श्री नागेश्वर ज्योतिर्लिंग (Shree Nageshwar Jyotirling): भारत में बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक श्री नागेश्वर ज्योतिर्लिंग भी माना जाता हैं। जो भगवान शिव को समर्पित हैं। श्री नागेश्वर ज्योतिर्लिंग भारत के गुजरात राज्य के सौराष्ट्र के द्वारका शहर में स्थित हैं। भगवान शिव के इस मंदिर में हर साल लाखो की संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आते हैं।
श्री नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर की सबसे बड़ी ख़ास बात यह है की इस मंदिर में भगवान शिव की 25 मीटर लंबी एक प्रतिमा हैं। जो काफी आकर्षक और मनमोहक हैं।
श्री नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर के पास में एक उद्यान भी स्थित हैं। जहां पर्यटक विश्राम करते हैं। श्री नागेश्वर ज्योतिर्लिंग को “दारुकवाना” के नाम से भी जाना जाता हैं। यह भारत के एक प्राचीन काव्य का नाम हैं।
आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से श्री नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी देने वाले हैं। इसलिए आज का हमारा यह आर्टिकल अंत तक जरुर पढ़े।
श्री नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर का इतिहास
श्री नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर गुजरात के द्वारका शहर से लगभग 17 किलोमीटर दूर स्थित है। यह भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। इस मंदिर का इतिहास बहुत ही प्राचीन है। मंदिर के निर्माण के बारे में कई पौराणिक कथाएँ हैं।
एक पौराणिक कथा के अनुसार, दारुका नाम की एक राक्षसी कन्या थी। उसे दारुका वन में जाने की अनुमति नहीं थी। एक दिन, वह वन में गई और एक शिव भक्त से मिली।
शिव भक्त को देखकर राक्षसी दारुका ने उसे बंदी बना लिया। शिव भक्त ने भगवान शिव की स्तुति की और भगवान शिव ने उसकी रक्षा के लिए एक ज्योतिर्लिंग प्रकट किया। ज्योतिर्लिंग के दर्शन से राक्षसी दारुका का उद्धार हुआ और वह शिव भक्त बन गई।
एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान कृष्ण ने इस मंदिर का निर्माण किया था। भगवान कृष्ण ने रुद्राभिषेक करके भगवान शिव की आराधना की थी।
यह मंदिर हेमाडपंथी वास्तुकला शैली में निर्मित है। मंदिर का गर्भगृह एक विशाल गोलाकार गुफा में स्थित है। गर्भगृह में भगवान शिव का ज्योतिर्लिंग स्थापित है। ज्योतिर्लिंग के ऊपर एक छोटा सा मंदिर बना हुआ है। मंदिर के चारों ओर एक विशाल परिसर है। परिसर में कई छोटे-छोटे मंदिर और कुंड हैं।
श्री नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। यह मंदिर पूरे वर्ष भक्तों की भीड़ से भरा रहता है। इस मंदिर का निर्माण कब हुआ इस बारे में कोई निश्चित जानकारी नहीं है। कुछ विद्वानों का मानना है कि यह मंदिर 12वीं शताब्दी में गुजरात के चालुक्य राजवंश द्वारा बनाया गया था। जबकि अन्य विद्वानों का मानना है कि यह मंदिर बहुत पहले 7वीं शताब्दी में बना था।
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर के दर्शन से नाग दोष से मुक्ति मिलती है। इस मंदिर के दर्शन से भक्तों के सभी पापों का नाश होता है और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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श्री नागेश्वर ज्योतिर्लिंग (Shree Nageshwar Jyotirlinga) मंदिर महत्व

श्री नागेश्वर ज्योतिर्लिंग (Shree Nageshwar Jyotirlinga) मंदिर से जुडी कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां हमने नीचे टेबल के माध्यम से प्रदान की हैं।
मंदिर का नाम | श्री नागेश्वर ज्योतिर्लिंग (Shree Nageshwar Jyotirling) |
स्थान | द्वारका, गुजरात, भारत |
पूजा विधि | हिन्दू पूजा विधि |
प्रमुख उत्सव | नागपंचमी, महाशिवरात्रि |
काव्य महत्व | पुराणों के अनुसार भगवान शिव की तापस्या का स्थल |
मंदिर शैली | हेमाडपंथी |
मंदिर स्थापना | 12वीं शताब्दी (अनुमानित) |
मंदिर का महत्व | नाग दोष से मुक्ति, पापों का नाश, मोक्ष की प्राप्ति |
दर्शन का समय | सुबह 6:00 बजे से शाम 5:30 बजे तक |
ज्योतिर्लिंग क्रम | 10वां |
श्री नागेश्वर ज्योतिर्लिंग (Shree Nageshwar Jyotirlinga) मंदिर मुख्य विशेषता
श्री नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर की कुछ विशेताएं हैं। जो काफी कम लोग जानते हैं। श्री नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर की कुछ मुख्य विशेषताओं के बारे में हमने नीचे जानकारी प्रदान की हैं।
- श्री नागेश्वर ज्योतिर्लिंग का प्रमुख उत्सव नागपंचमी है, जो नागों के राजा को समर्पित है। महाशिवरात्रि भी यहां बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।
- यह स्थल प्राचीन काल से हिन्दू धर्म के एक प्रमुख तीर्थ स्थल के रूप में माना जाता है, जिसमें पुरातात्विक और सांस्कृतिक महत्व है।
- मंदिर के पास एक पवित्र सरोवर है जिसे नागकुंड कहा जाता है, और यहां भक्त अपने पापों को धोने के लिए आते हैं।
- हिन्दू पूजा विधि के अनुसार, भक्तजन नागेश्वर ज्योतिर्लिंग को श्रद्धा भाव से पूजते हैं और भगवान शिव की कृपा की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करते हैं।
- मंदिर में विभिन्न प्रकार के पूजा-अर्चना, आरती, भगवद गीता पाठ, और शिव पुराण सुनाने की सेवाएं होती हैं।
- नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर हिन्दू भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है, जो शांति और समृद्धि की कामना करते हैं और यहां भगवान शिव की आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए आते हैं।
- मंदिर का निर्माण कब हुआ, इस बारे में कोई निश्चित जानकारी नहीं है। कुछ विद्वानों का मानना है कि यह मंदिर 12वीं शताब्दी में गुजरात के चालुक्य राजवंश द्वारा बनाया गया था। जबकि अन्य विद्वानों का मानना है कि यह मंदिर बहुत पहले, 7वीं शताब्दी में बना था।
- मंदिर का निर्माण हेमाडपंथी वास्तुकला शैली में किया गया है। हेमाडपंथी वास्तुकला शैली गुजरात की एक प्राचीन वास्तुकला शैली है। इस शैली में निर्मित मंदिरों में भव्यता और सौंदर्य का अद्भुत संगम होता है।
- मंदिर का गर्भगृह एक विशाल गोलाकार गुफा में स्थित है। गर्भगृह में भगवान शिव का ज्योतिर्लिंग स्थापित है। ज्योतिर्लिंग के ऊपर एक छोटा सा मंदिर बना हुआ है। मंदिर के चारों ओर एक विशाल परिसर है। परिसर में कई छोटे-छोटे मंदिर और कुंड हैं।
श्री नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर एक प्राचीन और पवित्र मंदिर है। यह मंदिर हिंदू धर्म के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल माना जाता है। हर साल इस मंदिर में लाखो की संख्या में भक्तगण भगवान शिव के दर्शन करने के लिए आते हैं। और भगवान शिव के आशीर्वाद की प्राप्ति करते हैं।
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श्री नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर की कहानी

अगर आप देखेगे तो हर एक प्राचीन मंदिर के बनने के पीछे कोई ना कोई कहानी छिपी हुई होती हैं। श्री नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर भी काफी प्राचीन मंदिर हैं। इस मंदिर के निर्माण के पीछे भी प्राचीन ग्रंथो के अनुसार दो कहानी छिपी हुई हैं। जिसके बारे में हमने नीचे जानकारी प्रदान की हैं।
श्री नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर की दारुका की कहानी
एक समय में, द्वारका के पास एक दारुका नाम की राक्षसी कन्या रहती थी। वह भगवान शिव की परम भक्त थी। वह रोजाना भगवान शिव की पूजा करती थी और उनके भजन गाती थी। दारुका की माता एक दैत्य थी। वह दारुका को भगवान शिव की पूजा करने से रोकती थी। वह चाहती थी कि दारुका एक शक्तिशाली राक्षसी बन जाए।
एक दिन, दारुका अपनी माता की आज्ञा का उल्लंघन करके दारुका वन में चली गई। दारुका वन एक पवित्र स्थान था। यहाँ भगवान शिव का एक ज्योतिर्लिंग स्थापित था। दारुका ज्योतिर्लिंग के पास पहुंची और उसने भगवान शिव की पूजा शुरू कर दी।
उसी समय, एक शिव भक्त दारुका वन में आया। वह भी भगवान शिव का भक्त था। वह ज्योतिर्लिंग के पास पहुंचकर भगवान शिव की स्तुति करने लगा।
दारुका ने शिव भक्त को देखा तो उसे बहुत क्रोध आया। उसने शिव भक्त को बंदी बना लिया। शिव भक्त ने भगवान शिव से प्रार्थना की। भगवान शिव ने उनकी रक्षा के लिए एक ज्योतिर्लिंग प्रकट किया।
दारुका ने ज्योतिर्लिंग को देखा तो उसका क्रोध शांत हो गया। उसने ज्योतिर्लिंग के दर्शन किए। ज्योतिर्लिंग के दर्शन से दारुका का उद्धार हुआ। वह एक भक्त बन गई।
दारुका ने भगवान शिव से कहा, “हे भगवान शिव, आपने मुझे इस राक्षस योनि से मुक्त कर दिया। मैं आपकी हमेशा ऋणी रहूंगी।”
भगवान शिव ने दारुका को आशीर्वाद दिया और कहा, “तुम अब एक भक्त हो। तुम हमेशा मेरी पूजा करती रहोगी।”
दारुका ने भगवान शिव की आज्ञा का पालन किया। वह हमेशा भगवान शिव की पूजा करती रहती थी। वह एक सच्ची भक्त बन गई।
श्री नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर भगवान श्री कृष्ण की कहानी
एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान कृष्ण ने इस मंदिर का निर्माण किया था। भगवान कृष्ण ने रुद्राभिषेक करके भगवान शिव की आराधना की थी। भगवान कृष्ण ने कहा था कि जो भक्त इस मंदिर में दर्शन करेगा, उसके सभी पापों का नाश होगा।
श्री नागेश्वर ज्योतिर्लिंग जाने का आसान रास्ता
अगर आप भी श्री नागेश्वर ज्योतिर्लिंग जाना चाहते हैं। या फिर श्री नागेश्वर ज्योतिर्लिंग जाने का मन बना चूका हैं। तो श्री नागेश्वर ज्योतिर्लिंग जाने के कुछ आसान रास्तो के बारे में हमने नीचे जानकारी प्रदान की हैं।
श्री नागेश्वर ज्योतिर्लिंग गुजरात के द्वारका शहर से लगभग 17 किलोमीटर दूर स्थित है। यह मंदिर सड़क, रेल और हवाई मार्ग से आसानी से पहुंचा जा सकता है।
श्री नागेश्वर ज्योतिर्लिंग सडक मार्ग से कैसे पहुंचे
द्वारका राष्ट्रीय राजमार्ग 8 पर स्थित है। यह दिल्ली से 1,260 किलोमीटर, मुंबई से 640 किलोमीटर और अहमदाबाद से 360 किलोमीटर दूर है। द्वारका शहर के लिए नियमित रूप से बसें चलती हैं। निजी वाहन से भी द्वारका पहुंचा जा सकता है।
श्री नागेश्वर ज्योतिर्लिंग रेल मार्ग से कैसे पहुंचे
द्वारका के सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन द्वारका रेलवे स्टेशन है। यह स्टेशन कई प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। द्वारका से श्री नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के लिए स्थानीय बसें और टैक्सियां उपलब्ध हैं।
अगर आप रेल मार्ग से नागेश्वर ज्योतिर्लिंग जाना चाहते हैं। तो आप आपके नजदीकी रेल स्टेशन से टिकट बुक करवा सकते हैं। आपके नजदीकी रेलवे स्टेशन से आपको द्वारका जाने वाली ट्रेन का चुनाव करना होगा। आप द्वारका पहुंचने के बाद ऑटो रिक्षा, टैक्सी या बस के माध्यम से नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर तक पहुंच सकते है।
श्री नागेश्वर ज्योतिर्लिंग हवाई जहाना से कैसे पहुंचे
द्वारका के सबसे निकटतम हवाई अड्डा केवड़िया है। यह हवाई अड्डा 160 किलोमीटर दूर है। केवड़िया से द्वारका के लिए नियमित रूप से बसें और टैक्सियां उपलब्ध हैं।
द्वारका पहुंचने के बाद श्री नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के लिए टैक्सी, ऑटोरिक्शा या स्थानीय बस ले सकते हैं। मंदिर तक की दूरी लगभग 17 किलोमीटर है।
श्री नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर दर्शन समय
श्री नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर बहुत विशाल मंदिर हैं। इस मंदिर में रोजाना काफी अधिक संख्या में भक्तगण दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं। इसलिए भक्तो की भीड़ लगी रहती हैं। ऐसे में आपको कोई दुविधा का सामना ना करना पड़े। इसलिए मंदिर के बारे में समय सरणी हमने नीचे टेबल के माध्यम से बताई हैं।
सुबह मंदिर खुलने का समय | 6 बजे |
रात्री को मंदिर बंध होने का समय | 9:30 बजे |
दुपहर मंदिर बंध होने का समय | 12:20 बजे |
शाम को मंदिर खुलने का समय | 5 बजे |
सुबह की आरती (मंगला आरती) | 6 बजे से 7 बजे तक |
भोग आरती का समय | 11 से 12:10 बजे तक |
शयन आरती का समय | 8 बजे से 9:10 बजे तक |
शनिवार और सोमवार को श्री नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में विशेष दर्शन होता है। इस दिन मंदिर सुबह 6:00 बजे से रात 10:00 बजे तक खुला रहता है। इस दिन मंदिर में दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ कम होती है।
सावन माह में श्री नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में विशेष आयोजन होते हैं। इस माह में मंदिर सुबह 5:00 बजे से रात 12:00 बजे तक खुला रहता है। इस माह में मंदिर में दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ बहुत अधिक होती है।
श्री नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में दर्शन के लिए सुबह जल्दी पहुंचने का प्रयास करें। इससे आपको भीड़ से बचने में मदद मिलेगी। अगर आप सावन माह में मंदिर में दर्शन करने जा रहे हैं, तो पहले से ही तैयारी कर लें। इस माह में मंदिर में दर्शन के लिए बहुत अधिक भीड़ होती है।
FAQs
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग दर्शन में कितना समय लगता है?
अगर आप नागेश्वर ज्योतिर्लिंग दर्शन करने के लिए जाते हैं। तो पुरे मंदिर में दर्शन करने में आपको 30 से 40 मिनट का तक समय लग सकता हैं। लेकिन अगर आप आरती में शामिल होना चाहते हैं। तो आपको 1 घंटे से भी अधिक समय लग सकता हैं।
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के पास कौन सा रेलवे स्टेशन है?
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के पास द्वारका रेलवे स्टेशन मौजूद हैं।
सोमनाथ से द्वारका कितने घंटे का रास्ता है?
सोमनाथ से द्वारका की दुरी लगभग 415 किलोमीटर हैं। इतनी दुरी तय करने में 7 से 8 घंटे का समय लगता हैं।
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