गुरुवायूर मंदिर (Guruvayur Temple) : यह मंदिर दक्षिण भारत में केरल राज्य के त्रिशुर जिले में स्थित है। यह मंदिर भगवान विष्णु के बालरूप गुरुवायूर रूप को सम्पर्पित है। इस मंदिर को एक अन्य नाम भी दिया गया है, जिसके अनुसार यह मंदिर द्वारका के नाम से भी जाना जता है। मंदिर में प्रत्येक वर्ष गुरुवायूर एकादशी का त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है, इसके साथ ही मंदिर में जन्माष्टमी और कुम्भंम उत्सव भी काफी प्रचलित है। गुरुवायूर मंदिर (Guruvayur Temple) के बारे में अनेकों तथ्य बताएं जाते हैं जिसके अनुसार, पता लगाया जा सकता है कि मंदिर के लोग पूजा आराधना में ज्यादा विश्वास रखते हैं। इस आर्टिकल के माध्यम से आप उन सभी तथ्यों और मंदिर से जुडी एक धार्मिक कहानी को विस्तार से जानेंगे।

गुरुवायुर मंदिर का इतिहास | Guruvayur Temple History
इतिहासकारों के अनुसार गुरुवायुर मंदिर (Guruvayur Temple) 5000 वर्षों से भी पुराना है। सन 1638 में इस मंदिर का निर्माण किया गया था, लेकिन उस समय मंदिर का पूर्ण निर्माण नहीं हो पाया था। इसके कुछ समय पश्चात 1716 में डच ने मंदिर पर हमला कर दिया था, और पुरे मंदिर में आग लगा दी थी। इसके बाद 1947 में मंदिर का पुनः निर्माण किया गया।
सन 1766 के करीब टीपू सुलतान के पिता द्वारा मंदिर पर कब्ज़ा कर लिया गया, लेकिन उसने चंद राशि के लालच में आकर मंदिर को अपने कब्जे से आजाद कर दिया था। बाद में उसे अपनी इस गलती का पछतावा हुआ, और उसने फिर से मंदिर पर कब्ज़ा करना चाहा, लेकिन भगवान की महिमा के कारण वह अपने लक्ष्य में असफल रहा।
इसके बाद अंग्रेजों द्वारा इस मंदिर को पुनः स्थापित किया गया था। सन 1875 से 1900 के मध्य उल्लानाद पनिकर ने मंदिर की देखरेख की थी, इस दौरान उन्होंने मंदिर में आवश्यक सामग्रियों का निर्माण किया और सभी खर्चों को अपने जिम्मे ले लिया था। इसके बाद 20वीं शताब्दी में कोटि मेनन ने मंदिर की संरचना में सहयोग दिया और मंदिर को बेहतर बनाने की कोशिश की। आखिर में सन 1928 में जमोरिन को मंदिर की जिम्मेदारियां सौंप दी गई और उनकी आने वाली पीढ़ियों ने मंदिर को वर्तमान रूप प्रदान किया।
गुरुवायूर मंदिर की महत्वपूर्ण जानकारियां | Guruvayur Temple Importance
मंदिर का नाम | गुरुवायुर मंदिर (Guruvayur Temple) |
जगह का नाम | केरल, (भारत) |
सम्बंधित धर्म | हिन्दू |
प्रमुख देवता | भगवान गुरुवायुरप्पन (भगवान कृष्ण का बालरूप ) |
मंदिर का निर्माणकाल | 17 शताब्दी में |
मांदरी के प्रमुख त्यौहार | जन्माष्टमी, कुम्भ मेला, गुरुवायुर एकदशी |
मंदिर के प्राचीन निर्माणकर्ता | विश्वकर्मा |
शिलालेख | भित्ति चित्र |
मंदिर की ऊंचाई | 39 फीट |
मंदिर खुलने का समय | सुबह 3 बजे |
गुरुवायुर मंदिर के अनसुने तथ्य | Guruvayur Temple Facts
भारत के दक्षिणी राज्य में अनेको प्रमुख मंदिर स्थापित है, जिसके बारे में अजीबोगरीब तथ्य सुनने को मिलते हैं। भारत के दक्षिणी राज्यों में मुख्य रूप से भगवान विष्णु के ऐसे मंदिर देखे जा सकते हैं जिसके पीछे आनेको तथ्य बताए जाते हैं उन्ही मंदिरों में से एक है गुरुवायुर मंदिर, इस आर्टिकल के माध्यम से आज हम आपको गुरुवायुर मंदिर के विभिन्न तथ्यों के बारे में विस्तार से बताएंगे, जानने के लिए आगे पढ़ें।
- गुरुवायूर मंदिर (Guruvayur Temple) के बाहर एक सात मीटर ऊंचा दीप स्तंभ स्थापित किया गया है, जो जलने पर बहुत ही भव्य प्रतीत होता है।
- गुरुवायूर मंदिर (Guruvayur Temple) में स्थापित भगवान कृष्ण की मूर्ति को अनेकों नामों से जाना जाता है जिसमें उन्नीकृष्णन, कन्नन, बालकृष्ण नाम शामिल हैं।
- केरल में स्थित इस मंदिर में, आजादी से पहले दलित वर्ग के लोगों का मंदिर में प्रवेश करना, पूर्ण रूप से प्रतिबंधित किया गया था।
- मंदिर के गर्भगृह में कृष्ण की बाल लीलाओं को चित्रकारियों में प्रस्तुत किया गया है।
- सन 2018 में मंदिर से जुड़े असमान्य नियमों को खंडित कर दिया गया था। जिसमें मंदिर में भोजन करने हेतु पहने जाने वाले कोडड्रेस को बदल दिया गया था और सामान्य रूप से कोई भी मंदिर में प्रवेश कर सकता था।
- गुरुवायूर मंदिर (Guruvayur Temple) में प्रवेश करने के लिए एक खास ड्रेसकोड को निर्धारित किया गया है, जिसमें पुरुष कमर पर मुंडु पहने और सीना खुला रखकर मंदिर में प्रवेश कर सकते हैं। औरतें साड़ी पहन कर और लड़कियां स्कर्ट और ब्लाउज पहनकर मंदिर में प्रवेश कर सकती है।
- मंदिर में निर्धारित नियमों के अनुसार कोई भी व्यक्ति या महिला मोबाइल फोन और कैमरे के साथ मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकते हैं।
- मंदिर में केवल हिंदू समुदाय के लोग ही प्रवेश कर सकते हैं, गैर हिंदू समुदाय लोगों के लिए मंदिर में प्रवेश पूरी तरह से वर्जित है।
- मंदिर की एक प्रमुख विशेषता यह है कि, मंदिर में पांच तरह की पूजा है और तीन सिवेली होती है इसके साथ मंदिर का पुजारी सुबह मुख्य स्थान पर प्रवेश करने के बाद दोपहर तक कुछ भी नहीं खाता।
- इस मंदिर में प्रत्येक दिन विवाह और छोरोनू का आयोजन किया जाता है।
- मंदिर में दर्शन के लिए आने वाले सभी श्रद्धालुओं के लिए प्रातः काल और शायं काल में निशुल्क भोजन प्रदान किया जाता है।
- गुरुवायुर मंदिर में विशेष रूप से एक पर्व आयोजित किया जाता है जिसे शिवेली के नाम से जाना जाता है इस दिन हाथियों के जुलूस पर मंदिर की प्रमुख मूर्तियों को सवारी करवाई जाती है इसके साथ एक विशेष यात्रा करवाई जाती है।
- मंदिर में होने वाले प्रत्येक वर्ष के त्योहारों के लिए, यहां पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किया जाता है जिसमें कथकली, कूडीयट्टम और थायम्बका शामिल हैं।
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गुरुवायुर मंदिर की कहानी | Guruvayur Temple Story In Hindi

केरल में भगवान विष्णु के बालरूप को समर्पित, गुरुवायुर मंदिर काफी प्रसिद्ध है। मंदिर से जुड़ी अनेकों बातें कहीं जाती है जिनके बारे में शायद आप ना जानते हो, उन्ही में से गुरुवायुर मंदिर (Guruvayur Temple) की एक प्रसिद्ध कहानी काफी मशहूर है। धार्मिक अभिलेखों में इस कहानी का सुंदर वर्णन किया गया है। इस आर्टिकल के माध्यम से आप कहानी को विस्तार से जानेंगे।
एक धार्मिक कथा के अनुसार,
प्राचीन काल में जब द्वारका नगरी में भयंकर बाढ़ आ गई थी और द्वारका नगरी डूब रही थी, तब भगवान विष्णु ने देवगुरु बृहस्पति को यह संदेश भेजा कि द्वारका में जहां पर उनकी प्रतिमा को स्थापित किया गया था, उनकी पूजा उनकी माता देवकी और पिता वासुदेव करते थे, इसी कारण उस प्रतिमा को बचा लिया जाए। भगवान की आजा मानते हुए बृहस्पति देव अयोध्या नगरी पहुंचे, लेकिन वहां पर मूर्ति जल में अंतरमग्न हो चुकी थी।
इसके बाद बृहस्पति देव ने अपनी अपार शक्तियों से मूर्ति को जल के अंदर से ढूंढ निकाला, तब बृहस्पति देव मूर्ति को लेकर भगवान विष्णु जी के पास गए। भगवान विष्णु के पास पहुंचने के बाद यह सवाल उठने लगा कि “इस मूर्ति को कहां पर स्थापित किया जाए?”
भगवान विष्णु ने बृहस्पति देव को एक सही जगह का चुनाव करने की आज्ञा दी। भगवान की बात को मानते हुए बृहस्पति देव ने संसार में हर जगह उस पवित्र भूमिस्थल को खोजने का प्रयत्न करने लगे। बहुत खोज के पश्चात दक्षिण में एक सरोवर दिखा जहां पर माता पार्वती और भगवान शिव जल विहार के लिए जाया करते थे। तब बृहस्पति जी ने भगवान शिव और माता पार्वती से इस मूर्ति को वहीं पर स्थापित करने की आज्ञा मांगी। परिणामस्वरूप भगवान शिव ने उन्हें मूर्ति को स्थापित करने की आज्ञा दे दी।
इसके पश्चात बृहस्पति देव और वासुदेव ने मिलकर इस मूर्ति की स्थापना वहां पर कर दी, और आगे चलकर इस जगह को गुरुवायूर मंदिर (Guruvayur Temple) के रूप में स्थापित कर दिया गाया।
गुरुवायुर मंदिर कैसे पहुंचे | How To Reach Guruvayur Temple

जैसा कि आर्टिकल के माध्यम से आपको पता चल कर चुका है कि गुरुवायुर मंदिर (Guruvayur Temple) केरल में स्थित है। अगर आप अपने शहर से मंदिर तक जाना चाहते हैं तब आप तीन प्रकार से यात्रा पूरी कर सकते हैं, जिसमें हवाई जहाज, ट्रेन, और बस शामिल है। बताए गए साधनों से यात्रा की संपूर्ण जानकारी के लिए आगे पढ़ सकते हैं।
बस द्वारा गुरुवायुर मंदिर (Guruvayur Temple) कैसे पहुंचे
सबसे पहले आपको अपने शहर से केरल की तरफ आने वाली बसों के बारे में जानकारी प्राप्त करनी होगी, आप सही बस का चुनाव करके केरल तक पहुंच सकते हैं। केरल में प्रवेश करने के बाद आप यहां पर राज्य परिवहन निगम (केआरटीसी) द्वारा उपलब्ध की गई बसों के माध्यम से मंदिर तक पहुंच सकते हैं।
ट्रेन द्वारा गुरुवायुर मंदिर (Guruvayur Temple) कैसे पहुंचे
अगर आप ट्रेन के माध्यम से मंदिर तक पहुंचाना चाहते हैं, तब आपको अपने शहर से केरल में मंदिर के निकटतम स्थित रेलवे स्टेशन तक पहुंचना होगा। अगर आप केरल राज्य से अत्याधिक दूरी पर रहते हैं तब आप ट्रेन बदलकर केरल तक आ सकते हैं, जानकारी के लिए बताना चाहेंगे आपको केरल में मौजूद “त्रिशूल रेलवे स्टेशन” तक आना होगा, यहां पर आने के बाद टैक्सी या ऑटो की सहायता से आप मंदिर तक पहुंच सकते हैं। रेलवे स्टेशन से मंदिर की दूरी लगभग 28 किलोमीटर है।
हवाई जहाज के द्वारा मंदिर (Guruvayur Temple) तक कैसे पहुंचे
अगर आप केरल से ज्यादा दूरी पर रहते हैं और कम समय में मंदिर तक पहुंचाना चाहते हैं तब आप हवाई जहाज की मदद से आसानी से मंदिर पहुंच सकते हैं। इसके लिए आपको अपने शहर से कोचिन इंटरनेशन एयरपोर्ट की टिकट बुक करवानी पड़ेगी। कोचीन एयरपोर्ट पहुंचने के बाद आप एयरपोर्ट से बाहर निकलकर, मंदिर के लिए टैक्सी या ऑटो की मदद ले सकते हैं। जानकारी के लिए बताना चाहेंगे, एयरपोर्ट से मंदिर तक की दूरी 87 किलोमीटर है।
गुरुवायुर मंदिर पूजा और दर्शन समय | Guruvayur Temple Visiting Timing
केरल में स्थित गुरुवायुर मंदिर (Guruvayur Temple) में पूजा अर्चना को लेकर विशेष मानताएं है, इसी कारण मंदिर में अनेकों पूजा की जाती है। इसके साथ ही मूर्ति अभिषेक और सिवेली का भी आयोजन किया जाता है, अगर आप मंदिर के दर्शन करना चाहते हैं और विभिन पूजाओं का समय जानना चाहते हैं तब आपको नीचे दी गई टेबल को जरुर पढ़ना चाहिए।
गुरुवायुर मंदिर पूजा आरती समय
आरती | समय |
मंदिर खुलने का समय | 3 बजे सुबह |
निर्मल्यम आरती | सुबह 3:00 बजे से 3:20 तक |
थैलाभिशेक | सुबह 3:20 से 3:30 तक |
मलर निवेदयम, अलंकारम | सुबह 3:30 से 4:15 तक |
उषा निवेदयम | सुबह 4:15 से 4:30 तक |
इथिरेट्टू पूजा के बाद उषा पूजा | सुबह 4:30 से 6:15 तक |
पलाभिषेकम, नवाभिषेकम पूजा | सुबह 7:15 से 9:00 तक |
उच्च पूजा | सुबह 11:30 बजे से दोपहर 12:30 बजे |
सिवेली | शाम 4:30 से 5: 00 बजे |
दिप आराधना | शाम 6:00 बजे से 6:45 तक |
अथजा पूजा | रात 7:30 सुबह 8: 15 बजे तक |
अथजा सिवेली | रात 8:45 से 9:00 बजे तक |
थिप्पुका, ओलवायना | रात को 9:00 बजे से 9:15 तक |
मंदिर बंद होने का समय | रात 9:30 |
गुरुवायूर (Guruvayur Temple) मंदिर दर्शन के लिए कुछ महत्वपूर्ण बातें
मंदिर में दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं के लिए मंदिर की तरफ से कुछ नियम निर्धारित किए गए, जिनके बारे में आपको जरूर पता होना चाहिए, ताकि मंदिर में प्रवेश करते समय आपको किसी प्रकार की दिक्कतों का सामना न करना पड़े। इसके लिए आपको नीचे बताई गई बातों पर ध्यान देना चाहिए।
- मंदिर में दर्शन करने से पहले मंदिर के तालाब में डुबकी लगाए और फिर मंदिर के गर्भ ग्रह में प्रवेश करें।
- मंदिर में प्रवेश करने से पहले यह सुनिश्चित कर लें कि आपने कैसी ड्रेस पहनी है अर्थात आपने क्या पहना है? शर्ट, पैंट, बनियान, पजामा, लूंगी, जींस, जूते इन सभी ड्रेस के साथ मंदिर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जाती।
- मंदिर में प्रवेश करने के लिए पुरुष लोगों को सफेद और क्रीम रंग की धोती पहनना चाहिए और महिलाओं को साड़ी सूट पहनकर ही मंदिर में जाना चाहिए, इस तरह मंदिर में प्रवेश करने पर कोई आपत्ति नहीं होगी।
- मंदिर में भगवान के दर्शन के लिए पूर्व द्वार पर लाइन में शांतिपूर्वक खड़े रहे और अन्य लोगों को दर्शन करने में अपना सहयोग प्रदान करें।
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FAQ
क्या बिना बुकिंग के गुरुवायूर मंदिर (Guruvayur Temple) में प्रवेश किया जा सकता है?
जी हां, पूजा और दर्शन के लिए गुरुवायूर मंदिर में निशुल्क सेवाएं उपलब्ध की गई हैं।
क्या बिना लाइन में लगे गुरुवायूर मंदिर (Guruvayur Temple) में मुख्य मूर्ति के दर्शन किए जा सकते हैं?
जी हां, इसके लिए आपको वीआईपी टिकट लेना होगा, और अन्य श्रद्धालुओं के लिए दर्शन निशुल्क है।
क्या गुरुवायूर मंदिर (Guruvayur Temple) में फोन से फोटो लेने पर मनाही है?
जी हां, गुरुवायूर मंदिर में किसी तरह की फोटोग्राफी पूर्ण रूप से वर्जित है।
गुरुवायूर मंदिर (Guruvayur Temple) की विशेष बात क्या है?
गुरुवायूर मंदिर में 11.5 एकड़ जमीन पर जंगल फैला हुआ हैं, जिसके संरक्षण में 60 हाथियों की देखरेख की जाती है।
गुरुवायूर मंदिर (Guruvayur Temple) किस देवता को समर्पित है?
भगवान विष्णु
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