलाबाद)
प्रमुख देवतामाता सरस्वती
सम्बंधित धर्महिन्दू
मंदिर समन्धित भाषाहिंदी, मराठी, तेलगु, अंग्रेजी
मंदिर की ऊंचाई579 मीटर
भोगौलिक18°52’40”N
निर्देशांक77°57’23”E
मंदिर के प्रमुख त्यौहारनौरात्री, बसंत पंचमी
मंदिर खुलने का समयप्रातः काल 3:30

श्री ज्ञान सरस्वती मंदिर का रहस्य

सुरों की देवी को भला कौन नहीं जानता होगा, जिसपे कृपा हो इस देवी की उसके जीवन में कभी अज्ञानता का अंधकार नहीं रहता। दक्षिण भारत में स्तिथ इस देवी का सबसे बड़ा मंदिर अपने साथ अनेकों रहस्यों को छुपाए है, जिसके बारे में बहुत कम लोग जानते होंगे। अगर आप भी श्री ज्ञान सरस्वती मंदिर (Shri Gyan Saraswati Temple) के अनसुने रहस्यों से अज्ञात है, तब आपको हमारे द्वारा बताए गए निम्लिखित रहस्यों को जरुर पढना चाहिए।

  • श्री ज्ञान सरस्वती मंदिर (Shri Gyan Saraswati Temple) का निर्माण अनोखे सफ़ेद पत्थरों से हुआ है।
  • श्री ज्ञान सरस्वती मंदिर (Shri Gyan Saraswati Temple) में माता सरस्वती की 4 फूट ऊँची भव्य मूर्ति स्थापित की गई है।
  • श्री ज्ञान सरस्वती मंदिर (Shri Gyan Saraswati Temple) की सबसे प्रमुख बात यह है की मंदिर के एक स्तम्भ में से 7 सुरों की ध्वनी सुनाई देती है, कोई भी व्यक्ति अगर इस स्तम्भ के पास रुकर ध्यान से सुने तो, यहाँ पर सरगम की धुन सुनी जा सकती है।
  • प्राचीन मान्यता के अनुसार श्री ज्ञान सरस्वती मंदिर से थोड़ी दुरी पर दत्त मंदिर स्थित है जहाँ से होकर एक विशाल सुरंग गोदावरी नदी तक जाती है, जिसकी मदद से उस समय के राजा पूजा के लिए इसी सुरंग से नदी तक जाते थे।
  • प्राचीन समय में महर्षि बाल्मीकि ने इसी जगह पर माता सरस्वती की प्रतिमा स्थापित की थी, इसके पश्चात उन्होंने देवी का आशीर्वाद लेकर रामायण का कुछ भाग मंदिर के पास ठहर कर लिखा था।
  • श्री ज्ञान सरस्वती मंदिर में माता सरस्वती के अलावा शिव, पार्वती और माता लक्ष्मी की प्रतिमा देखी जा सकती है।
  • श्री ज्ञान सरस्वती मंदिर (Shri Gyan Saraswati Temple) में एक प्रमुख पर्व की मान्यता है जिसे अक्षर ज्ञान के नाम से जाना जाता है।
  • मंदिर से 100 किलोमीटर की दूरी पर एक विशाल चट्टान मौजूद है, एक मान्यता के अनुसार यहां पर माता सीता के आभूषण रखे गया थे।
  • मंदिर में अक्षराभिषेक के दौरान छोटे बच्चों को यहां पर लाया जाता है, और पूजा के उपरांत बच्चों को हल्दी का लेप, प्रसाद के रूप में प्रदान किया जाता है।
  • बसंत पंचमी के शुभ अवसर पर यहां पर अनेकों लोग अपने बच्चों के साथ मंदिर में आतें है, और सुबह के समय में छोटे बच्चों द्वारा तख्ती एक अक्षर लिखवाया जाता है, यह एक ऐसी प्रथा है जो छोटे बच्चों के लिए ज्ञान के रूप में आशीर्वाद होता है। इस पूरी प्रक्रिया को मंदिर में स्थित प्रमुख मूर्ति के सामने करवाया जाता है।
  • एक प्राचीन मान्यता के अनुसार माता सरस्वती की आज्ञानुसार, महर्षि वेदव्यास जी ने रेत को मुठी में भरकर तीन जगह रखा था, जहाँ पर श्री सरस्वती, महा लक्ष्मी और महा काली जी की प्रतिमा को स्थापित किया गया।

श्री ज्ञान सरस्वती मंदिर की वास्तुकला | Shri Gyan Saraswati Temple Architecture

श्री ज्ञान सरस्वती मंदिर (Shri Gyan Saraswati Temple) की वास्तुकला, एक अदभुत धार्मिक स्थल का नजारा है। माता सरस्वती को समर्पित इस मदिर में अन्य देवी और देवताओं की मुर्तिओं के साथ खुबसूरत नक्कासियाँ की गई है। मंदिर में स्थित माता सरस्वती की मूर्ति 4 फुट ऊँची है और संगमरमर के सफ़ेद पत्थर द्वारा निर्मित की गई है। मूर्ति को पद्यासन मुद्रा में स्थापित किया गया है। इसके साथ ही मंदिर में माता लक्ष्मी की मूर्ति को स्थापित किया गया है।

श्री ज्ञान सरस्वती मंदिर के गर्भगृह में गोपुरम, परिक्रमा मार्ग को काफी सुविधाजनक बनाया गया है। मंदिर से कुछ ही दुरी पर कावेरी नदी मौजूद है जहाँ पर लोग मंदिर में जाने से पहले स्नान करते हैं और यही से मंदिर के लिए पूजन सामग्री खरीदी जाती है।

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श्री ज्ञान सरस्वती मंदिर के प्रमुख त्यौहार | Shri Gyan Saraswati Temple Festival

देवता और देवियों के लिए मंदिर में विशेष अनुष्ठान की प्रथा सदियों से चली आ रही है। मुख्य रूप से दक्षिण भारत में ऐसे अनेकों मंदिर स्थापित है, जहाँ पर मंदिरों में अनुष्ठान होने पर हजारों श्रधालुओ की भीड़ इक्कठा होता है। उन्ही में से एक है श्री ज्ञान सरस्वती मंदिर, जोकि माता सरस्वती को समर्पित है। मंदिर से जुड़े अनेकों पर्व है जो बढ़ी धूमधाम से मनाएं जाते हैं। इस आर्टिकल में उन्ही त्योहारों के बारे में बताया गया है, जिन्हें आप आगे पढ़ सकते हैं।

वसंत पंचमी

सर्वप्रथम श्री ज्ञान सरस्वती मंदिर (Shri Gyan Saraswati Temple) का सबसे प्रमुख त्यौहार वसंत पंचमी है, क्यूंकि बसंत पंचमी के दिन पुरे भारत वर्ष में माता सरस्वती की पूजा की जाती है। इस दिन मंदिर में छोटे बच्चों से स्लेट पर एक अक्षर लिखवाया जाता है, इस प्रथा के बाद हल्दी के लेप का प्रसाद मिलता है, जिसमे माता सरस्वती का आशीर्वाद शामिल होता है।

व्यास पूर्णिमा

व्यास पूर्णिमा महर्षि वेदव्यास की याद में मनाई जाती है, प्राचीन मान्यता के अनुसार व्यास जी ने अपना काफी समय इस मंदिर के पास बिताया था, यही वजह है कि इस त्यौहार के माध्यम से व्यास जी के लिए पूजा आराधना की जाती है। श्री ज्ञान सरस्वती मंदिर के पास ही वेदव्यास जी की समाधी स्थापित की गयी है। व्यास पूर्णिमा के दिन इस समाधी पर प्रथा के अनुसार विशेष पूजा आयोजित की जाती है।

दशहरा और नवरात्रि

एक मान्यता के अनुसार यहाँ पर माता दुर्गा और माँ काली का अंश मौजूद है, और दुर्गा माता का त्यौहार नवरात्रि के समय ही पड़ता है, इसके साथ ही नवरात्री का त्यौहार दशहरे से पहले नौ दिन का होता है यही कारण है कि श्री ज्ञान सरस्वती मंदिर में नवरात्री और दशहरे जैसे त्यौहार को मान्यता दी जाती है। मंदिर में 10 दिन तक हजारों की संख्या में श्रद्धालु देवी के दर्शन के लिए आते है।

महाशिवरात्रि

श्री ज्ञान सरस्वती मंदिर (Shri Gyan Saraswati Temple) में देवियों के साथ शंकर भगवान की मूर्ति स्थापित की गई है, यही एक प्रमुख कारण है कि मंदिर में महाशिवरात्रि जैसे पर्व को मान्यता दी जाती है। इस दिन मंदिर में शंकर भगवान के लिए विशेष पूजा आयोजित की जाती है, भगवान के साथ मंदिर में स्थापित अन्य देवताओं की भी पूजा अर्चना भी की जाती है।

श्री ज्ञान सरस्वती मंदिर कैसे पहुंचे | How To Reach Shri Gyan Saraswati Temple

जो लोग सरस्वती माता के दर्शन करना चाहते हैं, उनके लिए श्री ज्ञान सरस्वती मंदिर (Shri Gyan Saraswati Temple) एक प्रमुख स्थल है, जहाँ पर माता का आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है। अगर आप इस मंदिर के दर्शनं करना चाहते हैं तो आप सड़क, रेलमार्ग और हवाई जहाज की मदद से मंदिर तक पहुँच सकते हैं। अगर आप इन रास्तों द्वारा मंदिर नहीं गए है तो आपको इस आर्टिकल में रास्तों के बारे में विस्तार से बताया गया है, जोकि आपके लिए काफी हेल्पफुल हो सकता हैं। रास्तों के बारे में पूर्ण जानकारी के लिए आगे पढ़ें।

सड़क मार्ग द्वारा श्री ज्ञान सरस्वती मंदिर कैसे पहुंचे

अगर आप सड़क मार्ग द्वारा श्री ज्ञान सरस्वती मंदिर जाना चाहते हैं तब आपको अपने शहर से आन्ध्र प्रदेश की तरफ जाने वाली बस का पता लगाना होगा। इसके बाद आपको बस की मदद से आन्ध्र प्रदेश पहुँच जाना है, यहाँ से आपको निर्मल जिले तक जाने के लिए बस मिल जाएगी। निर्मल जिले से आप बसरा के लिए ऑटो या टेक्सी की मदद ले सकते हैं। बसरा छेत्र में ही श्री ज्ञान सरस्वती मंदिर का मंदिर स्थापित है। इस तरह आप सड़क मार्ग से मंदिर पहुँच सकते हैं।

रेल मार्ग द्वारा श्री ज्ञान सरस्वती मंदिर कैसे पहुंचे

रेल की मदद से मंदिर जाने में थोडा कम खर्च पड़ता है, अगर श्री ज्ञान सरस्वती मंदिर जाने के लिए आपका बजट कम है तब आप ट्रेन के माध्यम से मंदिर जाने का प्लान बना सकते हैं। आपको उस ट्रेन का टिकट बुक करवाना होगा जो आंध्र प्रदेश जाती हो, इसके अलावा आप ट्रेन बदलकर आंध्र प्रदेश के बसरा रेलवे स्टेशन पहुँच सकते हैं। बसरा रेलवे स्टेशन से मंदिर की दुरी लगभग 2 किलोमीटर है। रलवे स्टेशन पहुँचने के बाद मंदिर तक जाने के लिए आप ऑटो की मदद ले सकते हैं।

हवाई जहाज से श्री ज्ञान सरस्वती मंदिर कैसे पहुंचे

अगर आपके पास बसरा रेलवे स्टेशन जाने के लिए अच्छा बजट है और आपके पास टाइम की कमी है तब आपके लिए हवाई जहाज का सफ़र सबसे बेस्ट रहेगा। हवाई जहाज से मंदिर पहुँचने के लिए आपको, अपने शहर से राजीव गांधी एअरपोर्ट की टिकट बुक करनी होगी। राजीव गाँधी एअरपोर्ट पहुँचने के बाद आप यहाँ से मंदिर तक जाने के लिए निर्मल जिले की बस ले सकते हैं। फिर निर्मल जिले से बसरा जाने के लिए आपको ऑटो या टेक्सी की मदद लेनी पड़ेगी। इसके आलावा आप एअरपोर्ट से डायरेक्ट टेक्सी बुक कर सकते हैं, जोकि आपको मंदिर के पास छोड़ देगी, एअरपोर्ट से मंदिर की दुरी लगभग 257 किलोमीटर है।

श्री ज्ञान सरस्वती मंदिर दर्शन समय | Visiting Time Of Shri Gyan Saraswati Temple

अगर आप श्री ज्ञान सरस्वती मंदिर (Shri Gyan Saraswati Temple) के दर्शन जाने का प्लान बना रहा है, और जल्दी ही मंदिर जाने वाले हैं तब आपको मंदिर में होने वाले प्रमुख कार्यों के बारे में जरुर पता होना चाहिए ताकि आप किसी प्रमुख पूजा से वंचित ना रह जाए। अगर आप किसी विशेष पूजा के लिए मंदिर के दर्शन करना चाहते हैं तो आपको नीचे दी गई समय सारणी को एक बार जरुर पढना चाहिए।

विभिन पूजासमय
सुबह की पूजासुबह 4 :00 – 4:30
अभिषेक, अलंकर, हरथी, प्रसादसुबह 4:30 – 7:30
पूजा अर्चना, सेवा दर्शनसुबह 7:30 – 12:00
निवेदा हरथीदोपहर 12:00 – 12:30
अर्चना और अन्य पूजादोपहर 2 :00 – 6:00 शाम
देवस्थानम प्रदोष पूजाशाम 6:30 – 7:00 रात
महा हरथी, दर्शन, प्रसादरात 7:00 – 8:30

Faq:

श्री ज्ञान सरस्वती मंदिर (Shri Gyan Saraswati Temple) से नजदक रेलवे स्टेशन कौन सा है?
बसरा रेलवे स्टेशन।

देवी सरस्वती किस चीज के लिए प्रशिद्ध हैं?
सरस्वती जी ज्ञान, बुद्धि और संयम की देवी हैं।

माता सरस्वती किसी के जुबान पर किस समय विराजित होती हैं?
प्रातः काल 3 बजे से 3:40 के मध्य।

सरस्वती जी की आरती के समय कौन सा फुल चढाया जाता है?
माता सरस्वती को पीले और सफ़ेद रंग के फुल चढ़ाया जा सकता है, जिसमें गेंदे का फुल, कनेर का फुल और चांदनी का फुल शामिल है।

माता सरस्वती से लक्ष्मी और गणेश जी का क्या सम्बन्ध है?
माता सरस्वती, लक्ष्मी और गणेश एक दूसरे के भाई बहन है।

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