33 कोटि देवता (33 Koti Devta) : हमारे हिंदू धर्म में कई देवी देवताओं को पूजा जाता है। मुख्य रूप से इस धर्म में ब्रह्मा, विष्णु, महेश तीन मुख्य देव माने गए हैं। साथ ही इनके अवतारों को भी हिंदू धर्म में पूजा जाता है। हालांकि फिर भी हिंदू धर्म में देवताओं की संख्या को लेकर भिन्न-भिन्न मत मान्यताएं हैं। इनमें से सबसे प्रचलित धारणा यह है कि हिन्दू धर्म में 33 करोड़ देवी-देवता हैं। जिनके अलग-अलग नाम व रूप हैं। लेकिन क्या यह बात सच है या यह कोई मिथ है। दरअसल, 33 करोड़ देवी-देवता की यह धारणा अस्तित्व में आई है। हमारे शास्त्र में कोटि शब्द का प्रयोग करोड़ संख्या के लिए उपयोग किया जाता है। लेकिन इन सभी देवताओं का आकलन कैसे किया जा सकता है? यह पूरी तरह से संभव नहीं है। लेकिन हजार देवताओं के नाम का अनुमान लगाया जा सकता है। इन्ही देवताओं के बारे में आज इस आर्टिकल में विस्तार से जानेगे।
33 कोटि देवताओं (33 Koti Devta) सम्बंधित महत्वपूर्ण तथ्य
33 कोटि देवता का अर्थ | 33 करोड़ देवता (33 Koti Devta) |
कलयुग के देवता | भगवान हनुमान |
कलयुग के राक्षस | क्रोध, पीड़ा, शोक, लालच, भ्रम |
सौन्दर्य के देवता | कामदेव |
सम्बंधित धर्म | हिन्दू |
देवता उल्लेख सूत्र | वेद, शास्त्र, भगवतगीता, पुराण |
मुख्य देवता | आदित्य, वसु, रूद्र और अश्विन |
आस्थादर्शन | कर्म, मोक्ष, भक्ति, संस्कार |
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क्या है हिन्दू धर्म में 33 करोड़ देवताओं (33 Koti Devta) की मान्यता
हिंदू धर्म शास्त्रों में 33 करोड़ नहीं, बल्कि 33 कोटि देवताओं (33 Koti Devta) का उल्लेख है। हिंदू धर्म में 33 करोड़ देवताओं की प्रचलित मान्यता वास्तव में एक शब्द के दो अर्थों का परिणाम है। वह शब्द है “कोटि”। संस्कृत भाषा में कोटि शब्द के दो अर्थ हैं एक है ‘करोड़’ और दूसरा है ‘प्रकार’। शास्त्रों के अनुसार से 33 कोटि देवताओं की मान्यता का वास्तविक अर्थ 33 करोड़ देवता से है, जिनके नामों का स्पष्ट उल्लेख शास्त्रों में दिया गया है। इसका मतलब है कि हिंदू धर्म में 33 करोड़ देवता मौजूद हैं।
विद्यनों के अनुसार 33 कोटि देवता | 33 Koti Devta According To Vidvan
वेदों के अनुसार देवता एक प्राकृतिक शक्ति है, जिन्हें देव या भगवान के रूप में जाना जाता है। वास्तव में ऐसा देवता नही है, हमारी प्रकृति में मौजूद अलौकिक शक्तियों में देवताओं का वाश है। प्रकृति के इस रूप को आदित्य समूह, वायु समूह, रूद्र समूह, मारुतगन समूह, रूद्र समूह, और प्रजापति समूह में विभाजित किया जाता है। लेकिन प्राचीन ऋषियों के अनुसार महापुरुषों को देवता का दर्जा दिया जाता है, क्यूंकि जिस तरह प्रकृति मानव जाती का संरक्षण करती है उसी प्रकार महापुरुष भी मानव का कल्याण सोचते थे।
अगर देवता के वर्तमान प्राकृतिक रूप का वर्णन करना चाहें तो, आज इंद्र देव को आकाश और बिजली के रूप में संदर्भित किया गया है। इसके साथ इंद्र देव को आर्यों का राजा भी कहा जाता था। इंद्र देव आर्यों के संरक्षण में उपस्थित रहते थे, और वह काफी शक्तिशाली थे, इसी कारण इंद्र देव की शक्तियों की तुलना बिजली और बादल से की जाती है। एक अन्य मानता के अनुसार विद्यनों का कहना है कि संसार में 33 प्रकार के अव्यव या पदार्थ मौजूद हैं, जिन्हें देवता के रूप में परिभाषित किया जा सकता है।
प्राचीन समय में ऋषियों के अनुसार 33 अव्ययों की ख़ोज की गयी थी। हिन्दू धर्म में प्राप्त कई उल्लेखों में 33 अव्ययों का विवरण मिलता है। हमारी प्रकृति उन्ही 33 अव्ययों द्वारा चलायमान है, और इन्हें देवता से भी जोड़ा जाता है, यही कारण है कि 33 कोटि देवता को आज भी महत्व दिया जाता है।
कौन हैं हिंदू धर्म के 33 कोटि देवता | Who Is 33 Koti Devta
33 कोटि (33 Koti Devta) यानी 33 प्रकार के देवी-देवताओं में आठ वसु, ग्यारह रुद्र, बारह आदित्य, इंद्र और प्रजापति शामिल हैं। कहीं-कहीं शास्त्रों में इंद्र और प्रजापति के स्थान पर दो अश्विनी कुमारों का 33 कोटि देवताओं (33 Koti Devta)में उल्लेख मिलता है –
आठ वसु
वसु वे देवता हैं जो मनुष्य को धारण या संरक्षित करते हैं। संस्कृत भाषा में वसु का अर्थ निवासी होता है। मनुष्य के शरीर में जीवात्मा निवास करती है, जिन्हें 8 वसुओं के साथ जोड़ा जाता है। उन्ही 8 वसुओं को हिंदू धर्म के 33 कोटि देवताओं (33 Koti Devta)में शामिल किया गया है जो इस प्रकार हैं-
- आप – ये वसु अंतरिक्ष के देवता हैं।
- ध्रुव- ध्रुव नक्षत्रों के देवता माने गए हैं।
- सोम – ये चंद्रमास के देव हैं।
- धर – यह वसु धरती का देवता कहलाता है।
- अनिल – ये वायु के देव हैं।
- अनल- अनल अग्नि के देव हैं।
- प्रत्यूष- यह सूर्य के देव है।
- प्रभाष – यह आकाश के देव हैं।
ग्यारह रुद्र
रुद्र का शाब्दिक अर्थ है “रुलाने वाला”। रुद्र ऋषि कश्यप और सुरभि के पुत्र हैं। वही उपनिषदों में 10 इंद्रियों व एक मन को रुद्र के रूप में परिभाषित किया है। इनकी संख्या 11 है। इन्हें भगवान शिव का अवतार माना गया है और हिंदू धर्म के 33 कोटि देवताओं में स्थान दिया गया है उनके नाम इस प्रकार हैं-
- मनु
- मन्यु
- शिव
- महत
- ऋतुध्वज
- महिनस
- उम्रतेरस
- काल
- वामदेव
- भव
- धृत-ध्वज
बारह आदित्य
आदित्य शब्द का अर्थ है ‘सूर्य’। एक विचारधारा के अनुसार भगवान सूर्य देव 12 महीने में 12 राशियों के चक्कर लगते हैं। हिन्दू कैलेंडर में 12 माह की विचारधारा भी इस तथ्य से जुडी है। यही कारण है कि आदित्य को 12 भागों में विभाजित किया गया है, और इन्हीं आदित्यों को हिंदू धर्म के 33 कोटि देवताओं (33 Koti Devta) में शामिल किया गया है। इनके नाम इस प्रकार हैं-
- अंशुमान
- अर्यमन
- इंद्र
- त्वष्टा
- धातु
- पर्जन्य
- पूषा
- भग
- मित्र
- वरुण
- वैवस्वत
- विष्णु
अश्विनी कुमार
देवताओं के राजा इंद्र को 33 कोटि देवताओं (33 Koti Devta) में शामिल किया गया है। देवराज इंद्र को आत्मा का ज्ञान देने वाले प्रजापति ऋषि को भी 33 कोटि देवताओं में शामिल किया गया है, हालांकि कहीं-कहीं शास्त्रों में 33 कोटि देवताओं में इंद्र व प्रजापति के बजाय दो अश्विनी कुमारो को स्थान दिया गया है। ये अश्विनी कुमार औषधि और विज्ञान से जुड़े देवता हैं।
अश्विनी कुमार के नाम को दो रूप इस प्रकार है –
- नासत्य
- दस्त्र
इस तरह इन सभी को मिलकर जोड़ा जाए तो यह परिमाण निकलता है –
8 वसु स्वरूप + 12 आदित्य स्वरूप + 11 रूद्र स्वरूप +2 अश्विनी स्वरूप = 33 कोटि देवता (33 Koti Devta)
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33 कोटि देवता में शामिल कुछ देवताओं की सूची
वेदों के अनुसार हिन्दू धर्म में 33 कोटि देवताओं का वर्णन मिलता है। तैतीस करोड़ देवताओं को जान पाना थोडा मुस्किल है। इसलिए 33 करोड़ देवताओं की तुलना संसार में मौजूद तथ्यों के साथ की जाती है। सनातन लेखों के अनुसार 33 करोड़ देवताओं का जिक्र वास्तविकता है, लेकिन मनुष्यों के लिए इसका अवलोकन कर पाना कठिन है। सामान्यतः संसार में मौजूद हजार देवताओं की गिनती की जा सकती है, जिसमे स्थानीय या छेत्रिय देवता शामिल हैं।
इस आर्टिकल के माध्यम से कुछ चर्चित देवताओं की सूची आपके साथ शेयर करना चाहेंगे जोकि इस प्रकार है-
अनुमानित देवताओं के नाम की सूची
अंश | अंश देवता विभिन्न रुप को में समावेश हैं। |
अग्नि | आग के देवता |
अच्युत | ब्रम्हां देव |
अदिति | हिन्दू धर्म की देवी |
अनल | अग्नि देव का स्वरूप |
अनिल | वायु के देवता |
अनुमति | बुद्धि के देवता |
अनुराधा | नक्षत्र रूपी देव |
अपम नपत | नदी झील के देवता |
अम्मावारू | दक्षिण राज्य में प्रशिद्ध देवी |
अय्य वैकुंदर | केरल के प्रमुख देवता |
अय्यनार | केरल के प्रमुख देवता |
अय्यप्प | शिव और मोहिनी के पुत्र देव |
अरण्यानी | वन और जंतुओं की देवी |
अरुण | महर्षि कश्यप के पुत्र देव |
अर्जुन | कुंती के पुत्र |
अर्धनारी | शिव का रूप |
अर्यमान | प्रजापति और अदिति के पुत्र देव |
अश्विनी | सूर्य की पत्नीरूपा |
असुर | राक्षस के देव |
आकाश | अंतरिक्ष के देव |
आप | जल रूपी देव |
आदित्य | महर्षि की पहली पत्नी |
आदिभक्ति | दुर्गा का रूप |
आर्द्रा | देवी रूपा |
इंद्रा | स्वर्ग के देव |
ईशान | शिव रूप |
ईश्वर | सृष्टि रचयिता देव |
कला | कुशलता की देवी |
कश्यप | वैदिक ब्राम्हण |
कात्यायनी | दुर्गा की छठवीं रूपा |
कामदेव | प्रेम और काम के देव |
कामाक्षी | माता पार्वती का अंश |
कार्तिकेय | शिव पुत्र |
काली | दुर्गा रूपी देवी |
कुबेर | धन के देवता |
कृष्ण | हिन्दू धार्मिक देवता |
खंडोबा | महाराष्ट्र और कर्नाट के कुल देव |
गरुण | पक्षिराज |
गणेश | शिव पुत्र देव |
गायत्री | ब्रम्ह डेव की पत्नी रूपा |
घनश्याम | विष्णु के अवतार |
चंद्र | चाँद के देवता |
चामुंडा | माता पार्वती रूपा |
चित्रगुप्त | हिन्दू धार्मिक देवता |
छिन्नमस्ता | महाविद्या देवी |
तेजाजी | राजस्थानी लोक देवता |
जगन्नाथ | विष्णु अवतार |
दक्ष | ब्रम्हा के मानस पुत्र |
दक्ष्यानी | देवी सती रूपा |
दिकपाल | अष्ट देव रूप |
दीती | कश्यप की दूसरी पत्नी |
दुर्गा | शक्ति रूपा |
द्रोपति | द्रुपद की पुत्री |
धनवंतर | विष्णु के रूप |
धरा | पृथ्वी रूपा |
धूमावती | पारवती देवी का रूप |
नंदिनी | गौ माता |
नंदी | शिव की सवारी |
नटराज | शिव रूप |
नागदेवता | नाग लोक के देवता |
नरसिंह | विष्णु का अवतार |
परशुराम | विष्णु के छठे अवतार |
पराशिव | शिव का निराकार रूप |
पशुपति | शिव रूप |
पार्वती | शिव की पत्नी |
पुरुष | पुरुष रूपी देव |
पूषा | आदित्य रूप |
पृथ्वी | गृह की देवी |
प्रजापति | पंच मुख रूप शिव |
बागलमुखी | महाविद्या देवी |
बलराम | वासुदेव के रूप |
बहुचारा माता | राजस्थान की कुल देवी |
बुद्ध | गौतम बुद्ध देव |
बुद्धि | मनुष्य भावना के देवता |
ब्रहस्पति | गृह देव |
ब्रम्हा | हिन्दू धार्मिक देवता |
भद्रा | शिकार की देवी |
भरणी | नक्षत्र देव |
भवानी | माता पार्वती का रूप |
भुनेश्वरी | महाविद्या की पंच रूपी देवी |
भैरव | शिव के पांचवे अवतार |
भैरवी | महाविद्या रूपी देवी |
मरियम्मन | वर्षा देवी |
मरुद्गना | इंद्र का स्वरूप |
महाविद्या | पार्वती देवी के रूप |
महाविष्णु | विष्णु रूप |
मातंगी | शिव रूप |
मीनाक्षी | माता पार्वती रूपा |
मोहिनी | भगवान विष्णु का स्त्री रूप |
यमराज | मृत्यु के देवता |
यमी | सूर्य देव की कन्या |
युधिष्टर | कुंती देवी के पुत्र |
रति | दक्ष डेव की पुत्री |
रात्री | रात की देवी |
राधा | लक्ष्मी का अवतार |
राम | विष्णु अवतार |
रूद्र | भगवान शिव रूपी देवता |
रेणुका | जमदग्नि ऋषि की पत्नी |
रोहिणी | नक्षत्र देव |
लक्ष्मण | भगवान राम के भाई |
लक्ष्मी | विष्णु की पत्निरुपा |
ललिता | महाराष्ट्र की प्रशिद्ध देवी |
वरुण | प्रजापति कश्यप के पुत्र देव |
वसु | आठ वसु देवता का रूप |
वामन | विष्णु अवतार देवता |
विठोबा | कृष्ण अवतार |
वीरभद्र | शिव के भक्त |
वेंकेटेश्वर | विष्णु का नवां अवतार |
वैष्णो देवी | आदिशक्ति दुर्गा का स्वरूप |
तुरुपतिपति बालाजी | विष्णु के रूप |
एकल देवताओं के अन्य स्वरूप
शक्ति देवता
शाकम्बरी शक्तिपीठ,शांतदुर्गा, शिव , शिला देवी , शेष, श्रवण कुमार, सती, सरंयु, सरस्वती, सावित्री , सीता, सूर्य , सोम , स्कन्द, स्वाहा, हरी।
ब्रम्हा के स्वरूप देवता
मरीचि, अत्री, अंगिरस, पुलत्स्य, पुलह, कृतु, भृगु, वशिष्ठ, दक्ष, कदंभ, नारद मुनि, मनु, चित्रगुप्त।
वायु के अवतार देवता
हनुमान, भीम, माधवाचार्य।
वरुण देवता
झुलेलाल
शिव स्वरूप देवता
महादेव, रुद्रावतार, प्रजापति, खंबोडा, ज्योतिबा, भैरव, नटराज, अर्धनारी, हर्यर्धमूर्ति, आदि शंकराचार्य, पस्तशिव।
दुर्गा और शक्ति स्वरूप देवी
भवानी, नवदुर्गा, शैलपुत्री, भ्रम्ह्चारिणी, कुष्मांडा, स्कन्द माता, कात्यायनी, महागौरी, कालरात्रि, चंद्रघंटा, सिधिदात्रि, उमा,उषा, जगदात्री, पार्वती, शाकम्भरी, सताक्षी देवी, सती, शक्ति, मातृकाएं।
दश महाविद्या देवी
काली, तारा, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, भैरवी, छिन्नमस्ता, धुमवती, बगलामुखी, मातंगी।
लक्ष्मी रूपा देवी
आदि लक्ष्मी, धन लक्ष्मी, धान्य लक्ष्मी, संतान लक्ष्मी, विजय लक्ष्मी, विद्या लक्ष्मी, धैर्य लक्ष्मी, गज, लक्ष्मी, सीता,रुकमनी।
सरस्वती रूपा देवी
गायत्री, सावित्री, शतरूपा, वाक, शारदा आदि।
विष्णु रूपा देवता
वैंकटेस्वर, तिरुपति बालाजी, विट्ठल, राम, कृष्णा, परशुराम।
दशावतार देवता
मत्स्य, कुर्म, वराह, नृसिंह, वामन, वामन, कृष्ण, बुद्ध।
इस प्रकार देवताओं के अनेकों रूप हैं जो आज भी हमसे अज्ञात हैं। हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार ब्रम्हांड में अज्ञात देवताओं को मिलकर 33 करोड़ देवताओं (33 Koti Devta)का अनुमान लगाया जा सकता है। हिन्दू धर्म बहुत ही विस्तृत और गहन है, और उतनी ही गहन है संस्कृत भाषा, जिसे हिन्दू धर्म में देववाणी का दर्जा प्राप्त है। इसी भाषा में शास्त्रों की रचना किए जाने के कारण, कई शब्दों के भिन्न अर्थ प्रचलित हुए और इन भिन्न अर्थों के कारण भिन्न-भिन्न मान्यताएँ व धारणाएँ भी पनपीं हैं। हिन्दू धर्म में 33 करोड़ देवताओं (33 Koti Devta) की धारणा भी ऐसी ही एक धारणा है।
FAQ:
हिन्दू धर्म में 33 कोटि देवता (33 Koti Devta) किन्हें कहा जाता है?
हिन्दू धर्म में आठ वसु, ग्यारह रूद्र, बारह आदित्य, दो अश्विनी अश्वनी के करोडो स्वरूप को 33 करोड़ देवता से परिभाषित किया जाता है।
हिन्दू धर्म में 33 कोटि देवता (33 Koti Devta) कहाँ पर बताया गया है?
हिन्दू धर्म में वेदों और शात्रों में 33 कोटि देवता का उल्लेख किया गया है।
प्रथम देवता किसे माना जाता है?
त्रिदेव में प्रथम देवता का स्थान ब्रम्हा जी को प्राप्त है।
शास्त्रों के अनुसार कलयुग का देवता किसे कहा जाता है?
पवन पुत्र हनुमान
दया के देवता की उपाधि किसे प्राप्त है?
भोले भंडारी भगवान शिव
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