बुधवार, अगस्त 6, 2025
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माँ गंगा जी आरती

नमामि गंगे ! तव पाद पंकजम्, सुरासुरैः वंदित दिव्य रूपम् ।
भक्तिम् मुक्तिं च ददासि नित्यं, भावानुसारेण सदा नराणाम् ॥

हर हर गंगे, जय माँ गंगे, हर हर गंगे, जय माँ गंगे ॥

ॐ जय गंगे माता, श्री जय गंगे माता ।
जो नर तुमको ध्याता, मनवांछित फल पाता ॥

चंद्र सी जोत तुम्हारी, जल निर्मल आता ।
शरण पडें जो तेरी, सो नर तर जाता ॥
॥ ॐ जय गंगे माता..॥

पुत्र सगर के तारे, सब जग को ज्ञाता ।
कृपा दृष्टि तुम्हारी, त्रिभुवन सुख दाता ॥
॥ ॐ जय गंगे माता..॥

एक ही बार जो तेरी, शारणागति आता ।
यम की त्रास मिटा कर, परमगति पाता ॥
॥ ॐ जय गंगे माता..॥

आरती मात तुम्हारी, जो जन नित्य गाता ।
दास वही सहज में, मुक्त्ति को पाता ॥
॥ ॐ जय गंगे माता..॥

ॐ जय गंगे माता, श्री जय गंगे माता ।
जो नर तुमको ध्याता, मनवांछित फल पाता ॥

ॐ जय गंगे माता, श्री जय गंगे माता ।

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