मंगलवार, जून 17, 2025
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नारायणी शक्ति पीठ (Narayani Shakti Peeth) मंदिर का इतिहास, रहस्य और भस्मासुर की अनोखी कहानी

नारायणी शक्ति पीठ (Narayani Shakti Peeth) दक्षिण भारत के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है जिसे 51 शक्ति पीठों में से भी जाना जाता है। प्राचीन घटना के अनुसार मंदिर के पास ही देवी सती के उपरी दन्त का निपात हुआ था, जिसका जिक्र हिन्दू ग्रंथों में उल्लेखित है। इस मंदिर को सुचिन्द्रम शक्ति पीठ के रूप में भी जाना जाता है, जिसके नाम में सूचि और इंद्र का नाम छुपा है, जिसका शाब्दिक अर्थ है इंद्र की शुद्धी। एक प्राचीन मान्यता के अनुसार देव इंद्र को नारायणी शक्ति पीठ स्थान पर ही उनके द्वारा किए गए पाप से मुक्ति मिली थी। क्या आप इसी तरह के अन्य अनेकों रहस्यों को जानते हैं जोकि आज भी मंदिर के पास रहने वाले लोगों द्वारा सुने जाते हैं? क्या है मंदिर से जुदा रहस्यमई इतिहास? आखिर भस्मासुर, इस मंदिर से किस प्रकार जुड़ा था? इन सभी सवालों के जवाब आप आर्टिकल के में आगे जानेंगे।

Table of Contents

नारायणी शक्ति पीठ मंदिर का इतिहास | Narayani Shakti Peeth History in Hindi

ऐतिहासिक ग्रंथों के अनुसार नारायणी सुचिंद्रम शक्ति पीठ मंदिर वह स्थान था जहां पर भगवान इंद्र ने शुद्धि प्राप्त की थी। एक मान्यता के अनुसार गौतम ऋषि ने इंद्र को गुप्त रूप से उनकी पत्नी अहिल्या पर बुरी नजर डालने के बदले में श्राप दिया था। श्राप मिलने के बाद देवराज इंद्र काफी चिंतित हो गए थे, इसलिए उन्होंने अन्य देवतागणों के परामर्श अनुसार, नारायणी शक्ति पीठ मंदिर (Narayani Shakti Peeth) के पास ही भगवान शिव की पूजा आराधना की थी।

देवराज इंद्र की कठोर तपस्या के परिणामस्वरुप भगवान शिव काफी प्रसन्न हुए और देव इंद्र को श्राप से मुक्त कर दिया। इस कारण से मंदिर के पास देव इंद्र की शुद्धि हुई थी, जिसका पर्यायवाची शब्द ‘सूची’ है और सूची शब्द के सहयोग के मंदिर का नाम नारायणी सुचिन्द्रम शक्ति पीठ पड़ा।

देवगण द्वारा मंदिर की स्थापना के बाद 17वीं शताब्दी में इस मंदिर का वर्तमान नवीनीकरण करवाया गया था, जिसका वर्तमान रूप आज हम देख सकते हैं।

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नारायणी शक्ति पीठ मंदिर की संरचना | Narayani Shakti Peeth Architecture

नारायणी शक्ति पीठ मंदिर (Narayani Shakti Peeth) में सात भंडार तथा सफेद गोपुरम की स्थापना की गई है। मंदिर के अंदर हिंदू धर्म से संबंधित देवी देवताओं की मूर्तियां स्थापित की गई है जोकि देखने में काफी सुंदर लगती है। मंदिर का प्रवेश द्वार लगभग 24 फीट ऊंचा है इसके साथ ही दरवाजे के बाहर सुन्दर मूर्तियां देखी जा सकती हैं, यह मंदिर विशेष रूप से ब्रम्हा, शिव तथा वैष्णव भक्तों के लिए लोकप्रिय है।

मंदिर के गलियारे में विभिन्न देवताओं के छोटे-छोटे मंदिर देखे जा सकते हैं, इसके साथ मंदिर के गलियारे में भगवान विष्णु, शिवलिंग तथा हनुमान की विशाल मूर्ति स्थापित की गई है।

नारायणी शक्ति पीठ मंदिर की महत्वपूर्ण जानकारियां

मंदिर का नामनारायणी शक्ति पीठ मंदिर (Narayani Shakti Peeth)
मंदिर के प्रमुख देवतादेवी नारायणी, देवता संघारोर संहारा
मंदिर की प्रमुखतामंदिर के पास देवी सती के उपरी दन्त का निपात हुआ था।
मंदिर का स्थानकन्याकुमारी, तमिलनाडु (दक्षिण भारत)
मंदिर का नवीनीकरण17वीं शताब्दी
मंदिर में बोली जाने वाली भाषातमिल, इंग्लिश, हिंदी,
मंदिर के प्रमुख त्योहारसुचिन्द्रम उत्सव, नवरात्री, महाशिवरात्रि
मंदिर का समयप्रातः काल 4 बजे – 9 बजे तक

नारायणी शक्ति पीठ मंदिर से जुड़े अनोखे रहस्य | Narayani Shakti Peeth Facts In hindi

नारायणी शक्ति पीठ मंदिर (Narayani Shakti Peeth) देवी नारायणी को समर्पित है जिन्हें विष्णु की पत्नी के रूप में भी जाना जाता है, एक अन्य मान्यता के अनुसार इन्हें देवी सती का स्वरूप माना जाता है। पौराणिक ग्रंथो की माने तो यहां पर देवी सती के ऊपरी दन्त (दांत) का निपात हुआ था। मंदिर से जुडी अनेकों मान्यताए है जो मंदिर के पास स्थित स्थानीय लोगों द्वारा बताई जाती हैं। जो भक्तगण इन सभी मान्यताओं से अपरिचित हैं उन्हें मंदिर से जुड़े निम्नलिखित रहस्यों को जरूर पढ़ना चाहिए।

  • तमिलनाडु के कन्याकुमारी में स्थित इस शक्ति पीठ के पास ही देवी शक्ति का ऊपरी दांत गिर था जिसके परिणामस्वरुप यहां पर नारायणी शक्ति पीठ मंदिर (Narayani Shakti Peeth) की स्थापना की गई थी।
  • नारायणी शक्ति पीठ मंदिर (Narayani Shakti Peeth) में स्थित मुख्य देवी को नारायणी तथा मुख्य देवता को संघारोर संहारा के नाम से जाना जाता है।
  • नारायणी शक्ति पीठ मंदिर (Narayani Shakti Peeth) देवी सती के अलावा भगवान शिव, विष्णु और ब्रह्मा के प्रतिनिधित्व से जुड़ा हुआ है।
  • एक मान्यता के अनुसार नारायण शक्ति पीठ को त्रिमूर्ति मंदिर का स्वरूप माना जाता है।
  • प्राचीन ग्रंथों में लिखित पुरानी मान्यता के अनुसार नारायण शक्ति पीठ मंदिर के पास महर्षि गौतम ने देव इंद्र को श्राप दिया था।
  • नारायणी शक्ति पीठ मंदिर (Narayani Shakti Peeth) में दर्शन के लिए आने वाले भक्तगणों के लिए, मंदिर एक शांतिमय वातावरण प्रदान करता है।
  • नारायणी शक्ति पीठ मंदिर (Narayani Shakti Peeth) में एक विशाल जल कुंड स्तिथ है, जिसके जल को पवित्र माना जाता है तथा मंदिर की गतिविधियों के लिए इस कुंड से जल का उपयोग किया जाता है।
  • नारायणी शक्ति पीठ मंदिर (Narayani Shakti Peeth) में मुख्य रूप से 30 छोटे-छोटे मंदिरों को स्थापित किया गया है, जिसमें विभिन्न देवताओं की पूजा आराधना की जाती है।
  • नारायणी शक्ति पीठ मंदिर (Narayani Shakti Peeth) में 1035 स्तंभ देखे जा सकते हैं जिनपर की गई चित्रकारियों की नक्काशियां मंदिर की सुंदरता को और ज्यादा बढ़ाती हैं। एक अन्य मान्यता के अनुसार मंदिर में मौजूद स्तंभों में से कुछ स्तंभों में संगीत की ध्वनि सुनाई देती है।
  • नारायणी शक्ति पीठ मंदिर (Narayani Shakti Peeth) में हनुमान जी की 22 फुट ऊंची मूर्ति मौजूद है जोकी मंदिर से अलग खुद की सुंदरता को प्रदर्शित करती है।

नारायणी शक्ति पीठ मंदिर से जुड़ी कहानी | Narayani Shakti Peeth Related Story in Hindi

जैसा कि हम सभी जानते हैं भारत में विभिन्न शक्ति पीठों से एक ही कहानी जुड़ी है, जिसमें देवी सती के शरीर के विभिन्न अंगों का निपात हुआ था। इसके अलावा नारायणी शक्ति पीठ मंदिर (Narayani Shakti Peeth) से जुड़ी एक अन्य कहानी को विशेष महत्वता दी जाती है, जिसे इस आर्टिकल के माध्यम से आप जान पाएंगे, चलिए इस कहानी को विस्तार से जानते हैं।

पौराणिक ग्रंथों में मौजूद एक प्राचीन कहानी के अनुसार, एक समय भस्मासुर भगवान शिव की कठोर तपस्या करने लगा। भस्मासुर ने कई सालों तक बिना कुछ खाए पिए तपस्या को आगे बढ़ाया। जब भगवान शिव ने अपनी दिव्य दृष्टि से भस्मासुर की इस अवस्था को देखा, तब उन्हें भस्मासुर पर दया आ गई और वह स्वयं उसके सामने प्रकट हो गए।

भगवान शिव भस्मासुर के सामने प्रकट हुए तथा मनचाहा वरदान मांगने की आज्ञा प्रदान की। भस्मासुर, भगवान शिव के कथन से अत्यधिक प्रसन्न हो गया, क्योंकि वह अब भगवान शिव से मनचाहा वर मांग सकता था।

परिणामस्वरूप भस्मासुर भगवान शिव से अमरता का वरदान मांगता है, इसके अलावा वह कुछ भी नहीं चाहता था। भगवान शिव ने भस्मासुर की बात सुनकर उसे वरदान दिया कि वह कन्याकुमारी स्थान को छोड़कर किसी भी जगह पर परास्त नहीं हो सकता और वह हमेशा अजेय रहेगा।

वरदान मिलने के कुछ समय पश्चात भस्मासुर स्वर्ग लोक, भू लोक तथा पाताल लोक में अपना हाहाकार मचाने लगा और हर जगह उसने अपना राजस्व स्थापित कर लिया। स्वर्ग लोक पर भस्मासुर के आधिपत्य के कारण देवताओं की आपूर्ति से संसार भयंकर समस्या में डूब गया।

यह सब देखकर सभी देवतागण काफी चिंतित हो गए और वह सभी संसार की रक्षा हेतु भगवान विष्णु के पास गए तथा उन्हें समस्या बताई। जब भगवान विष्णु ने देवगण की समस्या को सुना तब उन्होंने एक महायज्ञ करने का सुझाव दिया। इसके बाद सभी देवताओं ने मिलकर एक विशेष महायज्ञ किया जिसके परिणामस्वरूप देवी सती रूपी दुर्गा प्रकट हुई और उन्होंने भस्मासुर वध कर दिया।

जिस स्थान पर देवी दुर्गा ने भस्मासुर का वध किया था, उसे आज नारायणी शक्ति पीठ मंदिर (Narayani Shakti Peeth) के नाम से जाना जाता है।

नारायणी शक्ति पीठ मंदिर से जुड़े उत्सव | Narayani Shakti Peeth Related Festival

नारायणी शक्ति पीठ (Narayani Shakti Peeth) दक्षिण भारत का एक प्रमुख शक्ति पीठ है। जैसाकि हम सभी जानते हैं, यह मंदिर भारत में मौजूद विभिन्न शक्ति पीठों में से एक देवी सती का पूजनीय स्थल है। इसके साथ ही जहां-जहां शक्ति पीठ मौजूद है वहां पर भगवान शिव के साथ अन्य देवताओं की भी पूजा की जाती है, उन्ही देवताओं से जुड़े विभिन्न त्योहार आज भी मंदिर में प्रचलित हैं, जिन्हें मंदिर में स्थित पुरोहितों तथा स्थानीय लोगों द्वारा बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। नारायणी शक्ति पीठ मंदिर (Narayani Shakti Peeth) से जुड़े कुछ प्रमुख त्योहार निम्नलिखित है।

सुचिन्द्रम मार्गाज़ी उत्सव

नारायणी शक्ति पीठ मंदिर (Narayani Shakti Peeth) का सबसे प्रमुख त्योहार सुचिन्द्रम मार्गाज़ी उत्सव है, इस उत्सव पर मंदिर को विशेष रूप से सुसज्जित किया जाता है तथा मंदिर में विशेष पूजा आराधना की जाती है, इसके साथ मंदिर में स्थित प्रमुख देवी तथा अन्य देवताओं को रथ यात्रा के दौरान मंदिर से बाहर निकाला जाता है तथा रथयात्रा की प्रथा को पूर्ण किया जाता है। इस त्यौहार को मंदिर का सबसे प्रमुख त्योहार माना जाता है, यही एकमात्र कारण है कि इस पर्व के दौरान मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ एकत्रित होती है।

नवरात्री

भारत में स्थित सभी शक्ति पीठों के लिए एक अन्य त्योहार नवरात्रि है इस दिन मंदिर की प्रमुख देवी की पूजा की जाती है। नवरात्रि के दिनों में मंदिर में स्थित प्रमुख देवी को विभिन्न अनुष्ठानों का भोग लगाया जाता है, तथा मंदिर में दक्षिण पूजा प्रथा के अनुसार विधि विधान के मध्यनजर विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। एक महत्वपूर्ण जानकारी के अनुसार बताना चाहेंगे इस मंदिर में मार्च तथा अप्रैल में पड़ने वाली नवरात्रि को विशेष मान्यता दी जाती है।

दुर्गा पूजा

नारायणी शक्ति पीठ मंदिर (Narayani Shakti Peeth) में दुर्गा पूजा के दौरान देवी दुर्गा के स्वरूप की पूजा की जाती है। मंदिर में मुख्य रूप से इस त्यौहार को सितंबर से अक्टूबर के महीने में मनाया जाता है। इसके साथ ही पूजा पाठ के अलावा मंदिर में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

महाशिवरात्रि

नारायणी शक्ति पीठ मंदिर (Narayani Shakti Peeth) से जुड़ी अनेकों मान्यताएं है जो भगवान शिव का उल्लेख करती हैं। इसके अलावा मंदिर में भगवान शिव का शिवलिंग स्थापित है, यही एकमात्र कारण है कि यहां पर भगवान शिव से जुड़े महाशिवरात्रि को विशेष महत्व दिया जाता है। मंदिर में रहने वाले पुरोहित महाशिवरात्रि के दिन व्रत रखते हैं तथा भगवान शिव की विशेष पूजा आराधना करते हैं।

नारायणी शक्ति पीठ मंदिर कैसे पहुंचे | How To Reach Narayani Shakti Peeth

जो भक्तगण नारायणी शक्ति पीठ मंदिर (Narayani Shakti Peeth) के दर्शन करना चाहते हैं और वह दक्षिण भारत में स्थित है तब उनके लिए सफर करना बेहद आसान है। लेकिन जो भक्तगण मंदिर से अत्याधिक दूरी या अन्य राज्यों में रहते हैं वह सड़क मार्ग, रेल मार्ग तथा हवाई जहाज के माध्यम से मंदिर की यात्रा कर सकते हैं। भारत के विभिन्न राज्यों से मंदिर तक की यात्रा का विवरण आप नीचे पढ़ सकते हैं।

सड़क मार्ग द्वारा नारायणी शक्ति पीठ (Narayani Shakti Peeth) मंदिर कैसे पहुंचे

जिन भक्तगणों ने नारायणी शक्ति पीठ मंदिर जाने के लिए सड़क मार्ग को चुना है, वह बस, टैक्सी या अपने निजी वाहनों से राष्ट्रीय राज्य मार्गों की मदद से मंदिर तक पहुंच सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए आप गूगल मैप का इस्तेमाल कर सकते हैं, जोकि आपको सही डायरेक्शन दिखा सकता है।

रेलमार्ग द्वारा नारायणी शक्ति पीठ (Narayani Shakti Peeth) मंदिर कैसे पहुंचे

नारायणी शक्ति पीठ मंदिर जाने के लिए ट्रेन का सफर सुविधाजनक और काफी सस्ता हो सकता है। इसलिए जो भक्तगण मंदिर जाना चाहते हैं, वह ट्रेन के माध्यम से मंदिर तक आसानी से पहुंच सकते हैं। ट्रेन के माध्यम से मंदिर तक पहुंचने के लिए सबसे पहले आपको अपने शहर से कन्याकुमारी रेलवे स्टेशन की ट्रेन टिकट बुक करवानी होगी। रेलवे स्टेशन से मंदिर की दूरी लगभग 3.2 किलोमीटर है, परिणामस्वरुप आप टैक्सी अथवा ऑटो की मदद से मंदिर पहुँच सकते हैं।

हवाई जहाज से नारायणी शक्ति पीठ (Narayani Shakti Peeth) मंदिर कैसे पहुंचे

वह भक्तगण जो एरोप्लेन के माध्यम से नारायणी शक्ति पीठ मंदिर (Narayani Shakti Peeth) जाना चाहते हैं, उन्हें सबसे पहले अपने शहर से त्रिवेंद्रम एयरपोर्ट की फ्लाइट टिकट बुक करवानी होगी। त्रिवेंद्रम एयरपोर्ट से मंदिर की दूरी लगभग 90.6 किलोमीटर है। इस वजह से आपको एयरपोर्ट से मंदिर पहुंचने के लिए टैक्सी की मदद लेनी पड़ेगी, जोकि आपको मंदिर तक छोड़ देगी।

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नारायणी शक्ति पीठ मंदिर में पूजा और दर्शन का समय | Narayani Shakti Peeth Puja & Darshan Timing

जो भक्तगण नारायणी शक्ति पीठ मंदिर (Narayani Shakti Peeth) में दर्शन के लिए जाना चाहते हैं, वह अप्रैल से लेकर जुलाई महीने को छोड़कर अन्य महीनों में मंदिर के सुविधाजनक दर्शन कर सकते हैं, क्योंकि बताए गए महीने में अधिक गर्मी या फिर बारिश का मौसम होता है इसकी वजह से मंदिर के दर्शन करना थोड़ा कठिन होता है। मंदिर में प्रत्येक दिन पूजा तथा आराधना की जाती है, उस समय में कोई भी भक्तगण मंदिर में दर्शन कर सकता है तथा देवी और देवताओं की पूजा में शामिल हो सकते हैं। मंदिर में होने वाली पूजा का विवरण नीचे तालिका में पढ़ सकते हैं।

पूजासमय
निर्मलया पूजाप्रातः काल 4 बजे
श्रीष्टान पूजासुबह 6 – 7:00 बजे
उषाकला पूजासुबह 7:00 – 7:30 बजे
उच्चीकला पूजासुबह 11:30 – 11:45 बजे
शाम की पूजाशाम 6:30 बजे
रात्रि पूजारात्रि 7:30 बजे

FAQS : Narayani Shakti Peeth

नारायणी शक्ति पीठ मंदिर (Narayani Shakti Peeth) की प्रमुख बात क्या है?
प्राचीन दैविक घटना के अनुसार यहां पर देवी सती का ऊपरी दांत मंदिर के पास गिरा था।

नारायणी शक्ति पीठ मंदिर (Narayani Shakti Peeth) कहां पर स्थित है?
कन्याकुमारी, तमिलनाडु (भारत)

नारायणी शक्ति पीठ मंदिर (Narayani Shakti Peeth) में कौन सा त्योहार प्रसिद्ध है?
सुचिंद्रम उत्सव।

नारायणी शक्ति पीठ मंदिर (Narayani Shakti Peeth) की मुख्य देवी कौन हैं?
देवी नारायणी (देवी सती)

नारायणी शक्ति पीठ मंदिर (Narayani Shakti Peeth) का वर्तमान नवीनीकरण कब हुआ था?
17वीं शताब्दी।

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